वीतरागता - संस्मरण क्रमांक 31
☀☀ संस्मरण क्रमांक 31☀☀
? वीतरागता ?
यह बात उस समय कि है जब आचार्य महाराज भोपाल में झिरनों के मन्दिर में दर्शन करने गए थे। बहुत प्राचीन खड़गासन प्रतिमाजी के दर्शन किये। वहाँ एक सज्जन ने पूछा-आचार्यश्री जी यह कौनसे भगवान है ? ,आचार्यश्री जी बोले - कौन से भगवान है ! भगवान है बस इतना ही जानो ।
सज्जन पुनः बोले- चिह्न तो देखो इस प्रतिमा में स्पष्ट नहीं है !
तब आचार्य गुरुदेव ने कहा कि बस वीतरागता ही इनका चिह्न है।
? दिशाबोध पुस्तक से साभार?
? मुनि श्री कुन्थुसागर जी महाराज
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