चंद्रगिरि में आचार्य विद्यासागर महाराज ने कहा कि शुक्ल पक्ष में चंद्रमा का आकार प्रतिदिन परिवर्तित होता है बढ़ता...
चंद्रगिरि में आचार्य विद्यासागर महाराज ने कहा कि शुक्ल पक्ष में चंद्रमा का आकार प्रतिदिन परिवर्तित होता है बढ़ता जाता है और पूर्णिमा के दिन उसकी ऊष्मा से समुद्र की लहरों में उछाल आ जाता है। ऐसे ही डोंगरगढ़वासियों के भावों में भगवान के समोशरण में आने से उत्साह, उल्लास नजर आ रहा है।
आचार्य ने कहा कि आगे कब भगवान के समवशरण देखने को मिलेगा पता नहीं परंतु पिछले 3 दिनों के विहार में भगवान के समवशरण की झलकियां देखने को मिली जो की अद्भुत थी। भगवान की यह प्रतिमा बहुत प्राचीन है और जैसे कुण्डलपुर के भगवान् को आप लोग बड़े बाबा बोलते हो वैसे ही ये चंद्रगिरी के बड़े बाबा हैं। दोपहर के प्रवचन में आचार्य ने खरगोश और कछुवा के एक दृष्टांत के माध्यम से बताया कि खरगोश बहुत तेज, फुर्तीला और विवेकशील था परंतु उसने समय का सदुपयोग नहीं किया और संवेदनशीलता की कमी और आलस्य के कारण उसकी हार हुई, जबकि कछुवे की चाल धीमी थी परंतु उसने समय का सदुपयोग किया। आचार्य को आहार कराने का सौभाग्य पप्पू जैन प्रतिमास्थल के अध्यक्ष राजनांदगांव निवासी का हुआ। इस दौरान चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष विनोद जैन, कार्यकारी अध्यक्ष किशोर जैन, डोंगरगढ़ जैन समाज के अध्यक्ष एवं चंद्रगिरी ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष सुभाष चंद्र जैन, सप्रेम जैन, अमित जैन आदि मौजूद थे। डोंगरगढ़ आचार्य विद्यासागर का दर्शन करने के लिए जुटी लोगों की भीड़।
19 नवंबर को मुरमुंदा से हुआ आचार्य का विहार
19 नवंबर को आचार्य का विहार मुरमुंदा से डोंगरगढ़ के लिए सुबह 6 बजे हुआ इसमें देव, शास्त्र और गुरु तीनों के साथ रथों के सामान रथों में प्रतिमास्थल की बच्चियां, इंद्र, इन्द्राणियां, देव सुंदर दिखाई दे रहे थे। इस विहार में गांव के लोगों ने भी उत्साह से दर्शन कर धर्म लाभ लिया।
19 नवंबर को मुरमुंदा से हुआ आचार्य का विहार
19 नवंबर को आचार्य का विहार मुरमुंदा से डोंगरगढ़ के लिए सुबह 6 बजे हुआ इसमें देव, शास्त्र और गुरु तीनों के साथ रथों के सामान रथों में प्रतिमास्थल की बच्चियां, इंद्र, इन्द्राणियां, देव सुंदर दिखाई दे रहे थे। इस विहार में गांव के लोगों ने भी उत्साह से दर्शन कर धर्म लाभ लिया।
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