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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

संयम स्वर्ण महोत्सव

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Blog Entries posted by संयम स्वर्ण महोत्सव

  1. संयम स्वर्ण महोत्सव
    आज्ञा का देना,
    आज्ञा पालन से है,
    कठिनतम।
     
    भावार्थ -आज्ञापालन की अपेक्षा आज्ञा देना ज्यादा कठिनतम, गुरुत्तम और विशिष्ट कार्य हैं क्योंकि आज्ञा देने वाला क्रिया तो कुछ नहीं करता लेकिन इस क्रिया के परिणाम का उत्तरदायी होता है । उस क्रिया के फलस्वरूप प्राप्त होने वाले हानि-लाभ और जय-पराजय से उसका सीधा सम्बन्ध होता है। कभी-कभी आज्ञा देने वाले के सम्पूर्ण जीवन में उसका परिणाम परिलक्षित होता है । अत: आज्ञा देने की योग्यता कुछ विरले ही व्यक्तियों में होती है । 
    आज्ञापालन करने वाला आज्ञा देने वाले के आदेश के अनुसार कार्य मात्र करता है । वह उसके परिणाम का उत्तरदायी नहीं होता । अतः वह हानि-लाभ आदि में निश्चिन्त रहता है | व्याकरण का एक सिद्धान्त है कि उपदेश मित्रवत्, आदेश शत्रुवत् । आदेश या आज्ञा देने के उपरान्त सामने वाला कष्ट का अनुभव करता है क्योंकि उसके मान पर प्रहार होता सा लगता है किन्तु स्वयं दूसरों की आज्ञा का पालन करना सरल कार्य है क्योंकि उसमें प्रसन्नता का अनुभव होता है । अतः आज्ञापालन करने की अपेक्षा आज्ञा देना कठिनतम कार्य है ।
    - आर्यिका अकंपमति जी 
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  2. संयम स्वर्ण महोत्सव
    निधि के संबंध में बताया गया है कि यह परिवार की बहुत लाड़ली बेटी हैं
      दमोह. कहते हैं कि आचार्य विद्यासागर के दर्शन पाकर लोग इंसानी जन्म की वास्तविक समझकर लोभ, मोह से दूरियां बना लेते हैं। कई लोगों ने आचार्यश्री के दर्शन लाभ लेकर बैराग्य धारण कर लिया है और आज वह संघ में शामिल होकर समाज व विश्व शांति की ओर अग्रसर हैं। इन्हीं में जबेरा नगर की एक बेटी भी शामिल हुई है। आचार्यश्री के दर्शन लाभ पाने के बाद जबेरा नगर का गौरव बढ़ाते हुए, नगर के गल्ला व्यापारी कमल चौधरी की सुपुत्री निधि ने आजीवन सयंम ब्रह्मचर्य व्र्रत को अंगीकार किया है। निधि के संबंध में बताया गया है कि यह परिवार की बहुत लाड़ली बेटी हैं, इनके दो बड़े भाई भाइयों नीलेश व नागेश हैं व दो बहन हैं जिनमें यह सबसे छोटी हैं। निधि इन दिनों जैन मंदिर में संचालित श्रीअनेकांत विद्या केंद्र की शिक्षिका भी हैं। परिवार के लोगों ने बताया है कि निधि की रूची शुरू से ही धार्मिक रही है।
     

     

    जबेरा में आर्यिका संघ के चातुर्मास के बाद से निधि ने स्वयं को पूरी तरह धार्मिक गतिविधियों के लिए समर्पित कर दिया था। निधि ने एम से पोस्ट ग्रेज्युवेशन किया है साथ ही यह कम्प्यूटर शिक्षा में पीजीडीसीए भी किए हुए हैं, इसके अलावा एमएसडब्लू डिप्लोमाधारी भी हैं।

