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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

संयम स्वर्ण महोत्सव

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  1. पथरिया नगर के बड़े मंदिर में नई वेदी पर पार्श्वनाथ भगवान को विराजमान किया जा रहा था। पाषाण की प्रतिमा वजन में बहुत भारी थी, व्यवस्थित वेदी पर रखी नहीं जा रही थी। हम सभी साधक गुरुदेव के साथ वहीं उपस्थित थे। बहुत प्रयास के बाद जब प्रतिमा जी नहीं विराजमान हो पायीं तो आचार्य महाराज से कहा - आप प्रतिमा जी में हाथ लगा दीजिए ताकि, प्रतिमा जी विराजमान हो जावें। आचार्य भगवन् ने जैसे ही प्रतिमा जी में हाथ लगाया; प्रतिमा जी व्यवस्थित वेदीजी में विराजमान हो गयीं। यह देख सभी लोग आनंदित हो उठे। सारा मंदिर जय - जयकारों के नारों से गूंज उठा। आचार्य महाराज से हम लोगों ने कहा - आपने हाथ लगाया और चमत्कार हो गया। “आचार्य महाराज सहसा ही बोल उठे- नहीं! मैने हाथ नहीं लगाया था बल्कि भगवान को नमोऽस्तु किया था।'' गुरु महाराज की महिमा निराली है वे हमेशा अपने कार्य की सफलता को गुरु या प्रभु का आशीर्वाद ही मानकर चलते हैं। कभी मेरे द्वारा ऐसा हुआ है, नहीं कहते हैं। सच बात है मिथ्यावृष्टि चमत्कार को नमस्कार करते हैं और सम्यग्दृष्टि जहाँ नमस्कार करते हैं। वहाँ चमत्कार हो जाता है। गुरुदेव हमेशा अपनी लघुता प्रदर्शित करते हैं। कभी भी, यह कार्य मेरे द्वारा हुआ है, ऐसा नहीं मानते। उनके सान्निध्य में हुआ कुण्डलपुर में इतना बड़ा चमत्कार किसी से छुपा हुआ नहीं हैं, लाखों श्रद्धालु जनों ने अपनी आँखों से देखा है। ये जड़ का चमत्कार नहीं बल्कि चित्चमत्कार है। कर्तापन की गंध बिन, सदा करें कर्तव्य। स्वामीपन ऊपर धरे, ध्रुव पर हो मन्तव्य।। (पथरिया 2007)
  2. डी.लिट् १. मूकमाटी : चेतना के स्वर डॉ० भागचन्द्र जैन 'भास्कर', नागपुर २. महामनीषी आचार्य श्री विद्यासागर : जीवन एवं साहित्यिक अवदान डॉ. विमलकुमार जैन, सहारनपुर पी-एच डी ३. संस्कृत शतक परम्परा एवं आचार्य विद्यासागर के शतक डॉ० (श्रीमती) आशालता मलैया, सागर ४. संस्कृत काव्य के विकास में बीसवीं शताब्दी के जैन मनीषियों का योगदान डॉ० नरेन्द्रसिंह राजपूत, पटेरा ५. हिन्दी साहित्य की संत काव्य परम्परा के परिप्रेक्ष्य में आचार्य विद्यासागर के कृतित्व का अनुशीलन डॉ० बारेलाल जैन, रीवा ६. जैन दर्शन के संदर्भ में मुनि श्री विद्यासागरजी के साहित्य का अनुशीलन डॉ० (श्रीमती) किरण जैन, सागर ७. आचार्य विद्यासागर व्यक्तित्व एवं काव्यकला डॉ० (श्रीमती) माया जैन, उदयपुर ८. आचार्य श्रीविद्यासागरकृत मूकमाटी का सांस्कृतिक अनुशीलन डॉ० चन्द्रकुमार जैन, राजनांदगाँव ९. जैन विषय वस्तु से सम्बद्ध आधुनिक हिन्दी महाकाव्यों में सामाजिक चेतना डॉ० (श्रीमती) सुशीला सालगिया, इन्दौर १०. 'कामायनी' और 'मूकमाटी' महाकाव्य का काव्यशास्त्रीय अध्ययन डॉ० संजय कुमार मिश्र, रीवा ११. आचार्य विद्यासागर की लोक दृष्टि और उनके काव्यकाकलागत अनुशीलन डॉ० (श्रीमती) सुनीता दुबे, विदिशा १२. ‘मूकमाटी' का शैलीपरक अनुशीलन डॉ० (श्रीमती) मीना जैन, ओबेदुल्लागंज १३. हिन्दी महाकाव्य परम्परा में 'मूकमाटी का अनुशीलन डॉ० (श्रीमती) अमिता जैन, सागर। १४. आचार्य श्रीविद्यासागरजी के साहित्य में उदात्त मूल्यों काअनुशीलन डॉ रश्मि जैन, बीना १५. आचार्य विद्यासागर के साहित्य में जीवनमूल्य डॉ. श्रीमती निधि गुप्ता, पद्मनाभपुर, दुर्ग १६. आचार्य विद्यासागर के 'मूकमाटी' महाकाव्य का अनुशीलन डॉ० (श्रीमती) निधि ए.