Aashika jain
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Posts posted by Aashika jain
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हे! गुरु के गुरु , मेरे गुरु,
बस आपसे हैं यह विनती,
मेरी भी हो एक दिन
आपके ख़ास भगतो में गिनती।
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चमत्कार रोज़ रोज़ होते,
लेते ही मेरे गुरु का नाम,
बिना मांगे सबकुछ मिलजाता,
पहुँचते ही गुरु के धाम।।
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तीन लोक के नाथ गुरुवर,
आप सबके हो सरकार,
क्यों जाएँ फिर गुरुवर,
हम किसी और के द्वार।
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गुरु के नाम दिया कभी अल्प नही होता,
जो टूट जाए वो दृढ संकल्प नही होता,
हारने का गुरु के पास जाकर कभी मत सोचना,
क्योकि वहाँ जीत का कोई विकल्प नही होता।।
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गुरू में वो शक्ति हैं,
जो पत्थर को सोना बना देती है,
उन्ही का आशीर्वाद है,
जिससे बिगड़ी बात भी बन जाती हैं,
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हमने कल्पना न थी की,
गुरु भक्ति में इतना रम जायेंगे,
इतना गुरु को मान लेंगे की,
उनके बिना कभी जी नहीं पाएंगे।।
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जबसे गुरुवर हम सब,
आपके संपर्क में आए,
हमे आरज़ू थी जिसकी
आपने वो दिन हमे दिखाए।
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बड़े ही गजब तरह से
जिंदगी में हिस्सा बाटां है,
सब हमारी जिंदगी में कम,
गुरु हमारी जिंदगी में ज्यादा है।।
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नया सवेरा गुरु ने दिखाया,
नया उजयारा गुरु ने बताया ,
लोग तो आते जाते रहेंगे,
पर गुरु जैसा आज तक कहाँ मिल पाया।
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जिंदगी की भाग दौड में,
सब चाहते अधूरी रह जायेगी,
सिर्फ गुरु आपका होना है,
सब चाहते पूरी होजायेगी।
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गुरु नाम को लेकर ,
हमारा जीवन निकल जाए,
जब जब भी हम राह से भटके,
तेरे दर पर ही हम आये।।
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गुरु का रूप कितना निराला है,
चेहरा कितना भोला भाला है,
जब भी आयी हम पर मुसीबत,
गुरुवर आपने ही तो संभाला है।
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गुरुवर आपकी छाया से,
बन गए है सारे काम,
हमने अपना पूरा जीवन,
कर दिया अब गुरु के नाम।
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पीड़ा सारी मिट गयी,
लिया जो गुरु का नाम,
गजब कृपा है आपकी,
बन गए सारे काम।।
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सारा जहां है जिसकी चरण में,
नमन है उस गुरु के चरण में,
बने उस गुरु चरणों के चंदन,
आओ हम करे उनके चरणो में वंदन।।
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कृपा जो गुरु की बने रहे,
भक्त फिर न कोई कष्ट सहे,
ध्यान रहे जब गुरु का सदा,
घर में खुशियों की नदी बहे।
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गुरु की दया से बाबा,
परिवार पल रहा है,
उनके ही आशीर्वाद से,
हमारा जीवन चल रहा है।
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गुरु आपकी कृपा से ही,
हमारा नाम हो रहा है,
आपका स्मरण करते ही,
सब काम हो रहा है।।
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जलते है गुरु दिए की तरह,
कई जीवन रोशन कर जाता है
हर तरह से हर गुरु,
अपना फर्ज निभाता है।
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धूमधाम से साज-बाज से
हम गुरु के दर पर आते हैं
श्रद्धा से भरी भावनाएं,
लाकर गुरु को चढ़ाते हैं ।।।
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निश्चल मन से हमने गुरु,
की सभक्ति से सादर सेवा,
पाया हमने कृतज्ञता, का
उसी समय मीठा मेवा ।।
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गुरुदेव! हम आपके शिष्य बनकर,
कई ढंग से आते हैं,
लेकिन आपकी महिमा को देख,
कुछ नहीं भेट कर पाते है।।
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गुरु के बिना मिलता न ज्ञान
कर्म बिना मिलती न पहचान,
संस्कार से ही आती है शान,
उनका दिया ही सबकुछ है वरदान।।
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गुरु ही धेैर्यता का पाठ पढ़ाये,
संकट में वो हँसना भी सिखाये,
पग-पग पर परछाई सा साथ वे निभाए,
गुरु को देख मस्तक हर वक्त झुक जाए।।
गुरुदेव कैसे और क्या करूँ मैं अर्पित? कर रही हूँ , फिर भी 4 पंक्तियाँ समर्पित।।
In नमोस्तु गुरुवर
Posted
चदंन कर दो मुझे चहूँ
ओर से महक जाऊँ,
नाम लेते ही ही गुरु का,
हर तरह से संवर जाऊँ।