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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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  1. Vidyasagar.Guru
    अट्ठारह क्षुल्‍लक दीक्षा कुंडलपुर की पावन धरती पर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के कर कमलों से कुंडलपुर में प्रदान की गईं
     
    *🛕कुण्डलपुर क्षुल्लक व्रत संस्कार🛕*
         *📿11 प्रतिमा आरोपण📿*
    *संयम प्रदाता*
    आचार्यश्री विद्यासागर महामुनिराज
     *💥नव निर्यापक घोषणा💥*
    निर्यापक मुनि समतासागर जी
    निर्यापक मुनि प्रशांतसागर जी
    निर्यापक मुनि प्रसादसागर जी
    निर्यापक मुनि अभयसागर जी
    निर्यापक मुनि सम्भवसागर जी
    निर्यापक मुनि वीरसागर जी
    *संस्कारकर्ता*
    निर्यापक मुनि समयसागर जी
    निर्यापक मुनि योगसागर जी
    निर्यापक मुनि सुधासागर जी 
    *सानिध्य*
    लगभग 275 त्यागीवृन्द
    *दीक्षार्थी*
    1.ब्र. राहुल भैया सागर,मप्र
    (मुनि श्रमणसागर जी के पूर्वाश्रमी भ्राता)
    इंजीनियरिंग,IT(BE)
    *क्षुल्लक औचित्यसागर जी*
    2. ब्र. राजेश भैया सागर,मप्र
    इंजीनियरिंग,MA,BSNL JOB
    *क्षुल्लक गहनसागर जी*
    3.ब्र. भूपेंद्र भैया ललितपुर,उप्र
    *क्षुल्लक सुधारसागर जी*
    4.ब्र. सुमित भैया गुना,मप्र
    CA
    *क्षुल्लक मंथनसागर जी*
    5.ब्र. मयूर भैया,विदिशा,मप्र
    *क्षुल्लक कैवल्यसागर जी*
    6. ब्र. ईश्वरदास भैया, महाराजपुर,मप्र
    *क्षुल्लक  जी*
    7. ब्र. सचिन भैया,मुंगावली,मप्र
    *क्षुल्लक मननसागर जी*
    8. ब्र. मानस भैया, इंदौर,मप्र
    *क्षुल्लक सुदृढ़सागर जी*
    9. ब्र. सचिन भैया,पुसद, महाराष्ट्र
    *क्षुल्लक अपारसागर जी*
    10. ब्र. प्रांशुल भैया,सतना, मप्र
    *क्षुल्लक समकितसागर जी*
    11. ब्र. अविचल भैया(चंचल भैया),गुना,मप्र
    *क्षुल्लक विचारसागर जी*
    12. ब्र. राजा भैया खिमलाशा,मप्र‌
    (मुनि आदिसागर जी के पूर्वाश्रमी के भ्राता)
    *क्षुल्लक मगनसागर जी*
    13. ब्र. अमित भैया ललितपुर,उप्र
    (मुनि अनंतसागर जी,मुनि भावसागर जी के पूर्वाश्रमी के भतीजे)
    *क्षुल्लक तन्मयसागर जी*
    14. ब्र. मयूर भैया, सुरखी,मप्र
    *क्षुल्लक उचितसागर जी*
    15.. ब्र. अर्पित भैया, फिरोजाबाद,उप्र
    *क्षुल्लक अथाहसागर जी*
    16. ब्र. चन्दन भैया, फिरोजपुर,पंजाब
    *क्षुल्लक उत्साहसागर जी*
    17. ब्र. कार्तिक भैया,दमोह,मप्र
    *क्षुल्लक अमापसागर जी*
    18.ब्र. सौरभ भैया,सागर,मप्र
    *क्षुल्लक विरलसागर जी*

    *सभी नवदीक्षित क्षुल्लक जी के चरणों में त्रिवार इच्छामि सभी साधक शीघ्र रत्नत्रय को प्राप्त करे।
     
     
    कुछ त्रुटि होगी तो सुधार किया जाएगा
     
  2. Vidyasagar.Guru
    *⛳कल  दिनाँक 5/06/2022 रविवार को मुंबई में अंतर यात्री महापुरुष आचार्य श्री पर आधारित एक फिल्म का ट्रेलर एवम गीत-संगीत का विमोचन(लॉन्च) आदरणीय महावीर जी अष्टगे (आचार्य श्री के ग्रहस्थ जीवन के भाई), प्रभात जी ,इंदु भाभी जी ,किरीट भाई दोशी गोरेगॉव सभी के हस्ते  उनकी गरिमामयी उपस्थिति में किया गया।
    ⛳ पिक्चर बेहद ही खास पिक्चर संत शिरोमणि आचार्य श्री की जीवनी पर आधारित है पूरी फिल्म की कास्टिंग भी वहां पर उपस्थित थी,आचार्य श्री के जीवन पर आधारित यह पिक्चर 26 जून को प्रदर्शित की जा रही है..... फिल्म के प्रोडक्शन में वंडर सीमेंट का भी सहयोग मिला है  डायरेक्टर अनिल कुलचानिया ने बताया कि पिक्चर का दूसरा पार्ट भी बनेगा।
     
     




     
     
  3. Vidyasagar.Guru
    पंजीकरण लिंक 
     
    https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSd4NiGUxTiUsvyGa1vX5VKzF1anEI-Lff3VGU7I-7Gqu21zMA/viewform?usp=sf_link
     
    स्वाध्याय लिंक 
    https://vidyasagar.guru/mookmati/
     
     
     
    मूकमाटी प्रतियोगिता के लिए पुस्तक 
    ऑर्डर करें 
    https://store.vidyasagar.guru/products/mookmati
    आज ही ऑर्डर करें 
    /
     