जैन 'देवा', इन्दौर १७. संत कवि आचार्य श्री विद्यासागर की साहित्य साधना डॉ० (श्रीमती) राजश्री जैन, दिल्ली १८. भक्तिकाव्य के मूल्य और आचार्य विद्यासागर का काव्य डॉ० (श्रीमती) शालिनी गुप्ता, कुसुमी,छत्तीसगढ़ १९. आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के साहित्य एवं श्रीमद् भगवद् गीता का तुलनात्मक अध्ययन डॉ. सुधीरकुमार जैन, भोपाल २०. आधुनिक हिन्दी काव्य के विकास में आचार्य श्रीविद्यासागरजी का योगदान डॉ. प्रशान्तकुमार जैन, राघौगढ। २१. आचार्य विद्यासागर केन्द्रित प्रमुख शोध ग्रन्थों का अनुशीलन डॉ० रमाशंकर दीक्षित, हरदी, जिला-कटनी २२. आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का दार्शनिक चिंतन डॉ० (श्रीमती) साधना सेठी, उज्जैन २३. आचार्यविद्यासागर का साहित्य : एक अनुशीलन डॉ० अनिलकुमार सिरवैयां, भोपाल २४. मूकमाटी महाकाव्य में लोकोपयोगी विचार डॉ० सुदाणी जल्पा, २५. आचार्य विद्यासागर कृत संस्कृत काव्य शतकों का अनुशीलन | डॉ संतोषकुमार सिंह, जामुनीपुर (उत्तरप्रदेश) २६. आचार्य विद्यासागर के शैक्षिक विचार डॉ. सपना जैन, जबलपुर २७. आचार्य विद्यासागर के हिन्दी काव्य में समाज दर्शन : परम्परा व नवीनता डॉ० सुरभि जैन, सतना २८. महाकवि आचार्य विद्यासागर के हिन्दी काव्य ग्रन्थों का अध्ययन डॉ. अलका द्विवेदी, इलाहाबाद २९. हिन्दी साहित्य की संत काव्य परम्परा के परिप्रेक्ष्य में आचार्य विद्यासागरजीके साहित्य का मूल्यांकन डॉ० रामनरेश सिंह यादव, मैनपुरी शोधरत ३०. जैनाचार्य श्री विद्यासागर कृत संस्कृत साहित्येषु शैक्षिक तत्त्वानुशीलनम्। नवीन जैन, बीना । ३१. आचार्य विद्यासागरस्य संस्कृतकृतिनां समीक्षात्मकमध्ययनम् प्रदीप जैन शास्त्री, कुम्हारी, तह पटेरा, जिला-दमोह एमः फिल० ३२. 'मूकमाटी' महाकाव्य में रसों एवं बिम्बों का अनुशीलन डॉ. संजयकुमार मिश्र, बसगड़ी, रीवा, मध्यप्रदेश ३३. आचार्य विद्यासागर और उनका काव्य : एक अनुशीलन कृष्णा पटैल, रीवा, मध्यप्रदेश ३४. आचार्य विद्यासागर विरचित ‘पञ्चशती' का साहित्यिक मूल्यांकन सुशीला यादव, रेवाड़ी, हरियाणा । ३५. आचार्य विद्यासागर के दोहा-दोहन एक अनुशीलन सुश्री सुनीता देवी मिश्रा, दमेहड़ी, अनूपपुर, मध्यप्रदेश ३६. चेतना के गहराव में आचार्य विद्यासागर का काव्य चिंतन । विभा तिवारी, रोरा, रीवा, मध्यप्रदेश ३७. आचार्य विद्यासागर के काव्य में राष्ट्रीय चेतना श्रीमती प्रियंका बौद्ध, शाहपुर, सतना, मध्यप्रदेश ३८. आचार्य विद्यासागर की अनूदित रचनाओं का अनुशीलन संजयकुमार जैन, भेलसी, छतरपुर, मध्यप्रदेश ३९. मूकमाटी महाकाव्य के प्रतीकों का वैज्ञानिक विश्लेषण रमेशचन्द्र मिश्र, भोपाल, मध्यप्रदेश एम एङ । ४०. आचार्य श्री विद्यासागर के व्यक्तित्व एवं शैक्षिक विचारों का अध्ययन श्रीमती सारिका जैन, भोपाल ४१. आचार्य श्री विद्यासागरजी की कृति 'मूकमाटी' का शैक्षिक अनुशीलन श्रीमती प्रतिभा जैन, भोपाल एम० ए० ४२. आचार्य कवि विद्यासागरजी के प्रबन्ध मूकमाटी का समीक्षात्मक अध्ययन मेहेरप्रसाद यादव, झाँसी ४३. आचार्य विद्यासागरजी कृत मूकमाटी : एक अध्ययन नरेशचन्द्र गोयल, जयपुर ४४. आचार्य श्री विद्यासागरजी कृत मूकमाटी महाकाव्य : एक साहित्यिक मूल्यांकन श्रीमती सीमा जैन, ग्यारसपुर, विदिशा ४५. आचार्य श्री विद्यासागरजी की मूकमाटी का समीक्षात्मक दार्शनिक अनुशीलन श्रीमती अनीता जैन, विदिशा ४६. आचार्य श्री विद्यासागरजी के संस्कृत शतकों का साहित्यिक अनुशीलन आदित्यकुमार वर्मा, इन्दौर ४७. 'मूकमाटी' महाकाव्य : एक अनुशीलन श्रीमती कल्पना जैन, चिरमिरी
  3. अभिमान विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार https://vidyasagar.guru/quotes/parmarth-deshna/abhimaan/
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