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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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  1. आचार्यश्री ने कहा धन को गाड़ना नहीं उगारना उन्होंने कहा ललितपुर में आज बहुत बदलाब आ गया है पंचकल्याणक के पात्रों का हुआ चयन विनोद कामरा सौधर्मेन्द्र और ज्ञानचंद्र इमलिया बने कुबेर आचार्यश्री के बुंदेली भाषा में प्रवचन सुन श्रोता हुए लोटपोट नगर में बह रही है धर्म की बयार ललितपुर- नगर के स्टेशन रोड स्थित क्षेत्रपाल मंदिर में विराजमान संत शिरोमणि राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज के दर्शनों के लिए निरंतर तांता लगा रहता है। हजारों की संख्या में जहां नगर के श्रद्धालु क्षेत्रपाल मंदिर में मौजूद रहते हैं वहीं देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उनके दर्शनों के लिए पहुँच रहे हैं। गुरुवार को प्रातः विशाल धर्म सभा का आयोजन किया गया जिसमें सर्वप्रथम मंचासीन त्यागी व्रतियों ब्रह्मचारी भैयागणों ने आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्ज्वलन किया। इसके बाद आचार्यश्री की पूजन भक्ति संगीत के साथ की गई। पूजन करने का सौभाग्य जैन पंचायत समिति और पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति के सभी पदाधिकारियों को प्राप्त हुआ। आचार्यश्री के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य बड़ा जैन मंदिर के प्रबंधक वीरेंद्र जैन प्रेस परिवार और अटा जैन मंदिर के प्रबंधक भगवानदास संतोष जैन राजेश जैन कैलगुवा परिवार को प्राप्त हुआ वहीं शास्त्र भेंट करने का सुअवसर प्रदीप कुमार प्रसन्न जैन नौहरकला परिवार तथा जैन पंचायत के अध्यक्ष अनिल अंचल परिवार को प्राप्त हुआ। आचार्यश्री ने आज के अपने मंगल प्रवचन की शुरुआत बुंदेली भाषा से जैसे ही की धर्मसभा में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं ने तालियों की आवाज गुंजायमान कर दी। आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने कहा की तनक-सो का अर्थ क्या होता है? पता है न आपको। इसका अर्थ होता है थोड़ा-सा। अपने स्वभाव की ओर देखना है वह न तनक सा है न मनक सा। उसकी जिसको भनक होती है वही देख सकता है। लोहा और स्वर्ण का उदाहरण देकर समझाते हुए उन्होंने कहा कि लोहा एक धातु है और स्वर्ण भी एक धातु है, लेकिन दोनों में अंतर बहुत है। लोहा कीचड़ में गिर गया तो गया। वैसे ही हमें जैसा हवा पानी मिल जाय तो सब अपना रूप बदलना प्रारंभ कर देते हैं। कीचड़ में गिरा वह लोहा जंग खा जाता है। उसके बाद उसकी दशा बुरी हो जाती है क्योंकि वह पर को अपनाता है। जो मोह के साथ रहता है वह न तो स्वयं में रहता है न ही पर में रहता है। सोना गाड़ के रख देते हो तो उसे कुछ भी नहीं होता है। क्योंकि वह दूसरों को पकड़ता नहीं है। लोहे की दशा विपरीत है इसलिए उसमें जंग लग जाती है और अंततः वह नष्ट हो जाता है। अब आप ही बताओ कि सोने के हो या और किसी धातु के। भगवान के ऊपर आप