चेतन धन - संस्मरण क्रमांक 7
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☀☀ संस्मरण क्रमांक 7☀☀
? चेतन धन ?
प्रवचन के पूर्व किसी सज्जन ने दान के बारे में अपनी बात रखी।हंसी के तौर पर उनने कहा - बुंदेलखंड के लोग बड़े कंजूस है ये दान नही देते।
यह सुनकर आचार्य गुरुदेव मन ही मन मुस्कुराने लगे और मंद मंद मुस्कान उनके चेहरे पर आ गयी , तो सभी सभा मे बैठे श्रद्धालु गण हँसने लगे।
आचार्य महाराज ने प्रवचन के समय कहा - अभी एक सज्जन कह रहे थे कि ये बुन्देलखण्ड के लोग धन का त्याग नही करते। देखो ( मंचासीन सभी मुनिराजों की और अंगुली का इशारा करते हुए कहा) बुंदेलखंड वालो ने हमे चेतन धन दिया है । ये इतनी बड़ी दुकान है । आप कह रहे थे की ये दान नही करते । उन्मुक्त हंसी के साथ बोले - ये बुंदेलखंड के श्रावक जड़ का नही चेतन धन का दान करते है । हमारी यहाँ अच्छी दुकान चलती है , इसलिए तो बुंदेलखंड छोड़ा नही जाता है। खूब भगवान की प्रभावना होती है । फिर थोड़ा रुककर बोले कि - भगवान की क्या प्रभावना ? होनहार भगवान को तैयार करना ही भगवान की प्रभावना है
इसलिये तो गुरुजी बुंदेलखंड को अपना केंद्र मानते है।
शिक्षा - आचार्य गुरुदेव जड़ को महत्व नही देते है। चेतन को धन की संज्ञा देते है । आत्म वैभव ही सच्चा वैभव है और जिन्हें वह प्राप्त है , उन्हें अन्य किसी वैभव की जरूरत नही । आत्म वैभव के प्राप्त होते ही दुनियां के वैभव फीके लगने लगते हैं।
( अतिशय क्षेत्र बीना बारहा जी , उत्तम त्याग धर्म 15-09-2005 )
अनुभूत रास्ता से साभार
? मुनि श्री कुंथुसागर जी
प्रस्तुतिकर्ता - नरेन्द्र जबेरा (सांगानेर) 8005626148
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