29 जनवरी 31 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄मक्काटोला🍄
(शासकीय पुर्व माध्यमिक शाला)
जिला राजनांदगांव
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/7yEraEX6eJEi6K6p7 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहारचर्या🍁
🍁कल्याणपूर🍁
जिला राजनानांदगाव छत्तीसगढ
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/AhyNRYio3jUFoppdA ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ ➡️कल दोपहर की बेला मे ससंघ का तीर्थक्षेत्र चंद्रगिरी डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) मे मंगल प्रवेश
27 जनवरी 23
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄शिरपूर🍄
जिला गोंदिया
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/4iL7FDgfPhrtgnfh9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहारचर्या🍁
🍁चाबुकनाला🍁
छत्तीसगढ
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/FsmRbDvxpSpfpB768
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
संभावित विहार दिशा:-
डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़)
26 जनवरी 23
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
डोंगरगांव से 7:30 कि.मी.आगे
🍄श्रीआनंद सागर🍄
जिला गोंदिया
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/tuYMm6TkmKLTVTGt6 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहारचर्या🍁
🍁देवरी🍁
(श्री.दिगम्बर जैन मंदिर देवरी)
जिला गोंदिया
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/hGJD2KUTELPHV7mk9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
संभावित विहार दिशा:-
डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़)
25 जनवरी 23 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄दुग्गेपार🍄
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/qDa4RLcwsUbuqxbG8
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहारचर्या🍁
🍁डोंगरगांव🍁
(जि.प.केंद्रीय प्राथमिक शाळा-डोंगरगाव जि.गोंदिया)
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/pgzXEy4ngVySZDePA ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
संभावित विहार दिशा:-
डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़)
24 जनवरी 23
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄श्रीराम नगर 🍄
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/34RzozWWH49GeHveA ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहारचर्या🍁
🍁सावंगी🍁
(जि.प.प्राथमिक शाळा- जि.गोंदिया)
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/ceAZVPgvwFHqL4888 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
संभावित विहार दिशा:-
डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़)
23 जनवरी 23
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄जांभळी 🍄
(मार्तंडराव पाटील कापगते विद्यालय जांभळी)
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/8PEywQcg6tHMGCBw9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहारचर्या🍁
🍁साकोली🍁
(एम.बी.पटेल कॉलेज साकोली)
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/n9T7Z4jZ3ht8ikpm8
22 जनवरी 23
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄लाखनी 🍄
(उत्सव मंगल कार्यालय) ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहारचर्या🍁
🍁पिंपळगांव🍁
(जि.प. केंद्र सेमी इंग्रजी स्कुल)
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/QumjSyp7ynCu92o67
19 जनवरी 23
आज आचार्यश्री ससंघ का रात्री विश्राम मधुबन उपहारगृह, मौदा, जिला नागपुर में हो रहा है 🌏मधुबन उपहारगृह की गूगल मैप लिंक 👇🏽👇🏽👇🏽
Jain Madhuban restaurent https://maps.app.goo.gl/1LGk8t3rEJUUpjC8A