     
     

  4. Vidyasagar.Guru
    प्रतियोगिता के उत्तर गूगल  फ़ॉर्म पर देने होंगे 
    अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता गूगल फ़ॉर्म प्रश्न पत्र लिंक
     

     
     
    मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता पंजीकरण प्रारंभ 
     

     
    जिन्होंने प्रतियोगिता भर दी हैं उनकी सूची 
     

     
    पंजीकरण के बाद आपको whatsapp समूह का लिंक मिलेगा, जिसके माध्यम से आप समूह में जुड़ पाएंगे 
     
     
     
     

     
    https://youtu.be/QHcuD9mqbRc
  5. Vidyasagar.Guru
    गुरु पूर्णिमा, 3 जुलाई 2023 
    गुरुदेव के 56 वें मुनि दीक्षा अवसर पर कालजयी महाकाव्य 'मूकमाटी "पर आधारित अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता हुई  जिसमें 12 देशों के 1800 प्रतियोगी ने भाग लिया था आज उसका पुरस्कार सम्मान समारोह आयोजित हुआ । 
     www.Vidyasagar.guru वेबसाइट के माध्यम से  आन लाइन संपन्न इस प्रतियोगिता में 400 पुरुष व 1400 महिलाएं शामिल थी। पुरुस्कार देने के लिये  उज्जवल पाटनी जी दुर्ग एवं  पुरस्कार पुण्यार्जक श्री राजकुमार विनोद बड़जात्या रायपुर व विद्यासागर डॉट गुरु वेबसाईट  के संचालक सौरभ जयपुर यहाँ आये व बिजेताओं को पुरस्कार प्रदान करें। पुरस्कार में चलचरखा की जरी वाली  साड़ी,  छोती दुपहा, पानी का छला मरुदेवी हस्तशिल्प की सुंदर लेपटॉप  बैग, पूर्णायु की अमृत धारा, लवण भास्कर चूर्ण (इस का उल्लेख मूकमाटी में है व प्रश्न भी आया था उपहार  में प्शांतिधारा का देशी घी डब्वा एवं प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया 
    104 प्रतियोगी के शत प्रतिशत 100 अंक आये हैं, उसमें लकी ड्रा से 11 प्रतियोगी के नाम एवं 70 प्रतिशत अंक मे से 45 नाम सांत्वना पुरस्कार के निकाले गए थे | सभी विजेताओं को फोन पर सूचित कर पुरस्कार समारोह मे आमंत्रित किया गया था |
    आए विजेताओं को  आचार्य भी को नमन कर पुरस्कार प्रदान किया गया । 
    जो नहीं आ सके उन्हें कोरियर के माध्यम से पुरस्कार भेजा जाएगा |
     
    प्रमाण पत्र लिंक 
    https://docs.google.com/spreadsheets/d/1dN9amldpgPlplyCPnT7JN_0s7GK4aFaN/edit?usp=sharing&ouid=108041101357652563056&rtpof=true&sd=true
     
     
    अंक प्राप्त सूची 
     
    56 विजेताओं के नाम 
     
     
     
     
    पुरस्कार एवं सम्मान समारोह 
     
     
    प्रतियोगियों का विश्लेषण
     


     

     
    आपको यह प्रतियोगिता कैसी लगी , कमेन्ट में अवगत कराएँ |
     
  6. Vidyasagar.Guru
    अंतरिक्ष पारसनाथ पहुंचे आचार्य भगवन गुरुदेव श्री विद्यासागर महाराज 
     48 दिन से चल रहा मंगल विहार 9 जुलाई को 7:45 बजे सुबह प्रसिद्ध जैन तीर्थ क्षेत्र अंतरिक्ष पारसनाथ में जाकर ठहर गया यह ठहराव दो-चार दिन के लिए नहीं पूरे वर्षायोग चातुर्मास यानी दीपावली तक तो पक्का है हजारों की संख्या में महाराष्ट्र और कर्नाटक के अलावा देश के कई हिस्सों से लोग अंतरिक्ष पारसनाथ पहुंचे हैं 
    पतली-पतली गलियों का यह गांव आज गुलजार हो गया जैसे ही आचार्य श्री इस गांव की सीमा पर पहुंचे महाराष्ट्र की पारंपरिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के द्वारा आचार्य भगवन की भव्य अगवानी की गई।
     
     

     
     
    आचार्य संघ इस बार छोटा है लेकिन पूरे देश की निगाहें इस छोटे से शिरपुर गांव में विराजमान अंतरिक्ष पारसनाथ के दरबार पर हैं छोटे बाबा का प्रवेश यहां पर हुआ है। आचार्य संघ कुंडलपुर के बड़े बाबा के दरबार और रहली पटनागंज के बड़े बाबा भगवान महावीर स्वामी के मंगल आशीर्वाद के बाद निश्चित रूप से आने वाले दिनों में यहां मंदिर का बंद ताला भी खुल जाएगा ऐसी उम्मीद हम सब जन मिलकर के करें तो हमारी एकता और अखंडता भी बनी रहेगी।
    गुरुदेव के चरणों में "अनंत बार" नमोस्तु, नमोस्तु, नमोस्तु..
    🚩🚩🚩🚩🚩🚩
    आचार्य संघ का वर्षायोग कलश स्थापना समारोह 17 जुलाई को अंतरिक्ष पारसनाथ में दोपहर 1 बजे से होगा
    🙏🙏✍️🙏🙏
    मुकेश जैन "ढाना" सागर मध्यप्रदेश
  7. Vidyasagar.Guru

