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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

संयम स्वर्ण महोत्सव

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Posts posted by संयम स्वर्ण महोत्सव

  1. आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के संयम स्वर्ण जयंती के अवसर पर प्राचीन भारतीय पद्वति आयुर्वेद से, पुष्य नक्षत्र में तैयार की 5 बुँद पिलाएँ, बछो को रोगों से बचाएँ 

     

    स्वर्ण प्राशून बिंदु संस्कार .jpeg

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  2. : जय जिनेन्द्र??
    "सन्त शिरोमणि गुरुवर आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज" के ५०वें "संयम-स्वर्ण महोत्सव" के अन्तर्गत "संयम-स्वर्ण महोत्सव समिति,जयपुर की प्रेरणा से "अरिहन्त नाट्य संस्था",जयपुर दिनांक ३1-१-२०१८को जैन धर्म की पौराणिक कथा "चारुदत्त-चरित्र"पर आधारित नाटक "वसन्ततिलका (एक वैश्या बनी आर्यिका)का मंचन जवाहर कला केंद्र में शाम 6 बजे करने जा रही है।
          आप सभी से निवेदन है कि आप सभी इस मैसेज को अपने अपने ग्रुप में शेयर करे।
    ताकि अधिक से अधिक लोग नाटक देखने पहुँचे एवं जैन धर्म की पौराणिक कथा को देख कर जैन धर्म का महत्व समझें सके।
          
    अजय जैन
    अरिहन्त नाट्य संस्था
           जयपुर
    7615060671

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  3. gauvashala_Page_01.jpg

    कृषि यहाँ का राष्ट्रीय धंधा है,

    कृषि से ही भारत में जीवन की सत्ता है |

    कृषि से गोरक्षा और गोरक्षासे,

    कृषि का संवर्धन स्वयंम सिद्ध है |

    इसलिए गोधनं राष्ट्रवर्धनम है |

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

    gauvashala_Page_02.jpg

    हिंसा का जो विधान करे 

    वहे सविधान किसे प्यारा ?

    हिंसा पर प्रतिबन्ध लगाना 

    है अधिकार हमारा |

     

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  4.  

    अनुच्छेद - ५१ ए

    भारतीय नागरिकों के मूल कर्तव्य

    छ) प्राकृतिक पर्यावरण की, जिनसे अन्तर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, रक्षा करें और उसका संवर्धन करें तथा प्राणीमात्र के प्रति दया भाव रखें।

    झ) सार्वजनिक सम्पति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।

     

     

    अनुच्छेद - ४८

    कृषि और पशुपालन का संगठन

    राज्य कृषि और पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक प्राणालियों से संगठित करने का प्रयास करेगा और विशिष्ट तथा गायों और बछडो तथा अन्य दुधारू और वाहक पशुओं की नस्लों के परिरक्षण और | सुधार के परिक्षण और सुधार के लिए और उनके वध का प्रतिषेध करने के लिए कदम उठायेगा।

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  5. अमरीका के कॅलिफोर्निया नगर में एक गोशाला बनाई गई है, जिसमें ८० हजार बूढ़ी और अपंग गायें हैं। इसमें ८०० टन गोबर और इतना ही गोमूत्र प्रतिदिन प्राप्त होता है। इस गोबर और गोमूत्र से चलने वाले बिजली घरों में जो बिजली उत्पन्न होती है उसे बीस हजार परिवार काम में लेते हैं। १८० टन गोबर की राख भी प्रतिदिन प्राप्त होती है जो उर्वरक के नाते काम आती है। हिसाब लगाने पर सामने आया कि इस गोशाला के निर्माण में खर्च प्रत्येक एक डालर के एवंज मे गोशाला को पाँच डालर हर साल प्राप्त हो रहे हैं। पेट्रोल तथा डीजल की जो बचत हो रही है वह इसके अतिरित है।