🌳कल २०/०१/२०२३ को आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या बोरगांव से १ किलोमीटर आगे महादुला, जिला नागपुर में होने की संभावना है 🌏महादुला की गूगल मैप लिंक 👇🏽👇🏽👇🏽 https://maps.app.goo.gl/ZR5yWDqfdke2qdnF6
16 जनवरी 23
आज आचार्यश्री ससंघ का रात्री विश्राम गोटल पांजरी, जिला नागपुर में हो रहा है 🌏गोटल पांजरी की गूगल मैप लिंक 👇🏽👇🏽👇🏽 https://maps.app.goo.gl/pwoX9PqiJdjfmX5o6
🌳कल १७/०१/२०२३ को आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या दिघोरी (नागपुर बायपास), जिला नागपुर में होने की संभावना है 🌏दिघोरी (नागपुर बायपास) की गूगल मैप लिंक 👇🏽👇🏽👇🏽 https://maps.app.goo.gl/3km8mbdYZ9ruxggVA
15 जनवरी 23
आज आचार्यश्री ससंघ का रात्री विश्राम जिला परिषद प्राथमिक शाला, मोहगांव, जिला नागपुर में हो रहा है 🌏मोहगांव की गूगल मैप लिंक 👇🏽👇🏽👇🏽 https://maps.app.goo.gl/zpua4uoT5gY296UK9
🌳कल १६/०१/२०२३ को आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या अन्विता फार्म्स, जामठा, जिला नागपुर में होने की संभावना है 🌏अन्विता फार्म्स की गूगल मैप लिंक 👇🏽👇🏽👇🏽
Anvita Farms https://maps.app.goo.gl/ngNFtQPCWQidB1hQ7
➡️👣⛳ संभावित विहार दिशा
नागपुर
13 जनवरी 23
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄केलझार के पहले🍄
(इंडियन ऑइल पेट्रोल पंप)
जिला वर्धा https://maps.app.goo.gl/XBiyyuBbkmeDwYsS6 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल कीआहारचर्या🍁
🍁इंद्रा हायस्कूल, सेल्डोह 🍁
जिला वर्धा
(संभावित) https://maps.app.goo.gl/qjuq3sAdWuVxDS3w7 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
12 जनवरी 23
*आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ससंघ* का
💫सामयिक उपरांत💫
*👣मंगल विहार👣*
अभी - अभी
*वर्धा*
से हुआ।
से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄पवनार🍄
जिला वर्धा
Pavnar https://maps.app.goo.gl/m2UyhaJ5NAE3Dxoo7 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल कीआहारचर्या🍁
🍁सेलू🍁
जिला वर्धा
(संभावित)
Seloo https://maps.app.goo.gl/V4zZpMqhPLgNiW598
8 जनवरी 2023 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄 🍄फार्म हाउस, सालोड🍄
जिला वर्धा https://maps.app.goo.gl/KZMPiYNE2arTpgaN9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🔮भव्य मंगल प्रवेश🔮 कल प्रातः ८ बजे
🛕वर्धा🛕 में
Wardha https://maps.app.goo.gl/spT7s75fa8KGjtaT6 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
7 जनवरी 2023
आज आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या पुलगाव, जिला वर्धा में हुई
➡️👣⛳ आज आचार्यश्री ससंघ का आहार एवं सामायिक के बाद विहार हुआ
🌌आज आचार्यश्री ससंघ का रात्री विश्राम बोदड, जिला वर्धा में हो रहा है 🌏बोदड की गूगल मैप लिंक 👇🏽👇🏽👇🏽
Bodad https://maps.app.goo.gl/NqXaJX3bvJmFNb7q6
🌳कल ०८/०१/२०२३ को आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या प्रगती विद्यालय, दहेगाव, जिला वर्धा में ही होने की संभावना है 🌏प्रगती विद्यालय, दहेगाव की गूगल मैप लिंक 👇🏽👇🏽👇🏽
Pragati Vidyalaya, Dahegaon(St.) https://maps.app.goo.gl/my9dxDJXKQGgyYqP9
➡️👣⛳संभावित विहार दिशा
वर्धा, महाराष्ट्र
5 जनवरी 23 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄बोरवाघल फाटा🍄
जिला अमरावती
M6R5+R75 https://maps.app.goo.gl/ZVt97FZyDDBMZPym7 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल कीआहारचर्या🍁
🍁बोरगाव धांदे🍁
जिला अमरावती
(संभावित)
Z.P. School, Borgaon Dhande https://maps.app.goo.gl/viVZKxp65bHk5ngp8 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
4 जनवरी 23
आज आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या घुईखेड, जिला अमरावती में हुई