    विदित हो कि दमोह जिले के पथरिया निवासी अमित जैन जो अब निराग सागर के नाम से जाने जाते हैं, इन्होंने वर्ष २००९ में आचार्यश्री से अमरकंठक में ब्रह्मचर्य व्रत लिया था और वर्ष २०१३ में दीक्षा लेकर मुनिपद धारण किया था। वहीं इनके अलावा दमोह के इंकमटैक्स वकील सुनील जैन ने भी आचार्यश्री की दीक्षा लेकर मुनिश्री पद धारण कर लिया था, आज इन्हें निर्मोंह सागर के नाम से जाना जाता है। इन्होंने १८ नवंबर २००७ को ब्रह्मचर्य व्रत सागर जिले के बीना बारह में धारण कर लिया था। १० अगस्त २०१३ में इन्हें आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने मुनि दीक्षा दी थी।
     
    https://www.patrika.com/damoh-news/brahmacharya-vrat-2629038/
     
     
     


  3. संयम स्वर्ण महोत्सव
    विचार सूत्र प्रतियोगिता 
    दिनांक 7 जुलाई 2018
    स्वाध्याय करे : विद्या देशना > विचार सूत्र > परमार्थ देशना 
    स्वाध्याय का लिंक
    https://vidyasagar.guru/quotes/?show=categories
    आप इस प्रतिओयोगिता में 9 जुलाई तक भाग ले सकेंगे

    प्रतियोगिता प्रारंभ
    https://vidyasagar.guru/pratiyogita/vichaar-sutra/
     
  4. संयम स्वर्ण महोत्सव
    राष्ट्रहित चिंतक आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज के सानिध्य में होगा एक अभूतपूर्व अश्रुतपूर्व कार्यक्रम 
    जरा याद करो कुर्बानी
     
    इस कार्यक्रम में अमर बलिदानी शहीद परिवारों के वर्तमान वंशजों को आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज के सानिध्य में "स्वराज सम्मान" से सम्मानित किया जाएगा इस कार्यक्रम में निम्नलिखित शहीद परिवारों ने शामिल होने की स्वीकृति प्रदान की है -
     
    राणा प्रताप रानी लक्ष्मी बाई मंगल पांडे नाना साहिब तात्या टोपे बहादुर शाह जफर भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद सुखदेव राजगुरु अशफाक उल्ला खान सदाशिवराव मलकापुर कर श्रीकृष्ण सरल सुभाष चंद्र बोस के अंगरक्षक कर्नल मोहम्मद निजामुद्दीन
    इत्यादि 【21 अक्टूबर 1934- नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिंद फौज की स्थापना सिंगापुर में की थी।】
    आजादी मिलने के बाद आजादी के दीवानों का मेला जरा याद करो कुर्बानी 21 अक्टूबर 2018 दिन रविवार दोपहर 1:45 खजुराहो, मध्य प्रदेश |
    आयोजक - चातुर्मास समिति एवं सकल दिगंबर जैन समाज
  5. संयम स्वर्ण महोत्सव
    छोटी दुनिया,
    काया में सुख दुःख,
    मोक्ष नरक |
     
    भावार्थ - जिसकी दृष्टि में दुनिया बहुत छोटी है और जो दुनिया में रहकर भी बहुत छोटा है अर्थात् अपनी आत्मा में स्थित होकर उसने अपनी दुनिया को समेट लिया है तो उसे शीघ्र ही मोक्ष प्राप्त हो जायेगा । आत्मा से बढ़कर कुछ नहीं है । शेष सब पदार्थ मूल्यहीन हैं, ऐसा मानकर जो जीर्ण- शीर्ण तिनके के समान पर पदार्थों का त्याग कर देता है, वह मोक्ष का पात्र होता है किन्तु जो दुनिया को अपने पैरों की धूल समझकर अपने को ही सब कुछ मानता है तो वह नरक जाता है । 
    - आर्यिका अकंपमति जी 
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  6. संयम स्वर्ण महोत्सव
    आज आपके लिए लाये हैं - 2 प्रतियोगिताएं - हम चाहते हैं आप दिए गए निर्देशों को अच्छे से पढ़े |
    प्रतियोगिता 8 अ  - प्रश्नोत्तरी
    https://vidyasagar.guru/quizzes/quiz/6-1
    कल सुबह 7 बजे तक खुली रहेगी 
     
     
    प्रतियोगिता क्रमांक 8 ब  whatsapp पर 
    आज शाम 7 बजे तक उत्तर भेज सकते हैं 
     

     
  7. संयम स्वर्ण महोत्सव
    ????‍??‍????
     
