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आचार्य श्री विद्यासागर दिगंबर जैन पाठशाला
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आज आचार्य श्री, मुनि श्री योगसागर जी एवं मुनि श्री संधानसागर जी के खजुराहो में हुए केश लोच |
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संदेह होगा,
देह है तो, देहाती !
विदेह हो जा |
भावार्थ - देह का अर्थ शरीर है और केवली भगवान् ने औदारिक, वैक्रियिक, आहारक, तैजस और कार्मण; ये पाँच प्रकार के शरीर बताये हैं जो संसार भ्रमण के मुख्य कारण हैं । पौद्गलिक और पर-रूप शरीर में अपनत्व मानकर जीव स्वयं के वास्तविक स्वभाव को भूल जाता है । उसे अपने सत्यार्थ स्वरूप पर भी संदेह होने लगता है । अतः वह शरीरगत अनेक प्रपंचों में फँसकर गहनतम दुःखों से जूझता है । ऐसी देह में निवास करने वाले देहवान आत्मा को आचार्य देहाती का सम्बोधन करते हुए समझा रहे हैं कि हे देहाती ! देह का छोड़ने के उपायभूत रत्नत्रय की आराधना कर ताकि पर पदार्थों से अत्यन्त भिन्न निर्मल आत्मस्वरूप को प्राप्त कर चिरकाल तक स्वाश्रित सुख में निमग्न हो सके ।
- आर्यिका अकंपमति जी
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
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यह कृति आचार्य ज्ञानसागरजी ने उस समय सन् १९५६ में लिखी जब वे क्षुल्लक अवस्था में थे। यह कृति महत्त्वपूर्ण इसलिए नहीं कि इसके लेखक, वर्तमान के आचार्य विद्यासागरजी महाराज के गुरु हैं बल्कि यह इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि वर्तमान में भारत जहाँ जा रहा है, यदि इस पुस्तक के अनुसार चला होता तो स्वतंत्रता के बाद यह देश अपने इतिहास की स्वर्णिम अवस्था को पुनः प्राप्त कर चुका होता। अब भी अवसर है यदि देशवासी इन नीतियों का अनुकरण करें, तो वह दिन दूर नहीं जब यह देश सोने की चिड़िया की ख्याति को पुनः प्राप्त कर पायेगा। आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि यह कृति इसी वर्ष पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज व संघ के देखने, पढ़ने में आयी जबकि इसमें उल्लेखित विषयों को, आचार्य श्री विगत २५ वर्षों से प्रमुखता से प्रवचन में दे रहे हैं।
भूमिका
पूज्य क्षुल्लक श्री १०५ ज्ञानभूषणजी महाराज ने ‘पवित्र मानव जीवन’ काव्य लिखकर समाज का भारी कल्याण किया है। हम सुखी किस प्रकार हों, सामाजिक नाते से हमारा व्यवहार एक दूसरे से कैसे हो, हमारा आहार व्यवहार क्या हो ? हम किस प्रकार स्वस्थ रहें ? सामाजिक आवश्यकताओं को किस प्रकार पूरा किया जा सके? श्रमजीवी तथा पूँजीवादी व्यवस्था का समाज पर क्या प्रभाव होता है और समाज का किस प्रकार शोषण किया जाता है, इस ग्रन्थ में विस्तार पूर्वक किया गया है। गृहस्थधर्म के बारे में विवेचन करते हुए श्री क्षुल्लकजी लिखते हैं -
