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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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आचार्य श्री विद्यासागर दिगंबर जैन पाठशाला

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Albums posted by Vidyasagar.Guru

  1. आचार्य श्री के ललितपुर से दर्शन

    आचार्य श्री के ललितपुर से दर्शन
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  2. गजरथ महोत्सव बीना बारह

    गजरथ महोत्सव बीना बारह 
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  3. शिवराज सिंह चौहान जी आचार्यश्री विद्यासागर जी जीवदया सम्मान एवं कुण्डलपुर ग्रंथमाला विमोचन में पहुंचे

    आचार्य विद्यासागर जी स्वर्णोदय जिनालय के शिलान्यास समारोह में पधारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं वित्तमंत्री|
    शिवराज सिंह चौहान जी आचार्यश्री विद्यासागर जी जीवदया सम्मान एवं कुण्डलपुर ग्रंथमाला विमोचन में पहुंचे|
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  4. mool sanskaar shivir jintoor

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  5. जबलपुर से नेमावर

    जबलपुर से नेमावर
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  6. 27 वां दीक्षा दिवस (25 आर्यिका माताजी)

    आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज द्वारा  दिनांक - 25 फरवरी, 1993, सोमवार, माघ शुक्ल तृतीया, वि० सं० २०४९ (नंदीश्वरद्वीप पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान), श्री दिगः जैन अतिशय क्षेत्र पिसनहारी मढ़ियाजी, जबलपुर (म० प्र०) में 25 आर्यिका दीक्षायें प्रदान कीं
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  7. Dallas ,America

    information by : Sanjay Dalal
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  8. ललितपुर पंचकल्याणक नवम्बर 2018

    ललितपुर पंचकल्याणक नवम्बर 2018
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  9. शिरपुर जैन मे आचार्य श्री

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  10. श्री महावीर जी जैन अष्टगे ने लिया ब्रह्मचर्य प्रतिमा का संकल्प

     आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के गृहस्थावस्था के ज्येष्ठ भ्राता श्री महावीर जी जैन अष्टगे ने आज शिरपुर जैन, जिला वाशिम, महाराष्ट्र में आचार्यश्री से श्रावकों की सातवी ब्रह्मचर्य प्रतिमा के व्रत ग्रहण किए। अब आचार्यश्री के गृहस्थावस्था के सभी परिवारजन मोक्षमार्ग पर आरूढ़ हो गए 🙏🏽 🙂
    ⛳ ब्रह्मचर्य प्रतिमा का संकल्प
    मन, वचन, काय एवं कृत, कारित, अनुमोदना से जो श्रावक मैथुन का त्याग करते हैं, उन्हें ब्रह्मचर्य प्रतिमाधारी श्रावक कहते हैं। ब्रह्मचर्याणु व्रत में स्व स्त्री से सम्बन्ध रहता है किन्तु ब्रह्मचर्य प्रतिमा में स्व स्त्री से भी विरत हो जाते हैं।
     आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के गृहस्थावस्था के ज्येष्ठ भ्राता श्री महावीर जी जैन अष्टगे ने आज शिरपुर जैन, जिला वाशिम, महाराष्ट्र में आचार्यश्री से श्रावकों की सातवी ब्रह्मचर्य प्रतिमा के व्रत ग्रहण किए। अब आचार्यश्री के गृहस्थावस्था के सभी परिवारजन मोक्षमार्ग पर आरूढ़ हो गए 🙏🏽 🙂
    ⛳ ब्रह्मचर्य प्रतिमा का संकल्प
    मन, वचन, काय एवं कृत, कारित, अनुमोदना से जो श्रावक मैथुन का त्याग करते हैं, उन्हें ब्रह्मचर्य प्रतिमाधारी श्रावक कहते हैं। ब्रह्मचर्याणु व्रत में स्व स्त्री से सम्बन्ध रहता है किन्तु ब्रह्मचर्य प्रतिमा में स्व स्त्री से भी विरत हो जाते हैं।
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  11. कुण्डलपुर से विहार

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  12. मुनि श्री अजित सागर जी

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  13. केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी ने लिया आचार्य श्री का आशीर्वाद

    आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी से आशीर्वाद प्राप्त करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी
    https://vidyasagar.guru/blogs/entry/1614-post/
     
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  14. हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र उद्घाटन समारोह शिरपुर जैन

    अन्तरिक्षजी पार्श्वनाथ संस्थान शिरपुर जैन ता. मालेगांव, जि. वाशिम
     
     
     
     
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  15. खजुराहो में हुआ स्वराज सम्मान

    खजुराहो स्वराज सम्मान
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  16. खजुराहो अगस्त - सितम्बर अक्टूबर 2018