    युगद्रष्टा
    “कालचक्र गतिमान किसी का दास नहीं है।'' इस उक्ति के अनुसार काल का परिणमन प्रति समय चल रहा है। काल के इस परिणमन के साथ जीवों में, वय में, शक्ति में, बुद्धि में, वैभव में, परिवर्तन होता है। जब यह परिणमन वृद्धि के लिए होता है तो उसे उत्सर्पिणीकाल कहते हैं और जब यह परिणमन हानि के लिए होता है तो उसे अवसर्पिणी काल कहते हैं। अभी इसी अवसर्पिणीकाल के चक्र में प्रत्येक प्राणी श्वास ले रहा है। आज जो आयु, ऊँचाई, बुद्धि में ह्रास हमें दिखाई दे रहा है। आगे इससे भी अधिक होगा। यह भी स्वतः स्पष्ट होता है कि आज से वर्षों पहले यह सभी तथ्य और अधिक मात्रा में रहे होंगे। जैनधर्म में इसी कालखण्ड को छह भागों में विभाजित किया है। उनमें प्रथम, द्वितीय, तृतीय काल, उत्तम, मध्यम और जघन्य भूमि कहलाते हैं। जिसमें मनुष्य को कोई कर्म नहीं करना पड़ता है। परिवार के नाम पर मात्र पति, पत्नी ये दो ही प्राणी होते हैं। कल्पवृक्षों से इनकी दैनिक भोग-उपभोग की सामग्री उपलब्ध होती थी। तृतीयकाल के अन्त में जब भोगभूमि की व्यवस्था समाप्त हो रही थी और कर्मभूमि की रचना प्रारम्भ हो रही थी तब उस संधि काल में अन्तिम मनु-कुलकर श्री नाभिराज के घर उनकी पत्नी मरुदेवी से भगवान् ऋषभदेव का जन्म हुआ था।
     
    गर्भ से ही मतिज्ञान, श्रुतज्ञान और अवधिज्ञान को धारण करने वाला वह बालक विलक्षण प्रतिभा का धनी था। कल्पवृक्षों के नष्ट हो जाने के बाद बिना बोये धान्य से लोगों की आजीविका होती थी परन्तु कालक्रम से जब वह धान्य भी नष्ट हो गया, तब लोग भूख-प्यास से अत्यन्त व्याकुल हो उठे और सभी प्रजाजन नाभिराज के पास पहुँचकर उनसे रक्षा की भीख माँगने लगे। प्रजाजनों की व्याकुल दशा को देखकर नाभिराज ने उन्हें ऋषभकुमार के समीप पहुँचा दिया। उन्होंने उसी समय अवधिज्ञान से विदेहक्षेत्र की व्यवस्था के अनुसार इस भरतक्षेत्र में भी वही व्यवस्था प्रारम्भ करने का निश्चय किया।
     
    उन्होंने असि (सैनिक कार्य), मषि (लेखन कार्य), कृषि (खेती), विद्या (संगीत, नृत्य आदि), शिल्प (विविध वस्तुओं का निर्माण) और वाणिज्य (व्यापार) इन छह कार्यों का उपदेश दिया तथा इन्द्र के सहयोग से देश, नगर, ग्राम आदि की रचना करवायी। इसी कारण आप युगद्रष्टा कहलाए। इस व्यवस्था को आपने इस वसुन्धरा पर अवधिज्ञान से देखकर प्रचलित किया इसलिए आप युगद्रष्टा कहलाए। जब भगवान् माता मरुदेवी के गर्भ में आये थे, उसके छह मास पहले से अयोध्या नगर में हिरण्य-सुवर्ण तथा रत्नों से वर्षा होने लगी थी, इसलिए आपका नाम हिरण्य गर्भ पड़ा। षट्कर्मों का उपदेश देकर आपने प्रजा की रक्षा की इसलिए आप प्रजापति कहलाए। आप समस्त लोक के स्वामी हो इसलिए लोकेश कहलाए। आप चौदहवे कुलकर नाभिराज से उत्पन्न हुए इसलिए आप नाभेय कहलाए। इत्यादि अनेक नामों से आपकी ख्याति हिन्दू पुराणों और वेदों, श्रुति में उपलब्ध होती है। अनेक शिलालेखों और अनेक खोजों से प्राप्त सभ्यताओं में जो अवशेष मिले हैं, उससे आपकी प्राचीनता और सार्वभौमिकता को वर्तमान के सभी इतिहासकारों ने एक स्वर से स्वीकारा है। डॉ. सर. राधाकृष्णन कहते हैं -
     
    जैन परम्परा ऋषभदेव से अपने धर्म की उत्पत्ति होने का कथन करती है जो बहुत-सी शताब्दियों पूर्व हुए हैं। इस बात के प्रमाण पाए जाते हैं कि ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी में प्रथम तीर्थङ्कर ऋषभदेव की पूजा होती थी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जैनधर्म वर्धमान और पार्श्वनाथ से भी पहले प्रचलित था। यजुर्वेद में ऋषभदेव, अजितनाथ और अरिष्टनेमि तीर्थङ्करों के नाम का निर्देश है। भागवत पुराण में भी इस बात का समर्थन है कि ऋषभदेव जैनधर्म के संस्थापक थे।
     
    भगवान् ऋषभदेव के दस भवों का कथन पं. भूधरदासजी ने अपने 'जैन शतक' ग्रन्थ में किया है - आदि जयवर्मा, दूजै महाबल भूप तीजै स्वर्ग ईशान ललिताङ्ग देव थयो है। चौथे बज्रजंघ एवं पांचमे जुगत देह सम्यक ले दूजे देव लोक फिर गए हैं। सातवै सुविधि एक आठवै अच्युत इन्द्र नवमैं नरेन्द्र वज्रनाभि भवि भयो है। इसमै अहिमिन्द्र जानि ग्यारहै रिषभनाथ नाभिवंश भूधर के माथै नम लगे हैं।
     