‘‘प्रशस्यता सम्पादक नर हो, मुदिर और नारी शम्पा।
जहाँ विश्व के लिये स्फुरित होती हो दिल में अनुकम्पा॥”
जो व्यक्ति आज भी महिलाओं को समान अधिकार देने के विरुद्ध हैं, उनकी ओर संकेत करते हुए लिखते हैं-
महिलाओं को आज भले ही व्यर्थ बताकर हम कोशे।
नहीं किसी भी बात में रही वे हैं पीछे मरदों से॥
जहाँ कुमारिल बातचीत में हार गया था शंकर से।
तो उसकी औरत ने आकर पुनः निरुत्तर किया उसे॥
इसके अतिरिक्त माता-पिता का बच्चों के प्रति कर्तव्य, पुरातनकालीन तथा वर्तमान शिक्षाप्रणाली का तुलनात्मक विवेचन तथा गृहस्थाश्रम की मर्यादाओं पर बड़े सुन्दर और अनोखे ढंग से प्रकाश डाला गया है। यदि हम यों कहें कि भारतीय संस्कृति तथा आम्नाय के महान् ग्रन्थों के सार को सरल और सुबोध काव्य में रचकर समाज का मार्गदर्शन किया है तो इसमें कोई अत्युक्ति नहीं होगी। हम आशा करते हैं कि इस ग्रन्थ का अध्ययन करके पाठक जहाँ अपना जीवन सफल करेंगे, वहाँ समाज को सुखी बनाने के लिये इसका अधिक से अधिक प्रचार करेंगे।
देवकुमार जैन
सम्पादक - ‘मातृभूमि’ हिसार
प्रथम संस्करण से साभार सन् १९५६ (वि. सं. २०१३)
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परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का आज भव्य मंगल प्रवेश अतिशय क्षेत्र श्री पपोरा जी जिला टीकमगढ़ में भक्तों के अपार उत्साह और अत्यंत भक्ति भाव के साथ हुआ! प्रस्तुत है ऐसी झलकियाँ जिन्हें हर कोई जानना चाहेगा !
आज प्रातः लगभग 7 बजे से ही पूज्य आचार्य संघ की अगवानी का क्रम शुरू हुआ ! यहाँ अब तक का सबसे बड़ा इतिहास रचा गया ! लगभग साडे चार कि.मी. लम्बी शोभा यात्रा में देश भर के करीब 1 लाख श्रद्धालु सामिल हुए! भक्तो का सैलाब इस कदर था कि सब ओर, कोई ओर छोर दिखाई ही नही दे रहा था ! पूज्य आचार्यश्री जी के मंचासीन होते ही बाल ब्र श्री सुनील भैया जी इन्दौर द्वारा बड़ी ही कुशलता से बोलियाँ प्रारंभ की गई। देखते ही देखते पाद प्रक्षालन की बोली 100-100 कलश पार कर गई। पाद प्रक्षालन का सौभाग्य श्रेष्टि श्री राजा जैन कारी टीकमगढ़ परिवार एवं श्रेष्ठी श्री महेंद्र कुमार लोहिया परिवार को प्राप्त हुआ ! इसके अलावा भी कई बोलियाँ लगाई गई जो अभूतपूर्व थी। शहस्त्रकूट जिनालय में स्थापित होने बाली दो प्रतिमाओं के अनावरण भी सम्पन्न हुए।
बनेगा सहस्त्र कूट जिनालय - पपोराजी में बनने वाले इस भव्य जिनालय का निर्माण स्वर्ण वर्ण के पीले पत्थर से किया जावेगा! इस जिनालय के सम्पूर्ण रूप से निर्माण के पुण्यशाली पुन्यार्जक बनने का सौभाग्य प्राप्त किया श्रेष्ठी श्री राजा जैन कारी परिवार टीकमगढ़ (अनुमानित निर्माण लागत 700 कलश )!
