Jump to content
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

संयम स्वर्ण महोत्सव

Administrators
  • Posts

    22,360
  • Joined

  • Last visited

  • Days Won

    895

 Content Type 

Forums

Gallery

Downloads

आलेख - Articles

आचार्य श्री विद्यासागर दिगंबर जैन पाठशाला

विचार सूत्र

प्रवचन -आचार्य विद्यासागर जी

भावांजलि - आचार्य विद्यासागर जी

गुरु प्रसंग

मूकमाटी -The Silent Earth

हिन्दी काव्य

आचार्यश्री विद्यासागर पत्राचार पाठ्यक्रम

विशेष पुस्तकें

संयम कीर्ति स्तम्भ

संयम स्वर्ण महोत्सव प्रतियोगिता

ग्रन्थ पद्यानुवाद

विद्या वाणी संकलन - आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रवचन

आचार्य श्री जी की पसंदीदा पुस्तकें

Blogs

Events

Profiles

ऑडियो

Store

Videos Directory

Everything posted by संयम स्वर्ण महोत्सव

  1. हिन्दुस्थान में, सफल फिसल के, फसल होते। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  2. थोपी योजना, पूर्ण होने से पूर्व, खण्डहर सी। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  3. श्वेत पे काला, या काले पे श्वेत हो, मंगल कौन ? हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  4. भोग के पीछे, भोग चल रहा है, योगी है मौन। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  5. जिसके माध्यम से संसारीजीव का जीवन चलता है ऐसी पर्याप्ति कितनी होती है,उनका क्या लक्षण है, आदि का वर्णन इस अध्याय में है। 1. पर्याप्ति किसे कहते हैं एवं उसके कितने भेद हैं ? (अ) परिसमन्तात् आप्ति - पर्याप्तिः शक्तिनिष्पत्तिरित्यर्थः(गो.जी.जी.प्र.2) । चारो तरफ से प्राप्ति को पर्याप्ति कहते हैं, अर्थात् शक्ति का प्राप्त करना पर्याप्ति है। (ब) जन्म के प्रथम समय से पुद्गल परमाणुओं को ग्रहण कर जीवन धारण में विशेष प्रकार की पौद्गलिक शक्ति की प्राप्ति को पर्याप्ति कहते हैं। पर्याप्ति के छ: भेद हैं आहार पर्याप्ति - एक शरीर को छोड़कर नवीन शरीर के साधनभूत जिन नोकर्म वर्गणाओं को जीव ग्रहण करता है। उन वर्गणाओं के परमाणुओं को ठोस (Solid) और तरल (Liquid) रूप में परिणमन (परिवर्तन) के कारणभूत जीव की शक्ति की पूर्णता को आहार पर्याप्ति कहते हैं। शरीर पर्याप्ति - जिन परमाणुओं को ठोस रूप परिवर्तित किया था, उसको हड़ी आदि कठिन अवयव रूप और जिनको तरल रूप परिवर्तित किया था, उनको रुधिरादि रूप में परिवर्तित करने के कारणभूत जीव की शक्ति की पूर्णता को शरीर पर्याप्ति कहते हैं। इन्द्रिय पर्याप्ति - आहार वर्गणा के परमाणुओं को इन्द्रिय आकार रूप परिवर्तित करने को तथा इन्द्रिय द्वारा विषय ग्रहण करने के कारणभूत जीव की शक्ति की पूर्णता को इन्द्रिय पर्याप्ति कहते हैं। श्वासोच्छास पर्याप्ति - आहार वर्गणा के परमाणुओं को श्वासोच्छास रूप परिवर्तित करने के कारणभूत जीव की शक्ति की पूर्णता को श्वासोच्छास पर्याप्ति कहते हैं। भाषा पर्याप्ति - भाषा वर्गणा के परमाणुओं को वचन रूप परिवर्तित करने के कारणभूत जीव की शक्ति की पूर्णता को भाषा पर्याप्ति कहते हैं। मन:पर्याप्ति - मनोवर्गणा के परमाणुओं को हृदयस्थान में अष्टपाखुड़ी के कमलाकार मनरूप परिवर्तित करने को तथा उसके द्वारा यथावत् विचार करने के कारणभूत जीव की शक्ति की पूर्णता को मन:पर्याप्ति कहते हैं। इन सब पर्याप्तियों में प्रत्येक का काल अन्तर्मुहूर्त है और सबका मिलाकर काल भी अन्तर्मुहूर्त ही है। (मूचा.