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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

संयम स्वर्ण महोत्सव

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  1. कस न, ढील, अनति हो, सो वीणा, स्वर लहरी। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  2. कब लौं सोचो।, कब करो, ना सोचे, करो क्या पाओ ? हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  3. धूम्र से बोध, अग्नि का हो गुरु से, सो आत्म बोध। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  4. धूप-छाँव सी, वस्तुत: वस्तुओं की, क्या पकड़ है ? हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  5. मोक्षमार्ग में, समिति समतल।, गुप्ति सीढ़ियाँ। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  6. जिससे तुम्हें, घृणा न हो उससे, अनुराग क्यों ? हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  7. ५ अक्तूबर २०१७. नई दिल्ली. *दिगंबर जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का नाम किसी परिचय का मुहताज नहीं है. शरद पूर्णिमा के दिन परम पूज्य गुरुदेव की जन्म जयंती देशभर में मनाई जा रही है. * ध्यातव्य है कि तीर्थंकर महावीर भगवान की महान दिगम्बर परंपरा के जीवंत प्रतिरूप आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज की मुनि दीक्षा के पचास वर्ष सन २०१८ में पूर्ण हो रहे हैं, इस अलौकिक अवसर को संयम स्वर्ण महोत्सव वर्ष के रूप में सम्पूर्ण भारत में वर्षभर में मनाया जा रहा है| *आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज* : आचार्यश्री का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को ‘शरद पूर्णिमा’ के पावन दिन कर्नाटक के बेलगाम जिले के सदलगा ग्राम में हुआ था। 22 वर्ष की उम्र में उन्होंने पिच्छि - कमण्डलु धारण कर संसार की समस्त बाह्य वस्तुओं का परित्याग कर दिया था। और दीक्षा के बाद से ही सदैव पैदल चलते हैं, किसी भी वाहन का इस्तेमान नहीं करते हैं. साधना के इन 49 वर्षों में आचार्यश्री ने हजारों किलोमीटर नंगे पैर चलते हुए महाराष्ट्र, गुजरात,मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार में अध्यात्म की गंगा बहाई, लाखों लोगों को नशामुक्त किया है और राष्ट्रीय एकता को मजबूती प्रदान की है. आचार्य श्री विद्यासागर जी से प्रेरित उनके माता, पिता, दो छोटे भाई अनंतनाथ व शांतिनाथ और दो बहन सुवर्णा और शांता ने भी दीक्षा ली। *कठोर जीवन चर्या* ७१ वर्षीय आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज लकड़ी के तख़्त पर अल्प समय के लिए ही सोते हैं, कोई बिछौना नहीं, न ही कोई ओढ़ना, न पंख, न वातानुकूलक (एसी) । वे जैन मुनि आचार संहिता के अनुसार 24 घंटे में केवल एक बार पाणीपात्र में निर्दोष आहार (भोजन) और एक बार ही जल ग्रहण करते हैं, उनके भोजन में हरी सब्जी, दूध, नमक और शक्कर नहीं होते हैं। *जन कल्याण और स्वदेशी के प्रहरी* आचार्यश्री की प्रेरणा से देश में अलग-अलग जगह लगभग 100 गौशालाएं संचालित हो रही है ।उनकी प्रेरणा से अनेक तीर्थ स्थानों का पुनरोद्धार हुआ है और कला और स्थापत्य से सज्जित नए तीर्थों का सृजन हुआ है। सागर में भाग्योदय तीर्थ चिकित्सालय जैसा आधुनिक सुविधा संपन्न अस्पताल संचालित है. *स्त्री शिक्षा एवं मातृभाषा में शिक्षा के पुरजोर समर्थक* गुरुदेव की पावन प्रेरणा से उत्कृष्ट बालिका शिक्षा के केंद्र के रूप में प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ नाम के आवासीय कन्या विद्यालय खोले जा रहे हैं, जहाँ बालिकाओं के सर्वांगीण विकास पर पूरा ध्यान दिया जाता है, जिसका सुफल यह है कि सीबीएसई से संबद्ध इन विद्यालयों का परीक्षा परिणाम शत प्रतिशत होता है और सभी