Aashika jain
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Posts posted by Aashika jain
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बिन मांगे मेरी हर
मन्नत जहाँ पूरी होती है,
गुरु के चरणों में ही तो
असली जन्नत होती है।।
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गुरु का महत्व जीवन में
सबसे ज्यादा होता है,
गुरु के बिना जीवन का,
कहाँ महत्व होता है!!!
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संतो के शिरोमणि
बुद्धि के हीरामणि,
आप ही हमारे सरताज हो,
क्या लिखूँ मैं आपके बारे मे,
आप तो भगवान के रूप में,
महा मुनिराज हो।।
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कलम क्या बयाँ करेगी
ज़ज़्बात हमारे ,
हमारा तो रोम रोम
गुरुदेव को पुकारे।।
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गुरु के ही दम पर,
सफर हमारा जारी है,
भटक न जाएं कहीं यह ,
आपकी ही ज़िम्मेदारी है।।
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गुरु बिना हम कुछ नही,
वह है ईश्वर का वरदान,
अंधेरे से प्रकाश में ले जाते,
वह होते गुरु महान।।
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नर पशु मे जो भेद बताये,
गम्भीरता का जो ज्ञान कराएं,
संकट मे जो हंसना सिखाये,
वही सच्चा सदगुरु कहलाएँ।।
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राह दिखा कर जो,
सभी संकट मिटाते हैं,
सागर सा ज्ञान हैं जिनमें,
गुरु वही कहलाते है।।
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ज्ञान की ज्योति से गुरु,
मन को आलोकित करते हैं,
हमें ज्ञान रूपी धन देकर,
जीवन को सुख से भरते हैं।।
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गुरु नाम की लत गयी है,
ये दिल उनका शुक्रगुज़ार है,
जीवन में गुरु ही बसा है,
जो मेरा सोने का संसार है।।
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तमनन्ना है मेरे दिल की,
हर पल साथ गुरु का हो,
जितनी भी साँसे चलें मेरी,
हर साँस पर नाम गुरु का हो,
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ना अहंकार में रहते हैं,
सत्य सदा वो कहते हैं,
गुरु के पावन उपदेशों में,
ज्ञान के झरने बहते हैं।।
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बुरा कितना चाहोगे हमारा,
हम तो सबके लिए दुआ करते हैं,
वही पाते हैं दरिया दिल का,
जो सिर्फ गुरु के हुआ करते हैं।।
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इतनी मेहरबानी गुरुवर
हम पर बनाएं रखना,
जो रास्ता सही हो,
उस ही पर चलाएं रखना।।
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न दौलत से बड़े हैं,
न नाम से बड़े हैं,
मुसीबत मे हम अपने,
गुरु का नाम लेकर खड़े हैं।।
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गुरुवर ने ज्ञान से अपने ,
कर दिया उपकार,
तप से अपने, आपने
किया हमको साकार।।
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आपको को देखते ही ,
मेरा चेहरा यूँ खिल जाता है,
गुरु जी, जैसे आपके होने से,
ही मुझे सबकुछ मिल जाता है।।
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आपके दर पर गुरु आता रहूँ,
आपको हद से भी ज्यादा चाहता रहूँ,
दुनिया चाहे दूर लगे,
बस तुम्हें करीब पाता रहूँ।।
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गुमनामी के अंधेरे में थे
आपने नाम बना दिया,
ऐसी कृपा की गुरु ने मुझ पर
अच्छा इंसान बना दिया।।
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जबसे हमें हुई,
सद्गुरु की पहचान है,
जीवन का कठिन पथ ,
तब से हुआ आसान है।
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बिन गुरु के जीवन में,
तम ही तम छाया है
गुरु ही मेरे सूर्य है,
जिनसे प्रकाश आया है।।
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निराशा में आशा,
की झलक दिखा दे,
गुरु ही हैं जो भगवान ,
से साक्षात्कार करा दे!
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मिटा दो ये संकट
अकाल और महामारी,
गुरु जी ! अब आप ही,
कीजिये रक्षा हमारी।।
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ये जो गुरु का लगता
समवशरण सा दरबार है,
बस हमें इसी से तो
बेइंतहाँ प्यार है।।
गुरुदेव कैसे और क्या करूँ मैं अर्पित? कर रही हूँ , फिर भी 4 पंक्तियाँ समर्पित।।
In नमोस्तु गुरुवर
Posted
गुरु बसे हैं रोम रोम में,
इसलिए मेरे चेहरे पर नूर है,
मेरे लिए तो मेरे गुरु ही ,
हीरे और वो ही कोहीनूर है।