टी., 1047) 2. पर्याप्तक, निवृत्यपर्याप्तक और लब्थ्यपर्याप्तक किसे कहते हैं ? पर्याप्तक - पर्याप्त नाम कर्म के उदय से युक्त जिन जीवों की सभी पर्याप्ति पूर्ण हो जाती हैं, उसे पर्याप्तक जीव कहते हैं। विशेष - किन्हीं आचार्यों ने सभी पर्याप्ति पूर्ण होने पर पर्याप्तक कहा है। किन्हीं आचार्यों ने शरीर पर्याप्ति पूर्ण होने पर पर्याप्तक कहा है। निवृत्यपर्याप्तक - पर्याप्त नाम कर्म के उदय से युक्त जिन जीवों की पर्याप्तियाँ प्रारम्भ हो गई हैं एवं नियम से पूर्ण होंगी एवं जब तक शरीर पर्याप्ति पूर्ण नहीं होती है तब तक उन्हें निवृत्यपर्याप्तक जीव कहते हैं। (गो.जी., 121 ) लब्थ्यपर्याप्तक - अपर्याप्त नाम कर्म के उदय से युक्त जीव, जिसने पर्याप्तियाँ प्रारम्भ की हैं, किन्तु एक भी पर्याप्ति पूर्ण नहीं करता और मरण हो जाता है, उसे लब्ध्यपर्याप्तक जीव कहते हैं। (गोजी, 122) इनकी आयु श्वास के 18 वें भाग मात्र होती है। (गो.जी.जी., 125) 3. लब्थ्यपर्याप्तक जीव एक अन्तर्मुहूर्त में अधिक-से-अधिक कितने भव धारण कर सकता है ? एक लब्ध्यपर्याप्तक जीव यदि निरन्तर जन्म-मरण करे तो एक अन्तर्मुहूर्त में अधिक-से-अधिक 66, 336 बार जन्म और उतने ही बार मरण कर सकता है। इन भवों में प्रत्येक भव का काल क्षुद्रभव प्रमाण अर्थात् एक श्वास (नाड़ी धड़कन)का अठारहवाँ भाग है, अत: 66,336 भवों के श्वासों का प्रमाण 3685/1/3 होता है। इतने काल में पृथ्वीकायिक बादर पृथ्वीकायिक सूक्ष्म जलकायिक बादर जलकायिक सूक्ष्म अग्निकायिक बादर अग्निकायिक सूक्ष्म वायुकायिक बादर वायुकायिक सूक्ष्म साधारण वनस्पति बादर साधारण वनस्पति सूक्ष्म प्रत्येक वनस्पति एकेन्द्रिय के कुल द्वीन्द्रिय त्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रिय असंज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च मनुष्य 6012 भव 6012 भव 6012 भव 6012 भव 6012 भव 6012 भव 6012 भव 6012 भव 6012 भव 6012 भव 6012 भव 66,132 भव 80 भव 60 भव 40 भव 8 भव 8 भव 8 भव 66336 भव (गो.जी.,12325) सब मिलकर एक अन्तर्मुहूर्त काल में उत्कृष्ट 66,336 भव होते हैं। 4. लब्थ्यपर्याप्तक, निवृत्यपर्याप्तक और पर्याप्त अवस्था किन-किन गुणस्थानों में होती है ? लब्ध्यपर्याप्तक अवस्था मात्र मिथ्यात्व गुणस्थान में होती है वह भी सम्मूच्छन जन्म से उत्पन्न होने वाले मनुष्यगति और तिर्यच्चगति के जीवों के होती है, अन्य जीवों के नहीं होती है। निवृत्यपर्याप्त अवस्था मिथ्यात्व, सासादन सम्यक्त्व, अविरत सम्यक्त्व, प्रमत्तविरत (आहारक शरीर की अपेक्षा) और सयोगकेवली (समुद्धात केवली की अपेक्षा) के होती है। पर्याप्त अवस्था सभी गुणस्थानों में होती है। 