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संयम स्वर्ण महोत्सव

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Blog Entries posted by संयम स्वर्ण महोत्सव

  1. संयम स्वर्ण महोत्सव
    30/1/2018
    आज की आहार चर्या श्री दिगम्बर जैन मंदिर मालवीय नगर रायपुर में सम्पन्न हुई ।
    विश्व वंदनीय आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज (ससंघ) का मंगल विहार रुआबांधा भिलाई  से रायपुर (शांति नगर लाभाण्डी ) की ओर चल रहा है ।
     
    29 /1/2018
     
    नी सकल दिगंबर जैन समाज के उपस्थिति में हुआ पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के साथ पूज्य रतन मुनि मसा आदि ठाणा द्वारा चर्चा हुई।   विहार अपडेट - 29 जनवरी 18   वर्तमान जिन शासन नायक भगवान महावीर स्वामी के तीर्थंकर परम्परा के ध्वज वाहक चतुर्थ कालीन चर्या के धारक चैतन्य तीर्थ के निर्माता शिक्षा के साथ संस्कार के जनक गौ संवर्धन एवं संरक्षण के प्रेरक परम पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज ससंघ देव शास्त्र गुरु का मंगल आगमन आज श्री मंगल साधना केंद्र उरला चरौदा में हुआ जहां पर विराजमान पूज्य रतन मुनि आदि 4 ठाणा ,सम्माननीय ट्रस्टी एवं वहां संचालित स्कूल के बच्चों द्वारा भव्य आगवानी सकल दिगंबर जैन समाज के उपस्थिति में हुआ पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के साथ पूज्य रतन मुनि मसा आदि ठाणा द्वारा चर्चा हुई। आहार चर्या मंगल साधना केंद्र साईं मंदिर के पीछे चरौदा में संम्पन हुई...   सामायिक के पश्चात विहार दोपहर 2 बजे से चरौदा से बुलेट शो रुम टाटीबंध के लिए होगा... --- 2 आज दिनाँक 29/1/2018 दिन सोमवार को आचार्य श्री जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए बाल ब्र विनय भैया बण्डा वाले । टीकमगढ पंचकल्याणक करा कर पहुचे विनय भैया और गुरूजी से आशीर्वाद लिया और जिंतूर पंचकल्याणक के लिए रवाना हो गए । महाराष्ट्र में दो पंचकल्याणक का आशीर्वाद प्राप्त किया गुरूजी से ।    
    28 जनवरी  2018

    परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का  मंगल विहार आज दोपहर रुआ बांधा भिलाई से रायपुर की ओर हुआ ।
    ★ आज रात्री विश्राम- खुर्सीपार अग्रवाल भवन, रायपुर रोड (लगभग 11 किलोमीटर)
    ★ कल की आहार चर्या- चरौदा ग्राम (10 किलोमीटर)
     
     
    ।संभावित मंगल विहार आज।।
    परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल बिहार, पंचकल्याणक महोत्सव के समापन उपरांत आज दोपहर लगभग 1:30 बजे, रुआबांधा भिलाई से रायपुर की ओर होने की संभावना है ।
     
     
    ------------------------
    विश्व वंदनीय आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज (ससंघ) भिलाई (छत्तीसगढ़) में विराजमान हैं।-  आचार्य  श्री का डोंगरगढ़ से विहार
     
    11 जनवरी २०१८ 
    ◆ आज रात्रि विश्राम- सोमानी। राजनांदगांव से 12 किमी आगे।
    ● कल आहार चर्या- अभिनन्दन पैलेस, दुर्ग।
    ● कल भव्य अगवानी- दोपहर पश्चात-  रुआबाँधा, भिलाई।
     
    10 जनवरी २०१८ 
    ◆ आज रात्रि विश्राम- नीरज पब्लिक स्कूल पढ़ा जावे।राजनांदगांव से 6 किमी पूर्व।
    ● कल प्रातः 8:30 बजे भव्य प्रवेश-  राजनांदगांव ।
    राजनांदगांव से रुआबाँधा  भिलाई मन्दिर की दूरी- 26 किमी
     
     
    9 जनवरी 2018  डोंगरगढ़ से हुआ मंगल बिहार। 
    आगामी संभावना-
    आज रात्रि विश्राम- ग्राम डुंडरा (12 किमी) कल की आहार चर्या- कोपेड़ी रथ मन्दिर (12 किमी) विहार की दिशा- भिलाई (पंचकल्याणक)  
    संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज जी का चंद्रगिरी डोगर गढ़ से राजनांदगांव की और दोपहर 1/2 बजे बिहार होगा ।
    रात्रि विश्राम ग्राम डुडेरा मे होगा ।
     
