गुरुजी की मुस्कान का
हर कोई दीवाना था,
बन्द आँख में भी दिखता,
उनकी मुस्कुराहट का अफसाना था
क्या कहूँ गुरुजी आपकी
मंद -मीठी -मुस्कान के बारे में
इस हंसी के पीछे तो
घायल पूरा ज़माना था।
अश्रुओं से भरी आँखें
बस ढूंढ रही है गुरुवर को,
ये मौन भरे शब्द,
बस उठा रहे है गुरुवर को,
मोक्ष पथ पर चले गुरुजी
जग को वैराग्य का पाठ सिखा गए,
त्याग और तपस्या के धनी,
हम सबको वर्तमान में वर्धमान,
की चर्या दिखा गए।।