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  6.    ☀मदनगंज-किशनगढ़☀
       ????‍??‍??‍????
    सकल दिगम्बर जैन समाज एवं श्री दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति के संयुक्त तत्वावधान तथा मुनि सुधासागर महाराज ससंघ सान्निध्य में रविवार को आर.के. कम्यूनिटी सेंटर में संयम उपकरण दान महोत्सव पिच्छी परिवर्तन कार्यक्रम समारोह पूर्वक आयोजित किया गया।
               कार्यक्रम का शुभारम्भ आर.के. मार्बल परिवार के अशोक पाटनी, सुरेश पाटनी व सूरत जैन समाज द्वारा चित्र अनावरण से किया। कार्यक्रम में दीप प्रज्जवलित गणेश राणा, राजेन्द्र गोधा, प्रमोद सोनी, हुकम काका, अनिल जैन, शांतिलाल जैन, मुनिश्री ससंघ के पाद प्रक्षालन गणेश राणा सांगानेर तथा शास्त्र भेंट राजा जैन, उत्तमचंद जैन, बीएस परिवार आदि ने भेंट किए।
              कार्यक्रम में सुधा की बुंदे पुस्तक का विमोचन धर्म प्रभावना समिति द्वारा किया गया तथा वैद्य महावीर प्रसाद जैन जयपुर का मुनि संघो का इलाज करने के लिए सम्मानित किया गया।
             कार्यक्रम में श्री दिगम्बर जैन युवा वर्ग अशोक नगर मध्य प्रदेश ने आचार्य विद्यासागर महाराज के जीवन को झांकियो के माध्यम से जीवंत कर दिया तथा 23 दिगम्बर को नारेली के लिए प्रस्थान करने वाली श्रीजी की भव्य शोभायात्रा का सुंदर मंचन किया गया। 
            संगीत की मधुर स्वर लहरियों व जयकारों से माहौल भक्तिमय हो गया। कार्यक्रम में नन्हे मुन्ने बच्चों ने धार्मिक गीतों पर मनमोहक भक्ति नृत्य प्रस्तुत किया।

    ?श्री दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति के प्रचार मंत्री संजय जैन के अनुसार कार्यक्रम में

    ?मुनि सुधासागर महाराज को नई पिच्छी प्रकाशचंद गंगवाल, उत्तमचंद पाटनी ने प्रदान की तथा मुनिश्री की पुरानी पिच्छी एसके जैन गुना को प्राप्त हुई।

    ?मुनि महासागर महाराज को नई पिच्छी राजेन्द्र सेठी ने प्रदान की तथा मुनिश्री की पुरानी पिच्छी जितेन्द्र जैन अजमेर को प्राप्त हुई।
     
    ?मुनि निष्कंप सागर महाराज को नई पिच्छी धर्मचंद जैन ने प्रदान की तथा मुनिश्री की पुरानी पिच्छी डा. महेन्द्र जैन बीना को प्राप्त हुई।

    ?क्षुल्लक गंभीर सागर महाराज को नई पिच्छी सुरेन्द्र शाह भीलवाडा ने प्रदान की तथा पुरानी पिच्छी विनोद शाह कोटा को प्राप्त हुई। 

    ?क्षुल्लक धैर्यसागर महाराज को नई पिच्छी कैलाशचंद सेठी ने प्रदान की तथा पुरानी पिच्छी डा. प्रभाकर सेठी जयपुर को प्राप्त हुई। 

    ⚛मुनिश्री ने भी को संयम उपकरण का महत्व बताते हुए मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। कार्यक्रम में धर्म प्रभावना समिति व जैन आर्मी के अलावा सैकडों लोगों ने सहयोग दिया। कार्यक्रम में देशभर के हजारों श्रावक श्राविकाएं मौजूद थे।⚛

  7. जीवदया के मसीहा आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से स्थापित एवं संचालित दयोदय महासंघ की गौशालाओं हेतु आप दानराशि सीधे बैंक खाते में भी जमा कर सकते हैं, जमा उपरांत सूचना दें, फोन या ईमेल कर अवगत कराएँ ताकि आपको पक्की रसीद भेजी जा सके -

    dayodaybankdetails.jpg

     

     

     

  8. गौशाला निर्माण में सहयोग प्रदान कर

    • परम संरक्षक  १,००,०००/-
    • संरक्षक  ५१,०००/-
    • आजीवन सदस्य१  १,०००/-
    • प्रति कमरा निर्माण हेतु  ५१,०००/-
    • प्रति ३० फीट गुणित १२० फीट शेड निर्माण हेतु  ४,२५,०००/-
    • प्रति ६० फीट गुणित १२० फीट चारा गोदाम हेतु  ११,००,०००/-
    • चिकित्सालय निर्माण हेतु  १०,००,०००/-
    • चिकित्सालय उपकरण हेतु  ७,५०,०००/-
    • वृद्धाश्रम निर्माण हेतु प्रति कमरा  ५१,०००/-
    • जल व्यवस्था हेतु प्रति टंकी (५००० लि.)  २१,०००/-
    • जल वितरण व्यवस्था प्रति शेड  ५०,००१/-
    • प्रति नलकूप हेतु  ७५,०००/-
    • प्रति गाय गोद लेने हेतु खर्च  ११०१/-
    • गाय त्रैमासिक व्यय  १५०१/-
    • गाय अर्द्धवार्षिक व्यय  २५०१/-
    • गाय वार्षिक व्यय  ५००१/-
    • प्रति १२१ पशुओं पर प्रतिदिन व्यय  २००१/-
    •  