    आचार्य श्री के दर्शनार्थ उमड़ रहा है जन सैलाब
     
    जिस घर संत करे आहार तो समझो धन्य हुए है भाग्य
               हमने भगवान को तो नहीं देखा लेकिन भगवान के स्वरूप में संतो के दर्शन जरूर किए यही क्या कम है और अगर संत आपके घर भोजन ग्रहण करें तो समझो इससे बड़ा पुण्य और प्रताप जीवन में कुछ हो ही नहीं सकता जैन धर्म में मुनियों को आहार दिलाना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य माना जाता है और सच भी है ऐसे तपस्वी संत जिनके जीवन में त्याग ही त्याग है भोजन उनकी जरूरत नहीं बल्कि एक प्रक्रिया है एवं अपना अनुयाई पर एक कृपा है , तथा भोजन कराने के लिए आतुर अनुयाई जब संत उसके आमंत्रण को स्वीकार करते हैं तो चेहरे की चमक व खुशी देखने लायक होती है उसके पीछे कारण भी हैं मैं यहां आपको बता दूं कि जैन धर्म में मुनि श्री दिन में एक ही बार आहार लेते हैं तथा आहर लेने के विधान स्वरूप अगर कोई प्रक्रिया संपन्न नहीं दिखाई देती तो ऐसी स्थिति में वह उस दिन उपवास करना बेहतर समझते हैं मुनियों को आहार देने के लिए भोजनशाला में बहुत ही बारीकी के साथ दिया जाने वाला भोज्य पदार्थ कई बार जांचा वा परखा जाता है तथा छानबीन करके पकाया जाता है भोजन को पकाने आचार्य श्री को लुभाने एवं आहार ग्रहण कराने की अपनी एक अलग ही प्रक्रिया है जिस प्रक्रिया से गुजरने के बाद आचार्य श्री आहार ग्रहण करते हैं विभिन्न मुनियों के द्वारा भोजन ग्रहण करने में भी कई तरह के भोज्य पदार्थों का त्याग भी होता है अतः यह ध्यान देना भी बहुत आवश्यक है जैन धर्म में वर्तमान के युग में सबसे बड़े आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जो नमक तेल घी शक्कर एवं हरी सब्जियों के अलावा बहुत से त्याग किए हुए हैं अब ऐसी स्थिति में उन्हें उबली हुई मूंग की दाल तथा सूखी रोटी आहार में देना होता है इतने महान संत और साधारण भोजन उसमें भी कभी-कभी उपवास भी होता है एक बार अन्न- जल ग्रहण करने वाले यह तपस्वी संतो को जब आप देखेंगे तो चेहरे में एक अलग ही तेज दिखाई देता है l

    भोजन हाथों में लेते हैं और अपने हाथों से ही ग्रहण करते हैं जल भी चुल्लू लगाकर हाथों से पीते हैं 32 निवाले 32 बार चबा चबाकर भोजन को ग्रहण करते हुए तथा यह तपस्वी संत जब आहार के लिए निकलते हैं तो अंदर से कोई ना कोई विधान मन में लेकर चलते हैं उस विधान के अनुरूप ही अगर कोई याचक मिलता है तभी ही वह आमंत्रण स्वीकार कर आहार ग्रहण करते हैं तथा जहां आहार ग्रहण करने जाते हैं उस चौके में किसी भी तरह की कोई त्रुटि ना हो यहां तक की कोई एक चींटी भी मरी नजर नहीं आनी चाहिए एवं भोजन में बाल इत्यादि ना हो साफ सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है एवं कई बार महाराज श्री जिस याचक के हाथों भोजन ग्रहण करते हैं उसे कोई ना कोई एक बुराई छोड़ने के लिए भी प्रेरित करते हैं वैसे भी जैन धर्म में त्याग की भावना प्रेरित की जाती है क्योंकि संत बहुत ही त्यागी होते है वास्तव में उनके त्याग व सद्भाव के इन उद्देश्यों को हम अपने जीवन में क्षणिक मात्र ही ग्रहण करें तो हमारा जीवन धन्य हो जाएगा वैसे भी कहा गया है भोजन कराने वाले की आंखों में भूख होनी चाहिए जहां चाह वहां राह चतुर्मास  के दौरान  देश के कोने से  आकर खजुराहो में  आचार्य श्री को आहार देने के उद्देश्य से  लोग चौका लगाते हैं  एवं आचार्य श्री उनके यहां आहार ले इसके लिए  विभिन्न विभिन्न तरीके से लुभाते हैं महाराज श्री हमारे नगर खजुराहो में पधारे एवं उनके साथ एक बड़ा संत समाज भी आया वास्तव में यह धरा धन्य हो गई और हम समस्त नगर वासी अपने इस जीवन को धन्य मानते हैं संतो के चरण इस धरा में बार-बार पड़ें जिससे यह रज पुलकित एवं प्रभावी हो जाए तथा नगर में सुख शांति एवं समृद्धि आए इसी कामना के साथ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चरणो में शत शत नमन
    राजीव शुक्ला पत्रकार खजुराहो
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  17. 23 वां मुनि दीक्षा दिवस (23 मुनि दीक्षा)

    https://vidyasagar.guru/calendar/event/45-2
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  18. हिंदी विषय पर आचार्य श्री के सानिध्य में हुई अहम बैठक,

    हिंदी विषय पर आचार्य श्री के सानिध्य में हुई अहम बैठक, देश भर के विद्वान शामिल हुए,
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