     
    बिहार अपडेट 9 जनवरी 18 
    डोंगरगढ़ में विराजमान संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का ससंघ मंगल बिहार आज 9 जनवरी 2018 को दोपहर 1.30 बजे  भिलाई की ओर होने की प्रबल संभावना है । डोंगरगढ़ से भिलाई की दूरी 80 किलोमीटर है । डोंगरगढ़ से राजनादगांव, दुर्ग होकर के भिलाई सीधा रास्ता है। आगामी 14 जनवरी रविवार को भिलाई में 22 जनवरी से 28 जनवरी 2018 तक होने वाले पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के प्रमुख पात्रों का चयन होने जा रहा है।       *6 फरवरी से 11 फरवरी 2018 तक रायपुर में आचार्य संघ के सानिध्य में पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव का आयोजन होने की संभावनाएं हैं
     
     
    आज 1,30 बजे आचार्य श्री का विहर राजनांदगांव के ओर है
  2. संयम स्वर्ण महोत्सव
    भूत सपना,
    वर्तमान अपना,
    भावी कल्पना।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  3. संयम स्वर्ण महोत्सव
    *आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के मंगल चातुर्मास कलश की स्थापना पर खजुराहो में प्रथम कलश की बोली 207 कलश पर गई। प्रथम कलश की बोली श्री तरुण जी काला व समस्त काला परिवार निवासी मुम्बई द्वारा ली गई है।श्री तरुण जी काला मुम्बई को प्रथम कलश का सौभाग्य 207 कलश (2 करोड़ 7 लाख) में प्राप्त हुआ
     
    *द्वितीय कलश का सौभाग्य श्री डॉ सुहास शाह जी जैन मुम्बई को 151 कलश (1 करोड़ 51 लाख) में प्राप्त हुआ*
     
    *तृतीय कलश का सौभाग्य 117 कलश (1 करोड़ 17 लाख रुपये) में श्री हुकुम जी काका कोटा बालो को प्राप्त हुआ*
     
    *चतुर्थ कलश का सौभाग्य 108 कलश (1 करोड़ 8 लाख रुपये) में श्री उत्तम चंद्र जी जैन कटनी कोयला बालो को प्राप्त हुआ*
     
    पांचवे कलश की बोली 131 कलश पर गई और यह बोली श्रीमान प्रेमी जी परिवार सतना, कटनी वालो ने ली है। धन्य हो आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की जय।??????
     
    छठे कलश की बोली 108 कलश पर गई और यह बोली श्रीमान प्रभात जी मुम्बई वालो ने ली है। धन्य हो ऐसे महान आचार्य भक्तो की।
    जय हो आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की जय।??????
     
    सातवें कलश की बोली गुप्तदान में गई है। धन्य हो ऐसे महान आचार्य भगवान भक्तो की।
    जय हो आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की जय।??????
     
    आंठवे व अंतिम कलश में दो कलश की बोली सुभाष जी भोपाल वालो ने व बैनाड़ा परिवार वालो ने ली है। धन्य हो ऐसे महान आचार्य भगवान भक्तो की।
    जय हो आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की जय।??????
     
    नवे कलश की बोली श्रीमान अशोक जी पाटनी निवासी किशनगढ़ राजस्थान वालो द्वारा ली गई है। धन्य हो ऐसे महान आचार्य भगवान भक्तो की।
    जय हो आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की जय।??????
  4. संयम स्वर्ण महोत्सव
    दिशाबोध संस्मरण प्रतियोगिता 
    दिनांक 3 जुलाई 2018
    स्वाध्याय करे : आचार्य श्री > संस्मरण > मुनि श्री कुन्थुसागर जी >दिशाबोध
     स्वाध्याय का लिंक
    आप इस प्रतिओयोगिता में 5 जुलाई तक भाग ले सकेंगे
     प्रतियोगिता प्रारंभ
    https://vidyasagar.guru/pratiyogita/dishabodh/
     
  5. संयम स्वर्ण महोत्सव
    *विद्योदय विशेष सूचना*
    क्या आपके शहर में यह फिल्म दिखाई जा रही है ? क्या आपको स्थान मालूम है, जैसे कि मुझे सूचना मिली कि जयपुर में 6 स्थानों पर दिखाई जाएगी, पर स्थानों का नाम नहीं पता हैं, क्या आप सहायता कर सकते हैं ?
    आप यह सूचना इस लिंक पर ज़रूर डालें ताकि कोई भी भक्त सूचना न मिलने के कारण वंचित न रह जाये |
    स्थान का नाम नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें ताकि इसकी सूची बनाकर सभी तक पहुँचाई जा सके और सभी यह फिल्म देख सकें। 
     

     
     
