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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

संयम स्वर्ण महोत्सव

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Posts posted by संयम स्वर्ण महोत्सव

  1. यह पाठ्यक्रम १२ खंड और ७ पुस्तकों में विभाजित हैं...  आपको निरंतर अन्तराल में पुस्तके  आपके पते पे भेजी जाएगी |

    पहली पुस्तक आपकी पंजीकरण की रसीद के साथ सितम्बर माह के अंत तक कूरियर कर दी जाएगी |

  2. ?? *भव्य हिन्दी दिवस समारोह 14 सितम्बर *?
     
    परम पूज्य दिगंबर जैन आचार्य संत शिरोमणि श्री विद्यासागर जी महाराज के लिए 50वें संयम स्वर्णिम वर्ष 2017-18 के अवसर पर,

    ? *भव्य हिन्दी दिवस समारोह 14 सितम्बर को मानस भवन शिवपुरी मे पूज्य गुरुदेव अजित सागर जी महाराज के पावन सानिध्य मे मनाया जाएगा 
    ?? ??????????हिन्दी भाषा को पूरे भारत मे बोली जाये ऐसे संकल्प के साथ यह आयोजन होगा ????????????????

    ⛳ विषय- "धार्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि से  शाकाहार ही मानवीय आहार"

    मंगल सान्निध्य-  पूज्य मुनि श्री अजितसागर जी महाराज, ऐलक श्री दयासागर जी महाराज एवं ऐलक श्री विवेकानंदसागर जी महाराज

    ? विशेष-शिवपुरी के हर घर मे शाकाहार की चरचा हो रही है 1350 छात्र छात्राओं ने निबंद  प्रतियोगिता मे भाग लिया उन सभी को  14 सितम्बर को पुरुस्कृत किया जायेगा  

    शाकाहार को अपने जीवन मै अपनाये और स्वस्थ्य  रहे।
    विजयी प्रतियोगियों की घोषणा दिनांक 14 सितंबर को हिंदी दिवस पर एक वृहद छात्र सम्मेलन कार्यक्रम में की  जाएगी।

    India नही भारत बोलो।

    सम्मेलन स्थल- मानस भवन शिवपुरी

    ? सम्मेलन में सभी निबंध लेखन मे भाग लने वाले छात्र,छात्राओ को सम्मानित  किया जायेगा।

     साथ ही प्रत्येक ग्रुप 9th, 10th, 11th, 12th,  से प्रथम, द्वतीय, तृतीय के साथ 10 सांत्वना पुरस्कार भी दिए जाएंगे।

    ? सभी 1350 छात्र-छात्राये निबंध लेखन मे भाग लेकर शाकाहार मे  सहभागी बने। धन्यवाद 

    आयोजक-
    सकल दिगम्बर जैन समाज शिवपुरी एवं चातुर्मास कमेटी शिवपुरी।

    ? *नोट- 

    *14 सितम्बर को दोपहर 2 बजे से कार्यक्रम शुरु हो जायेगा सभी छात्र एवम छात्रायें ठीक 2 बजे मानस  भवन शिवपुरी अवश्य पधारे  
    ???????
    रत्नेश जैन "डिम्पल" 9425429785
    माणिक जैन-     9977313309
    राजेश जैन-9425137669
    ????????

  3. #दीक्षा #दिवस #किशनगढ़, #अजमेर
    पुज्य गुरुदेव मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी महाराज के 35 वें मुनिदीक्षा वर्ष संयम दिवस पर मुनिश्री के पावन चरणों मे कोटि कोटि नमन।
    इशुरवाड़ा में जन्मे, अरु ईशरी में निर्गृन्थ बने ।
    तिथी तीज थी मंगलकारी मुक्ति के शुभ बीज पडे ।।
    त्रिलोकपूज्य गुरुविद्यासागर दीक्षा के संस्कार किये ।
    धर्म प्रभावना मुनिवर ने की भक्तों ने जयकार किये ।।
    अश्विन कृष्ण तृतीया २५४३
    गुरु चरणानुरागी: आप एवं हम

  4. राष्ट्रसंत पर्यावरण प्रेमी मुनिश्री १०८ चिन्मयसागर जी महाराज ने गुरुदेव आचार्यश्री १०८ विद्यासागर जी का संयम स्वर्ण वर्ष एक लाख वृक्ष लगवाकर मनाने का एक अनुपम अभियान शुरू किया।

