खुरई के सौभाग्य दर्शन
*आज जिनवाणी चैनल के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व के लोगो ने मध्यान्ह में जिस सौभाग्य दर्शन को देखा उसे देखकर तो ह्रदय गद गद हुए बगैर नही रहा होगा क्योंकि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चरणों मे बैठते ही आर्यिका श्री ज्ञानमति जी भावुक मुद्रा में दिखाई दे रही थी लगता था जैसे अभी अभी आखों से अनमोल मोती लुढ़क कर गुरु चरणों मे जाने ही वाले है क्योंकि महाव्रती होने के कारण पराया तो कुछ समर्पित करने था नही सो भावो की अनुमोदना ही उनके पास स्वयं की द्रव्य थी* _आचार्य महाराज खुले आसमान में एक तख़्त पर विराजमान थे तो उन्हें घेर कर संघ के सभी साधुओ का समूह विराजमान था और आर्यिका श्री ज्ञानमति जी चंदनमति जी आदि सात आर्यिकाये एक महाराज और स्वस्ति श्री रविन्द्र कीर्ति जी सहित सभी नौ पिच्छीधारियों ने सामूहिक रूप से नमस्कार किया तो आचार्य महाराज ने अपने हाथों को प्रशस्त मुद्रा में उठाते हुए आशीर्वाद दिया_ *आर्यिका माता श्री चंदनामति जी माता जी ने आचार्य महाराज की प्रशंसा और भक्ति में रचा पगा एक भजन प्रस्तुत किया और सभी का परिचय कराते हुए बहुत ही सुंदर भावांजलि प्रस्तुत की तत्पश्चात स्वस्ति श्री रविन्द्र कीर्ति जी ने शांति और सद्भावना का जो संदेश देश और दुनिया के लोगो को दिया उसने सारे देश के लोगो को एकजुटता का संदेश दिया उन्होंने बड़े ही हर्षित भावो से कहा कि चैनल से देखने वाले जान ले कि आज का दिन बड़ा सौभाग्यशाली है आज का यह आयोजन बड़ी ही भव्यता और सौहार्द के वातावरण में सम्पन्न हुआ है उसके बाद गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री ज्ञान मति जी माता जी ने भी अपने उद्गार व्यक्त किये उन्होंने भूले बिसरे पलो को जीवंत करते हुए गुरु परंपरा का विस्तृत बर्णन किया ,पूर्व में मिलने वाले आचार्यो की देशना- समागम और मिलने वाली शिक्षा का भी पूरा पूरा ब्रतान्त सुनाया* _माता जी की दिव्य देशना के बाद सभी ने जब आचार्य महाराज से आशीष बचन सुनाने की बात की तो उन्होंने भी अपने पदानुसार बहुत सार गर्भित व्याख्यान दिए जिसमे कई दोहे और उनके अर्थों को समाहित करते हुए शास्त्रोक्त बातें बताई एवं अंत मे पूर्व वक्ताओं द्वारा किये गए कुछ प्रश्नों के उत्तर बड़े ही हँसते मुस्कराते हुए दिये और सभी से हओ कहलवाते हुए अपनी बातों की सत्यता भी सत्यापित करवाई अंत मे भाई बहिन के बीच होने वाले पवित्र रिश्ते की बात को कहते हुए माहौल को बड़ा ही खुशनुमा बना दिया फिर अपने बुंदेलखंड में आकर संघ निर्माण की बातों को कहते हुए बुंदेलखंड को गौरवान्वित किया,,उन्होंने कहा गुरु आज्ञा से जब बुंदेलखंड आया तो आते ही हीरे ही हीरे प्राप्त हुए जिन्हें सहेज कर रखने से आज यह संघ दिखाई दे रहा है सो माता जी से भी यही बुंदेलखंड में रुक कर शेष प्रभावना करने की बात कही_ *शरद पूर्णिमा को जन्मे दोनो साधको के एक दूसरे के सामने आने पर सौहार्द का जो वातावरण हुआ उसे देख कर सभी नर नारी प्रशन्नचित्त है और आगे संतवाद पंथवाद से ऊपर उठकर कुछ नया करने की परिकल्पना से ओत प्रोत है* _आचार्य भगवंत सदा भगवंत_ *श्रीश ललितपुर* 🔔🚩 *पुण्योदय विद्यासंघ*🚩🔔
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