मांगते ही रहते बाबा सांझ सबेरे
हाथ ये फैले रहते सामने तेरे-2
तूने खूब दिया भगवान, तेरा बहुत बड़ा एहसान
तेरा बहुत बड़ा एहसान, तूरे खूब दिया भगवान
याद है मुझे वो दिन, खाली जेब थी मेरी
दर-दर भटकता था मैं-2
गैरों की क्या कहूँ, अपनों की आँखों में
रह-रह खटकता था मैं-2
चारों तरफ थे मेरे गम के अंधेरे
आखिर में आया बाबा काम तू मेरे-2
तूरे खूब....
मांगना मैं छोड़ दें तो नहीं सकता प्रभु
आदत न जाये मेरी-2
और तुमने लेने में बेटा को कभी
लाज न आये बाबा-2
दबा जा रहा हूँ मैं तो कर्ज में तेरे
एहसान कितने बाबा मुझ पर है तेरे-2
तूने खूब...
लायक नहीं था मैं इतने कि ये प्रभु
जितना दिया है तूने-2
सूने से जीवन में तुमने खुशनसीबी का
रंग भर दिया है तूने-2
खाली मुझे तू दर से कभी न लौटाना
इतना हँसाया तूने अब न रुलाना-2
Edited by संयम स्वर्ण महोत्सव