मुंबई में हुआ जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की दीक्षा के स्वर्ण जयंती महोत्सव का शानदार आयोजन
प्रेस विज्ञप्ति: "अपराजेय साधक"
- · मुंबई में हुआ जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की दीक्षा के स्वर्ण जयंती महोत्सव का शानदार आयोजन
- · जबलपुर (मप्र), डोंगरगढ़ (छग) और रामटेक (नागपुर) से आईं 271 छात्राएं
- · प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ की छात्राओं की चहुंमुखी प्रतिभा का हुआ प्रदर्शन, जन-जन हुआ गदगद
गुरुदेव आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करने हेतु तन मन धन समर्पण के भाव से पिछले चार महीनों से अनवरत मुंबईजैन समाज जुटी हुई थी, प्रतिभास्थली से पधारने वाली अपनी बेटियों और बालब्रह्मचारिणी बहनों के लिये पलक पांवड़े बिछाकर बैठी थी। और वह दिन भी आ गया दिनांक ९ दिसंबर २०१७ को २७१ बेटियां हमारी झोली को स्नेह से भरने आ गईं, धार्मिक, अनुशासित, समर्पित, कुशल, अद्भुत छात्राएँ। धन्य हो गयी मुंबई धरा तपस्वी बहनों को मुंबई में पाकर।
दिन आ गया वह जब हमें निहारना था कुशल कारीगर बहनों की कला-प्रस्तुति को प्रदर्शित करने का और सुनहरे पलों में सार्थकता भरने का | रविवार १० दिसंबर २०१७ को मुंबई के विले पारले के भाईदास सभागार में जनता टकटकी लगाकर बैठी थी और कार्यक्रम का शुभारंभ ठीक साढ़े नौ बजे विद्यासागर विद्यालय के नन्हे बच्चों द्वारा किये गये मंगलघोष द्वारा हुआ|
कार्यक्रम को गरिमा प्रदान करने हेतु मुख्य अतिथि के रूप में माननीय न्यायमूर्ति श्री कमल किशोर जी तातेड़, न्यायाधीश मुंबई उच्च न्यायालय, विशिष्ट अतिथि के रूप में माननीय श्री कृष्ण प्रकाश जी, महाराष्ट्र पुलिस महानिरीक्षक, मुख्य वक्ता के रूप में पूज्य आचार्य डॉ श्री लोकेशमुनि महाराज जी, कार्यक्रम के अध्यक्ष माननीय संजय घोड़ावत जी, विशिष्ट अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति श्री केयू चांदीवाल जी, पूर्व न्यायाधीश मुंबई उच्च न्यायालय, माननीय श्री रामनिवास जी, पूर्व पुलिस महानिदेशक छत्तीसगढ़ राज्य और मध्यप्रदेश भाजपा के प्रवक्ता श्री राहुल कोठारी संयोजक के रूप में शोभायमान थे|
राष्ट्रीय संयम स्वर्ण महोत्सव समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभात जैन, महामंत्री श्री पंकज जैन (पारस चैनल), कोषाध्यक्ष श्री राजा भैया सूरत, मुख्य कार्यकारी श्री प्रबोध जैन, समिति के संयुक्त सचिव श्री संदेश जैन जबलपुर, मुंबई जैन समाज के वरिष्ठ श्री दिलीप घेवारे, श्री केसी जैन, श्री तरुण जैन, श्री विजय जैन, डॉ सुहास शाह, श्रीमती पद्मा जैन, श्रीमती इंदु जैन, डॉ (श्रीमती) मोनिका शाह, श्रीमती प्रतिभा जैन आदि कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रहे थे। कार्यक्रम का सञ्चालन कर रहे थे ओजस्वी कवि श्री चंद्रसेन जैन (भोपाल) और संचालन में सहयोगी रहीं श्रीमती इंदु जैन तथा श्रीमती विधि जैन।
गुरुदेव आचार्य श्री १०८ शांतिसागर जी महाराज जी, गुरुदेव आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज जी, गुरुदेव आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के चित्रों के समक्ष मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति तातेड़ जी, न्यायमूर्ति केयू चांदीवाल जी, अन्य गण्यमान्य अतिथियों, श्रीमती चिंतामणि जैन, श्री पंकज जैन, श्री तरुण जैन एवं श्रीमती सुशीला पाटनी ने दीप प्रज्वलित किया । कार्यक्रम की शृंखला में भक्ति नृत्य, सितार एवं तबला वादन, गुरु विद्यासागर जी महाराज के अनछुए पहलुओं को चित्रित करते हुये रेत के रंगों में मंत्रमुग्धित कला मनोहारी थी। मुंबई से सुश्री प्रशस्ति जैन और प्रशा जैन द्वारा नृत्य के माध्यम से श्री आदिनाथ स्तुति की अद्भुत प्रस्तुति ने सबको मोहित किया।