प्रतिभा स्थली के निर्माण को मिली स्वीकृति, हुई घोषणा - पूज्य आचार्यश्री का ड्रीम प्रोजेक्ट कहे जाने बाले, शिक्षा और संस्कार प्रदान करने हेतु भारत की चोथी और मप्र की दूसरी प्रतिभा स्थली पपौरा जी मे प्रारंभ करने की घोषणा आज कर दी गई! मिली जानकारी अनुसार इसी वर्ष 108 बेटियों के प्रवेश के साथ एक नव निर्मित अन्य भवन में प्रतिभा स्थली प्रारंभ कर दी जावेगी। प्रतिभा स्थली हेतु अपने प्रथक भवन का शिलान्यास भी अतिशीघ्र होने जा रहा है यह भवन लगभग एक वर्ष में तैयार हो जावेगा। (यह सभी जानकारी सूत्रों से प्राप्त अनुसार है। कोई त्रुटि होने पर हमें सूचित अवश्य करें।)
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राष्ट्रहित चिंतक आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज के सानिध्य में होगा एक अभूतपूर्व अश्रुतपूर्व कार्यक्रम
जरा याद करो कुर्बानी
इस कार्यक्रम में अमर बलिदानी शहीद परिवारों के वर्तमान वंशजों को आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज के सानिध्य में "स्वराज सम्मान" से सम्मानित किया जाएगा इस कार्यक्रम में निम्नलिखित शहीद परिवारों ने शामिल होने की स्वीकृति प्रदान की है -
राणा प्रताप रानी लक्ष्मी बाई मंगल पांडे नाना साहिब तात्या टोपे बहादुर शाह जफर भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद सुखदेव राजगुरु अशफाक उल्ला खान सदाशिवराव मलकापुर कर श्रीकृष्ण सरल सुभाष चंद्र बोस के अंगरक्षक कर्नल मोहम्मद निजामुद्दीन
इत्यादि 【21 अक्टूबर 1934- नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिंद फौज की स्थापना सिंगापुर में की थी।】
आजादी मिलने के बाद आजादी के दीवानों का मेला जरा याद करो कुर्बानी 21 अक्टूबर 2018 दिन रविवार दोपहर 1:45 खजुराहो, मध्य प्रदेश |
आयोजक - चातुर्मास समिति एवं सकल दिगंबर जैन समाज
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*आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के मंगल चातुर्मास कलश की स्थापना पर खजुराहो में प्रथम कलश की बोली 207 कलश पर गई। प्रथम कलश की बोली श्री तरुण जी काला व समस्त काला परिवार निवासी मुम्बई द्वारा ली गई है।श्री तरुण जी काला मुम्बई को प्रथम कलश का सौभाग्य 207 कलश (2 करोड़ 7 लाख) में प्राप्त हुआ
*द्वितीय कलश का सौभाग्य श्री डॉ सुहास शाह जी जैन मुम्बई को 151 कलश (1 करोड़ 51 लाख) में प्राप्त हुआ*
*तृतीय कलश का सौभाग्य 117 कलश (1 करोड़ 17 लाख रुपये) में श्री हुकुम जी काका कोटा बालो को प्राप्त हुआ*
*चतुर्थ कलश का सौभाग्य 108 कलश (1 करोड़ 8 लाख रुपये) में श्री उत्तम चंद्र जी जैन कटनी कोयला बालो को प्राप्त हुआ*
पांचवे कलश की बोली 131 कलश पर गई और यह बोली श्रीमान प्रेमी जी परिवार सतना, कटनी वालो ने ली है। धन्य हो आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की जय।??????
छठे कलश की बोली 108 कलश पर गई और यह बोली श्रीमान प्रभात जी मुम्बई वालो ने ली है। धन्य हो ऐसे महान आचार्य भक्तो की।
जय हो आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की जय।??????
सातवें कलश की बोली गुप्तदान में गई है। धन्य हो ऐसे महान आचार्य भगवान भक्तो की।
जय हो आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की जय।??????
आंठवे व अंतिम कलश में दो कलश की बोली सुभाष जी भोपाल वालो ने व बैनाड़ा परिवार वालो ने ली है। धन्य हो ऐसे महान आचार्य भगवान भक्तो की।
जय हो आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की जय।??????
नवे कलश की बोली श्रीमान अशोक जी पाटनी निवासी किशनगढ़ राजस्थान वालो द्वारा ली गई है। धन्य हो ऐसे महान आचार्य भगवान भक्तो की।
जय हो आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की जय।??????