    स्थान सूचि 
    जयपुर 
    ग्वालियर 
     
  6. संयम स्वर्ण महोत्सव
    साधु वृक्ष है,
    छाया फल प्रदाता,
    जो धूप खाता।
     
    भावार्थ–साधु फलदार वृक्ष के समान होते हैं। जैसे वृक्ष सर्दी, गर्मी आदि प्रतिकूलताओं को चुपचाप सहकर भी पथिकों को छाया एवं स्वादिष्ट रसीले फल प्रदान करता है । उसीप्रकार साधु आतापनादि योग धारण कर जो धूप पीठ पर सहते हैं, मैं उन वृक्षों की छाया हूँ । व्रतों का पालन करते हुए अंतरंग - बहिरंग अनेक प्रकार के तपों को समता और आनंद के साथ तपता है। ऐसे अनुभाग के साथ तप करते हुए ऐसा आभा मण्डल निर्मित होता है, जो उसका रक्षा कवच होता है। ऐसा साधु भव्य जीवों को वात्सल्य रूपी छाया और दुःखहारी उत्तम शिक्षा के साथ उभयलोक सुखकारी संस्कार फल के रूप में प्रदान करता है 
    - आर्यिका अकंपमति जी 
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  7. संयम स्वर्ण महोत्सव
    खजुराहो १७ जुलाई २०१८.
    आज मंगलवार प्रात: संयम स्वर्ण महोत्सव समापन समारोह में धर्मनायक, संघनायक, लोकनायक और संस्कृति नायक जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में  कहा कि गुरु जी ने मुझे धर्म मार्ग पर प्रवृत्त कर दिया। भाग्यशाली हूँ कि मुझ अपढ़, अनगढ़, जिसे कुछ नहीं आता था उसे स्वीकार कर लिया। मैं तो ठेठ बाँस था, गुरु कृपा से  बाँसुरी बन गया। गुरू ने दीया दे दिया मुझे ।
    मुझे न भाषा का और न भाव का ज्ञान था, किंतु गुरु ने सब कुछ समझा और स्नेह दिया। अाज के जीवन में प्रचार-प्रसार, विज्ञापन का बोलबाला है। बहुत कुछ ग़लत दिशा में है, जिससे भारतीयता पर आधारित शिक्षा-प्रणाली से बचा जा सकता है। गुरु जी के द्वारा अंकुरित बीज से समाधान संभव है। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को उनके गुरु आचार्यश्री १०८ ज्ञानसागर जी महाराज ने आषाढ़ शुक्ल पंचमी तदनुसार ३० जून १९६८ को मुनि दीक्षा प्रदान की थी।
     
     
    संयम वर्ष से राष्ट्रीय संयम स्वर्ण महोत्सव समिति ने सर्वोदय सम्मान नामक एक पुरस्कार आरंभ किया है जिसमें समाज के उन नायकों का सम्मान किया जाता है जो विज्ञापन की चकाचौंध से दूर रहकर भारतीय संस्कृति, सभ्यता और जीवन पद्धति के संरक्षण में लगे हुए हैं। आज के इस पावन दिवस पर ऐसे ही ९ व्यक्तित्वों को सम्मानित किया गया जिनमें सर्वश्री 1.आदिलाबाद आंध्र प्रदेश में स्थित कला के स्वर्गीय रविंद्र शर्मा गुरुजी - कला ,कारीगरी एवं सामाजिक व्यवस्था के जानकार; 2.श्री एच वाला सुब्रमण्यम संगम एवं तमिल साहित्य के गैर हिंदी भाषी सुप्रसिद्ध अनुवादक. आपने दक्षिण भारत में हिंदी के प्रचार एवं प्रसार में निर्णायक भूमिका निभाई है; 3. टिहरी उत्तराखंड प्रदेश से आए हुए श्रीमान विजय जड़धारी जी. विजय जी चिपको आंदोलन की उपज है, और वर्तमान में बीज बचाओ आंदोलन से जुड़े हुए है; 4. श्रीराम शर्मा जी मध्य प्रदेश से संबंध रखते हैं, आपके पास भारतीय राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम आंदोलन के तमाम महत्वपूर्ण दस्तावेज यथा पत्र पत्रिकाएं ,अखबार एवं ऐतिहासिक महत्व की वस्तुओं का अद्भुत संग्रह है; 5. बाबा आया सिंह रियारकी महाविद्यालय जिला गुरदासपुर पंजाब के संचालक गण. महिला शिक्षा के बाजारीकरण के खिलाफ एक स्वदेशी प्रयोग, एक ऐसा अकादमिक संस्थान जो बालिकाओं के लिए बालिकाओं के द्वारा बालिकाओं का महाविद्यालय है; 6. महाराष्ट्र राज्य के गढ़चिरौली जिले के मेडा लेखा गांव के भूतपूर्व सरपंच श्री देवाजी तोफा भाई. आपने गांधीवादी संघर्ष कर प्राकृतिक संसाधनों पर ग्राम वासियों के अधिकारों को सुनिश्चित किया. आप का नारा है हमारे गांव में, हम ही सरकार; 7. राजस्थान उदयपुर के भाई रोहित जो विगत कई वर्षों से जैविक कृषि में संलग्न है और अपने प्रयोगों के माध्यम से इसे युवा पीढ़ी में लोकप्रिय भी कर रहे हैं; 8. छत्तीसगढ़ के शफीक खान जो जीवदया, शाकाहार, नशामुक्ति और गौरक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य कर रहे हैं; 9.गुजरात से अभिनव शिल्पी श्री विष्णु कांतिलाल त्रिवेदी। जिन्होंने ने अनेक भव्य मंदिरों का निर्माण किया है।
     
