आचार्य दर्शन की लालसा
*आचार्य विद्यासागर जी महाराज के दर्शन करने की अभिलाषा केवल श्रावको को ही नही होती बल्कि श्रमण परंपरा को जीवंत करने वाले आचार्य कुंद कुंद की परंपरा के सभी साधक जो इस धरती पर विहार कर रहे है वे सौभाग्य मानते है कि वर्तमान के वर्धमान आचार्य विद्यासागर जी महाराज के दर्शन भगवान महावीर के शासन काल मे हो रहे है*
_अभी कल की ही बात है पूज्य आर्यिका ज्ञानमति जी माता जी जब मांगीतुंगी से विहार करते हुए अयोध्या की ओर जा रही थी तब राहतगढ़ में पता लगा कि आचार्य विद्यासागर जी महाराज पास ही खुरई में विराजमान है तो तत्काल ही संदेशा भेज आचार्य संघ के दर्शनों को पहुच गयी सारे विश्व के लोगो ने जब उनके खुरई पहुचने का समाचार सुना तो एक बार उनके मन मे भी हूक उठने लगी कि वे भी इस ऐतिहासिक पलो के साक्षी बन पाते तो आनंद आ जाता किन्तु अद्भुत पुण्य प्रतापी गुरुवर के दर्शनों को आने वाली माता जी को दर्शन करते देखने का वह अद्भुत पल चैनल द्वारा दिखाए जाने पर सभी का मन प्रफुल्लित हुआ और जब समन्वय की विचारधाराओं का प्रसारण सुना तो ऐसा लगा कि जैसे संजीवनी ही मिल गयी हो_
*आज सुबह की कुछ फोटोचित्र फेसबुक और व्हाट्सएप पर पोस्ट हुए तो उन्हें देखकर तो जैसे मन मे आनंद की लहरें उछाले मारने लगी और लगने लगा कि अब धर्म को नयी दिशा और दशा मिलने वाली है क्योंकि ज्ञान का अनमोल भंडार लिये गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री ज्ञान मति जी माता जी बहुत सारे शास्त्रो को आचार्य भगवंत के श्री चरणों मे भेंट करती नजर आई और आचार्य भगवंत बहुत ही प्रशन्नचित्त होकर आशीर्वाद प्रदान करते दिखाई दिए*
आचार्य महाराज के द्वारा लिखी गयी अनमोल कृति मूकमाटी को कल आर्यिका संघ को भेंट किया गया था जिसमे आचार्य महाराज ने बड़े ही गूढ़ शब्दो के साथ माटी के जीवन ब्रतान्त को लिखा है ,,, जमीन से उठकर घड़े बनने तक के सफर में क्या क्या परेशानियां और सावधानियां होती है इसका ऐसा सुंदर वर्णन मूकमाटी में मिलता है जिसे पढ़ कर मन प्रफुल्लित हुए बगैर नही रहता और एक बार शुरू करने के बाद आखिरी पन्ने तक का सफर कैसे पूरा हो जाता है पता ही नही चलता ,,,,, ठीक उसी प्रकार आर्यिका श्री ज्ञानमति जी ने भी साहित्य के लेखन में अपना पूरा जीवन समर्पित कर बहुत सारे शास्त्रों को लिखने का कार्य किया है जिन्हें उन्होंने आज आचार्य पद के धारी गुरुवर विद्यासागर जी को समर्पित किया_
*शरद पूर्णिमा को जन्म लेने वाले दोनो साधक महान व्यक्तित्व के धनी एक आचार्य परमेष्टि रूप में विराजमान होकर जीवंत प्रभावना कर रहे है तो दूसरी ज्ञान के विस्तार में लग कर प्रभावना का कार्य कर रही है निश्चित ही आचार्य महाराज के दर्शनों के बाद होने वाली चर्चा से अब कुछ नया देखने और सुनने को मिले इसी मंगल भांवना के साथ*
*श्रीश ललितपुर*
🔔🚩 *पुण्योदय विद्यासंघ*🚩🔔
0 Comments
Recommended Comments
There are no comments to display.
Create an account or sign in to comment
You need to be a member in order to leave a comment
Create an account
Sign up for a new account in our community. It's easy!
Register a new accountSign in
Already have an account? Sign in here.
Sign In Now