    भगवान् ऋषभदेव का सम्पूर्ण वृत्तान्त और उनके पूर्व भवों का वर्णन पुराण ग्रन्थ में आचार्य श्री जिनसेनस्वामी ने किया है। चूंकि यह पुराण सविस्तार बहुत विपुल सामग्री को लिए है। इस पुराण में ऋषभदेव के साथ अन्य अनेक महापुरुषों का वर्णन भी है। भगवान् ऋषभदेव कैसे बने? उनके जीवन के पूर्वभवों को इसी पुराण की आधारशिला बनाकर इस लघुकाय कृति का रूप बना है। मात्र ऋषभदेव का जीवन, कम समय में स्वयं को स्मृत रहे और अन्य भव्य प्राणी भी लाभ उठायें, इस भावना से यह प्रयास किया है। इस कार्य को करते हुए अनेक सैद्धान्तिक विषयों का खुलासा भी हुआ और उनका समायोजन भी किया है। दश भवों का वर्णन संक्षेप से इस कृति में उपलब्ध है।
     
    प्रभु का यह संक्षिप्त कथानक सभी भव्यजीवों को उत्तम बोधि प्रदान करे, इन्हीं भावनाओं के साथ परम पूज्य आचार्य गुरुदेव श्री विद्यासागर जी महाराज को समर्पित यह कृति जिनके प्रसाद से इस आत्मा को सम्यक् बोधि की प्राप्ति हुई है।
     
    मुनि प्रणम्यसागर
  8. Vidyasagar.Guru
    केवल ज्यादा पैसों की बोली लगाने से कुछ नहीं होता, तनाव को कम करने के लिए दान देते हैं। जबकि तन को दूर करने के लिए दान दिया जाता है। यह उद्गार राष्ट्रीय जैन संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने देवरी के दिगंबर जैन मंदिर परिसर में व्यक्त किए। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज सुबह गोपालपुरा से देवरी नगर पहुंचे जहां देवरी जैन समाज द्वारा धूमधाम से अगवानी की गई। इसके बाद आहार चर्या का सौभाग्य नन्हे भाई जैन परिवार को मिला।
     
    प्रवचन के दौरान आचार्यश्री ने कहा कि आप लोग केवल देहरी पर रह रहे हैं इसलिए भीतर की बात समझ में नहीं आती है, देहरी घर के बाहर रहती है। जैसे बीना जी अतिशय क्षेत्र की देहरी देवरी है और अभी में देहरी पर आया हूं। उन्होंने कहा जब भीतर पहुंचो तभी भगवान से परिचय होता है। देहरी के बिना मंदिर में प्रवेश नहीं होता। आप लोग शांतिनाथ भगवान की ओर जा रहे हैं, इसलिए देहरी के बिना नहीं पहुंचा जा सकता है। आप लोगों को अपना कल्याण करना है तो भीतर जाना होगा। केवल जाने के लिए ज्यादा पैसाें की बोली लगाने से कुछ नहीं होता है। तनाव को टेंशन को कम करने के लिए लोग दान देते हैं तन को दूर करने के लिए दान दिया जाता है।

    राष्ट्रीय जैन संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज देवरी नगर से दोपहर 3 बजे ससंघ बिहार करते हुए शाम करीब 5 बजे अतिशय क्षेत्र बीना बारह पहुंचे। जहां उन्होंने गजरथ स्थल का मुआयना किया एवं बीना बारह में चल रहे मंदिरों का निर्माण कार्य और प्रतिमाओं का अवलोकन किया। शोभायात्रा में अखिलेश जैन, तेजी राजपूत, मयंक चौरसिया नपाध्यक्ष, प्रमोद जैन, ऋषभ जैन, रजनीश जैन, गौरव पांडे, विनीत, अभय, विनोद, कमल, मुकेश जैन ढाना, आकाश, अप्पू चौधरी, नीरज जैन, कल्लू बड़कुल आदि शामिल रहे। 
  9. Vidyasagar.Guru
    अपना घर
     चिड़िया तुम आती हो
     मेरे घर
     मुझे अपना घर
     तब बहुत अच्छा लगता है!
     तुम बना लेती हो 
     अपना घर
     मेरे घर में
     मुझे यह भी अच्छा लगता है!
     मैं जानता हूँ 
     तुम मेरे घर 
     नहीं आती 
     अपने घर आती हो
     पर अपने घर
      आने के लिए
     तुम्हारा मेरे घर आना
     मुझे अच्छा लगता है
     सचमुच 
     तुम्हारे घर ने
     मेरे घर को 
     अपना घर बना दिया !
     
