पेट्रोल - संस्मरण क्रमांक 6
??? संस्मरण क्रमांक 6 ???
?? पेट्रोल ??
किसी सज्जन ने आचार्यश्री जी से शंका व्यक्त करते हुए कहा कि-कुछ लोग व्रत लेकर छोड़ देते है या उनके व्रतों में शिथिलता आ जाती है। ऐसा किस कारण से होता है ? तब आचार्य श्री जी ने कहा कि- मुख्य कारण तो इसमें चारित्र मोहनीय का उदय रहता है दूसरा स्वयं की पुरुषार्थ हीनता भी काम करती है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए समझाया कि जैसे कोई व्यक्ति मोटरसाइकिल शोरूम पर जाकर उत्साह के साथ बढ़िया कम्पनी की एक मोटरसाइकिल बड़े उत्साह के साथ खरीदकर लाता है। उसमें थोड़ा-सा पेट्रोल डला रहता है। जब गाड़ी चलाते-चलाते रिजर्व लग जाता है तो उसमें पुनः पेट्रोल भरना पड़ता है लेकिन इस बात का ज्ञान उस व्यक्ति को नहीं था वह मोटरसाइकिल को शोरूम पर वापिस करने पहुँच जाता है।वह दुकानदार देखता है और कहता है इस गाड़ी में कोई खराबी नहीं है।बस पेट्रोल भरवा लो।ठीक इसी प्रकार जो व्यक्ति साधू संगति,स्वाध्याय, बारह भावना आदि का चिंतन नहीं करता उसके व्रत छूट जाते है या उनमें शिथिलता आ जाती है। एक बात हमेशा याद रखो-व्रत,नियम गाड़ी की तरह होते है और साधू संगति, भावना आदि पेट्रोल का काम करते हैं।
इस संस्मरण से हमें शिक्षा मिलती है कि व्रत,नियम लेने के बाद गुरु के पास आते-जाते रहना चाहिए और प्रत्येक व्रत की पाँच-पाँच भावनाओं को हमेशा याद करते रहना चाहिए एवं निरन्तर स्वाध्याय करते रहना चाहिए।
दिशा बोध से साभार
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