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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

संयम स्वर्ण महोत्सव

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  1. मेरे गुरुवर विद्यासागर शिल्पकार हो तुम। हम मिट्टी को रूप दिया है कुम्भकार हो तुम ॥ बागों के हम फूल हैं, बागवान हो तुम। इस युग के भगवान हो, महावीर हो तुम-2॥ रूखा-सूखा लेकर भी, झरता अमृत ज्ञान। एक शिकन मुख पर नहीं, फिर भी है मुस्कान-2॥ मैं चर्या आपकी, जो है अनकही।। गुरुदेव तपस्या से, ये धरती है थमीं ॥ मेरे गुरुवर विद्यासागर शिल्पकार हो तुम स्वाश्रित जीने की कला, तेरा ही उपहार।। हथकरघा उद्योग है, जीवन का आधार-2॥ इस स्वर्णिम भारत को प्रतिभारत बनाया है। गुरु आपने हमें जीना सिखाया है॥ मेरे गुरुवर विद्यासागर शिल्पकार हो तुम दे दो संबल गुरु हमें, मानव सेवा कर पाएँ। दिखलाया जो आपने, उस पथ पर हम चल पाएँ-2॥ हो आशीष आपका, जो सर पर हैं सदा। हम दर्पण बन रहें, गुरु आपकी कृपा॥ मेरे गुरुवर विद्यासागर शिल्पकार हो तुम चरण जन्नत ढूंढ़ते सात समंदर पार। पाया तेरे चरणों में, जन्नत का शुभ द्वार-2॥ ये जमीं है आपकी, कण-कण में आप हैं। मेरे गुरुवर आप ही मेरे भगवान हैं। मेरे गुरुवर विद्यासागर शिल्पकार हो तुम..... मेरे आतम के प्रदेश में, छवि आपकी अंकित हैं। श्वासों की साजों पर गुरुवर,गीत आपके गुजित है -2 ॥ मेरी आन अब तुम्हीं हो, पहचान अब तुम्हीं हो। मेरा सब कुछ तुम्हीं हो, बस तुम्हीं तो हो॥ मेरे गुरुवर विद्यासागर शिल्पकार हो तुम...... बागों के हम फूल हैं, बागवान हो तुम। इस युग के भगवान हो, महावीर हो तुम-2॥
  2. रत्नत्रय से पावन जिनका यह औदारिक तन है। गुप्ति समिति अनुप्रेक्षा में रत, रहता निशदिन मन है॥ सन्मति युग के ऋषि-सा जिनका, बीत रहा हर क्षण है। त्याग तपस्या लीन यति अरु, प्रवचन कला प्रवण है॥ जिनकी हितकर वाणी सुनकर, सबका चित्त मगन है। जिनके पावन दर्शन पाकर, शीतल हुई तपन है॥ तत्वों का होता नित चिंतन, मंथन और मनन है। विद्या के उन सागर को, मम शत्-शत् बार नमन् है॥ मम शत्-शत् बार नमन् है,
  3. तपस्वी/साधु विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार https://vidyasagar.guru/quotes/anya-sankalan/tapasvee-saadhu/
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