    Home
     Bird, when you come to my house,
     Your coming
     Makes me like my house.
     Bird, I like you making
     Your home
     In my house.
     I know, Bird, you do not come
     To my house
     But to your own.
     But in coming to your own home
     I like your coming
     To my house.
     Bird, your making your home
     In my house,
     Makes my house
     So much my home.
  10. Vidyasagar.Guru
    अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए दान करना आवश्यक है : आचार्य विद्यासागर
     
    धन सब के पास दो प्रकार का होता है एक धन घूमता रहता है और दूसरा धन स्थिर रहता है अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए दान करना आवश्यक है ये बात आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने शनिवार को भाग्योदय तीर्थ में शनिवार काे एक धर्मसभा में कही। आचार्यश्री ने कहा कि शरीर में आत्मा रह रही है शरीर आत्मा नहीं है। शरीर साथ नहीं दे रहा हो तो आत्मा कहती है मेरे पास पंख हैं, तुम्हारे पैर अब किसी काम के नहीं हैं। आप शरीर के नहीं आत्मा के दास बनो। आचार्यश्री ने कहा आप दूसरों के नियंत्रण में नहीं अपने नियंत्रण में चलें अधिक तेज रक्त के चलने से चक्कर आ जाते हैं। आप बाहर से तो स्वस्थ दिखते हो पर भीतर से मंदी रहती है। आप यदि ताली बजाओगे तो गर्मी भी आ जाएगी। धर्म ध्यान करना चाहो तो ध्यान निर्धारित करो। जैसे रक्त अनुपात से जरूरी है वैसे आप भी अपने अनुपात से रहो। आचार्यश्री ने कहा कि अपनी आत्मकथा की बात करो सब के पास अपनी आत्मकथा है। हमारी कथा आपके पास नहीं है और आप की कथा हमारे पास नहीं है। यह दोनों की व्यथा है। आत्मकथा में कोई व्यथा नहीं होना चाहिए। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए शरीर में रक्त का होना अनिवार्य है। 

    आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन का अवसर दिनेश जैन अमरदीप और जयदीप जैन चितौरा परिवार और विजय जैन पड़ा को प्राप्त हुआ। जिनेश जैन सुरखी और रविकांत जैन नेहानगर ने आचार्यश्री को शास्त्र भेंट किए। आचार्यश्री की पूजन नेहा नगर जैन समाज मकरोनिया, सागर में पदस्थ अधिकारी कर्मचारियों और मोराजी की पाठशाला के बच्चों ने की। आचार्यश्री की आहारचर्या हथकरघा के माध्यम से लोगों को रोजगार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही ब्रह्मचारिणी रेखा दीदी, डॉ. नीलम दीदी और डॉक्टर राजा जैन के चौके में हुई। 

    डीआईजी पुलिस राकेश जैन को भी आचार्य श्री को आहार देने का अवसर मिला। इस माैके पर तीन प्रतिमाएं सहस्त्रकूट जिनालय के लिए देने की घोषणा हुई। किरण शील चंद जैन, अशोक जैन अंकुर कॉलोनी, राकेश जैन, सौरभ जैन, आदि ने इसका प्रण लिया।
     
    आचार्यश्री के रविवारीय प्रवचन होंगे आज
     
    भाग्योदय तीर्थ में अाचार्यश्री विद्यासागर महाराज के रविवारीय मंगल प्रवचन दोपहर 2 बजे से बड़े पंडाल में होंगे। मुनि सेवा समिति के सदस्य मुकेश जैन ढाना ने बताया कि यहां अभी आचार्य संघ में 48 मुनि महाराज और 49 आर्यिकाएं माताजी विराजमान हैं। रविवार को जैन समाज ढाना और अंकुर कॉलोनी मकरोनिया जैन समाज के द्वारा आचार्यश्री की बुंदेली पूजन सुबह 8.45 बजे से प्रारंभ होगी। आर्यिका पूर्णमति माताजी का विहार झांसी से सागर की ओर चल रहा है इस संघ में 8 माताजी हैं। 15 फरवरी को आर्यिका संघ के सागर प्रवेश की संभावना है। 
     
    6 दिवसीय निशुल्क आयुर्वेदिक शिविर आज से 
     
    भाग्योदय में कैंसर के लिए आयुर्वेदिक औषधि का निशुल्क वितरण दिव्यांग संरक्षण सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक केसरीमल जैन बागीदौरा राजस्थान द्वारा किया जा रहा है। यह शिविर रविवार से शुरू हाेकर 15 फरवरी तक चलेगा। इसी दवा से स्वयं का कैंसर ठीक हाेने का दावा करने वाले जैन इससे पहले मुंबई, हल्दीघाटी, खजुराहो, छत्तीसगढ उदयपुर आदि स्थानों पर शिविर लगा चुके हैं। भाग्योदय तीर्थ धर्मशाला के सामने सुबह 11 से शाम 4 बजे तक यह शिविर राेजाना लगेगा। 
  11. Vidyasagar.Guru
    खुरई 



    दीपक जलाना बहुत आसान होता है, परन्तु ज्ञानदीप को जलाना बहुत मुश्किल होता है। याद रखना बंधुओं दीपक के तले ही अंधेरा होता है। 

    व्यक्ति को हमेशा र|दीप जलाने का प्रयास करना चाहिए, र|दीप के नीचे न तो अंधेरा ही रहता है और न ही यह कभी बुझता है। इसकी ज्योति भी निरंतर अखण्ड रूप से प्रज्जवलित होती रहती है। अधकचरा ज्ञान हमें कभी भी अपनी मंजिल या लक्ष्य की प्राप्ति नहीं करा सकता। अंधों में काना राजा बनना भी ठीक नहीं है। ज्ञानावरणी कर्मों का क्षय करने का निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। यह बात मंगलधाम परिसर में प्रवचन देते हुए अाचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कही। उन्हाेंने कहा कि क्या हो गया तुझे, अपमान पर अपमान सह रहा है, कर्म तुझे मनमाने दुःख दे रहे हैं तू कुछ भी कर नहीं पा रहा है। अपने स्वभाव में रह नहीं पा रहा है इससे बड़ा अपमान और क्या हो सकता है जो आत्मा स्वचतुष्टय के स्तम्भ पर खड़े निजगृह में न रहे तो उसके गृह में कर्मरूपी डकैत बसेरा कर लेते हैं। 