    अनुरोध – मूक पशु के त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक अथवा आयु पर्यंत ‘दयोदय’ पालक बनकर पुण्य लाभ पाएं।

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    • प्रतिदिन कुल भोजन व्यय २००१/-अनुमानित
    • प्रतिदिन कुल औषधि व्यय १००१/-अनुमानित
    • प्रतिमास कुल भोजन व्यय ६०,००१/-अनुमानित
    • प्रतिमास कुल औषधि व्यय ३०,०००/-अनुमानित
    • प्रति वृद्ध मासिक भोजन व्यय ७५१/-अनुमानित
    • प्रति वृद्ध मासिक औषधि व्यय ३५१/-अनुमानित
    • प्रति वृद्ध त्रैमासिक भोजन व्यय २५०१/-अनुमानित
    • प्रति वृद्ध त्रैमासिक औषधि व्यय १२५१/-अनुमानित
    • प्रति वृद्ध वार्षिक भोजन व्यय १०,००१/-अनुमानित
    • प्रति वृद्ध वार्षिक औषधि व्यय ५००१/-अनुमानित

    हमें आपके सहयोग की सदैव प्रतीक्षा है। हमारे द्वारा संपादित कार्यों का निरीक्षण करें, यह विनम्र आग्रह है, अतएव अवश्य पधारें यह मनुहार है।

  9. अवश्यक सूचना :-??जिज्ञासा समाधान मे मुनि श्री 108सुधा सागर जी महाराज जी ने सभी को '' जो भगवान् महावीर स्वामी को मानता है, कसम दी है, अपने नाम के साथ "जैन" अवश्य लिखें. ??इस सूचना को सभी जैन तक भेजे. ??

     

     

    ।।जय जिनेन्द्र बन्दुओं।।
    आज जैन समाज के लिए एक दुखत घटना सामने आयी हैं, बन्दुओं हमारे जैन समाज के कुछ लोगों की भूल सेअपने नाम के पीछे"जैन"न लिखने से आज झांसी जिले में स्थित बरुआसागर नगर में वर्णी जी द्वारा खुलबाय जैन छात्रावास जो कि जैनों का हैं लेकिन आज up हाईकॉर्ट उसे जैन न बताकर उसे अवेध घोषित कर अन्य समाज को सौप रही हैं 
    जैनसमाज up हाईकोर्ट से केस हार गया।। अब दिल्ली हाईकोर्ट में केस चल रहा है,,,,,!
    मुनिपुंगवश्री108सुधासागर जी का सम्पूर्ण जैन समाज को आदेश दिया है कि हम सभी अपने नाम लिखने के बाद जैन जरूर लिखे।
    (आपको महावीर स्वामी जी की सौगन्ध)

     

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    1. जिसने गाय से नाता जोडा, रोग ने उससे नाता तोडा।
    2. जिसके घर दूध और गाय, उसके घर कभी रोग न आय।
    3. गौ उत्पादों का करे प्रयोग, धन बचे मिट जाएँ रोग।
    4. जैसा पिये दूध, वैसा होय पूत।
    5. गों सेवा को समझकर, जो घर में रखे गाय। गोबर, गौ-मूत्र, घी से वो खूब करेगा आय।
    6. खूब करेगा आय, लक्ष्मी खूब आयेगी। सुख समृद्धि मान, प्रतिष्ठा संग लायेगी।
    7. गौ सेवा को समझकर, जो फेरे गौ पे हाथ। बिन डॉक्टर की दवा के, रोग छोड दे साथ।
    8. रोग छोड दे साथ, जीने का मजा आयेगा। मानव जीवन सफल, भक्ति मुक्ति पायेगा।
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  10. सन १९६० तक देश से मांस नियति नही होता था। १९६१ से मांस निर्यात १ करोड रुपयों का हुआ है। एवम् देश में नशाबंदी भी १९६१ से समाप्त की गई है। कर्नाटक राज्य मद्यपान संयम बोर्ड के अध्यक्ष सचानंद हेगडे ने कहा है, की राज्य में शराब से सरकार को वर्ष में १०,००० करोड की आय होती है, वह परोक्षरुप से २२,००० करोड रुपये का नुकसान होता है। २५ लाख लोग मौत के मुँह में जाते है। सडक हादसे और बलात्कार जैसी वारदाते शराब पिए व्यक्तियों द्वारा की जाती है। उन्होंने कहा है की, इसके दुष्परिणाम के बारे में जनजागृती करने के लिए बोर्ड की ओर से राज्य भर में कार्यक्रम चलाए जा रहे है।