    वात्सल्य अंग का प्रभाव आचार्यश्री खजुराहो, 22 सितम्बर दयोदय महासंघ के लोगों ने हमारे सामने एक चित्र रखा था इस चित्र को देख कर हम तो गदगद हो गए। इस चित्र में एक गैया है उसके बड़े बड़े सींग है यह गाय एक घर के सामने कुछ खाने पीने के लिये सीढियों तक चली गई थी। उसी समय उस घर का एक छोटा सा नादान यथाजत बालक आकर उस गाय के दोनो सींग के बीच मे बिना डरे लेट जाता है और गाय भी उसे वात्सल्य देती है। आप लोग इतनी सहजता से वह चित्र देख लेते तो मालूम पड़ जाता कि गोवत्स क्या होता है आप इस चित्र को देख लीजिये ऐसा ही सौहार्दिक प्रेम वात्सल्य सभी साधर्मियों के प्रति हो जाए तो फिर स्वर्ग धरती पर उतर आ जाए यह वात्सल्य अंग का प्रभाव है
     
     
     
    प्रस्तुति : राजेश जैन भिलाई
    www.Vidyasagar.Guru
     
     
    ????‍??‍????
  8. संयम स्वर्ण महोत्सव
    सत्य, सत्य है,
    असत्य, असत्य तो,
    किसे क्यों ढाँकू…?
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  9. संयम स्वर्ण महोत्सव
    ??? *बटियागढ़ में आचार्य श्री के पास लगा जेल विभाग पुलिस अधिकारियों का समागम हथकरघा कार्य के लिए
     
    कल दिनांक 14 अप्रैल को बटियागढ़ में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के पास मध्य प्रदेश जेल विभाग के डीआईजी श्री गोपाल ताम्रकार, जेल अधीक्षक सागर श्री राकेश भांगरे, जेल अधीक्षक उज्जैन श्रीमती अलका सोनकर, जिला जेल अधीक्षक इंदौर सुश्री अदिति तिवारी, जेल अधीक्षक नरसिंहपुर श्रीमती शेफाली तिवारी, जिला जेल अधीक्षक दमोह श्री राणा की टीम ब्रह्मचारिणी रेखा दीदी DSP पूर्व एवं डॉ नीलम दीदी शिशु रोग विशेषज्ञ एवं डॉ अमित जैन राजा भैया, श्री मनोज सिलवानी गुड़ वाले, एडीजे श्री अरविंद जैन, पूर्व डीएसपी श्री विनोद श्रीवास्तव, श्री श्रेयांश सेठ पूर्व DSP एवं कारपेट एक्सपोर्ट व्यापारी श्री ऋषभ jain मिर्जापुर के साथ बटियागढ़ आचार्य श्री जी के दर्शन करने पहुंचे जेल विभाग की टीम ने सर्वप्रथम सागर जेल में बंदियों द्वारा बनाया गया सिंहासन आचार्य श्री जी को भेंट किया बाद डीआईजी गोपाल ताम्रकार जी ने सागर जेल के बंदियों द्वारा लगातार हाथकरघा से बनाई साड़ियों को दिखाया और 1 मई से सागर जेल में ग्वालियर, जबलपुर, भोपाल, इंदौर जेल से भेजे जा रहे पांच पांच कैदियों को जो कि सागर जेल में रेखा दीदी DSP द्वारा हथकरघा में प्रशिक्षित किए जाएंगे यह प्रशिक्षण 3 माह के लिए रहेगा जानकारी दी मिर्जापुर से आए हुए कारपेट एक्सपोर्ट व्यापारी श्री ऋषभ जैन जी ने आचार्य श्री जी को शुद्ध अहिंसक कारपेट्‍स, कालीन, दरी दिखलाएं और उन्होंने मध्य प्रदेश जेल की 13 सेंट्रल जेलों में बंदियों को सिखाने के लिए रॉ मटेरियल और उपकरण दान में देने की बात कही जेल विभाग के अधिकारियों और रेखा दीदी द्वारा आश्वासन दिया कि 6 माह के अंदर बंदियों को दरी, कालीन शटल लूम और जाकार्ड लूम के द्वारा बनाना सिखाया जाएगा और एक्सपोर्ट क्वालिटी का बनाना जब बंदी सीख जाएंगे तो सारा माल ऋषभ जैन जी के द्वारा विदेशों में एक्सपोर्ट किया जाएगा इस प्रकार का अनुबंध आचार्य जी के सामने हुआ जेल विभाग द्वारा किया गया l आगामी समय में सागर जेल एवं अन्य केंद्रीय जेलो में 108 हाथकरघा लगने और इन हथकरघा के लिए टीन शेड लगाने का प्रावधान किया गया है बंदियों के लिए गर्मी के दिनों में ठंडे पानी हेतु वाटर कूलर का निवेदन किया जो तत्काल 15 दान दाता द्वारा वाटर कूलर देने की घो
     