धारा पीतल के कलश से करो , चांदी से करो या तनक सी सोने की लुटिया से करो। सभी दर्शक यह सुनकर मुस्करा उठते हैं। उन्होंने दर्शकों से पूछा भगवान को खुश करना बहुत कठिन है न। हम यह समझते हैं भगवान हम से राजी हो जाएं , वह किसी से न राजी होते हैं न नाराज । ललितपुर मैं 32 वर्ष पूर्व अपने प्रवास का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज बहुत बदलाब आ गया है। पहचान मुश्किल है। क्षेत्रपाल मंदिर में विराजमान अभिनन्दन भगवान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनके सामने पहुँचने पर ऐसा लगता है जैसे कोई पंचकल्याणक हो रहा हो। उन्होंने कहा कि आगे के लिए कमाई हो रही है।उन्होंने चंचला लक्ष्मी (धन) की ओर इशारा करते हुए कहा कि गाड़ना नहीं उगारना। उन्होंने कहा इससे भक्त तो बन जाओगे लेकिन भगवान नहीं बन पाओगे। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से मुस्कराते हुए पूछा कि आप लोगों को भगवान बनना है न। तो एक स्वर में आवाज आई हां। इस पर आचार्यश्री ने मंद-मंद मुस्कराते हुए बुंदेली भाषा में पूंछा-ऊसई-ऊसई की सई में। तो जनसमुदाय ने जबाब दिया सई में यानी सही में भगवान बनना है। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी योगेन्द्र बहादुर एवं सपा जिलाध्यक्ष ज्योति कल्पनीत भी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। नगर के पत्रकार बंधुओं ने भी बड़ी संख्या में अग्रिम पंक्ति में बैठकर धर्मलाभ लिया। इस दौरान दानवीर, भामाशाह आर. के.मार्बल समूह के मुखिया अशोक पाटनी मदनगंज-किशनगढ़ राजस्थान, अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के नव निर्वाचित अध्यक्ष प्रभात जैन, राजा भाई सूरत, पारस चेनल के चेयरमैन पंकज जैन , दिल्ली, विनोद बड़जात्या, कवि चन्द्रसेन भोपाल, केलिफोर्निया से आये प्रदीप कुमार, प्रदीप छतरपुर, मुकेश जैन ढाना सागर और जिनवाणी चेनल के चेयरमैन आदि बाहर से आये समाज श्रेष्ठियों ने आचार्यश्री के चरणों में श्रीफ़ल समर्पित कर आशीर्वाद लिया। संचालन प्रतिष्ठाचार्य ब्र. विनय भैया जी व ब्र. सुनील भैया जी ने किया। आहारचर्या के दौरान चौका लगाने वालों में भारी उत्साह देखा गया। नगर में आज 320 चौके लगाए गए थे जो एक रिकार्ड है।आज आचार्यश्री के आहार कराने का सौभाग्य नरेंद्र जैन छोटे पहलवान परिवार को प्राप्त हुआ। अतिथियों का स्वागत स्वागत अध्यक्ष नरेन्द्र कड़ंकी, संयोजक प्रदीप सतरवांस, क्षेत्रपाल मंदिर के प्रबंधक द्वय मोदी पंकज जैन पार्षद, राजेन्द्र जैन, कैप्टन राजकुमार जैन आदि ने किया। श्रीजी का वार्षिक विमानोत्सव शुक्रवार को : जैन पंचायत के अध्यक्ष अनिल अंचल व महामंत्री डॉ. अक्षय टडैया ने बताया कि 23 नवंबर को प्रति बर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रीजी की वार्षिक विमान यात्रा भव्य रूप में आचार्य श्री विद्यासागर जी के ससंघ सान्निध्य में प्रातः 6 बजे से निकाली जाएगी। नगर के सभी मंदिरों से श्रीजी के विमान अपने स्थान से प्रारंभ होंगे। श्रीजी