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प्रियांशी जैन (फुहारा जबलपुर) एवं कोमल जैन (बजाज रोड सीकर), आप दोनों को पुरस्कार स्वरूप प्रदान की जा रही हैं -
Past Food , भारतीय रसोई, जैन रसोई पुस्तक की एक एक प्रति
आपको आपके उपहार आपसे संपर्क कर के शीघ्र भेजे जायेंगे |
सभी Twitter और Facebook पर विजेताओं को बधाई दे |
Twitter https://twitter.com/vidyasagar_guru/status/1008323670912233472
Facebook https://www.facebook.com/www.vidyasagar.guru/photos/a.484024778600589.1073741828.484016608601406/661163310886734/?type=3
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निधि के संबंध में बताया गया है कि यह परिवार की बहुत लाड़ली बेटी हैं
दमोह. कहते हैं कि आचार्य विद्यासागर के दर्शन पाकर लोग इंसानी जन्म की वास्तविक समझकर लोभ, मोह से दूरियां बना लेते हैं। कई लोगों ने आचार्यश्री के दर्शन लाभ लेकर बैराग्य धारण कर लिया है और आज वह संघ में शामिल होकर समाज व विश्व शांति की ओर अग्रसर हैं। इन्हीं में जबेरा नगर की एक बेटी भी शामिल हुई है। आचार्यश्री के दर्शन लाभ पाने के बाद जबेरा नगर का गौरव बढ़ाते हुए, नगर के गल्ला व्यापारी कमल चौधरी की सुपुत्री निधि ने आजीवन सयंम ब्रह्मचर्य व्र्रत को अंगीकार किया है। निधि के संबंध में बताया गया है कि यह परिवार की बहुत लाड़ली बेटी हैं, इनके दो बड़े भाई भाइयों नीलेश व नागेश हैं व दो बहन हैं जिनमें यह सबसे छोटी हैं। निधि इन दिनों जैन मंदिर में संचालित श्रीअनेकांत विद्या केंद्र की शिक्षिका भी हैं। परिवार के लोगों ने बताया है कि निधि की रूची शुरू से ही धार्मिक रही है।
जबेरा में आर्यिका संघ के चातुर्मास के बाद से निधि ने स्वयं को पूरी तरह धार्मिक गतिविधियों के लिए समर्पित कर दिया था। निधि ने एम से पोस्ट ग्रेज्युवेशन किया है साथ ही यह कम्प्यूटर शिक्षा में पीजीडीसीए भी किए हुए हैं, इसके अलावा एमएसडब्लू डिप्लोमाधारी भी हैं।
विदित हो कि दमोह जिले के पथरिया निवासी अमित जैन जो अब निराग सागर के नाम से जाने जाते हैं, इन्होंने वर्ष २००९ में आचार्यश्री से अमरकंठक में ब्रह्मचर्य व्रत लिया था और वर्ष २०१३ में दीक्षा लेकर मुनिपद धारण किया था। वहीं इनके अलावा दमोह के इंकमटैक्स वकील सुनील जैन ने भी आचार्यश्री की दीक्षा लेकर मुनिश्री पद धारण कर लिया था, आज इन्हें निर्मोंह सागर के नाम से जाना जाता है। इन्होंने १८ नवंबर २००७ को ब्रह्मचर्य व्रत सागर जिले के बीना बारह में धारण कर लिया था। १० अगस्त २०१३ में इन्हें आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने मुनि दीक्षा दी थी।
https://www.patrika.com/damoh-news/brahmacharya-vrat-2629038/
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बाहर टेड़ा,
बिल में सीधा होता,
भीतर जाओ |
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?- Read more...
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सुई निश्चय,
कैंची व्यवहार है,
दर्ज़ी-प्रमाण।
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?- Read more...