  10. संयम स्वर्ण महोत्सव
    गुरु मार्ग में,
    पीछे की वायु सम,
    हमें चलाते।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  11. संयम स्वर्ण महोत्सव
    मोक्षमार्ग तो,
    भीतर अधिक है,
    बाहर कम।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  12. संयम स्वर्ण महोत्सव
    मुनि श्री विद्यासागरजी महाराज (शिष्य समाधिस्थ आचार्य श्री सन्मति सागर जी) के मन में  आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महामुनिराज के दर्शन की इतनी तीव्र उत्कंठा थी कि उन्होंने मंडला से डिंडोरी तक का 105 km का विहार 2 दिन में तय कर लिया।
     

  13. संयम स्वर्ण महोत्सव
    टिमटिमाते,
    दीपक को भी देख,
    रात भा जाती।
     
    भावार्थ - जिस प्रकार सघन अंधकारमय पूर्ण रात्रि किसी को भी सुहावनी नहीं लगती। कई व्यक्ति तो अंधकार देखकर भयभीत भी हो जाते हैं, पर उन्हें दिन के प्रकाश में किसी प्रकार का भय नहीं लगता है । यद्यपि रात्रि काल में सूर्य तो नहीं उगाया जा सकता है तथापि उस व्यक्ति को छोटे से दीपक का प्रकाश भी भय मुक्त कर देता है । उसी प्रकार भटकते हुये व्यक्ति को थोड़ा-सा ज्ञान, भयभीत व्यक्ति को थोड़ी-सी हिम्मत और दुःखी, दरिद्र, रोगी, गिरते हुये व्यक्ति को थोड़ा-सा भी सहयोग मिल जाये तो वह परिस्थिति से मुक्त होकर निश्चित हो जाता है । इसका दूसरा अर्थ यह भी निकलता है कि इस काल में केवलज्ञानी रूप सूर्य का अभाव है पर सम्यग्ज्ञानी गुरुदेव रूपी दीपक के सद्भाव में जीवन आनन्दित हो जाता है ।
    - आर्यिका अकंपमति जी  
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  14. संयम स्वर्ण महोत्सव
    मुंबई. 4 जुलाई 2018.
    सुप्रसिद्ध जैन संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की दीक्षा के 50 वें वर्ष को  देशभर का जैन समाज ‘संयम स्वर्ण महोत्सव’ के रूप में पिछले एक वर्ष से विभिन्न आयोजनों के माध्यम से मना रहा है, इसी कड़ी में पिछले वर्ष ‘राष्ट्रीय संयम स्वर्ण महोत्सव समिति’ ने जुलाई २०१७ में “संयम स्वर्ण महोत्सव वर्ष २०१७-१८” के अंतर्गत हरित जैन तीर्थ अभियान का संकल्प पारित किया था और लक्ष्य रखा था कि अगले 5 वर्षों में प्रमुख तीर्थ स्थानों पर 5 लाख पेड़ लगाए जाएँगे ।  इस अभियान के अंर्तगत अनेक तीर्थस्थानों और मंदिर परिसरों में बड़ी संख्या में वृक्षारोपण किया गया था और इस साल आगामी आषाढ़ शुक्ल पंचमी अर्थात 17 जुलाई 2018 को आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की दीक्षा के 50 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं और उनका 51 वाँ दीक्षा दिवस देशभर में मनाया जाएगा, विभिन्न राज्यों के जैन धर्मावलम्बियों ने अपने स्तर अनेक धार्मिक आयोजनों और सामाजिक हित के काम करने की योजना बना रखी है, ऐसे समय में वृक्षारोपण अभियान को नाम दिया गया है “विद्या तरु/विद्या-वाटिका” वृक्षारोपण अभियान। समिति के गौरव अध्यक्ष श्री अशोक पाटनी (आरके मार्बल्स) ने एक अपील जारी कर भारत के समस्त तीर्थ क्षेत्रों के न्यासियों एवं पदाधिकारियों अनुरोध किया है कि लोग जुलाई 2018 के इस महीने में अपने आसपास के तीर्थ क्षेत्रों, मंदिरों, धर्मशालाओं और संस्थानों के परिसरों में वृक्षारोपण का कार्यक्रम आयोजित करें । उन्होंने आगे कहा है कि देशभर में वर्षा आरंभ हो चुकी है और यही वृक्षारोपण का सही समय है।
     