     
     

    पुरस्कार में श्रीफल, दुशाला, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह, श्रमदान निर्मित खादी के वस्त्र और ५१ हजार रुपये की राशि प्रदान की गई। 
    कार्यक्रम में प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ जबलपुर, डोंगरगढ़, रामटेक, पपौरा जी और इंदौर की ३०० से अधिक छात्राओं ने अपने मनभावन प्रस्तुतियों से उपस्थित विशाल संख्या में उपस्थित गुरू भक्तों का मन मोह लिया।   दोपहर के प्रवचनों में गुरुदेव ने महाराजा छत्रसाल द्वारा कुंडलपुर के बड़े बाबा की प्राचीन प्रतिमा के संरक्षण में उनके योगदान का उल्लेख किया, संयम के महत्व पर प्रकाश डाला और  आचार्यश्री १०८ ज्ञानसागर जी महाराज के प्रति अपनी विनयांजलि प्रकट की।   समारोह में राष्ट्रीय संयम स्वर्ण महोत्सव समिति के पदाधिकारियों में सर्वश्री अशोक पाटनी (आरके मार्बल्स), प्रभात जी मुंबई, राजा भाई सूरत, विनोद जी जैन कोयला, पंकज जैन, पारस चैनल की उल्लेखनीय उपस्थिति रही| राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सुनील सिंघी, श्रीमती ललिता यादव, मध्यप्रदेश शासन राज्य मंत्री,  पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण और अहमदाबाद शहर के महापौर श्री गौतम भाई शाह ने आचार्यश्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया.   संयम स्वर्ण महोत्सव के पावन दिवस पर केंद्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती ने आचार्य श्री  आशीर्वाद प्राप्त किया और उनसे अनुरोध किया कि आचार्य श्री आप इस वर्ष अपना चातुर्मास खजुराहो में ही करें साथ ही उन्होंने आचार्य श्री से हथकरघा, भारतीय भाषाओं, भारतीय संस्कृति और सभ्यता के बारे में विचार विमर्श किया.    


  8. संयम स्वर्ण महोत्सव
    चलो खजुराहो
    संयम स्वर्ण महोत्सव समापन समारोह
    सर्वोदय सम्मान 
     
    आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की दीक्षा के 50 वर्ष  पूर्ण होने पर मनाए जाने वाले, संयम स्वर्ण महोत्सव के समापन अवसर पर आयोजित, नेपथ्य के नायकों का सम्मान सत्र 17 जुलाई 2018 ,मंगलवार ठीक दोपहर 2:00 बजे से  खजुराहो मध्य प्रदेश में प्रस्तावित है, वर्ष 2018 का यह सर्वोदय सम्मान देश के उन नायकों को दिया जा रहा है जो सामाजिक ,सांस्कृतिक एवं आर्थिक क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं, भारी मात्रा में शामिल होकर कार्यक्रम की गरिमा को दुगुना करें। कृपया इसे जन जन तक पहुँचाने में सहयोग करे
     
     
    वर्ष 2018 के हमारे 7 नक्षत्र अथवा नायक हैं-
    1.आदिलाबाद आंध्र प्रदेश में स्थित कला के स्वर्गीय रविंद्र शर्मा गुरुजी - कला ,कारीगरी एवं सामाजिक व्यवस्था के जानकार
    2.श्री एच वाला सुब्रमण्यम संगम एवं तमिल साहित्य के गैर हिंदी भाषी सुप्रसिद्ध अनुवादक. आपने दक्षिण भारत में हिंदी के प्रचार एवं प्रसार में निर्णायक भूमिका निभाई है
    3. टिहरी उत्तराखंड प्रदेश से आए हुए श्रीमान विजय जड़धारी जी. विजय जी चिपको आंदोलन की उपज है, और वर्तमान में बीज बचाओ आंदोलन से जुड़े हुए हैं.
    4. श्रीराम शर्मा जी मध्य प्रदेश से संबंध रखते हैं, आपके पास भारतीय राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम आंदोलन के तमाम महत्वपूर्ण दस्तावेज यथा पत्र पत्रिकाएं ,अखबार एवं ऐतिहासिक महत्व की वस्तुओं का अद्भुत संग्रह है
    5. बाबा आया सिंह रियारकी महाविद्यालय जिला गुरदासपुर पंजाब  के संचालक गण. महिला शिक्षा के बाजारीकरण के खिलाफ एक स्वदेशी प्रयोग, एक ऐसा अकादमिक संस्थान जो बालिकाओं के लिए बालिकाओं के द्वारा बालिकाओं का महाविद्यालय है.
    6. महाराष्ट्र राज्य के गढ़चिरौली जिले के मेडा लेखा गांव के भूतपूर्व सरपंच श्री देवाजी तोफा भाई. आपने गांधीवादी संघर्ष कर प्राकृतिक संसाधनों पर ग्राम वासियों के अधिकारों को सुनिश्चित किया. आप का नारा है हमारे गांव में, हम ही सरकार.
    7. राजस्थान उदयपुर के भाई रोहित जो विगत कई वर्षों से जैविक कृषि में संलग्न है और अपने प्रयोगों के माध्यम से इसे युवा पीढ़ी में लोकप्रिय भी कर रहे हैं
    8. श्री विष्णुभाई कांतिलाल त्रिवेदी - प्राचीन वास्तु शास्त्र के माध्यम से अद्भुत मंदिर श्रंखलाओं के  निर्माता एवं शिल्पकार| आपने मंदिरों का सम्पूर्ण कार्य नक्शों के मुताबिक घाड़ाई व फिटिंग का काम करवाया हैं जिसमे आपका ४५ वर्ष का अनुभव हैं |
    9 श्री शफीक जी खान - आप गौ संरक्षक एवं गाय संस्कृति के पालन हार |
     