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  5. 30 June 

    प्रातः

    समय

    कार्यक्रम

    ५:३० बजे

    आचार्य भक्ति

    ८.०० बजे

    आचार्यश्री जी का संगीतमय भव्य पूजन

    ९.०० बजे

    आचार्यश्री जी के अमृत वचन

    ९.३० बजे

    आचार्यश्री जी की आहार चर्या

    मध्याह्न

    २.०० बजे

    आचार्यश्री जी का मंच पर आगमन

    २:०५ बजे

    मंगलाचरण

    २:०५ बजे

     

    क्षेत्र के मंत्री श्री चंद्रकांत जैन द्वारा चन्द्रगिरि की योजनाओं का ब्यौरा

    २:१५ बजे

    शास्त्र भेंट

    २:२० बजे

    दीप प्रज्वलन, चित्र अनावरण,

    मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ महामहिम राज्यपाल श्री बलरामदास टंडन

    श्री अनिल जैन राष्ट्रीय महामंत्री भाजपा

    श्री धरमलाल कौशिक छग भाजपा अध्यक्ष

    श्री अमर अग्रवाल, वाणिज्य कर मंत्री

    द्वारा आचार्यश्री जी को श्रीफल भेंट एवं सम्मान

     

    २:३० बजे

    प्रतिभास्थली डोंगरगढ़ की सांस्कृतिक प्रस्तुति

    २:५० बजे

    उद्बोधन

    श्री अनिल जैन राष्ट्रीय महामंत्री भाजपा

    श्री धरमलाल कौशिक छग भाजपा अध्यक्ष

    श्री अमर अग्रवाल, वाणिज्य कर मंत्री

     

    ३:०५ बजे

    महामहिम राज्यपाल का उद्बोधन

    ३:१५ बजे

    मुनि महाराज के द्वारा गुरु गुणगान

    ४:०० बजे

    आचार्यश्री जी के अमृत वचन

    सायंकाल

    ५.३० बजे

    आचार्यभक्ति

    ६:०० बजे

    भव्य संगीतमय आरती एवं भक्ति

    ७.०० बजे

    विद्वत प्रवचन

    रात्रि ७.३० बजे

    सांस्कृतिक कार्यक्रम : चन्द्रगिरि महिला मंडल की प्रस्तुति

  6. ३० जून २०१७ 

    प्रातः

    समय

    कार्यक्रम

    ५:३० बजे

    आचार्य भक्ति

    ८.०० बजे

    आचार्यश्री जी का संगीतमय भव्य पूजन

    ९.०० बजे

    आचार्यश्री जी के अमृत वचन

    ९.३० बजे

    आचार्यश्री जी की आहार चर्या

    मध्याह्न

    २.०० बजे

    आचार्यश्री जी का मंच पर आगमन

    २:१० बजे

    मंगलाचरण, दीप प्रज्वलन, चित्र अनावरण,

    मुख्य अतिथि द्वारा आचार्यश्री जी को श्रीफल भेंट

    २:२० बजे

     

          I.          चन्द्रगिरि की महिलाओं द्वारा प्रस्तुति

    ३:२० बजे

    मुख्य अतिथि का उद्बोधन

    ३:३० बजे

    मुनि महाराज के द्वारा गुरु गुणगान

    ४:०० बजे

    आचार्यश्री जी के अमृत वचन

    सायंकाल

    ५.३० बजे

    आचार्यभक्ति

    ६:०० बजे

    भव्य संगीतमय आरती एवं भक्ति

    ७.०० बजे

    विद्वत प्रवचन

    रात्रि ७.३० बजे

    सांस्कृतिक कार्यक्रम

    • Like 1
  7. २९ जून २०१७

    प्रातः

    समय

    कार्यक्रम

    ५:३० बजे

    आचार्य भक्ति

    ८.०० बजे

    आचार्यश्री जी का संगीतमय भव्य पूजन

    ९.०० बजे

    आचार्यश्री जी के अमृत वचन

    ९.३० बजे

    आचार्यश्री जी की आहार चर्या

    मध्याह्न

    २.०० बजे

    आचार्यश्री जी का मंच पर आगमन

    २:१० बजे

    मंगलाचरण, दीप प्रज्वलन, चित्र अनावरण,

    मुख्य अतिथि द्वारा आचार्यश्री जी को श्रीफल भेंट

    २:२० बजे

    मुख्य अतिथि द्वारा उद्बोधन

    २:३० बजे से ४:०० बजे

     