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आज का अतिशय
ग्राम समर्रा जैन मंदिर में 3 महीने से कुएं में पानी नहीं है गुरुदेव के आने से कल थोड़ा सा पानी आया और आज सुबह 3 फुट हो गया और सब चौका में पानी मंदिर के कुआॅ से गया
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आज प्रातः ८० से अधिक ब्रह्मचारी भैया लोगों ने दीक्षा के निवेदन के साथ गुरुदेव आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के श्री चरणों में श्रीफल समर्पित किए और सभी ब्रह्मचारी भाइयों को पाद प्रक्षालन का सौभाग्य प्राप्त हुआ । गुरूदेव की मुखमुद्रा देखकर ऐसी संभावना लग रही है कि दीक्षा प्रदाता पूज्य गुरुदेव दीक्षा देकर अपने शिष्यों को कृतार्थ करेंगे।
तत्पश्चात् ब्र संजीव भैया कटंगी ब्रहमचारी मनोज भैया, ब्रहमचारी दीपक भैया ने पूज्य गुरुदेव की संगीतमय पूजा संपन्न करवाई
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*परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज*
के ससंघ सानिध्य में
*चार दिवसीय भव्य कार्यक्रम*
14 अगस्त
24 मुनिराजों का दीक्षा दिवस
15 अगस्त - स्वतंत्रता दिवस
16 अगस्त - 25 मुनिराजो का दीक्षा
दिवस
17 अगस्त - मुकुट सप्तमी निर्वाण लाडू
एवं भगवान पार्श्वनाथ मोक्ष
कल्याणक महोत्सव
निवेदक -- श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र प्रबंध समिति खजुराहो जिला छतरपुर
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साधु वृक्ष है,
छाया फल प्रदाता,
जो धूप खाता।
भावार्थ–साधु फलदार वृक्ष के समान होते हैं। जैसे वृक्ष सर्दी, गर्मी आदि प्रतिकूलताओं को चुपचाप सहकर भी पथिकों को छाया एवं स्वादिष्ट रसीले फल प्रदान करता है । उसीप्रकार साधु आतापनादि योग धारण कर जो धूप पीठ पर सहते हैं, मैं उन वृक्षों की छाया हूँ । व्रतों का पालन करते हुए अंतरंग - बहिरंग अनेक प्रकार के तपों को समता और आनंद के साथ तपता है। ऐसे अनुभाग के साथ तप करते हुए ऐसा आभा मण्डल निर्मित होता है, जो उसका रक्षा कवच होता है। ऐसा साधु भव्य जीवों को वात्सल्य रूपी छाया और दुःखहारी उत्तम शिक्षा के साथ उभयलोक सुखकारी संस्कार फल के रूप में प्रदान करता है
- आर्यिका अकंपमति जी
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
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20 जुलाई 18
खजुराहो । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जहां प्रदेश में चौथी बार सरकार बनाने के लिए जन आशीर्वाद यात्रा के माध्यम से मप्र की जनता का आशीर्वाद लेने में इन दिनों लगे हुए है। वहीं उन्हें अब एक नई जिम्मेदारी मिल गई है। लेकिन, वह जनता के आशीर्वाद से नहीं बल्कि गुरू के आशीर्वाद है। जी हां, गुरू की शरण में पहुंचे शिवराज को जो जिम्मेदारी मिली है, उससे शिवराज भी खुश है। दरअसल, सतना दौरे से लौटे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी पत्नी साधना सिंह के साथ रात में खजुराहो पहुंचे। जहां रात्रि विश्राम भी उन्होंने किया।
इसके बाद शुक्रवार की सुबह वह यहां विराजमान जैन संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के दर्शन करने पहुंचे थे। जहां आचार्यश्री के चरणों में जाकर जब शिवराज ने पुन: मध्यप्रदेश की जनता की सेवा करने का आशीर्वाद मांगा तो आचार्यश्री मुस्कराने लगते है। भरे कार्यक्रम के बीच आचार्य कहते है कि शिवराज अब आप सिर्फ मध्यप्रदेश नहीं, बल्कि भारत की १२१ करोड़ जनता के बारे में सोचना शुरू कर दीजिए।