     
    इस अपील का व्यापक असर हुआ है और विभिन्न तीर्थक्षेत्रों पर बड़ी संख्या में वृक्षारोपण शुरू भी हो चुका है. मध्यप्रदेश के दमोह जिले में स्थित सुप्रसिद्ध दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कुण्डलपुर से गौरव जैन ने जानकारी दी है कि भारी वर्षा के पीछे कुण्डलपुर के पर्वत पर वृक्षारोपण का कार्य शुरू कर दिया गया है और अब तक 500 पौधों का रोपण कर दिया  गया, अगले एक माह  में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की 51 वें दीक्षा के उपलक्ष्य में  5100 पेड़ कुण्डलपुर पर्वत लगा दिए जाएँगे, उन्होंने बताया कि विभिन्न संस्थानों, युवक मंडलों, महिला मंडलों के सदस्य इस वृक्षारोपण में भाग ले रहे हैं.
     
    नवोदित दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ़ से सुधीर जैन ने सूचना दी है कि क्षेत्र पर वृक्षारोपण की तैयार चल रही है और इस वर्ष क्षेत्र पर 1500 पौधे रोप जाएँगे, पिछले वर्ष भी यहाँ लगभग 2000 वृक्ष लगाये गए थे.
     
    सागर जिले के भाग्योदय तीर्थ चिकित्सालय से ब्र. श्री मिहिर जैन ने बताया है कि उन्होंने इस अभियान के अंतर्गत 500 पौधों का रोपण चिकित्सालय परिसर में करवाया है.
     
    कटनी के पास स्थित श्री बहोरीबंद तीर्थक्षेत्र से लोकप्रिय कवि श्री अजय अहिंसा ने अवगत कराया है कि  बहोरीबंद में पिछले साल ही विद्या वाटिका का निर्माण किया गया है जिसमें 400 पौधे रोप गए थे, इस वर्ष पौधे लगाने की उनकी योजना है.  भारत भर के जैन तीर्थ स्थानों से इस वृक्षारोपण अभियान को शुरू करने के समाचार आ रहे हैं.
     
    “हरित तीर्थ अभियान” अब केवल जैन तीर्थों तक सीमित नहीं रह गया है, अन्य समाज के लोग भी इससे प्रेरणा लेकर इस अभियान को देश व्यापी अभियान की शक्ल देना चाहते हैं.  अब तक हम लोग हरित गाँव, हरित शहर, हरित विद्यालय जैसे अभियानों के बारे में खूब सुनते थे, पहली बार किसी ने “हरित तीर्थ” का नारा दिया है.
     
