आचार्य विद्यासागर का 37 मुनियों के साथ शनिवार की सुबह डोंगरगांव में मंगल प्रवेश
राजनांदगांव/डोंगरगांव. दिगबर जैन आचार्य श्री विद्यासागर जी का डोंगरगांव प्रवेश शनिवार को सुबह 8 बजे होगा। अपने मुनिसंघ के साथ पद यात्रा कर डोंगरगांव पहुंच रहे आचार्यों की आगवानी के लिए डोंगरगांव शहर की सीमा पर मोहड़ चौक से विशाल जन समुदाय के साथ उनका डोंगरगांव प्रवेश होगा।
डोंगरगांव में नवनिर्मित जैन मंदिर में मूर्ति स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा सहित मंदिर प्रांगण में निर्मित मान स्तंभ पूजन और गजरथ पंचकल्याण महोत्सव के वृहद कार्यक्रम जैनाचार्य श्री विद्यासागरजी के उपस्थिति में होगा।
शनिवार सुबह 6 बजे अरसीटोला से विहार
आयोजन के लिए जैन तीर्थस्थली रामटेक (महाराष्ट्र) से डोंगरगांव के लिए निकले मुनिसंघों की टोली आचार्य श्री की अगुवाई में डोंगरगांव छुरिया मार्ग पर ग्राम अरसीटोला पहुंच गई है और रात्रि विश्राम के बाद शनिवार सुबह 6 बजे अरसीटोला से विहार करेगी और मुनिसंघ में शामिल 37 मुनियों के साथ चल रहे आचार्य विद्यासागरजी का मंगल प्रवेश डोंगरगांव की सीमा पर मोहड़ चौक के समीप शनिवार सुबह 8 बजे होगा।
9 से 15 नवम्बर तक पंच कल्याणक महोत्सव
इस मंगल प्रवेश के लिए पूरे देश से पहुंच हुए जैन समाज के साथ ही डोंगरगांव जैन समाज सहित स्थानीय नागरिकों की उपस्थिति के बीच डोंगरगांव आगमन होगा। डोंगरगांव में आगामी 9 से 15 नवम्बर तक जेन्ट्स क्लब मैदान में आयोजित पंच कल्याणक महोत्सव के लिए पधारे आचार्यों के आगमन को लेकर स्थानीय स्तर पर बड़ी तैयारी की जा रही है। वृहद पंडाल में हजारों लोगों के बीच आयोजित कार्यक्रम में प्रतिदिन विविध विषयों और जैन दर्शन पर आधारित कार्यक्रम होंगे। कार्यक्रम के लिए डोंगरगांव के अलावा राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक के गुरू भक्तों का जमावड़ा डोंगरगांव में हो चुका है। मुनिवरों की आहार चर्चा के लिए चौका सजाने दूर-दराज से लगातार भक्त डोंगरगांव नगर में माहौल धार्मिक वातावरणमय हो गया है।
मूर्ति स्थापना की तैयारी अंतिम चरण में
तोरण-पताका और रंग रोगन के बीच और जैन समुदाय के लोगों के लिए यह क्षण स्वर्णिम इतिहास गढऩे का हो रहा है। विशाल जैन मंदिर में मूर्ति स्थापना की तैयारी अंतिम चरण में है। पंच कल्याणक जैसे वृहद कार्यक्रम का संपादन वर्षों बाद डोंगरगांव में किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की सफलता और आचार्य के आगमन को यादगार बनाने जैन समाज के साथ ही सभी नागरिकों एवं अन्य समाजों द्वारा भी विशेष योगदान दिए जा रहे हैं।
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