*कार्यक्रम के दौरान पहुंचे थे मुख्यमंत्री*
खजुराहो से मिली जानकारी के अनुसार खजुराहो में जैन समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शुक्रवार को सुबह मुख्यमंत्री पहुंचे थे। जहां उन्होंने आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के चरणों का प्रच्छालन किया। साथ ही मध्यप्रदेश की उन्नति और खुशहाली का आशीर्वाद मांगा। शिवराज सिंह को खजुराहो प्रबंध समिति ने मंच पर स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस मौके पर मप्र शासन की राज्यमंत्री ललिता यादव भी मुख्यमंत्री के साथ थी। मुख्यमंत्री कार्यक्रम स्थल पर 30 मिनट तक रुकने के बाद सीधे खजुराहो विमानतल के लिए रवाना हो गए। यहां से वे भोपाल के चले गए।
आज प्रातः पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज को मप्र के मुखिया श्री शिवराजसिंह चौहान सहित अतिशय क्षेत्र खजुराहो सम्पूर्ण कमेटी ने श्रीफल समर्पित कर खजुराहो में वर्षायोग हेतु आशीर्वाद माँगा, पूज्य आचार्य भगवन ने आशीर्वाद प्रदान किया। एक तरह से अब आचार्यश्री ससंघ का चातुर्मास खजुराहो में होना निश्चित हो गया है। इससे देश भर की समाज में उत्साह और हर्ष की लहर छा गई।
संघस्थ बाल ब्र. सुनील भैया ने बताया कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने आज पूज्य आचार्यश्री जी के समक्ष मंच से घोषणा भी की, कि मप्र शासन द्वारा दिया जाने जीव दया सम्मान, आगामी अगस्त माह में ही आचार्यश्री जी के पावन सान्निध्य में खजुराहो में ही प्रदान किया जाएगा । ज्ञातव्य है कि पूज्य आचार्यश्री जी की प्रेरणा एवम् आशीर्वाद से ही जीव दया के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु यह पुरस्कार मप्र शासन द्वारा घोषित किया गया है।
अब 29 जुलाई को आयोजित होने बाले कलश स्थापना की तैयारियों की गति तेज़ हो गई है।
समाचार एजेंसियां एवं अनिल जैन बड़कुल, ए बी जैन न्यूज़
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२३ जून २०१८, कैलिफ़ोर्निया, अमेरिका.
लगभग ४५० लोगों ने कार्यक्रम में आकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराईऔर सभी का उत्साह देखते बना
आचार्यश्री के जीवन पर आधारित वृत्तचित्र(डॉक्यूमेंटरी फिल्म) ने सबका मन मोह लिया! बच्चों का नाटक "विद्याधार से विद्यासागर" हिंदी भाषा में किया गया, उन बच्चों द्वारा जो सिर्फ अंग्रेजी ही जानते हैं और हिंदी पढ़ भी नहीं पाते!
आचार्य श्री के चित्र और विभिन्न प्रकल्प की झांकी लगायी गई | महिलाओं का नृत्य और गरबा भी हुआ
शुद्ध भोजन, चाय और शाम के भोजन की पूरी व्यवस्था स्वयंसेवकों ने ही की, बाजार से कुछ भी नहीं मंगाया गया|
कार्यक्रम विवरण
पूजन और अभिषक - ८ से १० बजे तक नाश्ता - १० से १०:३० भोजन - १२ से १:३० सांस्कृतिक कार्यक्रम - १:३० से ५:३० रास गरबा - ५:३० से ६:३० सूर्यास्त के पहले शाम का भोजन - ६:३०- से ७:३०
कार्यक्रम झलकियाँ
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डूबना ध्यान,
तैरना स्वाध्याय है,
अब तो डूबो।
भावार्थ-ध्यान में डूबना होता है और स्वाध्याय तैरने के समान है। स्वाध्याय में प्रवृत्ति है और ध्यान में निर्वृत्ति । रत्नाकर में स्थित रत्नों को गोताखोर ही प्राप्त कर सकते हैं इसलिए अपने आत्मा में डूबो और अनंत चतुष्टय रूप रत्नों की उपलब्धि करो । आचार्य महाराज ने लिखा है- डूबो मत, लगाओ डुबकी।
- आर्यिका अकंपमति जी
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?- Read more...