          I.        आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज का गुणानुवाद

         II.        आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के व्यक्तित्व और कृतित्व का दर्शन

    विभिन्न वक्ताओं के उद्बोधन

    ४:०० बजे

    आचार्यश्री जी के अमृत वचन

    सायंकाल

    ५.३० बजे

    आचार्यभक्ति

    ६:०० बजे

    भव्य संगीतमय आरती एवं भक्ति

    ७.०० बजे

    विद्वत प्रवचन

    रात्रि ७.३० बजे

    सांस्कृतिक कार्यक्रम

    भारतीय जन नाट्य संघ या इंडियन पीपल्स थियेटर असोसिएशन (इप्टा)  रंगमंच कर्मियों का एक दल है। इसका नामकरण प्रसिद्ध वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा ने किया था।

    इप्टा द्वारा

    “अंधेरी नगरी” शीर्षक समसामयिक नाटक का भव्य मंचन

    • Thanks 1
  8.  29 June

    प्रातः

    समय

    कार्यक्रम

    ५:३० बजे

    आचार्य भक्ति

    ८.०० बजे

    आचार्यश्री जी का संगीतमय भव्य पूजन

    ९.०० बजे

    आचार्यश्री जी के अमृत वचन

    ९.३० बजे

    आचार्यश्री जी की आहार चर्या

    मध्याह्न

    २.०० बजे

    २.०५ बजे

    आचार्यश्री जी का मंच पर आगमन

    मंगलाचरण श्रीमती रंजना जैन, श्रीमती इंदु जैन श्रीमती सुधा मलैया

    २:१० बजे

    क्षेत्र के मंत्री श्री चंद्रकांत जैन द्वारा चन्द्रगिरि की योजनाओं का ब्यौरा,

     

    २:२० बजे

    प्रतिभास्थली, रामटेक की प्रस्तुति/ बहनों द्वारा झाँकी का प्रदर्शन

    २:४० बजे

    शास्त्र भेंट

     

    २:४५

    श्री बृजमोहन अग्रवाल, कृषि मंत्री छत्तीसगढ़, एवं श्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय, राजस्व एवं शिक्षा मंत्री छत्तीसगढ़ द्वारा आचार्यश्री जी को श्रीफल भेंट

    २:५० बजे

    उद्बोधन

    सम्मान

    ३:०० बजे

    मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का आगमन

    ३:०५ बजे

    ३:०५ -३:२० बजे

    श्रीफल भेंट, पाद प्रक्षालन, दीप प्रज्वलन, चित्र अनावरण, मुख्यमंत्री का सम्मान

    मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा उद्बोधन

    ३:२० बजे से ३:५० बजे

     

          I.        आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज का गुणानुवाद

         II.        आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के व्यक्तित्व और कृतित्व का दर्शन

    विभिन्न वक्ताओं के उद्बोधन

    श्री सौरभ जैन

    श्री स्नेहल जैन (कनाडा)

    ३:५० बजे

    आचार्यश्री जी की आरती

    ३:५५ बजे

    आचार्यश्री जी के अमृत वचन

    सायंकाल

    ५.३० बजे

    आचार्यभक्ति

    ६:०० बजे

    भव्य संगीतमय आरती एवं भक्ति

    रात्रि ७.३० बजे

    इप्टा डोंगरगढ़ द्वारा अंधेर नगरी चौपट राजा का भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम

     

     

     

     

     

     

    • Like 1
  9. संयम स्वर्ण महोत्सव के मानक कार्यक्रम क्या होंगे?

    २१वीं सदी के महानतम् दिगम्बर जैन साधु, उत्कृष्ट तपस्वी, ज्ञान के सागर, जन जन के आराध्य, उत्कृष्ट दूरदृष्टा, करुणा मूर्ति, दिगम्बरत्व के उन्नायक, हिन्दी सहित सभी भारतीय भाषाओं के परम हितैषी, हिन्दी साहित्य के पुरोधा, महावीर के लघुनंदन, भारत और भारतीय संस्कृति के परम संवर्द्धक, परम पूज्य, संतों के संत आचार्य गुरुवर श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज की जैनेश्वरी दीक्षा के ५० वर्ष २८ जून २०१८ को पूर्ण हो रहे हैं और हम सब परम सौभाग्यशाली हैं कि हमें उनके युग में जन्म मिला है।  संयम स्वर्ण महोत्सव का शुभारंभ आषाढ़ शुक्ल पंचमी, तदनुसार बुधवार, दिनांक 28 जून 2017 को हो रहा है.