    गृहमालिक कमजोर पड़ जाए, कमजोर बलजोर हो जाए और आत्मा मारा-मारा फिरे, इन्द्रिय और मन के विषयों की गुलामी करता रहे, पर में ही सुख को खोजता फिरे इससे बड़ा आत्मा का अपमान और क्या हो सकता है। उन्हाेंने कहा कि अपनी इस दुर्दशा पर क्या तुम्हें तरस नहीं आता। विषय भोगी और मान कषायी जीवों से पल भर भी कुछ सम्मान के शब्द सुनने के पीछे कितने दुःखों का भार उठाना पड़ रहा है। सम्यक् विचार क्यों नहीं करते। मान से उत्पन्न हुए सुखाभास रूप सुख को कुछ पल के लिए पाने हेतु कितने सारे पल दुःख में बीते जा रहे हैं। अरे! इन भारी कर्णाभूषणों को पहनने का औचित्य क्या जिससे कान ही कट जाए, कभी कुछ पहन ही न पाए। ऐसे मान का क्या प्रयोजन जो भगवान ही न बनने दे, भगवत्ता पर आवरण डाल दे। प्रभु की वाणी में भी सम्यक्त्व की, व्रती की प्रशंसा होती है यदि तुममें ये गुण नहीं हैं तो लज्जा की बात है। यदि सम्मान ही पाना है तो प्रभु वचनों में सम्मान पाअाे। आचार्यश्री ने कहा कि मानी जीवों से सम्मान पाकर क्या होना है यदि वे तुझे एक बार सम्मान देते हैं तो तुझसे सौ बार सम्मान पाने की तमन्ना भी रखते हैं यह निश्चित है। मान के लिए पर से सम्बन्ध जोड़ने पड़ते है, प्रशंसक एकत्रित करने होते हैं, इसके लिए उनकी भी झूठी प्रशंसा करनी होती है ऐसी झूठी जिंदगी जीने का मतलब ही क्या। 

    यदि मोक्ष सुख को पाने लिए परीशह उपसर्ग सहते तो कर्म निर्जरित हो जाते किन्तु मान के लिए अपमान को सहते रहने से तो और-और कर्म ही बांधते रहे। अपनी बर्बादी करते रहे यह बात भी ध्यान रखने योग्य है कि अपमान के घूंट बार बार पीने से दीनता आती है। आचार्यश्री ने कहा कि जहां सम्मान की तमन्ना में अपने आत्मिक वैभव की बाजी लगा देनी पड़े ऐसे मान को धिक्कार हो जिसमें सच्चा सुख तो एक पल का भी है ही नहीं। मान का सही ज्ञान हो तो सुख की शुरूआत हो, मान से छुटकारा हो, ज्ञानयान पर सवार होकर यात्रा की शुरूआत हो, आनंद की बरसात हो ऐसा कुछ करने का सतत् प्रयास करें। प्रवचन सभा के पूर्व आचार्यश्री की पूजन संपन्न हुई, गुरूवर की अाहारचर्या महेन्द्र गुड़ वालों के यहां हुई। ईशुरवारा अतिशय क्षेत्र के समस्त पदाधिकारियों ने आचार्य संघ को श्रीफल भेंटकर ईशुरवारा अतिशय क्षेत्र में आने को आमंत्रित किया। 
  12. Vidyasagar.Guru
    श्री. मज्जीनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव अमरकंटक🚩🛕
       25 मार्च से 1 अप्रैल 2023
                 🛕🛕🛕🛕🛕
    💫युग शिरोमणि, जन जन के संत, आचार्य भगवन श्री १०८ विद्यासागरजी महामुनिराजजी
    💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसादसागरजी महाराजजी
    💫मुनिश्री १०८ चंदप्रभसागरजी महाराजजी
    💫मुनिश्री १०८ निरामयसागरजी महाराजजी
    ससंघ के मंगल सानिध्य में होगा 🛕सर्वोदय तीर्थ क्षेत्र अमरकण्टक में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव🛕 
    🎤प्रतिष्ठाचार्य :- वाणीभूषण प्रतिष्ठासम्राट बा. ब्र. विनय भैया जी बंडा
    🪷कार्यक्रम सूची🪷
    25 मार्च 2023 शनिवार
    ➡️ध्वजारोहण,घटयात्रा
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    26 मार्च 2023 रविवार
    ➡️ सकलिकरण,ईंद्र प्रतिष्ठा,गर्भ कल्याणक (पूर्व रुप)
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    27 मार्च 2023 सोमवार
    ➡️गर्भ कल्याणक (उत्तर रुप)
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    28 मार्च 2023 मंगलवार
    ➡️जन्म कल्याणक
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    29 मार्च 2023 बुधवार
    ➡️ तप कल्याणक
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    30 मार्च 2023 गुरुवार
    ➡️ ज्ञान कल्याणक (पूर्वार्ध)
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    31 मार्च 2023 शुक्रवार
    ➡️ ज्ञान कल्याणक (उत्तरार्ध)
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    1 अप्रैल 2023 शनिवार
    ➡️ मोक्ष कल्याणक, कलशारोहण
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  13. Vidyasagar.Guru
    आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के ससंघ सानिध्य में सर्वोदय जैन तीर्थक्षेत्र अमरकंटक में 25 मार्च से 2 अप्रैल तक होने वाले पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के माता-पिता बनने का सौभाग्य श्री पंकज जैन जज -श्रीमती रश्मि जैन को मिला और महोत्सव के *सौधर्म-शचि इंद्राणी बनने का सौभाग्य श्री प्रमोद जैन कोयला- श्रीमती सविता जैन को मिला आपके पुण्य की बहुत बहुत अनुमोदना जैन समाज की तरफ से आपको बहुत-बहुत बधाइयां और शुभकामनाएं
     
