आचार्य श्री प्रवचन २९ अप्रैल २०१८ पपौरा जी
निर्मलकुमार पाटोदी,इंदौर :
वर्षों पूर्व यहाँ हमारी चातुर्मास हुआ था। उसका स्मरण ताज़ा हो रहा है। आपकी बहुत सालों से भावना थी, आशीर्वाद की। आज की प्रात:काल की पूर्णिमा के मंगल अवसर पर इंदौर में भी आर्यिका के सानिध्य में शिलान्यास होने जा रहा है। वे लोग यहाँ के शिलान्यास का स्मरण कर रहे हैं। कार्य वहाँ का भी सानंद सम्पन्न हो जाए, आशीर्वाद उनके मिल रहा है। गुरु जी ने संघ को गुरुकुल बनाने का कहा था। यहाँ से धर्म-ध्यान मिलता है। हमें गुरु जी का जो आशीर्वाद मिला है, वरदान मिला है। गुरु जी की की जहाँ पर कृपा होती है, वहाँ पर माँगलिक कार्य होता है। भावों के साथ यहाँ की जनता तपस्या रत थी। भावों के साथ तन-मन-धन के साथ अपने भावों की वर्षा की है। आज पूर्णिमा है, वह भी रविवार को आ गई है। तिथियाँ अतिथियों को बुला लेती है।
गुरु जी ने सल्लेखना के समय हमसे कहा था
हमने पूछा था, हमें आगे क्या करना है ? उन्होंने कहा था जो होता है, जिसका पुण्य जैसा होता है, उसकी भावना बलवती होती रहती है। यहाँ का कार्य सम्पन्न है। आज हर मांमलिक कार्य, आप लोगों की भावना, उत्साह को देख कर, कार्य को करने को कटिबद्ध हो गए हैं। वैसे काम छोटा लगता है लेकिन काम की गहराई की नाप भी निकाली जाती है, भावों की गहराई भी देखी जाती है।
कल पाँच-छ: महाराज जी आ गए हैं, उनका भी समागम हो गया है।
भावों में कभी दरिद्रता नहीं रखी जाना चाहिए। बुन्देलखण्ड बाहर के प्रदेशवालों को प्रेरित करता रहता है। यहाँ के लोगों का समूह ने उदारता के साथ जो धनराशि दी है, यह गौरव का विषय है। जजों कुछ अधुरा है, पूर्ण होने जा रहा है। जैन जगत जागरुक है समर्पित है। करोड़ों रुपए बड़े बाबा के पास आ गए और आते जा रहे हैं। जनता अभी थकी नहीं है। सात्विक भोजन हो रहा है।
बच्चों को आगे के जीवन में और अच्छे संस्कार बढ़ाते जाए। सहयोग बहुत दूर से भी मिल रहा है। देव भी उनके चरणों में सहयोग वहाँ देते रहते हैं। उनके चरणों में रहते हैं। जहाँ, दया, धर्म, संस्कार, अहिंसा धर्म की विजय होती है, वे सहयोग में रहते हैं। यहाँ पर आस पास छोटे-छोटे गाँवों में चार-पाँच हज़ार समाज के घर हैं। यहाँ के लोगों ने बीड़ा उठाया है। उत्साह के साथ आए हैं और आवेंगे। अभी मंगलाचरण हुआ है। यहाँ पर प्रतिभा स्थली की पूर्व पीठिका की कार्य स्थली बनी है। सेवा की गतिविधियाँ ब्रह्मचारिणी सम्हालेंगी। अध्ययन के साथ संचालन करेंगी। एकाध महिने का समय बचा है। निवृत्त होकर मंगलाचरण बढ़ावेंगी। इंदौर में शिलान्यास सम्पन्न होकर के तैयार हो रहा है। वे यहाँ पर भी आई हैं। ११० छात्राओं के आवेदन आए हैं। ५४ आवेदनों का चयन हो गया है। यह आँकड़ा ९ का है अखण्ड है। यह संख्या उत्साह का कार्य है। रात-दिन एक कर के अपनी भावनाएँ उँड़ेल कर के कार्य अवश्य तैयार करेंगे।
यह सब कुछ गुरुदेव की कृपा से हो रहा है। हम तो बीच में आ कर लाभ ले रहे हैं। मूल स्त्रोत तो गुरु जी ही हैं। हमें फल की इच्छा नहीं है। लेकिन उत्साह गुरु जी से मिलता रहता है। आप अपकी उत्साह, भावना, प्रवृत्ति
बढ़ती चली जाए।
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