मै पहली बार कुण्लपुर गई और हमने सबसे पहले बड़े बाबा के दर्शन किए और बड़े बाबा कि जिन प्रतिमा को देखकर प्रभु की प्रभुता का अनुभव हो रहा था और लग रहा था कि संसार मे प्रभु से विशाल कोई चीज नही है। फिर मैने पहली बार इतने सारे मुनिराजो और आर्यिकाओ के दर्शन किए जिन्हे मै टीवी और मोबाईल मे सुना करती थी बहुत अच्छा लगा दर्शन करके। और सबसे अच्छा तो फेरी के समय लगा जैसे ही आचार्य श्री जी पंड़ाल मे आऐ वैसे ही ठंड़ी ठंड़ी हवा चलने लगी और फिर बहुत अच्छे से आचार्य श्री जी के दर्शन हुए और बहुत ही अच्छा दृश्य था चारो तरफ बड़े बाबा और छोटे बाबा के भक्त थे सभी मे बहुत उत्साह था और कार्यकर्ताओ ने भी बहुत अच्छी सेवा दी। और फिर विनम्रसागर जी के प्रवचन सुने जिसको सुनने बाद लगा हम लोग कितने पुण्यशाली है जो इसका हिस्सा बने और सबकुछ बहुत ही अच्छा था जितना कहे उतना ही कम।