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कल प्रातःकाल की बेला में पूज्य आचार्य श्री जी ससंघ का पपौरा जी से होगा मंगल विहार। विहार दिशा को लेकर सब ओर उम्मीदें जागी।
हथकरघा का शुभारंभ
अतिशय क्षेत्र श्री पपौरा जी मे, परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ सानिध्य में, आज प्रातः गौशाला परिसर में हथकरघा केंद्र का शुभारंभ हुआ। यहाँ पर 162 X 45 फ़ीट का विशाल भवन बनकर तैयार हो रहा है। इसमे 108 हथकरघा स्थापित किये जायेंगे।
होगा नवीन जिनालय का शिलान्यास
कल 28 जून को प्रातः 6 से 7 बजे तक पपौरा जी मे नवीन मन्दिर जी का शिलान्यास का कार्यक्रम ब्र सुनील भैया जी के निर्देशन में सम्पन्न होगा ।
कल प्रातःकाल मे ही होगा विहार
पूज्य आचार्यसंघ का मंगल विहार कल प्रातः 7 बजे, पपौरा जी से टीकमगढ़ नगर की ओर होगा। पूज्य आचार्यसंघ की अगवानी टीकमगढ़ में 8 बजे होंगी। नन्दीश्वर कॉलोनी जिनालय टीकमगढ़ में श्री आदिनाथ भगवान की 13 फ़ीट की प्रतिमा आचार्य संघ के सानिध्य एवम प्रतिष्ठाचार्य श्री ब्र सुनील भैया के निर्देसन में वेदी पर प्रतिष्ठा की जाएगी।
दोपहर में टीकमगढ़ से भी हो सकता हैं मंगल विहार
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कानपूर अमर उजाला में प्रकाशित
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आपको पुरस्कार स्वरूप प्रदान की जा रही हैं - हथकरघा निर्मित श्रमदान ब्रांड की हाफ शर्ट
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@VIHAAN आपको पुरस्कार स्वरूप प्रदान की जा रही हैं -हथकरघा निर्मित श्रमदान ब्रांड की हाफ शर्ट
@Sapna Ajmera सपना जी को पुरस्कार स्वरूप प्रदान किया जा रहा है आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से संचालित हथकरघा द्वारा निर्मित श्रमदान ब्राण्ड का 100% सूती डबल बेड चादर |
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निपुण जैन (ठाणे, मुंबई) ,आयुष जैन (विजय मार्किट, कोटा) आप दोनों को पुरस्कार स्वरूप प्रदान की जा रही हैं -हथकरघा निर्मित श्रमदान ब्रांड की हाफ शर्ट
आपको आपके उपहार आपसे संपर्क कर के शीघ्र भेजे जायेंगे |
सभी Twitter और Facebook पर विजेताओं को बधाई दे |
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रोगी की नहीं,
रोग की चिकित्सा हो,
अन्यथा भोगो।
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?- Read more...
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छत्तीसगढ़ की पावन धरा ओर एक मात्र तीर्थक्षेत्र श्री डोंगरगढ़ चंद्रगिरि ,पर आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के ससंघ सान्निध्य में एवं ब्र. सुनील भैया इंदौर के निर्देशन में ऐतिहासिक वेदी शिलान्यास हुआ |
आज प्रातः 8 बजे आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ससंघ प्रतिभा स्थली के बनने बाले मंदिर स्थल पर पहुचे तो प्रतिभा स्थली में अध्यनरत छोटे छोटे बच्चों ने जय जयकारो से ओर श्रावको के उत्साह से पूरा वातावरण ही धर्ममय हो गया ।
आचार्य भगवन ने अपनी दिव्यदेशना में कहा कि रहने को घर तो पशु पक्षी भी बना लेते पर भगवान का मंदिर सिर्फ मनुष्य ही बनाता है जो जितना धन ,धर्म मे लगाता हो उसका उतना ही बढ़ता जाता है आज आप लोगो को दान के साथ साथ भावनाओ का भी ध्यान रखना चाहिए,आप सभी धर्म मार्ग में लगे रहे यही मेरा सबको आशीर्वाद |
चंदाप्रभु तीर्थक्षेत्र कमेटी डोंगरगढ़ चंद्रगिरि
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