    संयम स्वर्ण महोत्सव का आयोजन अद्भुत और अभूतपूर्व उत्साह के साथ मनाया जाना चाहिए। यह ५० वर्ष न केवल जैन धर्म के इतिहास में अपितु विश्व इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित होंगे। हम सभी को गुरुदेव के संदेशों को जैन अजैन आबाल वृद्ध सब तक पहुँचाना है और हमें स्वयं अपने आचरण में उतारना है। यही हम सबकी अपने गुरुदेव के प्रति सच्ची श्रद्धा की अभिव्यक्ति होगी। 

    २८ जून २०१७ का आयोजन संपूर्ण भारत वर्ष में एक साथ और एक ही सुर ताल में होना चाहिए ऐसी हम सभी की भावना है, इसलिए एक मानक कार्यक्रम रूपरेखा तैयार की गई है, जो इस प्रकार है :
     
    *प्रात:काल*
    १. अपने गाँव/नगर/शहर में प्रात: 7 बजे से भव्य प्रभात फेरी/शोभा यात्रा निकालें। 
    २. प्रभात फेरी के उपरांत आचार्यश्री का संगीतमय पूजन करें । 
    ३. पूजन के बाद समाज जनों और स्थानीय विद्वानों द्वारा गुरुदेव का गुणानुवाद/उद्बोधन । 
    ४. स्वलापाहार एवं जैन-अजैन सभी को गाँव /नगर में मिठाई /प्रभावना वितरण। 
    ५. अपनी क्षमता के अनुरूप अस्पतालों, अनाथालय, वृद्धाश्रम, गरीब बस्तियों में फल/खाद्यान्न/वस्त्र/उनकी आवश्यकता के अनुरूप सामग्री आदि का वितरण अवश्य करवाएँ। जिन संस्थाओं में सामग्री वितरण करते हैं वहाँ गुरुदेव के चित्र स्थापित करवाएँ, गुरुदेव के संक्षिप्त जीवन परिचय की पुस्तिका/पत्रक आदि वितरित करवाएँ. 
     
    *दोपहर*
    ६. मंदिर परिसर अथवा आसपास के क्षेत्र में जैन समाज वृक्षारोपण का कार्य करवाए और लगाए गए वृक्षों की देखभाल का प्रबंध करे.
    ७. युवक/युवती मंडल/महिला मंडल बच्चों के लिए आचार्यश्री के जीवन, उनके साहित्य और उनके द्वारा प्रेरित योजनाओं पर आधारित प्रश्न मंच आयोजित करे और पुरस्कार प्रदान करे.
    ८. युवक/युवती मंडल/महिला मंडल मंदिर में रखी जिनवाणी, शास्त्र और ग्रंथों की साज सज्जा का कार्य करें 
     
    सायंकाल*
    ९. सायं 7:30 बजे जिनेन्द्र देव एवं आचार्यश्री की 50 दीपकों से महाआरती आयोजित करें.
    १०. रात्रि 8:15 बजे से आमंत्रित विद्वानों/त्यागीव्रतियों से प्रवचन करवाएं  
    ११. रात्रि 9 बजे से आचार्यश्री के जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंगों/जीवन पर आधारित लघु नाटिकाएँ, नृत्य नाटिकाएँ, भजन संध्या /कवि सम्मेलन /सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करें.
     
    कार्यक्रम के लिए शासन से शोभायात्रा/प्रभातफेरी निकालने हेतु अनुमति लेने का अनुरोध पत्र, गाँव/नगर के गणमान्य/प्रतिष्ठित व्यक्तियों को कार्यक्रमों/शोभायात्राओं में आमंत्रित करने हेतु पत्र, बैनर/पोस्टर, नारे, गुरुदेव के सूक्तिवाक्य, प्रेस विज्ञप्ति आदि के संभावित मानक प्रारूप शीघ्र ही इस वेबसाइट पर उपलब्ध करवाए जाएँगे, जिनका आप उपयोग करके अपने कार्यक्रमों की तैयारी कर सकेंगे . 
     