    जैन समाज के लोग पर्यावरण के प्रति जागरुक हैं जो उन्होंने तीर्थ स्थलों के लिए “हरित तीर्थ अभियान” आरम्भ किया है, यदि देश भर के सभी सम्प्रदायों के लोग इस अभियान से जुड़ जाएँ और अपने-२ तीर्थ स्थानों की हरियाली लौटाने का बीड़ा उठा लें तो अल्प समय में ही भारत के सभी धर्मों के तीर्थ स्थल हरे भरे हो जाएँगे. 
    कुंडलपुर में जारी वृक्षारोपण के चित्र संलग्न हैं। 
     
    प्रवीण कुमार जैन
    संयुक्त सचिव,  ‘राष्ट्रीय संयम स्वर्ण महोत्सव समिति’
    अणु डाक: cs.praveenjain@gmail.com  
    चलभाष:  98199-83708
         
     


  15. संयम स्वर्ण महोत्सव
    तीर्थंकर क्यों,
    आदेश नहीं देते,
    सो ज्ञात हुआ।
     
    भावार्थ-दीक्षा लेते ही तीर्थंकर भगवान् मौन हो जाते हैं क्योंकि पूर्ण ज्ञान (केवलज्ञान) का अभाव होने से असत्य का प्रतिपादन हो जाने की संभावना रहती है । इसी कारण वे किसी को आदेश नहीं देते और केवलज्ञान हो जाने के बाद भी बोलने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि दिव्य देशना के माध्यम से वस्तु तत्त्व का प्रतिपादन स्वयं ही हो जाता है ।
    - आर्यिका अकंपमति जी 
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचारक्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं।
    इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  16. संयम स्वर्ण महोत्सव
    मुझे आज भी वो दृश्य याद है जब 1983 में आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज कलकत्ता आये थे और कलकत्ता प्रवेश से पूर्व बाली मंदिर में ठहरे थे । मैं सुबह 4 बजे गुरुदेव का दर्शन करने तथा उनके साथ विहार करने के उद्येश्य से गया था । आचार्य श्री नवम्बर महीने की सर्दी में खुले में बैठकर सामायिक / ध्यान कर रहे थे । सारा शरीर मच्छरों से ढका था । मैं टकटकी लगाकर उन्हें देखता रहा । आँखों पर, कानों में, नाक में, हाथों पर, हाथों की अंगुलियों पर, पूरे पैरों पर मोटे मोटे मच्छर जमा हो रखे थे । आचार्य श्री दो घंटे से भी अधिक उसी अवस्था में बैठे थे । सामायिक / ध्यान से उठे तो सारे शरीर पर मच्छरों के काटे हुए उभरे हुए लाल निशान बन गये थे । मेरी आँखों से झर झर आंसू गिर रहे थे पर मैं कुछ नहीं कर सकता था । आस पास आने वाले व्यक्तियों को इशारे से मौन रहने का निवेदन करता रहता था । 

    मैंने आचार्यश्री को श्रीफल चढ़ाकर नमोस्तु किया और मच्छरों के काटे हुए निशानों की ओर इशारा किया । आचार्यश्री कुछ नहीं बोले, बस मुस्करा दिये और कहा - कुछ नहीं सब ठीक है । और मैं और भी आश्चर्य चकित तब हुआ जब मैंने शाम को बेलगछिया मन्दिर जी में जाकर आचार्य श्री के दर्शन किये तो देखा कि मच्छर काटने का एक भी निशान शरीर पर नहीं था । पूरा शरीर बिल्कुल सामान्य था । यह कहलाती है साधना ! तपस्या और तपस्या का फल ! उपसर्ग सहना ! परिषह सहना ! 
    धन्य हैं ऐसे सच्चे गुरु !!
  17. संयम स्वर्ण महोत्सव
    @किरण कुमार उमाठे @Vinni Jain @Vibbo @SIDDESH JAIN @अभिलाषा जैन  आप सभी को उपहार स्वरुप मिल रहा हैं  हथकरघा निर्मित योगा मैट |
     