की शोभा यात्रा घंटाघर, तुवन चौराहा, वर्णी चौराहा होते हुए क्षेत्रपाल जैन मंदिर पहुँचेगी। आयोजन को लेकर भव्य तैयारी की गई है। पंचकल्याणक के पात्रों का हुआ चयन : आचार्यश्री के सान्निध्य में ब्र. विनय भैया के निर्देशन में 24 नवम्बर से दयोदय गौशाला मसौरा परिसर में होने जा रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव के पात्रों का चयन दोपहर में किया गया । जिसमें सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य विनोद कुमार, देवेंद्र कुमार, मुकेश, राकेश, सुनील कामरा परिवार को प्राप्त हुआ। कुबेर बनने का सौभाग्य ज्ञानचंद्र, संतोष कुमार, सुनील कुमार समस्त इमलिया परिवार को मिलेगा। महायज्ञनायक सेठ शिखरचंद्र , सुभाष, सुरेन्द्र , लोकेश कुमार सराफ किसलवास परिवार व राजा श्रेयांस वीरचन्द्र , विपिन कुमार सराफ न्यू नूतन ज्वेलर्स परिवार को प्राप्त हुआ। मूलनायक मुनिसुव्रतनाथ की प्रतिमा पहुँची क्षेत्रपाल मंदिर : गौ शाला में नव निर्मित मंदिर में प्रतिष्ठित होकर विराजमान होने वाली मूलनायक मुनिसुव्रतनाथ की प्रतिमा आज क्षेत्रपाल मंदिर पहुँची, जहां भगवान को निहारने, दर्शन के लिये भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। प्रतिमा की प्रतिष्ठा पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में होगी।
  2. ललितपुर पात्र चयन सौधर्म इंद्र- श्रेष्ठि श्री विनोद कामरा परिवार कुवेर- श्रेष्ठि श्री ज्ञान चंद जी जैन इमलिया, अध्यक्ष गौशाला। महायज्ञनायक - श्रेष्ठि शिखरचंद सराफ परिवार राजा श्रेयांस का पात्र बनने का सौभाग्य श्री वीर चन्द्र जी सर्र्राफ जी के परिवार को प्राप्त हुआ
  3. आचार्य पदारोहण दिवस
  4. धन्य हो गई आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ के आगमन से लालित्य नगरी आचार्यश्री के पदविहार में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, ऐतिहासिक रूप में हुआ नगर प्रवेश पगडण्डी कहाँ चली गयी जो पहले थी : आचार्य श्री विद्यासागर जी बुंदेलखंडी 'हओ' पर श्रद्धालुओं को खूब गुदगुदाया आचार्यश्री ने कई किलोमीटर की लंबाई थी अगुवानी के जनसैलाव की ललितपुर। जिस घड़ी का इंतजार ललितपुर वासियों को तीन दशक से अधिक समय से था वह इंतजार 21 नवम्बर को पूरा हो गया जब साधना के सुमेरु भारतीय संस्कृति के संवाहक संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज अपने विशाल संघ के साथ ललितपुर नगर में प्रवेश किया। आचार्यश्री का पदविहार वांसी से ललितपुर की ओर प्रातःकाल 6 बजे शुरू हुआ।जैसे ही लोंगो ने आचार्य श्रेष्ठ के नगर आगमन की सुनी तो खुशियों का ठिकाना नहीं रहा।