  14. Vidyasagar.Guru
    प्रतियोगियों के प्रमाण पत्र 
    निम्न लिंक से डाउनलोड करें : Google sheet ऐप्प का इस्टमाल कर सकते हैं 
     👇👇👇👇👇
    https://docs.google.com/spreadsheets/d/18rwDzUFj_DqONTBs9ilf96kug9LaZjN0NuS0xDSvQD0/edit#gid=1942297306
     
    प्रतियोगिता की उत्तर पुस्तिका ( Answer key)
     👇👇👇👇👇
    QA Nandishwar bhakti pratiyogita.pdf
     
    सभी के अंक : pdf डाउनलोड करें 
     👇👇👇👇👇
    अंक तालिका नंदीश्वर भक्ति प्रतियोगिता परिणाम.pdf
     
    प्रतियोगिता परिणाम pdf  ( ७ अप्रैल को होगा कुंडलपुर में  पुरस्कार वितरण समारोह)
    👇👇👇👇👇
    नंदीश्वर भक्ति प्रतियोगिता परिणाम वेबसाईट.pdf
     
     
    प्रतियोगिता में भाग लेने की 30 मार्च तक बढ़ा दी गई हैं
    प्रतियोगिता पुरस्कार वितरण समारोह कुंडलपुर में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी संघ के सानिध्य में 7अप्रैल को  होगा 
     
    प्रतियोगिता लिंक 
    https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSeVv4hqRaPljvonK9oC9Mib2qdKy92IGkKc5SVym533OjeMSw/viewform?usp=sf_link
     
    स्वाध्याय का लिंक गूगल फॉर्म पर दिया गया हैं 
     
    उत्तर प्राप्त सूची (प्ले स्टोर से गूगल शीट ऐप्प इंस्टॉल करें)
    https://docs.google.com/spreadsheets/d/1-GEX6jLfZxEUO9ZjW0FkVP-oifTrvVoaKIZYaG90A24/edit?usp=sharing
     
     

     
    *"नंदीश्वरभक्ति" के माध्यम से अध्ययन और भक्ति का अनूठा अवसर*
    आचार्य श्री विद्यासागर जी द्वारा अनुवादित  "नंदीश्वरभक्ति" के गाथाओं पर आधारित प्रतियोगिता में आपका स्वागत है। 108 विशेष प्रश्नों के साथ इस  के अध्ययन की यात्रा पर चलें।
    *कैसे भाग लें*:
    *गाथा 1 से शुरू करें:* "नंदीश्वरभक्ति" की पहली गाथा का अध्ययन करें।
    *प्रश्न का उत्तर दें:* प्रत्येक गाथा पर चिंतन करते हुए उससे संबंधित प्रश्न का उत्तर दें।
    *क्रमशः आगे बढ़ें:* इसी प्रकार, सभी गाथाओं और प्रश्नों को क्रमानुसार हल करें।
     
    *अष्टान्हिका पर्व विशेष:*
    अष्टान्हिका पर्व के दौरान "नंदीश्वरभक्ति" के अध्ययन की अनुशंसा की जाती है। यह पहल आपको पर्व को अर्थपूर्ण तरीके से मनाने का मौका देती है।
     
    *गुरुवर के प्रति विनयांजलि:*
    इस प्रतियोगिता में भाग लेना गुरुवर के द्वारा रचित इस भक्ति को पढ़ने की दिशा में एक विनयांजलि है।
     
    *प्रतियोगिता विवरण:*
    शुरुआती तिथि: 21 मार्च २०२४ 
    समाप्ति तिथि: 30 मार्च २०२४ 
    अपने स्वाध्याय और भक्ति के माध्यम से आप न केवल अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं बल्कि हमारे द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में विजेता बनकर उपहार भी प्राप्त कर सकते है
     
    प्रतियोगिता लिंक 
    https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSeVv4hqRaPljvonK9oC9Mib2qdKy92IGkKc5SVym533OjeMSw/viewform?usp=sf_link

     
  15. Vidyasagar.Guru
    कुण्डलपुर से खजुराहो की अहिंसा पदयात्रा का गुरुदेव से आशीर्वाद व् मुख्यमंत्री ने दी शुभ कामनाये 1 से 7 अक्टूबर तक मिलेगा गुरुदेव का आशीर्वाद |
     

  16. Vidyasagar.Guru
    प्रतियोगिता प्रारंभ  
    प्रतियोगिता का समय बढ़ाया गया : 20 मई  प्रातः 8 बजे तक भाग ले सकते हैं 
    प्रतियोगिता में भाग लेने का लिंक ( प्रश्न पत्र ) खोलें 
    👇👇👇👇👇
    https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSdu2ZruSYmhK8FCubpJJumzoJPFzyA6MBppxT_SjEQUtJlZaQ/viewform
     
    उत्तर प्राप्त सूची 
    https://docs.google.com/spreadsheets/d/1jh5TQa-MmLD8Ow_-UmNrAITyb6CP2Vc_tvKqCD4Gb2Q/edit#gid=0
     