5. कौन से गुणस्थान में एवं कौन से जीव में कितनी पर्याप्तियाँ होती हैं ? सभी गुणस्थानों में 6 पर्याप्तियाँ होती हैं किन्तु एकेन्द्रिय में भाषा और मन के बिना 4 पर्याप्तियाँ होती हैं। द्वीन्द्रिय से असंज्ञी पञ्चेन्द्रिय तक मन के बिना 5 पर्याप्तियाँ होती हैं। संज्ञी पञ्चेन्द्रिय में 6 पर्याप्तियाँ होती है एवं कार्मण काययोग में एक भी पर्याप्ति नहीं होती है। (मूचा, 1048-49) 6. अनेक स्थानों में अपर्याप्त अवस्था का कथन आता है, वहाँ लब्धि अपर्याप्त या निवृत्ति अपर्याप्त कौन-सा लेना है ? प्रसंग के अनुसार ही अर्थ लिया जाता है। देव, नारकी, आहारक मिश्र काययोग, कपाट समुद्धात में अपर्याप्त का अर्थ निवृत्ति-अपर्याप्त है एवं प्रथम गुणस्थान के मनुष्य, तिर्यच्चों में, दोनों में से, एक जीव में एक रहेगा, किन्तु द्वितीय, चतुर्थ गुणस्थान में अपर्याप्त का अर्थ निवृत्ति-अपर्याप्त ही है। तथा कार्मण काययोग में पर्याप्ति का अभाव होने से सामान्य रूप से अपर्याप्त लिया जाता है।
  6. बिन्दु की रक्षा, सिन्धु में नहीं बिन्दु, बिन्दु से मिले। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  7. सही चिंतक "अशोक जड़ सम" सखोल जाता। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  8. पद यात्री हो ”पद की इच्छा बिन” पथ पे चलूँ। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  9. अंधे बहरे "मूक क्या बिना शब्द" शिक्षा ना पाते। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  10. सूर्य उगा सो "सब को दिखता क्यों" आँखे तो खोलो। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  11. पीठ से मैत्री "पेट ने की तब से" जीभ दुखी है। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  12. एकता में ही ”अनेकांत फले सो” एकांत टले। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  13. दर्शन से ना ”ज्ञान से आज आस्था” भय भीत है। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  14. चक्री भी लौटा "समवशरण से" कारण मोह। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  15. पैरों में काँटे "गड़े आँखों में फूल" आँखें क्यों चली। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  16. महाकाव्य भी "स्वर्णाभरण सम" निर्दोष न हो। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  17. अंधी दौड़ में ”आँख वाले हो क्यों तो” भाग लो सोचो। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  18. चूल को देखूँ "मूलको बंदू भूल" आमूल चूल। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  19. आग से बचा "धूंवा से जला (व्रती) सा, तू" मद से घिरा। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  20. दिख रहा जो "दृष्टा नहीं दृष्टा सो" दिखता नहीं। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  21. आँखें देखती "मन याद करता" दोनों में मैं हूँ। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  22. खाली हाथ ले "आया था जाना भी है" खाली हाथ ले। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  23. ठंडे बस्ते में ”मन को रखो फिर” आत्मा में डूबो।(आत्मा से बोलो) हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  24. मन की बात "सुनना नहीं होता" मोक्षमार्ग में। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  25. यात्रा वृत्तांत, ‘‍’लिख रहा हूँ वो भी”, बिन लेखनी। हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है। आओ करे हायकू स्वाध्याय आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
×
×
  • Create New...