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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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बालक समान भोले - बालक समान भोले - 52वां स्वर्णिम संस्मरण


संयम स्वर्ण महोत्सव

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   ☀☀ 52वां स्वर्णिम संस्मरण ☀☀
           ? बालक समान भोले ?
आचार्य ज्ञानसागर जी के पास मेरे जैसे(विद्याधर)बच्चों की अनवरत भीड़ लगी रहती थी। उनमें कितनी दया और करुणा होगी कि मुझसे यह भी नहीं पूछा कि-तुम कितने पढ़े हो और पूछ भी लेते तो बताने की हिम्मत भी मुझ में नहीं होती,कौन सी भाषा में हम बताते। वह करुणावान थे।ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो उनके बाद नि:संकोच नहीं होता हो।
   (आचार्य विद्यासागर जी)
अपने गुरु के समान ही आचार्य श्री जी में उनके गुरु के अनंत गुण समाहित हैं।
बात 9 सितम्बर 2017 रामटेककी है।
शाम के समय आचार्य भक्ति के बाद लगभग 6:40 पर आचार्य जी के पास एक 10,12 वर्ष का बच्चा आया।हम उस समय आचार्य जी के चरणों के नीचे बैठकर उनकी वैयावृत्ति कर रहे थे,साथ में हमारे साथ कही के कलेक्टर भी वहीं पर बैठे हुए थे।उस बच्चे ने आचार्य जी से कहा- "महाराज जी आप हमारे चौके में क्यों नहीं आते।"आचार्य श्री जी हंसने लगे, और हँसकर कहा- जाप दो उस बच्चे ने आचार्य श्री जीसे फिर कहा- हम आपको आहार देने आज आए थे,लेकिन लोगों ने हमें अंदर जाने नहीं दिया, बाहर से ही भगा दिया आचार्य श्री जी ने फिर हँसकर कहा- भगा दियाउस बच्चे ने कहा- हा महाराज जी, गुरुजी ने फिर कहा- अच्छा ऐसी बात है, आहार नही देने दियाउस बच्चे ने फिर कहा कि- महाराज जी मैं जाप दूंगा तो क्या आप मेरी चौके में आओगे आप कल मेरे चौकी में आ जाना please आचार्य श्री जी जोर-जोर से हंसने लगे, हम लोग वही बाजू में बैठकर ये सब देख रहे थे, उन्हें देखकर बहुत ही ज्यादा आनंद की अनुभूति हो रही थी उस समय गुरुजी बालक के समान भोले लग रहे थे।
 गुरुवर को सूरज कहूँ तो सूरज में भी आग है,
गुरुवर को चाँद कहूं तो चाँद में भी दाग हैं।
जितनी उपमाएं दे गुरुवर को,गुरुवर उनसे अच्छे है
वह शिशु के जैसे भोले और भगवान के जैसे सच्चे हैं।

सच बात है , गुरुजी के पास जो भी जाता है, वह उन्ही का हो जाता है, चाहे वह बालक हो या वृद्ध या युवा, सब उनके दीवाने हो जाते है, अनेक बार उनके दर्शनों के पश्चात भी उनके दर्शन की प्यास लगी ही रहती है।
उनका आभामंडल ऐसा है कि मुख से शब्द भी नहीं निकलते और दुनिया के कोने-कोने से भक्त उमड़ पड़ते हैं,उनकी एक झलक देखकर लोगों की आंखों से झर झर आंसू निकल पड़ते हैं,उनकी भोली मुस्कुराहट के आगे दुनिया की संपूर्ण संपदा बोनी हो जाती है और लोग अपलक निहारते रहते हैं।

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