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संयम स्वर्ण महोत्सव

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  1. संयम स्वर्ण महोत्सव
    पूज्य आचार्य श्री ने कहा की किंचित भी बाहरी सम्बन्ध रह जाता है तो साधक की साधना पुरी नहीं हो पाती है। निस्परिग्रहि नहीं बन सकता है तब तक जब तक आकिंचन भाव जाग्रत नहीं हो जाता। न ज्यादा तप होना चाहिए न कम बिलकुल बराबर होना चाहिए तभी मुक्ति मिलेगी। केबल धुन का पक्का होने से काम नहीं होता श्रद्धान भी पक्का होना चाहिए तभी काम पक्का होगा।
     
    उन्होंने कहा कि क्षुल्लक को उत्क्रष्ट श्रावक माना जाता है परन्तु बह मुनि के बीच भी रहकर श्रावक ही माना जाता है। आवरण सहित है तो बह निस्पृही नहीं हो सकता उसके लिए तो मुनि धर्म अंगीकार करना ही पड़ेगा । समुद्र भी अपने पास कुछ नहीं रखता लहरों और ज्वर भाता के माध्यम से छोड़ देता है जबकि आप परिग्रह के आवरण को छोड़ ही नहीं पा रहे हो। दूध में जब विजातीय बस्तु मिलायी जाती है तो उसका स्वरुप परिवर्तित हो जाता है। मीठे पकवान में थोडा सा नमक डालने पर स्वाद अच्छा हो जाता है दूध में डालो तो बो बिकृत हो जाता है उसी प्रकार साधक की साधना में कोई विकृत भाव आ जाता है तो उसकी साधना विकृति को प्राप्त हो जाती है। संस्कार के कारन ही जीवन में परिवर्तन की लहर दौड़ती है जैंसे संस्कार होंगे बैंसा ही परिवर्तन होगा।
     
    उन्होंने आगे कहा की अच्छे कार्य के लिए धर्मादा निकालते हैं तो पुण्य का मंगलाचरण हो जाता है पहले गौ के लिए पहली रोटी निकाली जाती थी आज भी ये परम्परा सतत् होनी चाहिए क्योंकि यही दया का भाव होता है। आज दया की भावना का नितांत आभाव होता जा रहा है इसलिए महापुरूषोंं का आभाव धरती पर होता जा रहा है।  धीरे धीरे परिग्रह को त्याग करते जाना ही आकिंचन धर्म की तरफ आरूढ़ होना माँना गया है। जो उपकरण मुनियों को दिए जाते हैं उनका धीरे धीरे त्याग करके ही बो उत्तम आकिंचन्य धर्म को धारण करते हैं और समाधि की तरफ बढ़ते हैं। जब हम चलते हैं तो पैरों में असंयम के छाले हो जाते हैं फिर भी ब्रती चलता जाता है तो छाले फुट जाते हैं और संयम रूपी नयी चमड़ी आ जाती है । मछली को जल से बाहर निकलते ही बह तड़पने लगती है क्योंकि बहार आक्सिजन ज्यादा होती और पानी में कम होती है जो उसके अनुकूल होती है। ऐंसे ही धन को ज्यादा मात्रा में रखने से बह भार बन जाता है इसलिए समय समय पर उसे सदुपयोग में लगाकर परिग्रह के भार से मुक्त हो जाना चाहिए।
     
    आचार्य श्री ने कहा कि जगह जगह अन्न क्षेत्रों की स्थापना जैनोंं को करना चाहिए  क्योंकि जैन समाज पहले भी इस तरह के सेवा के कार्य करता रहा है । जैनाचार्यों की प्रेरणा से ये कार्य होते रहे हैं और आज भी हो रहे हैं ताकि आपका परिग्रह का भार कम होता जाय और धन परोपकार में लग जाय। शाकाहार की तरफ ध्यान देना चाहिए आज सामूहिक रूप से बहार जो भोजन के होटल चल रहे हैं बो अशुद्धि के केंद्र हैं इसलिए ऐंसी परोपकार के शाकाहारी अन्न क्षेत्रों की स्थापना की सबसे ज्यादा आवश्यकता है तभी शिखर की चोटी को आप छु पाएंगे । आज शाकाहार की आवाज बुलंद करने के लिए सरकार तक भी अपनी बात जोरदार ढंग से रखना चाहिए । बैसे सरकार की तरफ से उच्च शिक्षा के केंद्रों में शाकाहार की भोजनशाला प्रथक रखने की अनुकरणीय पहल हो रही है जो सराहनीय है।
  2. संयम स्वर्ण महोत्सव
    आँखें देखती,
    हैं मन सोचता है,
    इसमें मैं हूँ।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  3. संयम स्वर्ण महोत्सव
    आँखें देखती
    "मन याद करता"
    दोनों में मैं हूँ।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  4. संयम स्वर्ण महोत्सव
    आँखें ना मूँदों,
    नाही आँख दिखाओ,
    सही क्या देखो?
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  5. संयम स्वर्ण महोत्सव
    आँखें लाल है,
    मन अन्दर कौन,
    दोनों में दोषी ?
     
    भावार्थ - आँखों का लाल होना क्रोध करने का प्रतीक है लेकिन मजेदार बात यह है कि आँखों को तो क्रोध आता नहीं। क्रोध तो मन का विकार है पर मन लाल नहीं होता । वस्तुतः सर्वप्रथम द्वेष के सद्भाव से मन में क्रोध का संचार होता है तत्पश्चात् उसके प्रभाव से आँखों में लालिमा प्रकट होती है । यदि मन में क्रोध न हो तो आँखें लाल कैसे होंगी? अतः इससे स्वयमेव स्पष्ट हो जाता है कि आँखों के लाल होने का मुख्य कारण आँखें नहीं हैं बल्कि मन का विकार है ।
    - आर्यिका अकंपमति जी 
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  6. संयम स्वर्ण महोत्सव
    आँखों से आँखें,
    न मिले तो भीतरी,
    आँखें खुलेगी।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  7. संयम स्वर्ण महोत्सव
    प्रातरूकाल उठते ही सबसे पहली जरुरत आदमी को अग्नि की होती है। चाहे वह पानी गरम करने के लिए हो अथवा भोजन बनाने के लिए या फिर प्रकाश करने के लिए, हर कार्य के लिए अग्नि की जरुरत होती है। उसी प्रकार से धन पर भी नियंत्रण रखना अतिआवश्यक होता है। यदि धन आने के बाद उस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो वह भी विनाश का कारण बनता है। यहां प्रवास कर रहे आचार्य श्री  विद्यासागर महाराज ने एक जनसभा को स्थानीय जैन दिगम्बर मंदिर में प्रवचन करते हुए उक्त बातें कहीं।
     