     
     

  9. संयम स्वर्ण महोत्सव
    यह कृति आचार्य ज्ञानसागरजी ने उस समय सन् १९५६ में लिखी जब वे क्षुल्लक अवस्था में थे। यह कृति महत्त्वपूर्ण इसलिए नहीं कि इसके लेखक, वर्तमान के आचार्य विद्यासागरजी महाराज के गुरु हैं बल्कि यह इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि वर्तमान में भारत जहाँ जा रहा है, यदि इस पुस्तक के अनुसार चला होता तो स्वतंत्रता के बाद यह देश अपने इतिहास की स्वर्णिम अवस्था को पुनः प्राप्त कर चुका होता। अब भी अवसर है यदि देशवासी इन नीतियों का अनुकरण करें, तो वह दिन दूर नहीं जब यह देश सोने की चिड़िया की ख्याति को पुनः प्राप्त कर पायेगा। आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि यह कृति इसी वर्ष पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज व संघ के देखने, पढ़ने में आयी जबकि इसमें उल्लेखित विषयों को, आचार्य श्री विगत २५ वर्षों से प्रमुखता से प्रवचन में दे रहे हैं।
     
    भूमिका
     
    पूज्य क्षुल्लक श्री १०५ ज्ञानभूषणजी महाराज ने ‘पवित्र मानव जीवन’ काव्य लिखकर समाज का भारी कल्याण किया है। हम सुखी किस प्रकार हों, सामाजिक नाते से हमारा व्यवहार एक दूसरे से कैसे हो, हमारा आहार व्यवहार क्या हो ? हम किस प्रकार स्वस्थ रहें ? सामाजिक आवश्यकताओं को किस प्रकार पूरा किया जा सके? श्रमजीवी तथा पूँजीवादी व्यवस्था का समाज पर क्या प्रभाव होता है और समाज का किस प्रकार शोषण किया जाता है, इस ग्रन्थ में विस्तार पूर्वक किया गया है। गृहस्थधर्म के बारे में विवेचन करते हुए श्री क्षुल्लकजी लिखते हैं -
     
    ‘‘प्रशस्यता सम्पादक नर हो, मुदिर और नारी शम्पा।
    जहाँ विश्व के लिये स्फुरित होती हो दिल में अनुकम्पा॥”
     
    जो व्यक्ति आज भी महिलाओं को समान अधिकार देने के विरुद्ध हैं, उनकी ओर संकेत करते हुए लिखते हैं-
     
    महिलाओं को आज भले ही व्यर्थ बताकर हम कोशे।
    नहीं किसी भी बात में रही वे हैं पीछे मरदों से॥
    जहाँ कुमारिल बातचीत में हार गया था शंकर से।
    तो उसकी औरत ने आकर पुनः निरुत्तर किया उसे॥
     
    इसके अतिरिक्त माता-पिता का बच्चों के प्रति कर्तव्य, पुरातनकालीन तथा वर्तमान शिक्षाप्रणाली का तुलनात्मक विवेचन तथा गृहस्थाश्रम की मर्यादाओं पर बड़े सुन्दर और अनोखे ढंग से प्रकाश डाला गया है। यदि हम यों कहें कि भारतीय संस्कृति तथा आम्नाय के महान् ग्रन्थों के सार को सरल और सुबोध काव्य में रचकर समाज का मार्गदर्शन किया है तो इसमें कोई अत्युक्ति नहीं होगी। हम आशा करते हैं कि इस ग्रन्थ का अध्ययन करके पाठक जहाँ अपना जीवन सफल करेंगे, वहाँ समाज को सुखी बनाने के लिये इसका अधिक से अधिक प्रचार करेंगे।
     
