Jump to content
नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

Samprada Jain

Members
  • Posts

    29
  • Joined

  • Last visited

 Content Type 

Forums

Gallery

Downloads

आलेख - Articles

आचार्य श्री विद्यासागर दिगंबर जैन पाठशाला

विचार सूत्र

प्रवचन -आचार्य विद्यासागर जी

भावांजलि - आचार्य विद्यासागर जी

गुरु प्रसंग

मूकमाटी -The Silent Earth

हिन्दी काव्य

आचार्यश्री विद्यासागर पत्राचार पाठ्यक्रम

विशेष पुस्तकें

संयम कीर्ति स्तम्भ

संयम स्वर्ण महोत्सव प्रतियोगिता

ग्रन्थ पद्यानुवाद

विद्या वाणी संकलन - आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रवचन

आचार्य श्री जी की पसंदीदा पुस्तकें

Blogs

Events

Profiles

ऑडियो

Store

Videos Directory

Blog Comments posted by Samprada Jain

  1. ? Thank U! For Sharing.?

     

    धीरे धीरे परिग्रह को त्याग करते जाना ही आकिंचन धर्म की तरफ आरूढ़ होना माँना गया है।

     

    मछली को जल से बाहर निकलते ही बह तड़पने लगती है क्योंकि बहार आक्सिजन ज्यादा होती और पानी में कम होती है जो उसके अनुकूल होती है। ऐंसे ही धन को ज्यादा मात्रा में रखने से बह भार बन जाता है इसलिए समय समय पर उसे सदुपयोग में लगाकर परिग्रह के भार से मुक्त हो जाना चाहिए।

    ~~~ उत्तम आकिंचन धर्मांगाय नमो नमः।

    ~~~ जय जिनेंद्र, उत्तम क्षमा!

    ~~~ जय भारत।

    2018 Sept. 22 Sat. 13.02 @ J

×
×
  • Create New...