    उन्होंने आगे कहा कि यदि सीमा से अधिक अग्रि का विस्तार हो जाता है तो वह विनाश का ही कारण बनती है। उसकी सीमा में आने वाले सभी को वह स्वाह कर जाती है और बाद में कुछ नहीं बचता। इसी लिए अग्नि का उपयोग करते समय बड़ी सावधानी से कार्य करना पड़ता है और उस अग्नि को सीमा से बाहर न जाये युक्तिपूर्वक कार्य करना पड़ता है। इसी प्रकार यदि व्यक्ति के पास आवश्यकता से अधिक धन का संग्रह हो जाये और उसका विवेक पूर्वक उपयोग नहीं किया जाये तो वह धन मानव के लिए अग्नि का कार्य करता है। नीति एवं विवेक के अनुसार धन का उपयोग करने से वह न केवल व्यक्ति के लिए वरन् उसके परिवार, समाज, प्रदेश सहित समूचे देश के लिए उपयोगी होता है। उसके ठीक विपरीत यदि धन पर नियंत्रण नहीं रखा गया और उसे युक्तिपूर्वक खर्च नहीं किया गया तो वहीं धन घमंड, नशा सहित कई विकृतियां लाकर उस व्यक्ति, परिवार तथा समाज के लिए विनाश का कारण बनता है। इसीलिए धन और अग्नि को हमेशा भुक्ति सहित युक्ति से उपयोग करते हुए मुक्ति का मार्ग पर चलने का हर व्यक्ति को प्रयास करना चाहिए। सीमा से बाहर जाने पर यदि धन संग्रह हो गया है तो वह विनाश का कारण बनता है। इसीलिए जितना धन आता है उसका संग्रह करने के बजाये अतिरिक्त धन को धर्म, आध्यात्म तथा जनोपयोगी कार्यों में खर्च करना चाहिए। यदि व्यक्ति समझदार है तो वह स्वयं तो उस धन का उपयोग भंली भांति करेगा किन्तु उसने आवश्यकता से अधिक संग्रह कर लिया तो वह अतिरिक्त धन उस परिवार के आने वालों के लिए तथा उसकी संतान के लिए विकृति का कारण बनता है। इसीलिए समय रहते धन का अग्नि के समान युक्तियुक्त उपयोग करना आवश्यक होता है। इस अवसर पर प्रवचन के दौरान लोगों ने भाव विभोर होकर इसे अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया तथा आचार्य श्री के प्रति छोटी सी बात से इतना बड़ा जीवन जीने का सिद्धांत देने के लिए आभार मना।
  8. संयम स्वर्ण महोत्सव
    आग से बचा
    "धूंवा से जला (व्रती) सा, तू"
    मद से घिरा।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  9. संयम स्वर्ण महोत्सव
    आगे बनूँगा,
    अभी प्रभु-पदों में,
    बैठ तो जाऊँ।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  10. संयम स्वर्ण महोत्सव
    राजनांदगांव/डोंगरगांव. दिगबर जैन आचार्य श्री विद्यासागर जी का डोंगरगांव प्रवेश शनिवार को सुबह 8 बजे होगा। अपने मुनिसंघ के साथ पद यात्रा कर डोंगरगांव पहुंच रहे आचार्यों की आगवानी के लिए डोंगरगांव शहर की सीमा पर मोहड़ चौक से विशाल जन समुदाय के साथ उनका डोंगरगांव प्रवेश होगा।
    डोंगरगांव में नवनिर्मित जैन मंदिर में मूर्ति स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा सहित मंदिर प्रांगण में निर्मित मान स्तंभ पूजन और गजरथ पंचकल्याण महोत्सव के वृहद कार्यक्रम जैनाचार्य श्री विद्यासागरजी के उपस्थिति में होगा।
    शनिवार सुबह 6 बजे अरसीटोला से विहार
    आयोजन के लिए जैन तीर्थस्थली रामटेक (महाराष्ट्र) से डोंगरगांव के लिए निकले मुनिसंघों की टोली आचार्य श्री की अगुवाई में डोंगरगांव छुरिया मार्ग पर ग्राम अरसीटोला पहुंच गई है और रात्रि विश्राम के बाद शनिवार सुबह 6 बजे अरसीटोला से विहार करेगी और मुनिसंघ में शामिल 37 मुनियों के साथ चल रहे आचार्य विद्यासागरजी का मंगल प्रवेश डोंगरगांव की सीमा पर मोहड़ चौक के समीप शनिवार सुबह 8 बजे होगा।
    9 से 15 नवम्बर तक पंच कल्याणक महोत्सव
    इस मंगल प्रवेश के लिए पूरे देश से पहुंच हुए जैन समाज के साथ ही डोंगरगांव जैन समाज सहित स्थानीय नागरिकों की उपस्थिति के बीच डोंगरगांव आगमन होगा। डोंगरगांव में आगामी 9 से 15 नवम्बर तक जेन्ट्स क्लब मैदान में आयोजित पंच कल्याणक महोत्सव के लिए पधारे आचार्यों के आगमन को लेकर स्थानीय स्तर पर बड़ी तैयारी की जा रही है। वृहद पंडाल में हजारों लोगों के बीच आयोजित कार्यक्रम में प्रतिदिन विविध विषयों और जैन दर्शन पर आधारित कार्यक्रम होंगे। कार्यक्रम के लिए डोंगरगांव के अलावा राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक के गुरू भक्तों का जमावड़ा डोंगरगांव में हो चुका है। मुनिवरों की आहार चर्चा के लिए चौका सजाने दूर-दराज से लगातार भक्त डोंगरगांव नगर में माहौल धार्मिक वातावरणमय हो गया है।
    मूर्ति स्थापना की तैयारी अंतिम चरण में
    तोरण-पताका और रंग रोगन के बीच और जैन समुदाय के लोगों के लिए यह क्षण स्वर्णिम इतिहास गढऩे का हो रहा है। विशाल जैन मंदिर में मूर्ति स्थापना की तैयारी अंतिम चरण में है। पंच कल्याणक जैसे वृहद कार्यक्रम का संपादन वर्षों बाद डोंगरगांव में किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की सफलता और आचार्य के आगमन को यादगार बनाने जैन समाज के साथ ही सभी नागरिकों एवं अन्य समाजों द्वारा भी विशेष योगदान दिए जा रहे हैं।
     
    https://www.patrika.com/bhilai-news/rajnandgaon-acharya-vidyasagar-enters-in-dongargaon-on-saturday-mornin-1964564/
  11. संयम स्वर्ण महोत्सव
    18 नवम्बर २०१७
    रात्रि विश्राम  मुरमुंदा  8.5 km
    कल  सुबह चंद्रगिरी प्रवेश
     
    17 नवम्बर २०१७ 
    संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का ससंघ मंगलविहार आज (दोप.1.35) डोंगरगढ़ की ओर हो गया है 19 नवंबर को सुबह भव्य अगवानी डोंगरगढ़ में होगी।     
    रात्रि विश्राम गिरगांव में (7 Km)
    कल सुबह 11.8 पर कोलिहापुरी
    NH पर टप्पा के पास आहार 
     
    4 नवम्बर २०१७ 
    शनिवार सुबह 6 बजे अरसीटोला से विहार
    शनिवार की सुबह डोंगरगांव में मंगल प्रवेश
     
    3 नवम्बर २०१७ 
    रात्रि विश्राम  सांय   अरसीतौला 11कि मी आये
    सुबह 12कि मी डोंगरगांव में प्रवेश
     