    देवकुमार जैन
    सम्पादक - ‘मातृभूमि’ हिसार
    प्रथम संस्करण से साभार सन् १९५६ (वि. सं. २०१३)
  10. संयम स्वर्ण महोत्सव
    चलो          ?           चलो 
    चेतन्य चमत्कारी बाबा 
           के दरबार   बंधा जी
    भव्य आगवानी,महामत्काभिषेक
        ?   ??    ?
        दिनाँक 30 जून शनिवार
          ?     ??    ?
    बुन्देलखण्ड के मध्य स्थित अनेकोनेक आतिशयों से युक्त ,चैतन्य चमत्कारी भगवान अजित नाथ जी  भोंयेरे बाले बाबा के दरबार मे  30 जून शनिवार की प्रातः बेला में शताब्दी संत श्रीमद आचार्य भगवंत श्री विद्यासागर जी महाराज बालयति संघ के साथ पधार रहे हैं।
    आचार्य भगवंत की आगवानी मुनि श्री अभय सागर जी महाराज ससंघ एवं बंधा जी  क्षेत्र के हजारों जैन जैनेतर भव्यता के साथ करेंगे। 
           बंधा जी क्षेत्र कमेटी अध्यक्ष श्री मुरली मनोहर जी द्वारा प्राप्त जानकारी अनुसार  हजारों की संख्या में अजेन आचार्य भगवंत की आगवानी को आतुर है। आस पास की विभिन्न भजन मंडली,अखाड़े, और हजारों कलशों के साथ आचार्य भगवंत की आगवानी की जावेगी। सम्पूर्ण मार्ग में बन्धनबार आगवानी के लिए सजाये गए है।
            प्रातः काल आगवानी के साथ ही ब्र. सुनील भैया जी के निर्देशन में  विभिन्न्न कार्यक्रम सम्पादित किये जावेगें।
    ?    1008 कलशों से श्री अजितनाथ भगवान का महामस्तकाभिषेक
    ? आचार्य श्री का संयम स्वर्ण महोत्सव , आचार्य भगवंत की दिव्य देशना।
     ? विद्योदय फ़िल्म का प्रदर्शन
        आदि विविध कार्यक्रम क्षेत्र कमेटी द्वारा आयोजित है।
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    श्री बंधा जी क्षेत्र के अतिशय कारी चेतन्य चमत्कारी बाबा अजितनाथ जी  के दरवार  में एक बार जो आ जाता है उसे बार बार आने का मन करता है। यह इस क्षेत्र का प्रथम अतिशय है।
     वर्ष 2017 और 2018 के जनवरी माह में आर्यिका श्रेष्ठ विज्ञानमती माता जी के सानिध्य में इस क्षेत्र पर विभिन्न कार्यक्रम  आयोजित हुये देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में आये श्रद्धालुओं ने कार्यक्रम में शिरकत की और बंधा जी क्षेत्र के भोंयेरे बाले बाबा के चमत्कार को साक्षात निहारा।
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      क्षेत्र कमेटी द्वारा आगन्तुको के आवास एवं भोजन की व्यवस्था रखी गयी है। 
        पधारकर सातिशय पुण्य लाभ अर्जित करें।
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        मुरली मनोहर जैन(अध्यक्ष बंधा जी क्षेत्र कमेटी) 8964977550  समस्त प्रबंध कार्यकारणी। क्षेत्रिय समाज
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  11. संयम स्वर्ण महोत्सव
    प्रतिभा मंडल वह समूह है जिसमें आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को अपना जीवन समर्पित करने वाली एवं उनके मार्गदर्शन में चलने वाली ब्रह्मचारिणी बहने प्रतिभास्थली कन्या आवासीय विद्यालय, महिला- हथकरघा प्रशिक्षण केन्द्र आदि का संचालन करती हैं

    वर्तमान में 5 जगहों पर प्रतिभास्थली कन्या आवासीय विद्यालय चल रहा है
    1 जबलपुर (मध्य प्रदेश)
    2 डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़)
    3 रामटेक (नागपुर, महाराष्ट्र)
    4 पपौरा जी (टीकमगढ़, मध्य प्रदेश)
    5 इंदौर (मध्य प्रदेश)
  12. संयम स्वर्ण महोत्सव
    संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महामुनिराज के 50वें संयम स्वर्ण महोत्सव वर्ष के अंतर्गत देश-विदेश में हुए मुख्य कार्यक्रमों को श्री विद्यासागर कार्मिक जगत समाचार पत्र द्वारा 20 पृष्ठीय बहुरंगीय विशेषांक में प्रकाशित किया गया है।
     

  13. संयम स्वर्ण महोत्सव
    कछुवे सम,
    इन्द्रिय संयम से,
    आत्म रक्षा हो।
     
    भावार्थ - जिस प्रकार कछुवा संकट आने पर अपने अंगोपांग को संकुचित कर अपना जीवन सुरक्षित करता है । उसी प्रकार से देशव्रती और महाव्रती इन्द्रिय विषयों का त्याग करके अपनी आत्मा की रक्षा कर लेते हैं ।
    - आर्यिका अकंपमति जी 
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  14. संयम स्वर्ण महोत्सव
    गुरु कृपा से,
    बाँसुरी बना, मैं तो,
    ठेठ बाँस था।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  15. संयम स्वर्ण महोत्सव
    आज आपके लिए लाये हैं - 2 प्रतियोगिताएं - हम चाहते हैं आप दिए गए निर्देशों को अच्छे से पढ़े |
     
    प्रतियोगिता 6 अ  - प्रस्नोत्री क्रमंब्क 2 
    https://vidyasagar.guru/quizzes/quiz/5-1
     
     
    प्रतियोगिता 6 ब.

