आग और धन पर सफलता के लिए बहुत जरुरी है नियंत्रण
प्रातरूकाल उठते ही सबसे पहली जरुरत आदमी को अग्नि की होती है। चाहे वह पानी गरम करने के लिए हो अथवा भोजन बनाने के लिए या फिर प्रकाश करने के लिए, हर कार्य के लिए अग्नि की जरुरत होती है। उसी प्रकार से धन पर भी नियंत्रण रखना अतिआवश्यक होता है। यदि धन आने के बाद उस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो वह भी विनाश का कारण बनता है। यहां प्रवास कर रहे आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने एक जनसभा को स्थानीय जैन दिगम्बर मंदिर में प्रवचन करते हुए उक्त बातें कहीं।
उन्होंने आगे कहा कि यदि सीमा से अधिक अग्रि का विस्तार हो जाता है तो वह विनाश का ही कारण बनती है। उसकी सीमा में आने वाले सभी को वह स्वाह कर जाती है और बाद में कुछ नहीं बचता। इसी लिए अग्नि का उपयोग करते समय बड़ी सावधानी से कार्य करना पड़ता है और उस अग्नि को सीमा से बाहर न जाये युक्तिपूर्वक कार्य करना पड़ता है। इसी प्रकार यदि व्यक्ति के पास आवश्यकता से अधिक धन का संग्रह हो जाये और उसका विवेक पूर्वक उपयोग नहीं किया जाये तो वह धन मानव के लिए अग्नि का कार्य करता है। नीति एवं विवेक के अनुसार धन का उपयोग करने से वह न केवल व्यक्ति के लिए वरन् उसके परिवार, समाज, प्रदेश सहित समूचे देश के लिए उपयोगी होता है। उसके ठीक विपरीत यदि धन पर नियंत्रण नहीं रखा गया और उसे युक्तिपूर्वक खर्च नहीं किया गया तो वहीं धन घमंड, नशा सहित कई विकृतियां लाकर उस व्यक्ति, परिवार तथा समाज के लिए विनाश का कारण बनता है। इसीलिए धन और अग्नि को हमेशा भुक्ति सहित युक्ति से उपयोग करते हुए मुक्ति का मार्ग पर चलने का हर व्यक्ति को प्रयास करना चाहिए। सीमा से बाहर जाने पर यदि धन संग्रह हो गया है तो वह विनाश का कारण बनता है। इसीलिए जितना धन आता है उसका संग्रह करने के बजाये अतिरिक्त धन को धर्म, आध्यात्म तथा जनोपयोगी कार्यों में खर्च करना चाहिए। यदि व्यक्ति समझदार है तो वह स्वयं तो उस धन का उपयोग भंली भांति करेगा किन्तु उसने आवश्यकता से अधिक संग्रह कर लिया तो वह अतिरिक्त धन उस परिवार के आने वालों के लिए तथा उसकी संतान के लिए विकृति का कारण बनता है। इसीलिए समय रहते धन का अग्नि के समान युक्तियुक्त उपयोग करना आवश्यक होता है। इस अवसर पर प्रवचन के दौरान लोगों ने भाव विभोर होकर इसे अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया तथा आचार्य श्री के प्रति छोटी सी बात से इतना बड़ा जीवन जीने का सिद्धांत देने के लिए आभार मना।
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