     
    1 नवम्बर २०१७ , 2:३० P.M
    आज रात्रि विश्राम  8 किमी चैक पोस्ट छ.ग.और महा .की सीमा
    कल सुबह आहारचर्या   12.5 कि मी आहार घोरतालाब
     
    31 अक्टूबर २०१७  2 P.M
    आज रात्रि विश्राम    मीताराम स्कूल  डोंगरगांव  10कि मी
    कल सुबह आहारचर्या      13.8  श्रीमहावीर जिन मंदिर देवरी
     
    30 अक्टूबर २०१७ ६ :०० P.M
    सौंदर्य में रात्रि विश्राम
    कल सुबह 12 कि.मी.आहार कोहमारा
     
     
    29 अक्टूबर 2017, रविवार 
    आहारचर्या - समर्थ महाविद्यालय, लाखनी में संपन्न
    सामायिक- लाखनी में
    विहार- दोपहर २:३० बजेः  आचार्य श्री का लाखनी से विहार  |
    रात्रि विश्राम-लाखनी से 9 किमी पर रात्रि विश्राम आज मुडीपार में,   कल सुबह आहार चर्या  10 कि.मी. साकोली,  पटेल विद्यालय में संभावित.
     
     
    28 अक्टूबर 2017, शनिवार -  
    आहारचर्या- पांडव कॉलेज , भिल्लेवाडा ( भंडारा साकोली रोड)
    सामायिक-
    रात्रि विश्राम-
     
    27 अक्टूबर 2017,शुक्रवार
    आज रात्रि विश्राम - तवेपार (भंडारा से 6 किमी रामटेक रोड पर)
     
     
    26 अक्टूबर, 17:00
    ■आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ कीआज रात्रि विश्राम स्थली- धर्मापुर ग्राम
    ● भंडारा - दूरी लगभग 20 किमी।
    ● डोंगरगांव- दूरी 145 किमी लगभग।
    संभावित दिशा- छत्तीसगढ़ के तरफ बढ़ते कदम।
     
     
    26 अक्टूबर, 8:32 AM

    *आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ की संभावित आहार चर्या- भंडारा रोड आरोली*
    *संभावित दिशा- छत्तीसगढ़ के तरफ बढ़ते कदम।*
     
    अक्टूबर 25, 2017
    आचार्य श्री का आज रात्रि विश्राम ग्राम खिंडसी में हो रहा है |
     
    अक्टूबर 25, 2017
     
    अनियत विहारी
    आज परम पूज्य सन्त शिरोमणी आचार्य श्री 108  विद्या सागर जी महाराज ससंघ का रामटेक से विहार हो गया है |  आचार्य श्री का आज रात्रि विश्राम  ग्राम खिंडसी  मे होगा
     
    पिच्छिका परिवर्तन मात्र 25 मिनिट में सम्पन्न
    आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज ससंघ का पिच्छिका परिवर्तन मात्र 25 मिनिट में सम्पन्न हो गया। गुरुजी के मंच पर विराजमान होते ही बिना औपचारिकता के सीधे पिच्छिका का परिवर्तन प्रारम्भ हो गया। जबकि पिच्छिका परिवर्तन के संकेत भी सुबह 10 बजे ही प्राप्त हुए थे। कार्यक्रम सम्पन्न होते ही पूज्य गुरुदेव ने रामटेक से विहार कर दिया। लोग आश्चर्यचकित रह गये क्योंकि शारीरिक अस्वस्थता के कारण विहार की संभावना नहीं थी। आचार्य संघ का विहार बिना किसी पूर्व सूचना होता है और अचानक हुए विहार में भी हज़ारों श्रावक गुरू जी साथ विहार करते हुए खिंडसी पहुँचे |  आचार्य श्री का आज रात्रि विश्राम ग्राम खिंडसी में हो रहा है, ऐसी सूचना प्राप्त हुई है | 
     

  12. संयम स्वर्ण महोत्सव
    30/1/2018
    आज की आहार चर्या श्री दिगम्बर जैन मंदिर मालवीय नगर रायपुर में सम्पन्न हुई ।
    विश्व वंदनीय आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज (ससंघ) का मंगल विहार रुआबांधा भिलाई  से रायपुर (शांति नगर लाभाण्डी ) की ओर चल रहा है ।
     
    29 /1/2018
     
    नी सकल दिगंबर जैन समाज के उपस्थिति में हुआ पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के साथ पूज्य रतन मुनि मसा आदि ठाणा द्वारा चर्चा हुई।   विहार अपडेट - 29 जनवरी 18   वर्तमान जिन शासन नायक भगवान महावीर स्वामी के तीर्थंकर परम्परा के ध्वज वाहक चतुर्थ कालीन चर्या के धारक चैतन्य तीर्थ के निर्माता शिक्षा के साथ संस्कार के जनक गौ संवर्धन एवं संरक्षण के प्रेरक परम पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज ससंघ देव शास्त्र गुरु का मंगल आगमन आज श्री मंगल साधना केंद्र उरला चरौदा में हुआ जहां पर विराजमान पूज्य रतन मुनि आदि 4 ठाणा ,सम्माननीय ट्रस्टी एवं वहां संचालित स्कूल के बच्चों द्वारा भव्य आगवानी सकल दिगंबर जैन समाज के उपस्थिति में हुआ पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के साथ पूज्य रतन मुनि मसा आदि ठाणा द्वारा चर्चा हुई। आहार चर्या मंगल साधना केंद्र साईं मंदिर के पीछे चरौदा में संम्पन हुई...   सामायिक के पश्चात विहार दोपहर 2 बजे से चरौदा से बुलेट शो रुम टाटीबंध के लिए होगा... --- 2 आज दिनाँक 29/1/2018 दिन सोमवार को आचार्य श्री जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए बाल ब्र विनय भैया बण्डा वाले । टीकमगढ पंचकल्याणक करा कर पहुचे विनय भैया और गुरूजी से आशीर्वाद लिया और जिंतूर पंचकल्याणक के लिए रवाना हो गए । महाराष्ट्र में दो पंचकल्याणक का आशीर्वाद प्राप्त किया गुरूजी से ।    
    28 जनवरी  2018

    परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का  मंगल विहार आज दोपहर रुआ बांधा भिलाई से रायपुर की ओर हुआ ।
    ★ आज रात्री विश्राम- खुर्सीपार अग्रवाल भवन, रायपुर रोड (लगभग 11 किलोमीटर)
    ★ कल की आहार चर्या- चरौदा ग्राम (10 किलोमीटर)
     
     
    ।संभावित मंगल विहार आज।।
    परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल बिहार, पंचकल्याणक महोत्सव के समापन उपरांत आज दोपहर लगभग 1:30 बजे, रुआबांधा भिलाई से रायपुर की ओर होने की संभावना है ।
     
     
    ------------------------
    विश्व वंदनीय आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज (ससंघ) भिलाई (छत्तीसगढ़) में विराजमान हैं।-  आचार्य  श्री का डोंगरगढ़ से विहार
     