    (राज्यस्थान पत्रिका २४-५-२०१२)

     

    देश आजाद हुआ तभी सिर्फ ३०० कत्लखाने थे, वर्तमान में यह संख्या ३६,००० से ज्यादा है। उसमें भी आधुनिक और यांत्रिक कत्लखाने है। इस उद्योग को कृषि उद्योग का दर्जा दिया गया है। इस कारण से केंद्र सरकार और राज्य सरकार अनुदान देती है, और इनकम टेक्स में भी छूट देती है। ज्यादा तर यांत्रिक कत्लखाने, पोल्ट्रीफार्म राजनेता और उनके प्रतिनिधी ही चला रहे है। अरबो रुपये अनुदान के रुप में सरकार ने दिया वह किसी खेत में भी उत्पन्न नहीं होता है। पशु का कत्ल करने के उद्योग को कृषी उत्पादन का दर्जा खत्म करने के लिए सरकार से मांग करनी चाहिए और सरकारद्वारा अनुदान बंद कराना चाहिए और आयकर में छूट देना भी बंद करना चाहिए।

     

    भारतीय पशुकल्याण बोर्ड चेन्नई के माध्यम से प्रस्तुत एक हजार जनसंख्या के पीछे सन १९५१ में दूध देनेवाले ४३० पशु थे। सन २००१ में सिर्फ ११० पशु थे। उसके बाद पशुगणना आंकड उपलब्ध नही है। शायद कुछ महिने पहिले वर्तमान पत्र में पढ़ा था की, पशुगणना अभी होनेवाली है। मगर जानकारोंसे मालूम हुआ है की वर्तमान में सिर्फ ४० पशु ही दूध देनेवाले है। इसका मतलब अवैध रुप से भारी संख्या में दूध देनेवाले पशुओं की कत्ल हो रहीं है। इसके अलावा केंद्रीय सांख्यिकी विभाग पशुधन से प्राप्त होनेवाली दुध उत्पादन सन २००७-०८ का प्रतिव्यति प्रतिदिन का रु. ३.७५ (१/४ लीटर) है। दूध, दही, घी, छाछ वगैरे के लिए यह उत्पादन बहुतही कम है। इस कारण से भारी मात्रा में दूध में स्वास्थ्यघातक पदार्थ डिटर्जेंट पावडर और पशुओं की चरबी का मिलावट हो रहा है, यह भी भारत सरकार की रिपोर्ट है। याने अप्रत्यक्ष रुपसे जनता को मांसाहार खिलाया जा रहा है वह अन्य खाद्यपदार्थ में भी मांसाहार का उपयोग भारी मात्रा में होता है। कानूनी ग्रीन मार्क लगा रहता है, मगर वे सिर्फ नंबर लिखते है, वो कोड नंबर मांसाहार का होता है। देश की शाकाहारी जनता को अप्रत्यक्ष रुप में मांसाहार का सेवन करना पडता है।

     

     देश में ५० वर्ष में शुद्ध शाकाहारी जनता में मांसाहार और शराब का सेवन करनेवालोंकी संख्या भारी मात्रा में बढ़ गई है। जैसे आहार होता है वैसी बुद्धी होती है। इसके लिए हमारे देश के भ्रष्ट नेता ही जिम्मेदारी है। उनके मांस, मदिरा आहार से भारी मात्रा में महिलाओं का शोषण होता है, परिवार में कलह-क्लेश और तलाक जैसी घटना मांसाहार और शराब से ही हो रहीं है। अंडा शाकाहार है ऐसा झूटा प्रचार करके अंडा खाने की आदत लगाई गई है।