आज आचार्यश्री ससंघ का रात्री विश्राम, तळेगाव (दशासर), जिला अमरावती में हो रहा है 🌏तळेगाव (दशासर) की गूगल मैप लिंक 👇🏽👇🏽👇🏽
Talegaon Dashasar https://maps.app.goo.gl/RZAKAfpJPzUSr4pQ9
🌳कल ०५/०१/२०२३ को आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या देवगाव, जिला अमरावती में ही होने की संभावना है 🌏देवगाव की गूगल मैप लिंक 👇🏽👇🏽👇🏽
Devgav https://maps.app.goo.gl/yv4C8h5cD91JnExm8
2 जनवरी 23
युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि
आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज
ससंघ का
आज दोपहर में
💫सामयिक उपरांत💫
👣मंगल विहार👣
🔻सालोड🔺
से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄सिंगणापूर🍄
जिला अमरावती ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल कीआहारचर्या🍁
🍁वाघोडा🍁
जिला अमरावती
(संभावित)
Vaghoda 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/gvQXRkK6mD1wE3bu9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
31 December 22
*आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ससंघ* का
💫सामयिक उपरांत💫
*👣मंगल विहार👣*
अभी - अभी
*कारंजा लाड*
से हुआ।
*संभावित दिशा वर्धा*
आज रात्री विश्राम🍄
🍄धानोरा🍄
जिला वाशीम
Dhanora https://maps.app.goo.gl/92Bk3QVHXjkmmtte8 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल कीआहारचर्या🍁
🍁डोनड (bk)🍁
जिला वाशीम
(संभावित)
Donad Bk. https://maps.app.goo.gl/VJ99yF8d7d5hcU566
--------------
29 december 22
आहारचर्या स्थान
शेवटी, जिला वाशीम* 👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/pPRvBo4GBHyqKvgy9
27 december 22
आज आचार्यश्री ससंघ का आहार एवं सामायिक के बाद विहार हुआ
🌌आज आचार्यश्री ससंघ का रात्री विश्राम जिला परिषद स्कूल, किणीराजा, जिला वाशिम में हो रहा है 🌏जिला परिषद स्कूल की गूगल मैप लिंक 👇🏽👇🏽👇🏽
Z P School Kinhiraja https://maps.app.goo.gl/TSz1ezayNCS3661j9
➡️👣⛳कल २८/१२/२०२२ को आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या लाठी, जिला वाशिम में ही होने की संभावना है 🌏लाठी की गूगल मैप लिंक 👇🏽👇🏽👇🏽
Lathi https://maps.app.goo.gl/qBDms7opSBTaBHPR7
➡️👣⛳ संभावित विहार दिशा
कारंजा लाड
26 दिसम्बर 22 2pm
युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज ससंघ का मंगल विहार अभी अभी मालेगांव महाराष्ट्र से हुआ ।। 👣दिशा :- कारंजा लाड़👣
आज रात्री विश्राम🍄
जिला परिषद स्कूल
🍄खिर्डा🍄
जिला वाशीम https://maps.app.goo.gl/d7tCheVQuNth6YSEA ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल कीआहारचर्या🍁
🍁काळा माथा🍁
जिला वाशीम
Kalamatha Temple (Awaliya) https://maps.app.goo.gl/e2vnrp1p3QvnGQ5fA
26 दिसम्बर 22 को पूजन / प्रवचन / आहारचर्या मालेगांव मे होगी ( संभावित )
गूगल लिंक नक्शा
https://maps.app.goo.gl/fsMR7qDiwrjpaVPt6
------------------------------
आज रात्री विश्राम🍄
🍄मालेगाव जहाँगीर🍄
जिला वाशीम
Malegaon Jahangir https://maps.app.goo.gl/Hq6fskdkmvvfWPZt5 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल का पूजन, प्रवचन एवं आहारचर्या🍁
🍁मालेगाव जहाँगीर🍁
जिला वाशीम
Malegaon Jahangir https://maps.app.goo.gl/Hq6fskdkmvvfWPZt5
संभावित दिशा मालेगांव
परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज का 53 वां दीक्षा दिवस महोत्सव
गुरूवार, 25 जून, 2020, आषाढ़ शुक्ल-पंचमी कार्यक्रम की रूपरेखा https://app.vidyasagar.guru/diksha-diwas-mahotsav
सुबह 8:00-9:00 मंगलाचरण एवं सामूहिक (भाव) पूजन (Once in Life Time Opportunity!) सुबह 11:30 - दोपहर 1:30 विशेष कार्यक्रम एवं प्रस्तुतियाँ ( *Don’t Miss This, Must Watch ) दोपहर 1:45 चित्रांकन प्रस्तुति (Paintings and Drawings on Achrya Shree!)