    11 जनवरी २०१८ 
    ◆ आज रात्रि विश्राम- सोमानी। राजनांदगांव से 12 किमी आगे।
    ● कल आहार चर्या- अभिनन्दन पैलेस, दुर्ग।
    ● कल भव्य अगवानी- दोपहर पश्चात-  रुआबाँधा, भिलाई।
     
    10 जनवरी २०१८ 
    ◆ आज रात्रि विश्राम- नीरज पब्लिक स्कूल पढ़ा जावे।राजनांदगांव से 6 किमी पूर्व।
    ● कल प्रातः 8:30 बजे भव्य प्रवेश-  राजनांदगांव ।
    राजनांदगांव से रुआबाँधा  भिलाई मन्दिर की दूरी- 26 किमी
     
     
    9 जनवरी 2018  डोंगरगढ़ से हुआ मंगल बिहार। 
    आगामी संभावना-
    आज रात्रि विश्राम- ग्राम डुंडरा (12 किमी) कल की आहार चर्या- कोपेड़ी रथ मन्दिर (12 किमी) विहार की दिशा- भिलाई (पंचकल्याणक)  
    संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज जी का चंद्रगिरी डोगर गढ़ से राजनांदगांव की और दोपहर 1/2 बजे बिहार होगा ।
    रात्रि विश्राम ग्राम डुडेरा मे होगा ।
     
     
    बिहार अपडेट 9 जनवरी 18 
    डोंगरगढ़ में विराजमान संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का ससंघ मंगल बिहार आज 9 जनवरी 2018 को दोपहर 1.30 बजे  भिलाई की ओर होने की प्रबल संभावना है । डोंगरगढ़ से भिलाई की दूरी 80 किलोमीटर है । डोंगरगढ़ से राजनादगांव, दुर्ग होकर के भिलाई सीधा रास्ता है। आगामी 14 जनवरी रविवार को भिलाई में 22 जनवरी से 28 जनवरी 2018 तक होने वाले पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के प्रमुख पात्रों का चयन होने जा रहा है।       *6 फरवरी से 11 फरवरी 2018 तक रायपुर में आचार्य संघ के सानिध्य में पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव का आयोजन होने की संभावनाएं हैं
     