     
    आपको आपके उपहार आपसे संपर्क कर के शीघ्र भेजे जायेंगे |
    सभी Twitter और Facebook पर विजेताओं को बधाई दे |
  18. संयम स्वर्ण महोत्सव
    अंकिता  जैन (महेंद्रगढ़ कोरिया )  को पुरस्कार स्वरूप प्रदान किया जा रहा है आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से संचालित हथकरघा द्वारा निर्मित श्रमदान ब्राण्ड की  साड़ी |
    अनुभव कठरया   (बामोरा सागर)   को पुरस्कार स्वरूप प्रदान किया जा रहा है आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से संचालित हथकरघा द्वारा निर्मित श्रमदान ब्राण्ड का  कुर्ता पायजामा 
    आपको आपके उपहार आपसे संपर्क कर के शीघ्र भेजे जायेंगे |
  19. संयम स्वर्ण महोत्सव
    खाओ पीयो भी,
    थाली में छेद करो,
    कहाँ जाओगे ?
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  20. संयम स्वर्ण महोत्सव
    12 मार्च 2018
    परम पूज्य गुरुदेव, आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का भव्य मंगल प्रवेश आज, डिंडोरी मप्र में अत्यंत भक्ति और उत्साहमय वातावरण में हुआ। अब डिंडोरी में हर दिन होली, हर रात दीवाली सी खुशियां।
     
     
    विहार अपडेट 8 मार्च 2018
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    सागर- संतशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का ससंघ मंगल विहार प्रसिद्ध सर्वोदय जैन तीर्थक्षेत्र अमरकंटक से डिंडोरी की ओर 2 बजे हो गया। अमरकंटक से डिंडोरी की दूरी 84 किलोमीटर है। कबीर चौराहा,करंजिया, रूसा,  गोरखपुर,  सागर टोला, हो करके डिंडोरी पहुंचा जा सकता है जबलपुर से डिंडोरी की दूरी 145 किलोमीटर है जबलपुर से कुंडम शहपुरा होकर के डिंडोरी जाया जा सकता है डिंडोरी में पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव का आयोजन 23 मार्च से 29 मार्च महावीर जयंती तक होगा पंचकल्याणक के प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रहमचारी विनय भैया बंडा होंगे
    Ⓜ मुकेश जैन ढाना Ⓜ
    एमड़ी न्यूज़ सागर
     
     
    मंगल विहार संभावित
    परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार आज दोपहर लगभग 2 बजे हो सकता है, डिंडोरी की ओर। आगामी दिनों में डिंडोरी में होंगे पंचकल्याणक महोत्सव।

     
  21. संयम स्वर्ण महोत्सव
    श्री मज्जिनेन्द्र वेदी प्रतिष्ठा, जिनबिम्ब स्थापना, कलशारोहण एवं विश्वशांति महायज्ञ स्थान - श्री 1008 श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर, सन्मति विहार, मंगला, बिलासपुर (छ.ग.)
    दिनांक - 20, 21, 22 फरवरी 2018 तक
    मूल नायक - श्री 1008 महावीर भगवान
    नवीन जिनालय - श्री 1008 महावीर जिनालय
    पावन सानिध्य - संत शिरोमणि 108 आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज
     

     
    धर्मानुरागी, महानुभाव ...
    जय जिनेन्द्र!,
    अत्यंत हर्ष के साथ सभी भक्तजीवों को सूचित किया जाता है कि बिलासपुर नगर स्थित सभी भव्य आत्माओं के सातिशय पुण्यउदय से संतशिरोमणि आचार्य भगवन 108 श्री विद्यासागर जी महामुनीराज के 50वे संयम स्वर्ण महोत्सव के पावन अवसर पर वेदीप्रतिष्ठा का महामहोत्सव का मांगलिक कार्यक्रम प्रतिष्ठाचार्य बालब्रम्हचारी सुनील भैया (अनंतपुरा) के मार्गदर्शन में संपन्न होने जा रहा है इस प्रतिष्ठाचार्य महामांगलिक कार्यक्रम में आप सपरिवार सम्मिलित होकर सातिशय, पुण्यार्जन करें ।
  22. संयम स्वर्ण महोत्सव
    मानव जीवन इस भूतल पर उत्तम सब सुखदाता है।
    जिसको अपनाने से नर से नारायण हो पाता है।
    गिरि में रत्न तक्र में मक्खन ताराओं में चन्द्र रहे।
    वैसे ही यह नर जीवन भी जन्म जात में दुर्लभ है ॥१॥
     
    फिर भी इस शरीरधारी ने भूरि-भूरि नर तन पाया।
    इसी तरह से महावीर के शासन में है बतलाया॥
    किन्तु नहीं इसके जीवन में कुछ भी मानवता आई।
    प्रत्युत वत्सलता के पहले खुदगर्जी दिल को भाई ॥२॥
     