Non Stop Programs
दोपहर 2:00 बजे प्रस्तुतियाँ क्रमांक 4
दोपहर 3:30 प्रस्तुतियाँ क्रमांक 5
दोपहर 5:00 प्रस्तुतियाँ क्रमांक 6
दोपहर 6:30 प्रस्तुतियाँ क्रमांक 7
रात्रि 9:00 प्रस्तुतियाँ क्रमांक 8
रात्रि 10:30 प्रस्तुतियाँ क्रमांक 9
अधिक जानकारी और कार्यक्रम का पूरा लाभ उठाने के लिए यूट्यूब एवं फेसबुक पर लॉगिन करके रहें
यूट्यूब https://www.youtube.com/c/vidyasagar_guru
फेसबुक https://www.facebook.com/www.vidyasagar.guru/
#25June_guruji_ka_diksha_diwas_manaye_online_mahotsav
हमारा प्रयास आपका सहयोग
www.Vidyasagar.Guru
Acharya Shree Vidyasagar (Jain app) https://play.google.com/store/apps/details?id=com.app.vidyasagar
-----------------------------------
संत शिरोमणि आचार्यश्री 108 विद्यासागर जी महामुनिराज का 53 वाँ दीक्षा दिवस 25 जून 20 को है| दीक्षा दिवस के उपलक्ष्य में विद्यासागर डॉट गुरु वेबसाइट की तरफ से ऑनलाइन महोत्सव आयोजित किया जा रहा है | सभी एक प्रस्तुति के माध्यम से भाग ले सकते हैं |
1. संगीतमय (भक्तिमय) भावांजलि
आपको संगीत में रुचि है, संगीत आपका विषय है, आप आचार्य श्री को समर्पित गुरु वंदना , गुरु भजन रिकॉर्ड करें और हमें प्रेषित करें।
2. गुरुवर की साहित्यिक यात्रा
आचार्य श्री द्वारा रचित काव्य रचनाओं को याद करें एवं रिकॉर्ड करें (शतक, कविताएँ , भक्तियाँ इत्यादि )। शतक (100) में से 10 छंद भी प्रस्तुत कर सकते हैं।
मूकमाटी महाकाव्य पर संगोष्ठी प्रस्तुति, संक्षिप्त प्रकरण (प्रसंग)
3. राष्ट्रीय देशना
आचार्यश्रीजी को भारतीय संस्कृति के पोषक, प्रचारक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है | आचार्य श्री के राष्ट्र विचारों को काव्य रचना, नाटिका इत्यादि से प्रस्तुत कर रिकॉर्ड करें।
4 भाव वंदना
पूरा परिवार एक साथ गुरु जी को एक साथ नमोस्तु निवेदित करते हुए सुनाएँ अपने संस्मरण, कुछ पंक्तियाँ, भजन इत्यादि |
5. दीक्षा दिवस पर चित्रांकन प्रस्तुति
आचार्य श्री द्वारा रचित हाइकू, अथवा उपर्युक्त विषयों पर हाथ से चित्र बनाकर प्रस्तुत कर सकते हैं।
चुनिन्दा प्रस्तुतियों को फेसबुक एवं यूट्यूब पर दीक्षा दिवस के दिन प्रसारित किया जायेगा
आप रिकॉर्डिंग ऐसे करें की लगे लाइव प्रसारण हो रहा हो - जैसे आप मंच पे प्रस्तुति दे रहे हों।
प्रस्तुति में आप दिखने चाहिए - नई प्रस्तुति रिकॉर्ड करे - पहले से रिकार्डेड प्रस्तुति न भेजें।
आपकी प्रस्तुति को दीक्षा दिवस तक किसी भी सोशल मीडिया पर न डाले
सोशल मीडिया पर खड़ी फोटो ब्लॉक होती हैं, इसलिए ऐसी फोटो न दिखाएँ |
24 जून तक आप सभी प्रस्तुति अपलोड कर दें ताकि अंतिम 4 दिन में प्रीमियर प्रसारण की तैयारी की जा सके |