     
    प्रतियोगिता मे आप 19 मई  रात्री 10 बजे तक भाग ले सकेंगे 
    महाकवि आचार्य ज्ञान सागर जी के 51 वें समाधि दिवस के उपलक्ष्य में आचार्य ज्ञान सागर जी प्रश्न प्रतियोगिता का हो रहा हैं आयोजन  प्रतियोगिता का स्वरूप ऑनलाइन होगा  प्रतियोगिता में शामिल होकर जीत सकते हैं आकर्षक उपहार  24 मई 2023 श्रुत पंचमी को डोंगरगढ़ ( छत्तीसगढ़ ) में होगा विजेताओं का सम्मान एवं पुरस्कार वितरण समारोह, जहां विराजमान हैं युग के महान आचार्य विद्यासागर जी महाराज  प्रत्येक प्रश्न पर दिया हुआ हैं - किस संस्मरण / विषय का स्वाध्याय करना हैं   
     
    whatsapp समूह से जुडने के लिए निम्न फोटो पर क्लिक करें 
     

     
    प्रतियोगिता में भाग लेने का लिंक खोलें 
    https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSdu2ZruSYmhK8FCubpJJumzoJPFzyA6MBppxT_SjEQUtJlZaQ/viewform
     
     
    उत्तर प्राप्त सूची 
    https://docs.google.com/spreadsheets/d/1jh5TQa-MmLD8Ow_-UmNrAITyb6CP2Vc_tvKqCD4Gb2Q/edit#gid=0
     
     
  17. Vidyasagar.Guru
    अभी अभी डोंगरगढ़ मे हुआ परिणाम घोषित 
     
     
     
     

     
     
     
     
    ज्ञान सागर जी प्रश्न प्रतियोगिता अंक तालिका .pdf
  18. Vidyasagar.Guru
    अपडेट :  सभी का स्वाध्याय अच्छे से हो इसलिए प्रतियोगिता को एक दिन के लिए बढ़ा दिया हैं अब आप प्रतियोगिता मे आप 23 नवंबर तक भाग ले सकते हैं 
    आगे नहीं बढ़ाया जाएगा । 
     
    प्रतियोगिता प्रश्न पत्र (गूगल फॉर्म ) इसी पर आपको उत्तर प्रेषित करने हैं : पहले उत्तर खोज लें फिर एक साथ भर दें 
    https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSff4hG2Ff4quhNRgETBZSACiLEwlHZmztzPhrdPCLOon_x_WA/viewform?usp=sf_link
     
    उत्तर प्राप्त सूची ( गूगल शीट ऐप्प में खोलें )
    https://docs.google.com/spreadsheets/d/1vy8B5oOxN8WfzLQ4-NWqF1pqVsNWXR37awsVpa6h6wE/edit?usp=sharing
     
    प्रतियोगिता  के लिए पंजीकरण करें  
    https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSdud4Y_SyS5kTL5kyQBMIkjXK2fSVaM42Bdr5X_nXdXVhRKZA/viewform
     
    हम पीडीएफ के बजाय वेबसाइट से पढ़ने की सलाह देते हैं
     
    पुस्तक वेबसाईट से निम्न लिंक से पढ़ें
    https://vidyasagar.guru/pathyakram/pranamanjali/
     
    पुस्तक की pdf निम्न लिंक से डाउनलोड करें 
    https://drive.google.com/drive/folders/1tRelQtfljT7gEOI9Uslwb1OK9_VcjKR9?usp=sharing
     
     
    जयपुर अजमेर डोंगरगढ़ आगरा  मे पुस्तक उपलब्ध 
     
    ऑनलाइन ऑर्डर समाप्त 
     
    https://store.vidyasagar.guru/
     
    वेबसाईट से कैसे पढ़े 
     
     

  19. Vidyasagar.Guru
    आचार्य देव श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के वरद हस्त कमलो से 
    अभी अभी क्षुल्लक श्री १०५ धैर्यसागर जी महाराज की ऐलक दीक्षा सम्पन्न हुई।
     


  20. Vidyasagar.Guru
    प्रतियोगिता क्रमांक 3 में भाग लेने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें 
    https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSe30NtnNsj5gZh5eJrPddUmZ5MsuzMu22WV_VsVp7rwhZsr4Q/viewform?usp=sf_link
     
    प्रतियोगिता क्रमांक 3 में जिनके उत्तर  प्राप्त हो चूकें हैं - अपने नाम निम्न लिंक पर देखे 
     
    https://docs.google.com/spreadsheets/d/1WSTfen2N3Jy604007h5p1WIqCkdZ4XfXSaHoU1LqVcY/edit?usp=sharing
     
     
     
    प्रतियोगिता क्रमांक 3  का परिणाम 
     
     
     
     
    प्रतियोगिता क्रमांक 2    में भाग लेने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें 
    https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSfPvs7NNM4wvEpO5Mfo77aR9bUdOQaKF-TrodBhUaWzL2P7EA/viewform
     
     
    प्रतियोगिता क्रमांक 2 में जिनके उत्तर  प्राप्त हो चूकें हैं - अपने नाम निम्न लिंक पर देखे 
    https://docs.google.com/spreadsheets/d/1e4rUyRP1r6NrotXAgIi_y2qRavwMombQ8-rlmo7_sbg/
     
    प्रतियोगिता क्रमांक 2  का परिणाम 
     
     
     
     
    प्रतियोगिता क्रमांक 1   में भाग लेने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें 
     
    https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSeJFGQaqe9tH6P8FcWwuny6isZOqjIqQUNSe9s2BlP0K76tzQ/viewform
     
    प्रतियोगिता क्रमांक 1 में जिनके उत्तर  प्राप्त हो चूकें हैं - अपने नाम निम्न लिंक पर देखे 
    https://docs.google.com/spreadsheets/d/1zcYVVvaOnCN5eiwtoIOUcofVFvLvGhPYD4BnO2lJboI/edit?usp=sharing
     
    प्रतियोगिता क्रमांक 1 का परिणाम 
     
     
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