    हमको लडडू हों पर को फिर चाहे रोटी भी न मिले।
    पड़ौसी का घर जलकर भी मेरा तिनका भी न हिले॥
    हम सोवें पलंग पर वह फिर पराल पर भी क्यों सोवे।
    हमको साल दुसाले हों, उसको चिथड़ा भी क्यों होवे ॥३॥
     
    मेरी मरहम पट्टी में उसकी चमड़ी भी आ जावे।
    रहूँ सुखी मैं फिर चाहे वह कितना क्यों न दुःख पावे॥
    औरों का हो नाश हमारे पास यथेष्ट पसारा से।
    अमन चैन हो जावे ऐसी ऐसी विचार धारा से ॥४॥
     
    बनना तो था फूल किन्तु यह हुआ शूल जनता भर का।
    खून चूसने वाला होकर घृणा पात्र यों दर दर का॥
    होनी तो थी महक सभी के दिल को खुश करने वाली।
    हुई नुकीली चाल किन्तु हो पद पद पर चुभने वाली ॥५॥
     
    होना तो था हार हृदय का कोमलता अपना करके।
    कठोरता से रुला ठोकरों में ठकराया जा करके॥
    ऊपर से नर होकर भी दिल से राक्षसता अपनाई।
    अपनी मूँछ मरोड़ दूसरों पर निष्ठुरता दिखलाई ॥६॥
     
    लोगों ने इसलिए नाम लेने को भी खोटा माना।
    जिसके दर्शन हो जाने से रोटी में टोटा जाना॥
    कौन काम का इस भूतल पर ऐसे जीवन का पाना।
    जीवन हो तो ऐसा जनता, का मन मोहन हो जाना ॥७॥
     
    मानवता है यही किन्तु है कठिन इसे अपना लेना,
    जहाँ पसीना बहे अन्य का अपना खून बहा देना॥
    आप कष्ट में पड़कर भी साथी के कष्टों को खोवे।
    कहीं बुराई में फँसते को सत्पथ का दर्शक होवे ॥८॥
     
    पहले उसे खिला करके अपने खाने की बात करे।
    उचित बात के कहने में फिर नहीं किसी से कभी डरे॥
    कहीं किसी के हकूक पर तो कभी नहीं अधिकार करे।
    अपने हक में से भी थोड़ा औरों का उपकार करे ॥९॥
     
    रावण सा राजा होने को नहीं कभी भी याद करे।
    रामचन्द्र के जीवन का तन मन से पुनरुद्धार करे॥
    जिसके संयोग में सभी के दिल को सुख साता होवे।
    वियोग में दृगजल से जनता भूरि भूरि निज उर धोवे ॥१०॥
     
    पहले खूब विचार सोचकर किसी बात को अपनावे।
    तब सुदृढ़ाध्यवसान सहित फिर अपने पथ पर जम जावे॥
    घोर परीषह आने पर भी फिर उस पर से नहीं चिगे।
    कल्पकाल के वायुवेग से,भी क्या कहो सुमेरु डिगे ॥११॥
     
    विपत्ति को सम्पत्ति मूल कह कर उसमें नहि घबरावे।
    पा सम्पत्ति मग्न हो उसमें अपने को न भूल जावे॥
    नहीं दूसरों के दोषों पर दृष्टि जरा भी फैलावे।
    बन कर हंस समान विवेकी गुण का गाहक कहलावे॥१२॥
     
    कृतज्ञता का भाव हृदय अपने में सदा उकीर धरे।
    तृण के बदले पय देने वाली गैय्या को याद करे॥
    गुरुवों से आशिर्लेकर छोटों को उर से लगा चले।
    भरसक दीनों के दुःखों को हरने से नहि कभी टले॥ १३॥
     
    नहीं पराया इस जीवन में जीने के उजियारे हैं।
    सभी एक से एक चमकते हुये गमन के तारे हैं।
    मृदु प्रेम पीयूष पान बस एक भाव में बहता हो।
    वह समाज का समाज उसका, यों हो करके रहता हो॥ १४॥
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