मेरे गुरुवर धरा पर हैं आए,सभी जीवों का उद्धार करने।
मोक्ष पथ पर स्वयं चल रहे हैं, और सब को भी चला रहे हैं।
जैसा गुरु ने कहा है दिखाया, संघ को देखो गुरुकुल बनाया।
कम समय के लिए गुरु को पाया, फिर भी गुरु को सदा साथ पाया ।।
ऐसा हम भी समर्पण को चाहें, गुरु आज्ञा में जीवन बिताना।
कितनी सुन्दर है गुरुवर की सूरत,
मेरे गुरुवर हैं ममता की मूरत।।
आँखों में इनके करुणा झलकती,
सभी जीवों में दिन रैन बरसती ॥
हम भी करुणा दया धर्म पालें,
मैत्री के फूल हम भी लगा लें।
हर समय का सदुपयोग करते,
शास्त्र जीवन को सदा रचते।।
प्रतिभामंडल गुरु ने दिया है,
सबको कर्तव्य बतला दिया है।
साथ मिलकर कदम सब बढ़ाएँ और,
प्रतिभामय भारत बनाएँ।
(तर्ज-इतनी शक्ति हमें)