कोई पैदल तो कोई गाडी से पदविहार में सम्मिलित होने के लिए पहुंचा। इतनी सुबह सुबह भारी जनसैलाव उमड़ा देख रास्ते में पड़ने वाले गांवों के लोग भी उमड़ पड़े और आचार्यश्री की एक झलक पाने को लालायित देखे गए। जन सैलाव इतना था कि पुलिस प्रशासन लोगों से दूर से ही दर्शन करने की अपील कर रहे थे। बांसी से (ललितपुर से दूरी 20 किलोमीटर) ही हजारों की संख्या में बिना जूते-चप्पल के श्रद्धालु चल रहे थे। जैसे-जैसे आचार्यश्री के पग आगे बढ़ रहे थे श्रद्धालुओं का जन सैलाव बढ़ता ही जा रहा था। हाइवे पर दूर-दूर तक अपार भीड़ ही भीड़ दिख रही थी। आलम यह था कि रोड की दूसरी ओर चलने वाले वाहनों को भी रुक-रुक चलना पड़ रहा था। इस दौरान आगे-पीछे और बीच में बड़ी संख्या में पुलिस प्रशासन व्यवस्था को सुचारू करने में लगे थे। आचार्यश्री के आगे आगे बैंड बाजे चल रहे थे इसके बाद पचरंगा झंडे लेकर कार्यकर्ता चल रहे थे इसके बाद पुलिस के पदाधिकारी चल रहे थे जो आचार्यश्री के दर्शन लोगों से दूर से करने की अपील कर रहे थे ताकि पद विहार में बाधा उत्पन्न न हो। इसके बाद आचार्यश्री संघ सहित चल रहे थे पश्चात उनसे कुछ दूरी पर जन सैलाब चल रहा था। नगर में पूर्व से विराजमान मुनि श्री अविचल सागर जी ने नदनवारा पहुँचकर आचार्यश्री के चरणों में नमोस्तु पूर्वक नमन किया। रास्ते में रंग-बिरंगे गुब्बारे आकाश में छोड़े जा रहे थे। आचार्यश्री पदविहार करते हुए महर्रा ग्राम स्थित आदिनाथ कालेज प्रांगण में पहुंचे जहाँ पर मुख्य द्वार पर कालेज प्रबन्धन ने आचार्यश्री का वंदन किया। इसके पूर्व जैन पंचायत समिति और पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति के पदाधिकारियों ने आचार्यश्री के चरणों में श्रीफ़ल समर्पित कर आरती की। आदिनाथ कॉलेज में सबसे पहले आचार्यश्री की पूजन भक्ति भाव से की गई। इस अवसर पर उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारी एक चीज गुम गयी है। मैं आ रहा था, आप लोग भी आ रहे थे। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या वह चीज आप लोगों को मिल गयी? इस पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने कहा 'हओ'। इस पर चुटकी लेते हुए आचार्यश्री ने कहा कि ललितपुर में भी 'हव' चलता कि नहीं। इस पर जन समुदाय ने कहा 'हओ'। उन्होंने कहा कि जो मतलब आप लोग समझ रहे हैं वह नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि मैं सोच रहा था कि भूल गए हैं आप लोग। उन्होंने कहा कि अब पगडण्डी जीवित है कि नहीं। अब शायद पगडण्डी जीवित नहीं रह पाएगी क्योंकि पगडंडियों पर चलाना तो चाहते हैं लेकिन चलना नहीं चाहते। अंत में उन्होंने कहा कि वाहनों पर लिखा रहता है 'फिरमिलेंगे'। संचालन संघस्थ ब्र. सुनील भैया जी ने किया। एसडीएम सदर घनश्याम वर्मा ने महर्रा पहुँचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया और अधिकारियों को समुचित दिशा निर्देश दिए। आचार्यश्री की आहारचर्या महर्रा स्थित आदिनाथ कॉलेज परिसर में हुई। सामायिक के बाद महर्रा से ललितपुर नगर की ओर विहार हुआ जिसमें पूरा नगर उमड़ पड़ा। आज ललितपुर के इतिहास में एक नया इतिहास जुड़ गया। लोग कह रहे थे उन्होंने आज तक किसी संत के नगर आगमन पर इतना जनसैलाव उमड़ते नहीं देखा है। प्रवेश के दौरान पूरे रास्ते में पड़ने वाले व्यापारिक प्रतिष्ठानों के मालिकों द्वारा अपने द्वार पर स्वयं सजावट और स्वागत की गई