     
     
  16. संयम स्वर्ण महोत्सव
    पीठ से मैत्री
    "पेट ने की तब से"
    जीभ दुखी है।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  17. संयम स्वर्ण महोत्सव
    दूसरे की कमाई खाना गृहस्थ के लिए कंलक है।
     
    यह बात है कि ठीक क्योंकि कमाई करने के योग्य होकर भी जो दूसरों की ही कमाई खाता है वह औरों को भी ऐसा ही करने का पाठ सिखाता है एवं जब और सब लोग भी ऐसा ही करने लग जावें तो फिर कमाने वाला कौन रहे? ऐसी हालत में फिर सभी भूखे मरें, निर्वाह कैसे हो? इसीलिये न्यायवृत्ति वाला महानुभाव औरों की कमाई की तो बात ही क्या खुद अपने पिता की कमाई पर भी निर्भर होकर रहना अपने लिये कलंक की बात मानता है। जैसा कि
     
    उत्तमं स्वार्जित वित्त मध्यमम् पितुरर्जितं ।
    अधर्म भ्रातवित्तं स्यात्स्त्रीवित्तं चाधमाधमं॥ १॥
     
    इस नीति वाक्य से स्पष्ट होता है और इस विषय में उदाहरण हमारे पुरातन साहित्य में बहुतायत से मिलते हैं। एक शाहजहां नाम का मुसलमान बादशाह हो गया है। उसकी बेगम नूरजहां अपने हाथों से खाना बनाया रखती थी। एक रोज रोटिया बनाते समय उसके हाथ जल गये। फिर भी वह उसी प्रकार रोज खाना बनाती रही। किन्तु एक दिन उसके हाथों में पीड़ा अधिक बढ़ गयी जिससे रोटी भी बनाने में वह बहुत कष्ट अनुभव करने लगी। बादशाह जब खाना खाने के लिये आया तो वह रो पड़ी, बादशाह ने पूछा क्या बात है? रोती क्यों हो? बेगम बोली आप ही देख रहे हो मेरे हाथों में पीड़ा बहुत है। 
     
    कर्तव्य पथ प्रदर्शन जिससे रोटियां बनाने में अड़चन पड़ती है। कम से कम जब तक मेरे हाथ ठीक न हो जाये तब तक एक बान्दी का प्रबन्ध कर दें ताकि वह खाना बना दिया करे। जवाब मिला कि बात तो ठीक है परन्तु अगर बान्दी रखी जाय तो उसे उसका वेतन कहां से कैसे दिया जावे? बेगम ने आश्चर्य से कहा बादशाह सलामत यह आप क्या कर रहे हैं जब कि आपके अधिकार में दिल्ली की बादशाहत है फिर भला आपके पास पैसों की क्या कमी है? खजाने भरे पड़े हैं। बादशाह बोला कि खजाने में जो पैसा है वह पिता की दी हुई धरोवर है जो कि प्रजा के उपयोग की चीज है, उस पर मेरा जाती अधिकार क्या हो सकता है? मैं तो रूमाल रोजमर्रा तैयार कर लेता हूं, उसकी आय से मेरा और तुम्हारा गुजर बसर होता है वही मेरी सम्पत्ति है।
  18. संयम स्वर्ण महोत्सव
    चाँद को देखूँ,
    परिवार से घिरा,
    सूर्य सन्त है |
     
    भावार्थ- सौरमण्डल में देखते हैं तो चन्द्रमा इन्द्र है और अपने परिवार यानि अन्य ग्रह, नक्षत्र, तारों से घिरा रहता है लेकिन सूर्य दिन में आकाश में अकेले ही दैदीप्यमान होता है । उसी प्रकार संत-साधु निस्संग, एकाकी ही विचरण करते हैं, गृहस्थ परिवार जनों से घिरे रहते हैं । 
    संस्मरण-आचार्य श्री से किसी ने कहा कि आप इतने विशाल संघ के नायक हैं। तब आचार्यश्री ने उत्तर दिया कि हम नायक नहीं, ज्ञायक हैं ।
    - आर्यिका अकंपमति जी 
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  19. संयम स्वर्ण महोत्सव
    गुरू ने मुझे,
    प्रकट कर दिया,
    दीया दे दिया।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  20. संयम स्वर्ण महोत्सव
    परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का आज भव्य मंगल प्रवेश अतिशय क्षेत्र श्री पपोरा जी जिला टीकमगढ़ में भक्तों के अपार उत्साह और अत्यंत भक्ति भाव के साथ हुआ! प्रस्तुत है ऐसी झलकियाँ जिन्हें हर कोई जानना चाहेगा !