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  11. मै ७ रोगों का भोग बना हुआ था १) साइनस २) अस्थमा ३) हाई ब्लड प्रेसर ४) अनिद्रा ५) डायबिटीस (मधुमेह), ६) कभी कभी हृदय कि धडकन थोडी देर के लिए अनियमित हो जाना ७) उदरी (बालों का झड जाना) इन सातों रोगों की हमेशा २१ गोलिया खानी पडती थी। कायम दवाई लेने पर भी एक भी रोग मिटता नहीं था। बीमारी, दवाईयाँ और खर्चसे मैं परेशान हो गया था और थकान महसूस होती थी। मैं ऐलोपेथिक दवाई से तंग आ गया था। अंत: एक वैद्यकी सलाह से नये प्रयोग के रूप में हमेशा सुबह के चाय में देशी गाय का घी दो चम्मच डालकर पीना शुरू कर दिया। मानो चमत्कार हो गया। केवल दो महीनों में इस प्रयोग से मेरें सातों रोग मिट गये। गत चार साल से जिंदगीभर लेने का मेरा दृढ़ संकल्प है।

     

    गाय का दही : गाय के दही में पाचन शक्ति में वृद्धि करनेवाला और पेटमें अंतडियों के जन्तुओंको मार डालने वाले असंख्य उपयोगी बेक्टेरिया रहते हैं। अन्तः हमेशा सुबह मे दही निरोगी रखनेवाला एवं अमृत समान पोषक है।

    मक्खन : हमेशा सुबह मे २५ ते ५० ग्राम गाय के गरम घी या मक्खन में १० ग्राम गुड एवं २ ग्राम सौंठ डालकर पीनेसे पुराना अजीर्ण, वायु आदि मिट । जाते हैं और शरीर में धातुबल की वृद्धि होती है। कडक पेट सर्वथा नरम पड जाता है। मक्खन से बालक की ऊंचाई, आंखोका तेज, शक्ति एवं बुद्धि का विकास होता है।

    छाछ : पेट खाली होने पर गाय की ताजा छाछ पीने से संग्रहनी आफरा- । हैजा-बवासीर-मरोड आदि मिट जाते हैं और कमजोर बने हुए जठर (होजरी) अंतडी आदिकों पुनः सशक्त बनाता है।

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    1. आयुर्वेद के ग्रंथ, विज्ञान और मानव समाज द्वारा किये गये अभ्यासों के आधार पर गायका दूध वात-पित्त आदिको दूर करनेवाला है। और गाय के दूध-घी पाचन प्रक्रिया में सरल, माता के गर्भ से लेकर जीवनभर सबके लिए अमृत समान पोषक है, शक्ति, आरोग्य एवं जीवनदाता है। शरीर में कोलेस्ट्रोल के समतोलन का निर्माता है। इस दूध से मेद में वृद्धि नही होता। यह हृदय को बल देनेवाला है। गाय को खूब पसीना आता है जिससे गाय के दूध मे अशुद्धि हानिकारक तत्व नही रहते।
    2. गाय के दूध-घी में रोग प्रतिकारक शक्ति, बुद्धि शक्ति, ओजस एवं तेजस्विता में वृद्धि करनेवाला सुवर्णक्षार रहता है। अत: गाय के दूध-घी से तन्दुरस्त मनुष्य को कफ नहीं होता है।
    3. गाय के दूध-घी में आँखों के तेज की वृद्धि करनेवाला या अंधापन को दूर करनेवाला केरोटिन एवं विटामिन-ए अधिक मात्रा में होता है।
    4. गोमूत्र पृथ्वी पर की श्रेष्ठ संजीवनी (औषध) है। अनेक रोगों में एक दवाई अर्थात्-गोमूत्र है।
    5. गाय के दूध, घी, छाछ, गोमूत्र एवं गोबर में १०० से भी ज्यादा गुण रहते है। और १५० से भी बढ़कर रोगों को मिटाते है।
    6. गाय की छाछ अंतडी की शक्ति को बढ़ाकर संग्रहणी के रोग को मिटाकर अमृत समान सिद्ध होती है तथा अत्यंत स्वादिष्ट होती है।
    7. गाय का दूध-घी शरीर के भीतर होनेवाले रोग जैसे की हृदय-रोग, डायबिटीस, अशक्ति, वृद्धत्व, श्वास, वात, ऑखों की निर्बलता, जातीय निर्बलता, मानसिक रोगों को मिटानेवाले है।
    8. पानी, घास आदिकी कमी, अकाल आदि का सामना करने की कुदरती शक्ति गाय में ज्यादा है। बहुत कम या सूखा खोराक खाने पर भी दूध देती है।
    9. गीर, शाहिवाल, थरपाकर, राठी, कांकरेज, ऑगोल गाय बीयात का २००० से ६००० लीटर दूध देती है।
    10. भारतीय देशी गाय आखिर तक दोनों समय दूध देती है।
    11. प्रेमपूर्ण स्वभाव की वजह से अपने बच्चे को देखने पर या अपने पालक के हाथका स्पर्श होते ही उसके थन दूध से भर जाते है। इसी कारण गायको दोहने के लिए पूरे देश में कोई दवाई, इन्जेक्शन आदि का उपयोग नहीं करना पडता। १० मिनट में गोदोहन की क्रिया हो जाती है।
    12. औसत दूध नहीं देने के दिवस ६० से लेकर ९० है।
    13. दो दिन के भूखें पेट होने पर भी सब देशी गाय प्रेम से खडी रह कर दूध देती है।
    14. कृषि के लिए बैल देती है।
    15. देशी गाय अपने पालक को अनन्य प्रेम, मैत्री, करूणा एवं प्रसन्नता देती है।
    16. अपने पालक की सब आज्ञाओंका पालन करती है।
    17. गायों की दूध देने की नैसर्गिक प्रवृति या प्रक्रिया बारहों महीना जारी रहती है।
    18. देशी गाय के दूध में औसन् ४.५ % से लेकर ५ % प्रतिशत घी होता है। गाय का घी सुपाच्य एवं जीवनदाता है।