थी। आचार्यश्री के नगर में प्रवेश करते ही ऐसा लग रहा था जैसे पूरा शहर थम गया हो, एकमात्र आचार्यश्री के दर्शनों को लाखों आँखे निहार रही थी। सभी समुदाय के लोग आचार्यश्री को नमन कर रहे थे और स्वागत वंदन के लिए खड़े हुए थे। नगर प्रवेश का दृश्य अपने आप में देखने योग्य था। पुलिस अधीक्षक ओपी सिंह , अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में सुरक्षा व्यवस्था में लगे हुए पुलिस अधिकारी और सिपाही बड़े ही आनंद के साथ आचार्यश्री के आगे और पीछे दौड़ते भागते चल रहे थे। प्रशासन की ओर से सुरक्षा के समुचित प्रबंध किए गए थे। पंचायत समिति ने नगर की सीमा चंदेरा पर भव्य अगुवानी की। इसके बाद विशाल जनसैलाब गल्लामंडी, इलाइट चौराहा, जेल चौराहा, तुवन चौराहा होते हुए विशाल शोभायात्रा स्टेशन रोड स्थित क्षेत्रपाल मंदिरजी पहुँची। रास्ते में लोगों ने श्रद्धालुओं को जल, मिठाई, फल देकर उनका खूब स्वागत किया। रास्ते में जहॉ नवयुवक करतब दिखाते हुए चल रहे थे वहीं अनेक बग्गियां, घोड़े पर ध्वज लेकर चल रहे थे। विभिन्न स्वयंसेवी संगठन अपनी सेवाएं दे रहे थे। जिसने भी आज का यह नजारा देखा कह उठा अद्भुत, अकल्पनीय, ऐतिहासिक, भूतो न भविष्यति। नगर में जब जुलूस चल रहा था तो जिसको जहॉ जगह मिली वहॉ से इन अमूल्य पलों को देखने को आतुर थे। ऐसी कोई छत नहीं थी जिस पर बड़ी संख्या में नगरवासी न हो। कई लोग जब जगह नहीं मिली तो अन्य साधनों पर चढ़कर देख रहे थे। अनेक लोग तो वृक्षों पर चढ़कर इन पलों के साक्षी बन रहे थे। सचमुच अद्भुत नजारा। शब्द ही नहीं है आज के इस भव्यता से पूर्ण मंगल प्रवेश के वर्णन के लिए। क्षेत्रपाल मंदिर पहुँचने पर आचार्यश्री की भव्य अगुवानी की गई । इस दौरान तैयार विशेष मंच से जब आचार्यश्री संघ सहित चल रहे थे वह दृश्य अपने आपमें देखने योग्य, ऐतिहासिक और दर्शनीय था। चारों ओर से इस दौरान आवाज आचार्यश्री नमोस्तु की आवाज गुंजायमान हो रही थी। यह पल सभी अपने मोबाइल में भी कैद कर रहे थे। बैरिकेट लगे होने के बाद भी उसके अंदर पुलिस प्रशासन और स्वयंसेवी संगठनों के कार्यकर्ताओं को हाथ से हाथ पकड़कर सुरक्षा जंजीर बनानी पड़ी। मैं भी इस व्यवस्था में शामिल होकर इन अद्भुत नजरों को करीब से देखकर पुलकित हो रहा था। आज नगर वासियों की भक्ति देख सचमुच लग रहा था कि नगर में चलते-फिरते भगवान आये हैं। अनेक हमारे जैनेतर भाई कह भी रहे थे ये तो धरती के देवता हैं। इनका दर्शन आखिर कौन नहीं करना चाहेगा। नगर में उत्सव जैसा माहौल था। पाठशाला के बच्चे आचार्यश्री के अभियान हथकरघा, इंडिया नहीं भारत बोलो आदि की तख्तियां लेकर चल रहे थे। कई किलो मीटर की लंबाई में अगुवानी जुलूस देखने योग्य था। आचार्यश्री के नगर आगमन पर स्वागत के लिये पूरा शहर सजाया गया था। सड़क के ऊपर किनारों में झिलमिल चमकनी तो नीचे रंगोली बनाई गई थी। अनेक स्वागत द्वार बनाये गए थे। शहर के लोग धरती के देवता को अपने बीच पाकर धन्य हो रहे थे। जयकारों से आकाश गुंजायमान हो रहा था। विभिन्न परिधानों में महिलाएं स्वागत के लिए खड़ी थी।