छात्राएं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होती हैं. विशेष बात यह है कि इन विद्यालयों में अंग्रेजी की धारा के विपरीत हिंदी माध्यम से शिक्षा दी जा रही है. आचार्य श्री का मानना है कि मातृभाषा में शिक्षा होने से बच्चों का मस्तिष्क निर्बाध रूप से पूर्ण विकसित होता है, उनमें अभिनव प्रयोग/नवाचार करने की क्षमता और वैज्ञानिक दृष्टि विकसित होती है. सभी प्रमुख शिक्षाविद भी यही कह रहे हैं और यूनेस्को भी मातृभाषा में शिक्षा को मानव अधिकार मानता है. पूज्य गुरुदेव की प्रेरणा से देश भर के अनेक प्रबुद्धजन और युवा आज भारतीय भाषाओं के पुनरोद्धार के लिए अभियान चला रहे हैं. *हथकरघा से स्वाबलंबन और स्वदेशी* गुरुदेव की प्रेरणा से खादी का पुनरोद्धार हो रहा है और जगह-२ हथकरघा केंद्र खोले जा रहे हैं, जहाँ उच्चस्तरीय कपड़े का निर्माण किया जा रहा है,जिससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल रहा है और स्वदेशी का प्रसार हो रहा है. यह हस्त निर्मित कपड़ा पूर्णतः अहिंसक एवं त्वचा के अनुकूल होता है. पूज्य गुरुदेव की जयंती को देशभर में मनाया जा रहा है, जिसमें विशेष पूजन-अर्चना के साथ-२ वृक्षारोपण, निर्धन सहायता, फल-भोजन वितरण के कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं. मप्र के झाबुआ जिले के एसपी अधिकारी श्री महेश चन्द्र जैन ने तो एक बंजर पहाड़ को ही अथक प्रयासों से लाखों पेड़ लगाकर हरा-भरा कर दिया है और गुरुदेव की जयंती के इस पावन दिवस पर बड़ी-संख्या में वृक्षारोपण करवाया है और अपनी श्रद्धा का अर्घ गुरुदेव को समर्पित किया. मप्र के सागर, जबलपुर और दमोह, राजस्थान के उदयपुर, अजमेर, किशनगढ़, कोटा, जयपुर, उप्र के ललितपुर, दिल्ली, कोलकाता, गुजरात में अनेक स्थानों पर गुरुदेव की जन्म जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जा रही है. पूज्य गुरुदेव की जन्म जयंती के अवसर अनेक जैन-जैनेतर विद्वानों ने उनके प्रति अपनी श्रद्धा समर्पण रूपी शुभकामनाएँ प्रेषित की हैं. इस अवसर पर राष्ट्रीय संयम स्वर्ण महोत्सव के परामर्श मंडल के गणमान्य सदस्य सर्वश्री मप्र उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री कृष्ण कुमार लाहोटी, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य श्री सुनील सिंघी (केंद्रीय राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त), मप्र के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) श्री रामनिवास जी, पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री प्रदीप जैन आदित्य एवं मप्र के सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडिशनल डीजीपी)श्री प्रदीप रुनवाल जी ने *गुरुदेव की प्रेरणाओं को जन-जन तक पहुंचाने, देश का नाम इण्डिया से केवल भारत के रूप में स्थापित करने तथा भारतीय भाषाओं के संरक्षण करने के संकल्प को दुहराया है*.
  8. रसों का भान, जहाँ न, रहे वहाँ, शान्त-रस है। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  9. छोटा सा हूँ मैं, छोर छूती सी तृष्णा, छेड़ती मुझे। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  10. निजी पराये, वत्सों को, दुग्ध-पान, कराती गौ-माँ। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  11. साष्टांग सम्यक्, शान चढ़ा हीरा सा।, कहाँ दिखता ? हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  12. ख़ाली बन जा, घट डूबता भरा…, ख़ाली तैरता। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  13. बिना चर्वण, रस का रसना का, मूल्य ही क्या है ? हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  14. चलो बढ़ोऔ, कूदो, उछलो यही, धुआँधार है। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
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