    कार्यक्रमों के लिए सामान्य निर्देश:

    instructions.thumb.jpg.550468e9ac0d8894e9cee4be12d68d48.jpg

  10. Download word file :

    1.           सावधान ज्ञान का नाम ही ध्यान है |

    2.           जो मानता स्वयं कोसबसे बड़ा है , वह धर्म से अभी बहुत दूर खड़ा है |

    3.           अर्थ की तुला से परमार्थ को मत तौलो |

    4.           अर्थ के पीछे अनर्थ मत करो |

    5.           उद्योग में हिंसा समझ में आती है,  हिंसा का उद्योग समझ से परे है |

    6.           धन की प्राप्ति कदाचित पुण्य का फल हो सकता है,  पर उसका सदुपयोग तपस्या का फल है |

    7.           जीवन का उपयोग करो, उपभोग नहीं |

    8.           अभिमान पतन का कारण है|

    9.           संसार से मोक्ष की ओर जाना है तो बस इतना करो कि जिधर मुख हैउधर पीठ कर लो और जिधर पीठ है उधर मुख कर लो

    10.       गुरु की आज्ञा में चलना ही गुरु की सच्ची विनय हैं |

    11.       आवेग में विवेक मत खोओ|

    12.       बहुत नहीं बहुत बार पढ़ो |

    13.       पेट भरने की चिंता करो, पेटी भरने की नहीं|

    14.       अपने धन को द्रव्य बनाओ और उसे वहां पहुंचाओ जहां उसकी आवश्यकता है|

    15.       जिस व्यक्ति का हृदय दया से भीगा नहीं है, उस हृदय में धर्म का अंकुर नहीं फूट सकता|

    16.       वासना का सम्बन्ध न तो तन से हैं और न वसन से है, अपितु माया से प्रभावित मन से है|

    17.       किसी के दुख को देख कर दुखी होना ही सच्ची सहानुभूति है। 

    18.       मरहम पट्टी बांधकर व्रण का कर उपचार,  ऐसा यदि ना बन सके डंडा तो मत मार।

    19.       लायक बन नायक नहीं, करना है कुछ काम,  ज्ञायक बन गायक नहीं, पाना है शिवधाम|

    20.       उस पथिक की क्या परीक्षा पथ में शूल नहीं,  उस नाविक की क्या परीक्षा धारा प्रतिकूल नहीं|

    21.       प्रतिभा देश की सबसे बड़ी संपत्ति है इसका पलायन नहीं होना चाहिए

    22.       धन का संग्रह अनुग्रह के लिए करो परिग्रह के लिए नहीं |

    23.       तुम भीतर जाओ,तुम्बी सम, तुम भीतर जाओ|

    24.       जो दिख रहा है वह मैं नहीं हूँ, जो देख रहा है वह मैं हूं|

    25.       मन की मलिनता धर्म की तेजस्विता को नष्ट कर देती है |

    26.       यदि तुम समर्थ हो तो असमर्थो को समर्थ बनाओ,यही समर्थ होने का सच्चा लाभ है |

    27.       सत्य केवल शाब्दिक अभिव्यक्ति का साधन नहीं, अनुभूति की साधना है|

    28.       जैसे पानी के प्रवाह के बिना नदी की शोभा नहीं होतीवैसे ही नैतिकता के अभाव में मनुष्य की शोभा नहीं|

    29.       मनुष्य के अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है उसका प्रमाद|

    30.       दूसरों की निंदा करना सबसे निंदनीय कार्य है|

    31.       अपनी वासना का शमन ही सच्ची उपासना है |

    32.       संघर्षमय में जीवन का उपसंहार हमेशा हर्षमय होता है|

    33.       जीवन के उतार चढ़ाव में ठहराव बनाए रखना ही जीने की कला है|

    34.       आदेश नहीं अनुरोध की भाषा का प्रयोग करो |

    35.       वीतरागी बनने का  ध्येय रखे, वित्त रागी नहीं।

    36.       अच्छे लोग दूसरों के लिए जीते हैं जबकि दुष्ट लोग दूसरों पर जीते हैं|

    37.       नम्रता से देवता भी मनुष्य के वश में हो जाते हैं|

    38.       जिस तरह कीड़ा कपड़ों को कुतर देता है, उसी तरह ईर्ष्या मनुष्य को|

    39.       जिन्हें सुंदर वार्तालाप करना नहीं आता, वही सबसे अधिक बोलते हैं|

    40.       दूसरों के हित के लिए अपने सुख का त्याग करना ही सच्ची सेवा है|

    41.       धर्म पंथ नहीं पथ देता है|

    42.       चार पर विजय प्राप्त करो- १. इंद्रियों पर २. मन पर ३. वाणी पर ४. शरीर पर|

