Aashika jain
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Posts posted by Aashika jain
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जैसे सूरज के प्रकाश बिना
दिन में उजास नहीं होती,
वैसे ही गुरु नाम के बिना
दिन की शुरुवात नहीं होती।
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बदल जाओ वक्त के साथ,
या वक्त बदलना सीखो,
गुरु के चरणों में रहकर ही,
जीवन में आगे बढ़ना सीखो।।
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आसमां में चाहे हो
कितने भी तारे,
पर विद्यागुरु ही है ,
इस धरती के सितारे,
चाँद की चांदनी भी,
क्या प्रकाश फैला पायेगी?
जब मेरे गुरु की आभा
पर उसकी नज़र जायेगी।
शरद पूर्णिमा के चाँद ,
से शीतलता हमने पाई है,
हर जन्म में मिले विद्यागुरु,
बस यही प्रार्थना दोहराई है।।
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आसमां में चाहे हो
कितने भी तारे,
पर विद्यागुरु ही है ,
इस धरती के सितारे,
चाँद की चांदनी भी,
क्या प्रकाश फैला पायेगी?
जब मेरे गुरु की आभा
पर उसकी नज़र जायेगी।
शरद पूर्णिमा के चाँद ,से शीतलता हमने पाई है,
हर जन्म में मिले विद्यागुरु,
बस यही प्रार्थना दोहराई है।। -
जो कल था उसे भूलकर तो देखो,
जो आज है उसे जीकर तो देखो,
आने वाला कल अपने आप संवर जाएगा,
एक बार गुरुचरणों में बैठकर तो देखो।।
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वो गुरु ही हैं,
जो करते बेड़ा पार,
ऐसे गुरुवर को,
नमस्कार हो बारम्बार।।
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दीपक सा होते है गुरु,
फैलाते ज्ञान का प्रकाश,
सिखा देते सबकुछ उन्हें,
जो कर लेते गुरु पर विश्वास।।
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हमें नाम नही चाहिए,
हमें बेनाम रहने दो,
हमें हमारे गुरुवर् का
गुलाम ही रहने दो।।
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बुद्धी के शिरोमणि,
ज्ञान का भंडार है गुरू,
चेतना के चिंतन,
हम सबका संसार है गुरु।।
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गुरु को पूजना तो,
मेरा हर दिन काम है,
पर मेरे हर रोम रोम में,
सिर्फ गुरु का ही नाम है।।
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धरती और अम्बर भी देखो,
हर समय यही तराना गाते हैं,
गुरु के ऐसे तप को देखकर ,
जंगल भी मंगल हो जाते है।
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मझदार में नैया है,
बड़ा दूर किनारा है,
आप ही बताएँ गुरुवर,
यहाँ कों हमारा है।।
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दिव्य ज्ञान की ज्योति जलाकर,
मन को आलोकित किया है,
हमें शिक्षा और ज्ञान का धन देकर,
जीवन को सुखमय किया है।
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वो सुकुन नहीं
पूरे संसार में,
जो सूकून है मेरे
गुरु के दरबार में।
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कुछ न पा सकें तो,
क्या गम है?...
गुरुदेव को पा लिया,
वह किसी से क्या कम है।।
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कर से कर को जोड़कर,
गुरु को करूं प्रणाम,
गुरु का ध्यान करते ही,
सफल होते सब काम।
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मुझे डर नहीं है
किसी और से,
मेरे गुरु जो खड़े है,
मेरी और से।।
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दुनिया के रैन बसेरे में,
पता नही कितने दिन रहना है,
रख दो सिर गुरु चरणों में,
बस यही जीवन का गहना है।
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सारी दुनिया झूठी,
सच्चा है गुरु का नाम,
जो भी इसको जपता जाएं,
पा लेता चारों धाम।।
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खुद पर हो विश्वास,
और गुरु पर हो आस्था,
फिर कितनी ही बाधा आये,
मिल जाता है रास्ता।।
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गुरु के दरबार में दुनिया बदल जाती है
रहमत से हाथ की लकीर बदल जाती है।
लेता है जो भी दिल से गुरु का नाम,
एक पल में उसकी तकदीर बदल जाती है।
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कट जाते हैं कर्मफल
मिटते कष्ट अपार...
जिस पर कृपा गुरु की
उसका बेड़ा पार...
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गुरुवर को जिसने ध्याया,
उसका ही उद्धार हुआ,
अंत काल में भवसागर ,
से उसका ही बेड़ा पार हुआ।
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कैसे कह दें कि हमारी
हर पुकार बेकार हो गई,
हमने जब गुरु को पुकारा,
हर ख़्वाईश पूरी हो गई।
गुरुदेव कैसे और क्या करूँ मैं अर्पित? कर रही हूँ , फिर भी 4 पंक्तियाँ समर्पित।।
In नमोस्तु गुरुवर
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गरज उठता गगन सारा,
समंदर भी छोड़े अपना किनारा,
हिल जाता जहाँ सारा,
जब गूंजता मेरे गुरु का नारा।।