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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

संयम स्वर्ण महोत्सव

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  1. गुरु आपकी कृपा से हर काम हो रहा है, करते है मेरे गुरुवर, मेरा नाम हो रहा है। मेरी जिन्दगी में तू है, मेरे पास क्या कमी है, मुझे और अब किसी की, दरकार भी नहीं है। मुझको पता नहीं है, ये क्या हो रहा है, करते है मेरे............... करता नहीं मैं कुछ भी, हर काम हो रहा है, मुनिवर तेरी बदौलत, आराम हो रहा है। बस होता रहें हमेशा जो कुछ भी हो रहा है, करते है मेरे................... पतवार के बिना ही मेरी नाव चल रही है। मांगे बिना ही मुझको हर चीज मिल रही है। मर्जी तेरी है गुरुवर, अच्छा ही हो रहा है, करते है मेरे..................
  2. आसरा इस जहां का मिले न मिले-2 मुझको तेरा सहारा सदा चाहिए चाँद तारे फलक पर दिखें न दिखें-2 मुझको तेरा नजारा सदा चाहिए आसरा.................. यहां खुशियाँ हैं कम और ज्यादा हैं गम-2 जहां देखो वहीं है, भरम ही भरम मेरी महफिल में शमाँ जले न जले-2 मुझको तेरा उजाला सदा चाहिए। आसरा.............. कभी वैराग्य है कभी अनुराग है-2 यहाँ बदले है माली वहीं बाग है। मेरी चाहत की दुनिया बसे न बसे-2 मेरे दिल में बसेरा तेरा चाहिए। आसरा......................... मेरी धीमी है चाल और पथ है विशाल-2 हर कदम पर मुसीबत है अब तो संभाल मेरे पैर थके हैं चलें न चलें-2 मुझको तेरा इशारा सदा चाहिए आसरा...............
  3. कभी खुशी में कभी ये गम में निकल ही आते हैं चार आँसू मगर गुरुवर तेरी याद में निकल पड़े बेसुमार आँसू श्री विद्यासागर तुम्हारे दर की मैं रोज चौखट करूंगा गीली मुझे भरोसा है एक दिन तो करा ही देंगे दीदार आँसू कभी खुशी में...... हे मेरे गुरुवर सिवा जहाँ में मिला न कोई गुरु भी ऐसा । जो आके मुझसे ये पूँछ लेता, क्यों आए आँखों में आज आँसू कभी खुशी में..... मेरी दुआ में है दर्द इतना न रोक पाओगे आप खुद को कभी तो मुझ पर कृपा करोगे फिर न बहेंगे कभी ये आँसू कभी खुशी में.... मैं श्रद्धा से भक्ति में पिरोकर चढ़ा रहा हूँ तुम्हें जो मोती यह है हमारी विशुद्ध पूँजी न लाया कोई उधार आँसू कभी खुशी में.....
  4. मांगते ही रहते बाबा सांझ सबेरे हाथ ये फैले रहते सामने तेरे-2 तूने खूब दिया भगवान, तेरा बहुत बड़ा एहसान तेरा बहुत बड़ा एहसान, तूरे खूब दिया भगवान याद है मुझे वो दिन, खाली जेब थी मेरी दर-दर भटकता था मैं-2 गैरों की क्या कहूँ, अपनों की आँखों में रह-रह खटकता था मैं-2 चारों तरफ थे मेरे गम के अंधेरे आखिर में आया बाबा काम तू मेरे-2 तूरे खूब.... मांगना मैं छोड़ दें तो नहीं सकता प्रभु आदत न जाये मेरी-2 और तुमने लेने में बेटा को कभी लाज न आये बाबा-2 दबा जा रहा हूँ मैं तो कर्ज में तेरे एहसान कितने बाबा मुझ पर है तेरे-2 तूने खूब... लायक नहीं था मैं इतने कि ये प्रभु जितना दिया है तूने-2 सूने से जीवन में तुमने खुशनसीबी का रंग भर दिया है तूने-2 खाली मुझे तू दर से कभी न लौटाना इतना हँसाया तूने अब न रुलाना-2
  5. मेरे दुःख के दिनों में वो, बड़े काम आते है.....2 जब कोई नहीं आता मेरे गुरुवर आते है, मेरे दुःख.............. मेरी नैया चलती है, पतवार नहीं होती, मुझे और किसी की फिर दरकार नहीं होती मैं डरता नहीं रस्ते, जहाँ सुनसान होते है, मेरे दुःख.............. ये इतने बड़े होकर दीनो से प्यार करते, अपने भक्तो के संकट, क्षण भर में दूर करते, ये बिन बोले भक्तो की बात जान लेते है, मेरे दुःख.............. कोई इनको याद करें, दु:ख हल्का होता है, जो भक्ति करें इनकी, वो इनका होता है, ये भक्तो की बाते, क्षण में मान लेते है, मेरे दुःख..............
  6. गुरु नाम अति प्यारा है, कोई गा के देख ले, आ जाते गुरुदेव कोई बुला के देख ले........ जिस घर में अंधकार, वहाँ मेहमान कहाँ से आये, जिस मन में अभिमान, वहाँ भगवान कहाँ से आये, अपने मन मन्दिर में, ज्योति जला के देख ले, आ जाते............. आधे नाम से आ जाते, हो कोई बुलाने वाला बन जाते गुरुदेव, हो कोई उस पथ पर चलने वाला चन्दना उड़द दिखा के, कोई पड़गा के देख ले, आ जाते भगवान कोई बुलाके देख ले। गुरु नाम....2 ॥
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