    43.       यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं|

    44.       डरना और डराना दोनों पाप है|

    45.       चरित्रहीन ज्ञान जीवन का बोझ है|

    46.       सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता|

    47.       अहिंसा की ध्वजा जहाँ लहराती है, वहाँ सदा मंगलमय वातावरण रहता है।

    48.       उस ओर कभी मत जाओ, जिस ओर तुम्हारे चरित्र में पतन होने का खतरा हो।

    49.       देशवासी का प्रथम कर्तव्य अपने देश के स्वाभिमान की रक्षा करना हैं |

    50.       क्रोध रुपी  अग्नि, पूण्य रूपी रत्नों को जल देती हैं |

    51.       क्रोध अपने स्वभाव की कमजोरी है |

    52.       क्रोध में बोध नहीं होता और क्षमा में विरोध नहीं होता |

    53.       क्रोध मनुष्य के जीवन को एकाकी बनाता है |

    54.       गुरू ही परमात्मा तक पहुँचाते हैं |

    55.       गुरू की आज्ञा और वचन, सूत्र के सामान होते हैं |

    56.       जिसका हदय दया से द्रवीभूत नहीं हैं, उसमें धर्म के अंकुर संभव ही नहीं हैं |

    57.       दीन-दु:खी जीवों की पीड़ा देखकर जिनकी आँखों में पानी नहीं आता, वह आँख, आँख नहीं छेद है, फिर छेद तो नारियल में भी होता हैं |

    58.       नम्रता के आगे कठोरता सदैव पिघलती है |

    59.       दया धर्म से ही धर्म की रक्षा संभव है |

    60.       दया और करुणा के अभाव में मानवता का प्रकाश प्राप्त होना संभव नहीं |

    61.       दयाधर्म की रक्षा करना ही मानवता की रक्षा करना है |

    62.       हम किसी को जीवन नहीं दे सकते, किन्तु जीवन बचा तो सकते हैं |

    63.       महत्वपूर्ण जन्म नहीँ, जीवन है |

    64.       सरलता, सादगी और सदभावना ही जीवन का सही धर्म है |

    65.       धन से सुविधायें मिल सकती है, सुख नहीं

    66.       परिश्रम से अर्जित धन सौभाग्य का दाता होता है |

    67.       परलोक गमन के समय पैसा नहीं पुण्य काम आता है |

    68.       ज्ञान एक ऐसा धन हैं, जो मन को भी अपने वश में कर लेता है

    69.       जोड़ने का प्रयत्न करो, तोड़ने का नहीं, क्योंकि तोड़ना सरल है पर जोड़ना काफी कठिन है |

    70.       सबके कल्याण की भावना रखने वाला अपने कल्याण का बीजारोपण कराता हैं |

    71.       दूसरे का हित करके अपने हित का साधन करना चाहिए |

    72.       सत्य परेशांन हो सकता है, परंतु पराजित नहीं |

    73.       समय देना महत्वपूर्ण नहीं, समय के अनुरूप कार्य करना महत्वपूर्ण है |

    74.       अवसर आने पर जो उपकार किया जाता है, वह देखने में भले ही छोटा हो पर वास्तव में सबसे बड़ा होता है |

    75.       आपकी अपनी असफलता में ही सफलता का रहस्य छुपा होता है |

    76.       आधुनिकता की होड़ में अपनी मूल संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए |

    77.       दीपक के तरह की जलना नहीं, सूर्य के तरह चमकना सीखो |

    78.       पथिक को पहले पथ नहीं प्रकाश चाहिए |

    79.       कत्लखाने भारतीय इतिहास के लिये कलंक हैं |

    80.       क़त्लखानों का आधुनिकीकरण दुर्भाग्यपूर्ण है |

    81.       आस्था मस्तिष्क में नहीं हृदय में जन्मती है, अत: हमारी आस्था का केन्द्र ज्ञान सम्पन्न मस्तिष्क नहीं, बल्कि भावना सम्पन्न हृदय होता है |

    82.       ही एकान्त का प्रतीक है और "भी" अनेकान्त का |“ही में किसी की अपेक्षा नहीं है जबकि "भी" पर के अस्तित्व को स्वीकार करता है |

    83.       हमें दूसरों की बात बिना पूर्वाग्रह के सुनना चाहिए, यही तो अनेकान्त का मूल मन्त्र है|

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