     
    आज 1,30 बजे आचार्य श्री का विहर राजनांदगांव के ओर है
  13. संयम स्वर्ण महोत्सव
    भोपाल। दिगम्बर जैन संत आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के पचासवें दीक्षा वर्ष के अवसर पर भोपाल में भव्य "संयम स्वर्ण महोत्सव" का आयोजन 5 अक्टूबर, शरद पूर्णिमा के दिन रविन्द्र भवन के मुक्ताकाश मंच पर किया जा रहा है। इस आयोजन में मप्र संस्कृति विभाग के सहयोग से उड़ीसा के प्रिंस ग्रुप की शानदार प्रस्तुति होगी। इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अभिनन्दन भी किया जायेगा। आपको बता दें कि पिछले साल वर्ष २०१६ में अपनी भोपाल यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आचार्य श्री का आशीर्वाद लिया था।
    महोत्सव के सूत्रधार रवीन्द्र जैन ने बताया कि शरद पूर्णिमा पर आचार्यश्री का 72वां जन्मदिन भी है। संयम स्वर्ण महोत्सव की पूरे भोपाल के लगभग सभी मंदिरों में जोरदार तैयारियां की गई हैं।
    शाम सात बजे से आयोजन
    शाम सात बजे से होने वाले इस आयोजन में बीस से अधिक सांस्कृतिक कार्यक्रमक्रप्रस्तुत किए जाएंगे। सबसे बड़ा आकर्षक उड़ीसा का प्रिंस ग्रुप है। इस ग्रुप ने कलर्स टीवी के इंडिया गोट टेलेंट का प्रथम पुरस्कार जीता था। इसके सती चंदनबाला पर नाटक, आर्मी थीम पर डांस, आचार्यश्री पर आधारित नृत्य नायिकाओं की प्रस्तुति की जाएगी।
    इस महोत्सव के लिये प्रदेश के वित्तमंत्री जयंत मलैया की अध्यक्षता और आईपीएस अधिकारी पवन जैन के मुख्य संयोजन में एक आयोजन समिति का गठन किया गया है। महोत्सव में बाल ब्रह्मचारी विनय भैया जी बंड़ा आचार्यश्री के संयम पर उद्बोधन देंगे।
    मुख्यमंत्री का सम्मान
    समारोह में मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश की आंगनवाडिय़ों में अंडा वितरण पर रोक लगाने के लिए उन्हें आचार्यश्री विद्यासागर अहिंसा सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।
    सोर्स:- https://www.patrika.com/bhopal-news/shivraj-singh-chauhan-cabinet-meeting-latest-news-1870778/
  14. संयम स्वर्ण महोत्सव
    देवरी के समीप स्थित ग्राम बीना बारहा में संत शिरोमणि आचार्य 108 श्री विद्यासागर जी का ससंघ प्रवास चल रहा है। 22 मार्च (रविवार) को आचार्य श्री की आहारचर्या पंकज विशाला एवं पारस चैनल परिवार के यहां हुई। आहारचर्या के तुरंत बाद आचार्य श्री शांतिधारा दुग्ध योजना स्थल तक पहुंचें और एक आम के वृक्ष नीचे बैठे जहां आकर सभी संघस्थ साधू आते गये और बैठते गये। योजना स्थल पर पहुंचने पर उनके पैरों का प्रक्षालन करने का अवसर सभी सहयोगी कर्मचारियों को प्राप्त हुआ जो कि योजना स्थल पर कार्य कररहे हैं या कार्य देख रहे हैं। सभी के लिये आचार्य श्री ने आशीर्वाद दिया।
    उस आम के वृक्ष के नीचे कुछ देर बैठने के उपरांत दोपहर की सामायिक के लिये स्थल पर बने हुये नये भवन में पहुंचे। दोपहर ठीक 2.30 बजे कार्यक्रम की शुरूआत हुई जिसमें मंगलाचरण – बा. ब्रा. बहिन शांता जी जो कि सदलगा से आयीं थीं, उन्होंने अपनी ही भाषा में मंगलाचरण किया। चित्र का अनावरण पंकज विशाला दिल्ली, प्रभात जी मुंबई, प्रमोद जी बिलासपुर आदि ने किया। द्वितीय चित्र का अनावरण आनंद जी जबलपुर, आनंद जी सागर ने किया। दीप प्रज्जवलन- पंकल विशाला, संजय मेक्स, मनीष नायक, अलकेश जैन आदि ने किया।
    शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य भी पंकज विशाला एवं पारस चैनल परिवार वालों को प्राप्त हुआ। आचार्य श्री के चरणों के प्रक्षालन का पुनः मौका शांतिधारा दुग्ध योजना के संचालक सदस्यों को प्राप्त हुआ।
    आचार्य श्री – बूंद-बूंद से घट भरता है। उक्त उद्बोधन आचार्य श्री ने अपने प्रवचन के दौरान दिये, उन्होंने कहा- हमारे गुरूजी ने दयोदय चंपू महाकाव्य की रचना ही उसमें कहा है दया उदयोः दया का उदय हो। आज होते तो क्या लिखते जबकि गायें कटने लगी है। मैंने तो उसी शब्द को पकड़कर के दयोदय तीर्थ गौशाला आदि आदि नाम रखे हैं। हम आचार्य कुंदकुंद के चरणों में बैठकर उनसे भावों के माध्यम से लिपट सकते हैं। हमारे पापों की गठरी, कर्मों की गठरी टूटने में दूर होने में उनका परोक्ष में आशीर्वाद है। हमारे गुरूजी का तो आज भी हाथ हमारे सिर पर है जिसकी फोटोग्राफी नहीं कर सकते।
    कितनी करूणा थी उनके पास हृदय बहुत कोमल था। विद्वत वर्ग के सामने उस चंपू काव्य को रखा। जो आज अनेक कक्षाओं में चल रहा है। उन्होने आगे कहा- परोपकाराय दुहन्ति गावो। आप लोग तो अपने स्वार्थ बस कुछ भी कहते करते हैं। लेकिन गाय उपकार करती है। उसके पास स्वार्थ नहीं है। आप जरा सोचे गाय ने कभी अपना दूध पिया उसने तो कभी स्वाद नहीं लिया। और खाती क्या है पीती क्या है। माला फेरने में तप नहीं होता जब पेट में संज्ञा होती है तब तीर्थंकरों को भी आवश्यकता होती है।
    आचार्य श्री ने कहा यह रासायनिक प्रक्रिया है यह वैज्ञानिक है कभी भी पैसे, सोना, चांदी से प्राणों को बल नहीं मिलता। भोजन ही रासायनिक प्रक्रिया द्वारा परिवर्तित होकर प्राणों को बल देती है। एक बार खावे योगी, दो बार खाबे भोगी, और जो बार बार खावे सो रोगी। दूध रोग विनाशक है, बुद्धि प्रदाता है। जीवन में अंतिम समय तक अंतिम क्षणों तक यह चलता है।
    अंग्रेजों के समय में कत्ल खाने नहीं थे। और वे मांस का व्यापार भी नहीं करते थे, लेकिन इस भारत में ऐसी बात चल रही है जहां अहिंसा की आरती उतारी जाती थी वहीं हिंसा भारत में सबसे अधिक हो रही है।
    एक देखे तो सौधर्म इंद्र को अमृत चखने के लिये भले मिल जाय पर छाछ नहीं मिलती है। छाछ धरती का अमृत है। दया की वर्षा उर से होती रहे। हमारी आंखों में पानी जल्दी आवे तो सामने वाले पर प्रभाव होता है। और बूंद-बूंद से घट भरता है। जब हवा काम नहीं आती दवा काम आती है और दवा काम न आये तो दुआ काम आती है। गाय अपने मालिक को परेशान बीमार देखती है तो दुआ देती है। ठीक होने की भावना करती है।
  15. संयम स्वर्ण महोत्सव
    कार्यक्रम की तैयारियों में जुटी जैन समाज गुरुदेव आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करने हेतु तन मन धन समर्पण के भाव से पिछले चार महीनों से अनवरत जुटी हुई थी, प्रतिभास्थली से पधारने वाली अपनी बेटियों और बालब्रम्हचारी बहनों के लिये पलक पांवड़े बिछाकर बैठी थी। और वह दिन भी आ गया दिनांक ९-१२-२०१७ को ढेर सारी बेटियां हमारी ममता भरी झोली को स्नेह से भरने आ गईं, धार्मिक, अनुशासित, समर्पित, कुशल, अद्भुत छात्राएँ। धन्य हो गयी मुंबई धरा तपस्वी बहनों को मुंबई में पाकर।   दिन आ गया वह जब हमें निहारना था कुशल कारीगर बहनों के मूर्त कला-प्रस्तुति को प्रदर्शित करने का और सुनहरे पलों में सार्थकता भरने का कार्य को गरिमा प्रदान करने हेतु विशिष्ट अतिथि के रूप में माननीय न्यायमूर्ति श्री कमल किशोर जी तातेड़, न्यायाधीश मुंबई उच्च न्यायालय, माननीय श्री कृष्ण प्रकाश जी, महाराष्ट्र पुलिस महानिरीक्षक, श्वेताम्बर जैनाचार्य पूज्य डॉ श्री लोकेश मुनि जी, माननीय संजय घोड़ावत जी, न्यायमूर्त श्री केयू चांदीवाल जी पूर्व न्यायाधीश मुंबई उच्च न्यायालय, माननीय श्री रामनिवास जी, पूर्व पुलिस महानिदेशक छत्तीसगढ़ राज्य, श्री राहुल कोठारी भारतीय जनता युवा मोर्चा, राष्ट्रीय संयम स्वर्ण महोत्सव समिति के मुख्य कार्यकारी श्री प्रबोध जैन कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रहे थे।  कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यासागर विद्यालय के नन्हे बच्चों द्वारा किये गये मंगलघोष द्वारा हुआ, गुरुदेव आचार्य श्री १०८ शांतिसागर जी महाराज जी, गुरुदेव आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज जी, गुरुदेव आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के श्री चरणों में दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ।   कार्यक्रम की श्रंखला में भक्ति नृत्य,सितार तबला वादन, गुरु विद्यासागर जी महाराज के अनछुए पहलुओं को चित्रित करते हुये रेत के रंगों में मंत्रमुग्धित कला मनोहारी थी।    मुंबई से ख़ुशी जैन और प्रशा जैन ने श्री आदिनाथ स्तुति नृत्य और गुरुभक्ति नृत्य के द्वारा सबको मोहित किया। और प्रारंभ हुआ वह समय जिसने मंत्रमुग्ध कर दिया मुंबई को ठहर सी गई जिंदगी उन २ घंटों के लिये, प्रतिभास्थली की बेटियों के द्वारा छाया नृत्य जिसमें गुरुदेव की प्रेरणाओं के दर्शन हुये, तो मूक अभिव्यक्ति ने गायों की दशा चित्रण ने अश्रुपूरित कर दिया, छोटे छोटे सुंदर नृत्य, आज 100 वर्ष बाद के वर्ष २११७ के भारत की परिकल्पना के वर्णन द्वारा सबको हंसा हंसा कर हम गलत दिशा में जा रहे इस बोध का परिचय दिया, तो भारत के स्वर्णिम युग ने पुन: विचार करने पर विवश कर दिया, योग का परिचय भी जब दिया तो तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गुंजायमान था, अंतिम शास्त्रीय नृत्य की गुरुवर भक्ति अतुलनीय रही, खचाखच भरे सभागार में दर्शक अपलक कार्यक्रम का आनंद लेकर आत्मसात करते रहे।   बिटिया मोही सेठी, और प्रज्ञा जैन तो प्रतिभास्थली में पढ़कर सीए की उत्कृष्ट परीक्षा में सफलता हेतु समाज की गौरव इन बेटियों को सम्मानित किया।   मुंबई के दिगंबर जैन समाज ने कृतज्ञता ज्ञापित की ब्रम्हचारिणी बहनों के प्रति| जबलपुर मप्र, डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ और रामटेक महाराष्ट्र से 271 बालिकाएँ आई थीं और उन्होंने  प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ की उत्कृष्ट शिक्षा प्रणाली का परिचय अपनी प्रतिभा के बल पर दे ।   प्रस्तुति: श्रीमती विधि प्रवीण जैन  
  16. संयम स्वर्ण महोत्सव
    18 फ़रवरी २०१८ 
    परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार दोपहर लगभग 2:45 बजे हुआ।
    पूज्य आचार्य श्री जी का स्वास्थ्य कुछ नरम-गरम चल रहा है, इसके बाबजूद भी चर्या यथावत चल रही है। यही कारण है कि आज भी विहार कर रहे है।
    ● आज का रात्रि विश्राम- नेवधा में संभावित।
    निकटतम मुख्य स्थान-
    ● भाटापारा - 33 किमी, कल दोपहर पश्चात मंगल प्रवेश संभावित।
    ● बिलासपुर- लगभग 70-75 किमी।
     