उल्लेखनीय है कि जहां बतौर राज्य अतिथि उनका प्रथम नगर बार नगर आगमन हो रहा था तो वहीं वह 31 वर्ष बाद नगर में आ रहे थे। उधर जैन शिक्षक सामाजिक समूह के सदस्यों ने आचार्यश्री के नगर आगमन की ख़ुशी में जिला अस्पताल में फल वितरण किया। नगर सजाने में वीर क्लब का योगदान रहा। इस अवसर पर राज्यसभा सासंद चंद्रपाल यादव, विधायक रामरतन कुशवाहा, सपा जिलाध्यक्ष ज्योति कल्पनीत, नगर पालिका अध्यक्षा रजनी साहू आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। नगर पालिका के पार्षदगण उपस्थित रहे। गोलाकोट, खनियाधाना से बड़ी संख्या में लोग बसों से आये हुए थे साथ ही में गुरुकुल के बच्चे गुरुवर गोलाकोट चलो की तख्तियां लेकर चल रहे थे। इस दौरान ललितपुर के साथ ही बार, बांसी, कैलगुवा, गदयाना, महरौनी, मड़ावरा, पाली, तालबेहट, बबीना,जखौरा, बिरधा, टीकमगढ़, सागर, शिवपुरी, झाँसी, ग्वालियर,बीना, खिमलासा, दिल्ली, दमोह, ग्वालियर, छतरपुर, बरुआसागर आदि अनेक स्थानों के बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल रहे। नगर के सभी पत्रकार बंधु भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। जैन पंचायत समिति , पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव समिति, नगर की सभी स्वयंसेवी संस्थाओं, उप समितियों का योगदान उल्लेखनीय रहा। आचार्यश्री के देश-विदेश में लाखों की संख्या में भक्तों को देखते हुए इस भव्य मंगल प्रवेश का जिनवाणी चैनल पर लाइव प्रसारण भी किया गया, जिसे देश -विदेश में देखा देखा गया। उल्लेखनीय है कि आचार्यश्री के सान्निध्य में मसौरा स्थित दयोदय गौशाला परिसर में श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव 24 नवम्बर से 30 नवंबर तक बड़े ही उत्साह से होने जा रहा है। अनियत विहारी का विहार : आचार्य विद्यासागर जी महाराज कभी किसी को बता के विहार नहीं करते इसलिए उनके आगे अनियत विहारी संत लिखा जाता है। ललितपुर नगर प्रवेश को लेकर यह देखने भी मिला है। नगरवासी 22 नवम्बर को उनके नगर प्रवेश की पूर्ण संभावना मानकर चल रहे थे। 22 नवम्बर के हिसाब से ही लोग तैयारी में जुटे थे। बाहर से आने वाले इष्ट मित्र, रिश्तेदारों को भी यही सूचना दी गयी थी। लेकिन अचानक ही 21 तारीख को आचार्यश्री का मङ्गल पदार्पण नगर में हो गया। आज जब इतना जनसैलाव उमड़ पड़ा था यदि निर्धारित तिथि 22 नबम्बर को प्रवेश होता तो न जाने कितना जनसैलाव उमड़ता। जिलाधिकारी, एसपी पहुँचे आशीर्वाद लेने : शाम को क्षेत्रपाल मंदिर पहुंच कर जिलाधिकारी श्री मानवेन्द्र सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री ओपी सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक श्री अवधेश विजेता ने आचार्य श्री विद्या सागर जी मुनिराज के दर्शन कर आशीर्वाद लिया और नगर आगमन पर उनको वंदन करते हुए नगरवासियों का सौभाग्य बताया। -डॉ. सुनील जैन संचय,ललितपुर मीडिया प्रभारी
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