     

    सोचो समझो भारत मां के मुंह में आज मुस्कान नहीं,

    पशु मांस निर्यात करें यह अपना हिन्दुस्तान नहीं।

    आचार्य विद्यासागरजी

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  12. मुझे ढाई साल से हृदय के स्नायुओंकी पीडा सतत रहा करती थी। मैं ठीक से सो भी नहीं सकता था। अत: अहमदाबादकी अस्पताल में इको टेस्ट द्वारा जाँच करने से पता चला की हृदय की मुख्य तीन नालियाँ ७० प्रतिशत बंध थी तथा कोलेस्टोरल की मात्रा भी अधिक थी। उसके बाद मनसुखभाई सुवागीया की सलाह से मैंने हमेशा सुबह में देशी गाय के दूध की एक कप चाय में एक चम्मच देशी गाय का घी डालकर पीना शुरू कर दिया। नौ महिनें मे बिना किसी दवाई हृदय का दर्द बंद हो गया। उसके उपरांत उसी अस्पताल में जाँच करवाई तो डॉ. वी. पी. पटेलने बताया कि अभी हृदय की तीन नांप्लिया खुल गई है। और सामान्य बन गई है और कोलेस्टोरल का प्रमाण भी सामान्य

    है।

     

    मूल हृदयरोग से मुक्ति मिल गयी है इस बातका प्रमाण तब मिला जब १-११-२००८ के दिन जलक्रांति ट्रस्ट द्वारा आयोजित पाँचवी जल एवं गोरक्षा के लिये गिरनार परिक्रमा में किसी भी तकलीफ बिना १० घंटे में तीन ऊँचे पर्वतो को पार कर मैंने २७ किलोमीटर की परिक्रमा संपन्न की।

     

    देशी गाय के घी से ब्लडप्रेशर (बी.पी.) वाले अन्य तीन रोगीयों ने भी हमारे साथ आसानी से इस परिक्रमा को साकार किया। इस से सिद्ध होता है कि देशी गाय के दूध-घी से किसी भी प्रकार के हृदयरोग को मिटाकर नई जीवन-शक्ति प्रदान की जा सकती है। देश के लिए, गाय के दूध-घी के गुणों का एवं परिणामोका अभ्यास करनेकी एवं इनको सामान्य जन तक पहुँचाने की कडी आवश्यकता है।

    - अतुलभाई डी. पटेल - BAPS साळंगपुर, मो -०९४२९०६५१३४

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  13. मेरी ऑख में रत आ जानेकी तकलीफ हो गयी। मैने ऑखो के नामांकित डॉ. गद्रे (राजकोट) एवं नागपाल (अहमदाबाद) की दवाई लगातार तीन साल तक ली। तथापि चिकित्सा एवं दवाईयों लेने पर भी वह तकलीफ बढ़ती ही गई। और मुझे दोनों आँखो में अंधापन संपूर्णतया आ गया |

     

    एक वैद्य की सलाह से नाक में हमेशा तीन-तीन बूंद देशी गाय का घी डालना शुरू कर दिया। दो महीनों में आँख कि रोशनी वापस आ गई। आज मैं अखबार पढ़ सकता हूँ। गाय के घी ने मुझे नवजीवन प्रदान कर चमत्कार का सर्जन किया है।

    - जीवन ठुमर राजकोट, मो -०९९२५१८४६५४

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