    आज प्रातः लगभग 7 बजे से ही पूज्य आचार्य संघ की अगवानी का क्रम शुरू हुआ ! यहाँ अब तक का सबसे बड़ा इतिहास रचा गया ! लगभग साडे चार कि.मी. लम्बी शोभा यात्रा में देश भर के करीब 1 लाख श्रद्धालु सामिल हुए! भक्तो का सैलाब इस कदर था कि सब ओर, कोई ओर छोर दिखाई ही नही दे रहा था ! पूज्य आचार्यश्री जी के मंचासीन होते ही बाल ब्र श्री सुनील भैया जी इन्दौर द्वारा बड़ी ही कुशलता से बोलियाँ प्रारंभ की गई। देखते ही देखते पाद प्रक्षालन की बोली 100-100 कलश पार कर गई। पाद प्रक्षालन का सौभाग्य श्रेष्टि श्री राजा जैन कारी टीकमगढ़ परिवार एवं श्रेष्ठी श्री महेंद्र कुमार लोहिया परिवार को प्राप्त हुआ ! इसके अलावा भी कई बोलियाँ लगाई गई जो अभूतपूर्व थी। शहस्त्रकूट जिनालय में स्थापित होने बाली दो प्रतिमाओं के अनावरण भी सम्पन्न हुए।
     
    बनेगा सहस्त्र कूट जिनालय - पपोराजी में बनने वाले इस भव्य जिनालय का निर्माण स्वर्ण वर्ण के पीले पत्थर से किया जावेगा! इस जिनालय के सम्पूर्ण रूप से निर्माण के पुण्यशाली पुन्यार्जक बनने का सौभाग्य प्राप्त किया श्रेष्ठी श्री राजा जैन कारी परिवार टीकमगढ़ (अनुमानित निर्माण लागत 700 कलश )!
     
    प्रतिभा स्थली के निर्माण को मिली स्वीकृति, हुई घोषणा - पूज्य आचार्यश्री का ड्रीम प्रोजेक्ट कहे जाने बाले, शिक्षा और संस्कार प्रदान करने हेतु भारत की चोथी और मप्र की दूसरी प्रतिभा स्थली पपौरा जी मे प्रारंभ करने की घोषणा आज कर दी गई! मिली जानकारी अनुसार इसी वर्ष 108 बेटियों के प्रवेश के साथ एक नव निर्मित अन्य भवन में प्रतिभा स्थली प्रारंभ कर दी जावेगी। प्रतिभा स्थली हेतु अपने प्रथक भवन का शिलान्यास भी अतिशीघ्र होने जा रहा है यह भवन लगभग एक वर्ष में तैयार हो जावेगा। (यह सभी जानकारी सूत्रों से प्राप्त अनुसार है। कोई त्रुटि होने पर हमें सूचित अवश्य करें।)

  21. संयम स्वर्ण महोत्सव
    ज्ञान प्राण है,
    संयत हो त्राण है,
    अन्यथा श्वान|
     
    भावार्थ - ज्ञान जीव का त्रैकालिक लक्षण है। कर्म योग से सांसारिक दशा में वह ज्ञान सम्यक् और मिथ्या, दोनों प्रकार का हो सकता है सम्यग्ज्ञान भी व्रती और अव्रती के भेद से दो प्रकार का होता है। आचार्य भगवन् ने यहाँ संयमी जीव के ज्ञान के विषय में कहा है कि संयमी का सम्यग्ज्ञान संसार-सागर से पार लगा देता है लेकिन मिथ्यादृष्टि का ज्ञान श्वान अर्थात् कुत्ते के समान पर पदार्थों का रसास्वाद लेते हुए व्यर्थ हो जाता है और जीव को चौरासी लाख योनियों में भटकता रहता है । 
    - आर्यिका अकंपमति जी 
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  22. संयम स्वर्ण महोत्सव
    सुई निश्चय,
    कैंची व्यवहार है,
    दर्ज़ी-प्रमाण।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  23. संयम स्वर्ण महोत्सव
    *परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज* 
               के ससंघ सानिध्य में
         *चार दिवसीय भव्य कार्यक्रम* 
                     14 अगस्त 
            24 मुनिराजों का दीक्षा दिवस 
           
    15 अगस्त  -   स्वतंत्रता दिवस 
    16 अगस्त  - 25 मुनिराजो  का दीक्षा    
                             दिवस  
    17 अगस्त - मुकुट सप्तमी निर्वाण लाडू
                     एवं भगवान पार्श्वनाथ मोक्ष
                      कल्याणक महोत्सव 
    निवेदक -- श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र  प्रबंध समिति खजुराहो जिला छतरपुर
  24. संयम स्वर्ण महोत्सव
    बहुत मीठे,
    बोल रहे हो अब !,
    मात्रा सुधारो।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
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