     
    परम् पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार आज दोपहर में थोड़ी देर पहले ही रायपुर से बिलासपुर की ओर हुआ।
    आज का रात्रि विश्राम- नरहट (7.5 किमी) ज्ञान गंगा स्कुल मे सम्भावित |

     
     
     
     
  17. संयम स्वर्ण महोत्सव
    *विद्योदय विशेष सूचना*
    क्या आपके शहर में यह फिल्म दिखाई जा रही है ? क्या आपको स्थान मालूम है, जैसे कि मुझे सूचना मिली कि जयपुर में 6 स्थानों पर दिखाई जाएगी, पर स्थानों का नाम नहीं पता हैं, क्या आप सहायता कर सकते हैं ?
    आप यह सूचना इस लिंक पर ज़रूर डालें ताकि कोई भी भक्त सूचना न मिलने के कारण वंचित न रह जाये |
    स्थान का नाम नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें ताकि इसकी सूची बनाकर सभी तक पहुँचाई जा सके और सभी यह फिल्म देख सकें। 
     

     
     
    स्थान सूचि 
    जयपुर 
    ग्वालियर 
     
  18. संयम स्वर्ण महोत्सव
    निर्मलकुमार पाटोदी,इंदौर :
    वर्षों पूर्व यहाँ हमारी चातुर्मास हुआ था। उसका स्मरण ताज़ा हो रहा है। आपकी बहुत सालों से भावना थी, आशीर्वाद की। आज की प्रात:काल की पूर्णिमा के मंगल अवसर पर इंदौर में भी आर्यिका के सानिध्य में शिलान्यास होने जा रहा है। वे लोग यहाँ के शिलान्यास का स्मरण कर रहे हैं। कार्य वहाँ का भी सानंद सम्पन्न हो जाए, आशीर्वाद उनके मिल रहा है। गुरु जी ने संघ को गुरुकुल बनाने का कहा था। यहाँ से धर्म-ध्यान मिलता है। हमें गुरु जी का जो आशीर्वाद मिला है, वरदान मिला है। गुरु जी की की जहाँ पर कृपा होती है, वहाँ पर माँगलिक कार्य होता है। भावों के साथ यहाँ की जनता तपस्या रत थी। भावों के साथ तन-मन-धन के साथ अपने भावों की वर्षा की है। आज पूर्णिमा है, वह भी रविवार को  आ गई है।  तिथियाँ अतिथियों को बुला लेती है। 
    गुरु जी ने सल्लेखना के समय हमसे कहा था

    हमने पूछा था, हमें आगे क्या करना है ? उन्होंने कहा था जो होता है, जिसका पुण्य जैसा होता है, उसकी भावना बलवती होती रहती है। यहाँ का कार्य सम्पन्न है। आज हर मांमलिक कार्य, आप लोगों की भावना, उत्साह को देख कर, कार्य को करने को कटिबद्ध हो गए हैं।  वैसे काम छोटा लगता है लेकिन काम की गहराई की नाप भी निकाली जाती है, भावों की गहराई भी देखी जाती है। 

    कल पाँच-छ: महाराज जी आ गए हैं, उनका भी समागम हो गया है। 
    भावों में कभी दरिद्रता नहीं रखी जाना चाहिए। बुन्देलखण्ड बाहर के प्रदेशवालों को प्रेरित करता रहता है। यहाँ के लोगों का समूह ने उदारता के साथ जो धनराशि दी है, यह गौरव का विषय है। जजों कुछ अधुरा है, पूर्ण होने जा रहा है। जैन जगत जागरुक है समर्पित है। करोड़ों रुपए बड़े बाबा के पास आ गए और आते जा रहे हैं। जनता अभी थकी नहीं है। सात्विक भोजन हो रहा है। 

    बच्चों को आगे के जीवन में और अच्छे संस्कार बढ़ाते जाए। सहयोग बहुत दूर से भी मिल रहा है। देव भी उनके चरणों में सहयोग वहाँ देते रहते हैं। उनके चरणों में रहते हैं। जहाँ, दया, धर्म, संस्कार, अहिंसा धर्म की विजय होती है, वे सहयोग में रहते हैं। यहाँ पर आस पास छोटे-छोटे गाँवों में चार-पाँच हज़ार समाज के घर हैं। यहाँ के लोगों ने बीड़ा उठाया है। उत्साह के साथ आए हैं और आवेंगे। अभी मंगलाचरण हुआ है। यहाँ पर प्रतिभा स्थली की पूर्व पीठिका की कार्य स्थली बनी है। सेवा की गतिविधियाँ ब्रह्मचारिणी सम्हालेंगी। अध्ययन के साथ संचालन  करेंगी। एकाध महिने का समय बचा है। निवृत्त होकर मंगलाचरण बढ़ावेंगी। इंदौर में शिलान्यास सम्पन्न होकर के तैयार हो रहा है। वे यहाँ पर भी आई हैं। ११० छात्राओं के आवेदन आए हैं। ५४ आवेदनों का चयन हो गया है। यह आँकड़ा ९ का है अखण्ड है। यह संख्या उत्साह का कार्य है। रात-दिन एक कर के अपनी भावनाएँ उँड़ेल कर के कार्य अवश्य तैयार करेंगे। 