अल्प सूचना पर पूज्य आचार्य डॉ श्री लोकेशमुनि महाराज जी ने कार्यक्रम में अपना सान्निध्य प्रदान किया था, यह जैन एकता का अद्भुत नज़ारा था, एक श्वेताम्बर आचार्य, दिगंबर आचार्य की दीक्षा के स्वर्ण जयंती के कार्यक्रम में अपनी पुष्पांजलि अर्पित करने पधारे थे. उन्होंने अपने प्रवचनों में आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के प्रति अपनी श्रद्धा के सुमनों को ऐसा पिरोया कि पूरा सभागार करतल ध्वनि से गूँज उठा| उन्होंने आचार्य प्रवर विद्यासागर जी को तीर्थंकर महावीर की प्रतिमूर्ति निरूपित किया| उन्होंने आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के श्रीचरणों में वंदन निवेदित किया और उनके महाकाव्य “मूकमाटी” का विशेष उल्लेख किया तथा जैन धर्म के सम्प्रदायों में एकता के लिए अहम् हो त्यागकर एक दूसरे के प्रति विश्वास का वातावरण बनाने पर बल दिया |
इसके पश्चात् प्रारंभ हुआ वह समय जिसने मंत्रमुग्ध कर दिया मुंबई को ठहर सी गई जिंदगी उन २ घंटों के लिये, प्रतिभास्थली की बेटियों के द्वारा छाया नृत्य जिसमें गुरुदेव की प्रेरणाओं के दर्शन हुये, तो मूक अभिव्यक्ति ने गायों की दशा चित्रण ने अश्रुपूरित कर दिया, छोटे छोटे सुंदर नृत्य, आज से एक सदी पश्चात् अर्थात् वर्ष २११७ के भारत की कल्पना ने सबको हंसा हंसा कर हम गलत दिशा में जा रहे इस बोध करवाया, तो भारत के स्वर्णिम युग ने पुन: विचार करने पर विवश कर दिया, योग का परिचय भी जब दिया तो तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गुजायमान था, रौशनी नृत्य तो अद्भुत ही था, अंतिम शास्त्रीय नृत्य की गुरुवर भक्ति अतुलनीय रही, लोग अपलक कार्यक्रम का आनंद लेकर आत्मसात करते रहे।
शेर का बच्चा भेड़ियों के झुंड में आकर अपनी शक्ति और प्रतिभा को भूल बैठा है इस संवाद से आरंभ होते हुए स्वर्णिम भारत की गौरव गाथा के बहु आयामी अभिनय प्रस्तुतिकरण ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, सभी दर्शक अपलक मंच पर अपनी आँखे टिकाये हुए थे और पूरे दो घंटे अपने स्थान से हिले भी नहीं | इस कार्यक्रम की एक उपलब्धि यह रही कि मातृभाषा, जीवदया, भारत बने भारत विषयों पर लोगों को सोचने पर विवश कर दिया कि हमें अपने भारत देश के लिए जागना होगा।
कु. माहि सेठी और कु. प्रज्ञा जैन को प्रतिभास्थली से अपनी विद्यालयीन शिक्षा पूरी करने के बाद सीए की उत्कृष्ट परीक्षा में कम आयु में सफलता प्राप्त करने पर मुंबई जैन समाज ने प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया। "अपराजेय साधक" जैसे बहु आयामी कार्यक्रम के सानंद संपन्न होने पर समिति के अध्यक्ष श्री प्रभात चन्द्र जैन ने डॉ लोकेश मुनि जी, सभी प्रमुख अतिथियों, कार्यकर्ताओं, प्रतिभा स्थली की बाल ब्रह्मचारिणी दीदियों एवं छात्राओं के प्रति आभार व्यक्त किया |
जबलपुर से पधारी वरिष्ठ बाल ब्रह्मचारिणी दीदियों ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि हमें तब तक अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहना है और अपने गुरुदेव की आज्ञा में रहना है, उनके द्वारा बताए मार्ग पर चलना है जब तक कि हम सभी को अपने अंतिम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो जाती है।
इसके बाद मुंबई वासियों ने बेटियों को जैसे पलकों पर ही रख लिया और वे निकल पड़ीं मुंबई नगर भ्रमण पर, जिसमें नेहरू प्लेनेटोरियम में जाकर गृह नक्षत्रों और अंतरिक्ष का ज्ञान लिया तो अगला पूरा दिन एक्सल वर्ल्ड में, मंगलवार 12 दिसंबर को वापस जाना था, पर समंदर की हिलोरें इन छात्राओं का इंतजार कर रहीं थीं, सो चल पड़े समंदर में जहाज की सैर पर स्थान गेटवे (भारत का द्वार) परन्तु आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के श्री चरणों में रहने वाली यह बेटियां २६/११ के हमले में हुये शहीदों को देखकर थम गईं और नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दी | छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से पुन: ट्रेन में बैठीं और रवाना हो गईं, सबने नम आंखों से बेटियों को विदा किया।
यहां एक बात महत्वपूर्ण है कि इतना लंबा सफर और थका देने वाली भागदौड़ के बीच किसी भी बालिका ने नियमों और अनुशासन का उल्लंघन नहीं किया, धन्य हैं उनके संस्कार जो वह प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ से संगृहित कर रही हैं, जो आगे चलकर उत्कृष्ट समाज और राष्ट्र निर्माण में सहायक बने गईं।
प्रस्तुति :श्रीमती विधि जैन
ईमेल पता : विधिजैन@डाटामेल.भारत
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