संयम स्वर्ण महोत्सव के उपलक्ष्य में एक विशेष उद्देश्य लेकर चले थे कि कुछ ऐसा कार्य करना है जो आचार्य श्री के महान व्यक्तित्व एवम चरित्र को सबके सामने प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जाय ,युवा पीढ़ी समझ सके कि मुनि का जीवन क्या है व आज के युग में एक संत कैसे चतुर्थ कालीन चर्या का सफल निर्वाह कर रहे है। साथ ही साथ आचार्य श्री की जीवन गाथा को अजर अमर बनाना है।जिससे आगे आने वाली पीढियां भी उससे प्रेरणा ले सके। यह एक बहुत कठिन कार्य था । आचार्य श्री का जीवन एक वृतचित्र में समेटना कोई आसान कार्य नहीं था।
लैंडमार्क फिल्म्स की सुश्री विधि कासलीवाल जिनको वृतचित्र बनाने का अनुभव था और जो फ़िल्म निर्माता निर्देशक भी हैं ने इस कार्य को हाथ में लेने की स्वीकृति दे दी । 3 साल पहले वो कार्य शुरू करने से पहले आचार्य श्री के दर्शन करने गई , ये उनके आचार्य श्री के प्रथम दर्शन थे। दर्शन करते ही वो भाव विहल हो गई आंखों से अविरल अश्रुधारा बह चली । आचार्य श्री के दर्शन कर उनके aura से वो इतनी प्रभावित हुई कि अपने स्वयं जे साधनों सेफ़िल्म बनाने का निश्चय कर लिया ।
अब चालू हुआ फ़िल्म पर काम ।सबसे मत्वपूर्ण था सही जानकारी व रिसर्च। बहुत से ग्रंथों का अध्धयन किया गया, संघ के साधु,क्षुल्लक ब्रह्मचारी,दीदियां आदि पूरा सहयोग कर रही थी।ढाई साल की अथक मेहनत के बाद विद्योदय उस रूप मे आई जिसे आप सब लोगों ने देखा।
अब इस फ़िल्म को पूरे भारत में प्रदर्शित करने की चुनौती थी। इस कार्य में मेरे साथी श्री नवीनजी पाटनी व प्रकाशजी पाटनी ने अथक प्रयास करके आप सब महानुभावों के सक्रिय सहयोग से इस कार्य को मूर्त रूप दे दिया।
आप सब साधुवाद के पात्र हैं जिन्होंने हमारे एक निवेदन पर इस कार्य को हाथों हाथ उठाया और अपने अपने शहर में इसे प्रदर्शित करने में दिन रात एक कर डाला। आप लोगों का यह कृत्य आचार्य श्री के प्रति आपका समर्पण एवं भक्ति का द्योतक है।वैसे तो सभी जगह बहुत अच्छा कार्य हुआ मगर विशेष उल्लेख दो शहरों का भोपाल व जयपुर। भोपाल में लगभग दस हज़ार लोगों ने फ़िल्म देखी और विधान सभा में भी प्रदर्शन हुए जो कि सबके लिए गर्व की बात है। जयपुर में 6 जगह एक साथ फ़िल्म का प्रदर्शन किया गया उन का team work वाकई सराहनीय है। आप सब लोगों ने जिस उत्साह से ये कार्य किया ये आप सब का आचार्य श्री के प्रति समर्पण, भक्ति व श्रद्धा को दर्शाता है। आप लोगो ने वो कार्य किया जिससे आचार्य श्री की छवि युगों युगों तक अमर हो जाएगी।आपको जितना धन्यवाद दें कम है। आपने स्वयं भी पुण्य लाभ लिया और समाज को भी धर्म लाभ करवाया।
जिसने भी फ़िल्म को देख प्रशंसा किये बगैर नहीं रह सका। आचार्य श्री का महान व्यक्तित्व, मुनि धर्म का सूक्ष्म वर्णन देखने वालीं को अभिभूत कर गया। युवा वर्ग ने भी देखा और बहुत सराहा।
एक दो स्थानों पर थोड़ी समस्याएं आयी किन्तु लैंडमार्क फिल्म्स द्वारा उसका समाधान कर दिया गया और फ़िल्म के लगभग 90 शो सफलता पूर्वक हो गए। लैंडमार्क फ़िल्म को बहुत बहुत धनयवाद।
क्योंकि फ़िल्म का प्रदर्शन सिर्फ 90 स्थानों पर हो पाया इस कारण पूरे भारत से अभी भी हर तरफ से मांग आ रही है। हो सकता है कि इसका पुनः प्रदर्शन 14 -15 ता तक वापस किया जाय। इस की औपचारिक घोषणा शीघ्र की जाएगी।
अंत मे आप सब को एक बार पुनः धन्यवाद आप लोगों के सक्रिय सहयोग बिना कुछ भी नहीं हो सकता था । आप की भक्ति,श्रद्धा और समर्पण स्तुत्य है। अपन सबका यह प्रयास आचार्य श्री के व्यक्तित्व व कृतित्व को अक्षुण बनाने में अपना एक छोटा सा योगदान अवश्य देगा
जय जिनेन्द्र
प्रमोद चंद सोनी
अजमेर