#आचार्यश्रीविद्यासागरजीमुनिराज
#जैनतीर्थबंधा
प.पू. श्रीमद् जैनाचार्य विद्यासागर महामुनिराज जैन तीर्थ बंधा जी,जतारा, जिला-टीकमगढ,म.प्र. में 41 निर्ग्रन्थ बाल ब्रह्मचारी मुनियो के संघ सहित विराजमान है।
आज आचार्यश्री विद्यासागर जी मुनिराज का व संघस्थ मुनिगणो का आज #केश्लोंचन हुआ
केश्लोंचन कर्ता मुनि
आचार्यश्री विद्यासागर मुनिराज
मुनि योगसागर मुनिराज
मुनि सौम्यसागर मुनिराज
मुनि विनम्रसागर मुनिराज
मुनि निरापदसागर मुनिराज
मुनि संधानसागर मुनिराज
मुनि श्रमणसागर मुनिराज
केश्लोचन दिगम्बर जैन मुनि की तपस्या का मूलगुण है इसके अन्तर्गत मुनि अपने सिर व दाढी-मूँछ के बालो को बिना किसी उपकरण या औषधि के अपने ही हाथो से खींचकर तोड़ते है इस दिन मुनियो को निर्जल उपवास करना होता है,यह क्रिया 2,3 या अधिकतम 4 मास में एक बार करना अनिवार्य है, आचार्य विद्यासागर जी 2 माह से भी कम समय में केश्लोंचन करते है।
बंधा जी 1500 साल पुराना जैन तीर्थ है जहाँ 900 वर्ष प्राचीन तीर्थंकर अजितनाथ जी की मनभावन दिगंबर मूर्ति है यहाँ इससे भी प्राचीन और कई मूर्तियाँ है।
आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से व उनके शिष्य मुनि अभयसागर जी मुनिराज के निर्देशन में इस तीर्थ का जीर्णोद्धार हुआ और आज यह मध्यप्रदेश के प्रमुख जैन तीर्थो की पंक्ति में शुमार है।
संस्कृति संरक्षक आचार्य विद्यासागर जी मुनिराज जयवंत हो
तीर्थ जीर्णोद्धारक मुनि अभयसागर जी मुनिराज जयवंत हो
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