    यह सब कुछ गुरुदेव की कृपा से हो रहा है। हम तो बीच में आ कर लाभ ले रहे हैं। मूल स्त्रोत तो गुरु जी ही हैं। हमें फल की इच्छा नहीं है। लेकिन उत्साह गुरु जी से मिलता रहता है। आप अपकी उत्साह, भावना, प्रवृत्ति
    बढ़ती चली जाए।
  19. संयम स्वर्ण महोत्सव
    खजुराहो । प्रख्यात जैन संत शिरोमणि108 आचार्य विद्या सागर जी महाराज के ससंघ चातुर्मास( वर्षायोग) के कलश की स्थापना आज रविवार 30 जुलाई को दोपहर डेढ़ बजे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन नगरी खजुराहों में एक गरिमामयी औऱ भव्य कार्यक्रम में होगी।इस बड़े और अनूठे धार्मिक आयोजन के प्रत्यक्षदर्शी बनने न केवल समीपी क्षेत्रों से वरन देश-विदेश से आचार्यश्री के भक्तजन व श्रद्धालु खजुराहो पहुंचना शुरू हो गए है। 
                आचार्य विद्या सागर महाराज  ससंघ खजुराहो में 14 जुलाई से  विराजमान है।
    पूज्य आचार्यश्री ने बुधवार को ससंघ अपनी चातुर्मास स्थापना शांति नाथ भगवान के समक्ष विधि विधान के साथ कर ली थी।इस दिन संघ के सभी साधुओं ने उपवास भी रखा था। अब आचार्यश्री ससंघ एक निश्चित सीमा बांधकर अब 4 माह तक खजुराहो में रहकर धर्म ध्यान करेगे। 
             आज  रविवार 30 जुलाई को दोपहर 1:30 से तीन प्रकार के कलशों के माध्यम से समाज के श्रावकगण  चातुर्मास की कलश स्थापना हर्सोल्लास के साथ करेंगे। प्रथम कलश यानि सबसे बड़े 9कलश स्थापित किये  जाएंगे ,मध्यम 27 कलश और सबसे छोटे 54 कलश स्थापित किये जायेंगे ।ये सभी कलश आचार्य श्री के मुखारविंद से विधिविधान पूर्वक मंत्रो के उच्चा रण से स्थापित होंगे,जिसे श्रावकगण बोली लेकर स्थापित करेगे।ये सभी कलश विश्व शांति और विश्व कल्याण के उद्देश्य और  वर्षायोग के निर्विघ्न सम्पन्न होने   की कामना से स्थापित किये जाते है। इस बार के चातुर्मास की ख्याति विश्व स्तर पर होगी और  अतिशय क्षेत्र खजुराहो के जिनालयों के दर्शन करने के लिए देश विदेश के आएंगे। खजुराहो क्षेत्र में आचार्यश्री के चातुर्मास से जैन धर्म और दर्शन की प्रभावना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है।
     
         साधुजन इस लिए करते हैं चातुर्मास--
    डॉ. सुमति प्रकाश जैन ने चातुर्मास की अवधारणा और उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए बताया कि जैन धर्म अहिंसा प्रधान धर्म है।वर्षाकाल में लाखों जीवों की उत्पत्ति होती है और वे बहुतायत से चहुंओर व्याप्त रहते हैं।ऐसे में पदबिहारी साधुजनों से किसी सूक्ष्म से सूक्ष्म जीव की हिंसा न हो,इस लिए जैन साधु वर्षाकाल के चार महीनों में अपनी पदयात्रा को रोक कर किसी एक स्थान पर रुक कर अपने आत्मकल्याण हेतु स्वाध्याय,धार्मिक-आध्यात्मिक ग्रंथो, जैन धर्म व दर्शन का अध्ययन-मनन करते हैं और श्रावकों को अपने मंगल प्रवचनों से सदमार्ग पर निरन्तर चलने की प्रेरणा देते हैं।डॉ जैन ने बताया कि जैन धर्म के साथ साथ हिन्दू धर्म मे भी साधुओं के चातुर्मास की परंपरा है।वे भी वर्षाऋतु में एक जगह रह कर अपना चातुर्मास व्यतीत करते हुए धर्मध्यान में लीन रहते है।
           कलश स्थापना के इस कार्यक्रम का संचालन और निर्देशन ब्र. सुनील भैया ,अनन्तपुर करेंगे ।आयोजन को सानन्द ओर निर्विघ्न सम्पन्न करने के लिए विभिन्न समितियां बना कर उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई ह

     
  20. संयम स्वर्ण महोत्सव
    आचार्य श्री विद्यासागर जी के संयम स्वर्ण महोत्सव पर श्रवणबेलगोला में बना भव्य कीर्ति स्तम्भ 
    निप्र, पीथमपुर /बदनावर - संत शिरोमणि दिगंबर जैनाचार्य 108 श्री विद्यासागर जी महाराज पर भारतीय डाक विभाग द्वारा गुरूवार को विशेष आवरण (स्पेशल कव्हर) जारी किया गया। यह स्पेशल कव्हर विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थ श्रवणबेलगोला के पोस्ट ऑफिस से आचार्य श्री के दिक्षा के 50 वर्ष पूर्ण होने पर देशभर में मनाये जा रहे संयम स्वर्ण महोत्सव के अवसर पर जारी किया गया। हाल ही में श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) मैं भगवान बाहुबली महामस्तकाभिषेक का आयोजन बहुत बड़े पैमाने पर विगत 17 से 25 फरवरी के बीच में किया गया था। यह महा मस्तकाभिषेक हर 12 साल में एक बार किया जाता है। जिसमें देश विदेशों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आकर भगवान बाहुबली का मस्तकाभिषेक करने का लाभ लेते है। इस अवसर पर भारत के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री सहित कई जानी मानी हस्तियों ने सिरकत करके अपने आप को धन्य माना। उस समय भी गोमटेश्वर बाहुबली के मस्तकाभिषेक पर एक विशेष कव्हर जारी किया गया था।  श्रवणबेलगोला से सिर्फ 20 दिनों के दरमियान जैन धर्म पर जारी होने वाला यह दूसरा कव्हर है जिसे भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी किया गया है जिससे समाज व डाक टिकट संग्रहकों में काफी हर्ष है।
     

    उक्त जानकारी देते हुए दिगंबर जैन समाज के सचिव व डाक टिकट संग्रहकर्ता ओम पाटोदी ने बताया कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज वर्तमान में दि. जैन समाज के सर्वोच्च संत में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। आपके द्वारा हजारों की संख्या में दीक्षित संत, आर्यिका माताजी व त्यागी श्रमण पूरे भारतवर्ष में जैन धर्म की और अहिंसा धर्म की पताका फहरा रहे। वर्तमान में आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी से दीक्षित लगभग 108 दिगंबर संत, 182 आर्यिका माताजी और आपके द्वारा ही दीक्षित हजारों की संख्या में ब्रम्हचारी भाई-बहनें है जो कि धर्म संस्कृति के उत्थान के कार्य में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं। आचार्य श्री के आशीर्वाद से भारत में सैकड़ों गौशालाएं एवं स्वावलंबन स्वदेशी मिशन के तहत कई हस्तकरघा उद्योग संचालित किए जा रहे हैं, जिसमें पूरी तरह अहिंसात्मक रूप से कपड़े का उत्पादन किया जा कर स्वदेशी का नारा बुलंद किया जा रहा है। आचार्य श्री की कठिन साधना और विशुध्द चर्या को देखते हुये भक्तगण उन्हें ‘वर्तमान के वर्धमान' कहते हैं।
  21. संयम स्वर्ण महोत्सव
    12 मार्च 2018
    परम पूज्य गुरुदेव, आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का भव्य मंगल प्रवेश आज, डिंडोरी मप्र में अत्यंत भक्ति और उत्साहमय वातावरण में हुआ। अब डिंडोरी में हर दिन होली, हर रात दीवाली सी खुशियां।
     
     
    विहार अपडेट 8 मार्च 2018
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    सागर- संतशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का ससंघ मंगल विहार प्रसिद्ध सर्वोदय जैन तीर्थक्षेत्र अमरकंटक से डिंडोरी की ओर 2 बजे हो गया। अमरकंटक से डिंडोरी की दूरी 84 किलोमीटर है। कबीर चौराहा,करंजिया, रूसा,  गोरखपुर,  सागर टोला, हो करके डिंडोरी पहुंचा जा सकता है जबलपुर से डिंडोरी की दूरी 145 किलोमीटर है जबलपुर से कुंडम शहपुरा होकर के डिंडोरी जाया जा सकता है डिंडोरी में पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव का आयोजन 23 मार्च से 29 मार्च महावीर जयंती तक होगा पंचकल्याणक के प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रहमचारी विनय भैया बंडा होंगे
    Ⓜ मुकेश जैन ढाना Ⓜ
    एमड़ी न्यूज़ सागर
     
     
    मंगल विहार संभावित
    परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार आज दोपहर लगभग 2 बजे हो सकता है, डिंडोरी की ओर। आगामी दिनों में डिंडोरी में होंगे पंचकल्याणक महोत्सव।

     
  22. संयम स्वर्ण महोत्सव
    अतुल मोदी नागपुर
    देश की समग्र उन्नति की अपेक्षा है, तो फिर शिक्षा पद्धति में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है। वर्तमान में लागू पाठ्यक्रम स्वयं भ्रमित है। देश को स्वतंत्र हुए 67 वर्ष हो गए किंतु आज तक हम यह निश्चित ही नहीं कर पाए कि शिक्षा की आखिर किस पद्धति को अपनाएं कि देश समग्र विकास की गति को पकड़े। यह कहना है राष्ट्रसंत 108 आचार्य विद्यासागरजी महाराज का।
    रविवार को दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में उन्होंने देश की शिक्षा, विकास और इतिहास पर प्रकाश डालते हुए इन्हें भविष्य से जोड़ा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में शिक्षा नौकरी परस्त है। शिक्षा के नाम पर सिर्फ विज्ञान, गणित जैसे विषयों पर जोर दिया जा रहा है। दर्शन, नीति-न्याय की शिक्षा ही नहीं है। यह शिक्षा हमें आधुनिक गुलामी दे रही है, जो सिर्फ और सिर्फ नौकरी परस्ती के लिए ली या दी जा रही है। इससे असंस्कृति को बढ़ावा ही मिल रहा है, उद्योग व व्यापार का विकास नहीं। पूर्व की शिक्षा और वर्तमान की शिक्षा में यही अंतर है। यही कारण है कि अर्थ से जुड़ी शिक्षा ने चिकित्सा व शिक्षा जैसे पवित्र कार्यों को भी व्यापार बना दिया है। इस शिक्षा से अर्थ (धन) तो मिलता है, लेकिन किस कीमत पर! संबंध, इंसानियत, दयाभाव और विछोह की कीमत पर? यदि हमें उचित व स्तरीय शिक्षा देना है, तो कहीं जाना नहीं है, बस अपने इतिहास को ही खंगालना है। जिनके साथ हम चल रहे हैं, उनका इतिहास उनके बारे में हमें बताता है। वहां बच्चों को माता-पिता से अलग व उनके स्तर के अनुसार शिक्षा दी जाती रही है, वहां गृहस्थ जीवनशैली का सिद्धांत ही नहीं रहा, इससे वे शिक्षा के साथ संस्कारों से परिपूर्ण नहीं हुए। हमारे देश में गृहस्थ जीवन का काल है, जिसमें शिक्षा का स्थान गुरुकुल रहा है। राजा, रंक आम समाज सभी के पुत्र वहां एक साथ एक सी शिक्षा लेते थे। उन्हें, नीति, न्याय दर्शन, संस्कार के साथ साथ विज्ञान और अन्य विषय पढ़ाए जाते थे।
    125 करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश में तथाकथित अंग्रेजी जानने वाला 5 करोड़ लोगों का हिस्सा ही शिक्षित माना जाता है, शेष को अनपढ़ की श्रेणी में रखा जाता है, ऐसा क्यों? विश्व को सबसे पहले यह बताने वाले कि पेड़-पौधों में भी जीव निवास करता है और सिद्ध करने वाले वैज्ञानिक जगदीशचंद्र बसु ने भी कहा था कि अंग्रेजी भाषा पढऩे के पहले अपनी भाषा को सिखना जरूरी है। विज्ञान भी सिद्ध कर चुका है कि कंप्यूटर के लिए सबसे सरल भाषा संस्कृत और हिेंदी है। फिर हम अपनी भाषा को महत्व क्यों नहीं देते, विश्व कई देशों में अपनी मातृभाषा में ही कार्य व शिक्षा दी जाती है, और वे विकास की बुलंदियों पर हैं, फिर हमारा देश में हिंदी को अपनाने में पीछे क्यों है? जैसा ज्ञात हुआ उसके अनुसार, सर्वोच्च व उच्च न्यायालयों में करीब 5 करोड़ वाद लंबित हैं, इसका कारण भी कहीं न कहीं भाषा ही है। अपनी भाषा राष्ट्रभाषा से ही देश का विकास, जन-जन से जुड़ाव व ज्ञान का प्रकाश फैलाना संभव है। व्यापार की भाषा, बोलचाल की भाषा व प्रशासनिक भाषा राष्ट्र भाषा या प्रादेशिक भाषा होनी चाहिए।
    अपना देश विकासशील, तो विकसित कौन?
    आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा कि हमारे देश के बारे में कहा जाता है कि हम विकासशील देश हैं। यदि हम विकासशील हैं, तो फिर कौन सा देश विकसित की श्रेणी में आता है, क्योंकि विकास तो निरंतर प्रक्रिया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब अमेरिका में मंदी आई थी और वहां 200 बैंकों का दिवाला निकला था, तब इससे निपटने के लिए जो नीति की रूपरेखा बनी, उसे वहां की समिति ने अस्वीकार्य कर दिया था। कारण दिया गया था कि इसमें कोई भी अर्थशास्त्री भारत से नहीं है। अब हम जिसे विकसित मान रहे हैं, वह हमारे बिना इतनी बड़ी नीति पर निर्णय नहीं ले सकता, तो फिर हम अविकसित कैसे? गांधीजी के सहयोगी मित्र व प्रतिष्ठित पत्रकार व साहित्यकार धर्मपाल भारतीय ने देश के इतिहास की 10 चुनिंदा किताबें निकाली थीं। इन्हें विदेशी इतिहासकार व यात्राकारों ने ही लिखा था। सभी में एक मत से कहा गया था कि भारत कृषि प्रधान देश ही नहीं, बल्कि व्यापार उद्योग व कला में विश्व में सर्वोच्च स्थान पर है। हमारा देश विश्व व्यापार केंद्र रहा है। विज्ञान व तंत्र ज्ञान में शीर्ष पर रहा है। यह सब इतिहास में ही दर्ज है, जो ज्यादातर विदेशियों ने ही लिखा है। देश के विकास का आदर्श क्या है, कोई देश या कोई भाषा? नहीं। निष्कर्ष यही है कि हमारा आदर्श इतिहास ही है। इतिहास का अध्ययन ही आप को उस ओर ले जाएगा, जो विकास का चरम है।
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