उसी ईमेल से अपलोड करे - जिससे संपर्क किया जा सके |
कैसे करें अपलोड वीडियो
प्रत्येक प्रस्तुति के लिए अलग विषय बनाया गया है https://flipgrid.com/acharyashree
आप अपनी प्रस्तुति को उसी विषय में अपलोड करें |
समय अवधि : 1 से 5 मिनट
दीक्षा दिवस पर चित्रांकन प्रस्तुति इस लिंक पर अपलोड करें https://vidyasagar.guru/gallery/category/69-1
प्रस्तुति 20 जून तक अपलोड कर दें, तभी फेसबुक इत्यादि पर प्रसारित कर पाएँगे।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
मुनिश्री प्रसादसागर जी
मुनिश्री चंद्रप्रभसागर जी
मुनिश्री निरामयसागर जी
ऐलक श्री सिद्धांतसागर महाराज
अधिक जानकारी
https://vidyasagar.guru/blogs/blog/8-सूचना-पट्ट-आचार्य-श्री-१०८-विद्यासागर-जी-महाराज-ससंघ/
🚩ध्वजारोहण🚩
१७ जुलाई २२
रविवार
दोपहर १२.५० बजे
🏺कलश स्थापना कार्यक्रम🏺
१७ जुलाई २२
रविवार
दोपहर ०१ बजे
⛺ कार्यक्रम स्थल⛺
आई भवानी मंदिर के पास,
वाघी रोड, शिरपूर जैन
जिला वाशिम
(महाराष्ट्र)
दिनांक - 04 जनवरी 2020
⛳आज का रात्रि विश्राम:-* सिल्वर गार्डन बाईपास (८ किमी)_ _*🛣 कल की आहार चर्या:-* एम्पायर स्टेट बड़जात्या फॉर्म हाउस (३.८ किमी)_
*आगामी विहार दिशा-* इन्दौर _*🦋 यहाँ से इंदौर की दूरी मात्र १० किमी दूर है ५ जनवरी को शाम उदयनगर में होगी आगवानी 🦋*_
दिनांक - 03 जनवरी 2020
आज का रात्रि विश्राम:- सम्यक फॉर्म हाउस(७ किमी)
रात्रि विश्राम सम्यक फार्म हाउस चोखी ढाणी के सामने हो रहा है
🛣 कल की आहार चर्या:- चमेली देवी (२.५ किमी)
दिनांक - 02 जनवरी 2020
आज आचार्यश्री ससंघ का *रात्रि विश्राम शासकीय माध्यमिक विद्यालय (तलाई नाका) सिमरोल, जिला इंदौर, मध्यप्रदेश* में हो रहा है *🌏सिमरोल की गूगल मैप लिंक* 👇🏽👇🏽👇🏽
Simrol
Madhya Pradesh 452020 https://maps.app.goo.gl/GVTnUYxxjSeagcjX8
🌳
कल *०३/०१/२०२०* को आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या *सिमरोल, जिला इंदौर, मध्यप्रदेश* में ही होने की संभावना है
*👣अनियत विहारी गुरुदेव का मंगल विहार हुआ 👣*
दिनांक - 01 जनवरी 2020, वुधवार
_संत शिरोमणि ,धरती के देवता ,पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन *श्री १०८ विद्या सागर जी महाराज* का मंगल विहार दोपहर 2.20 बजे *चोरल* से हुआ_
*रात्रि विश्राम - बाईं ग्राम संभाभित*
*➡ दिशा - जल्द नववर्ष 2020 में इंदौर प्रवेश संभाभित*
दिनांक - 31 दिसंबर 2019 ,मंगलवार
संत शिरोमणि ,धरती के देवता ,पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ विद्या सागर जी महाराज का मंगल विहार दोपहर 2.20 बजे ग्वालू से हुआ
⛳आज का रात्रि विश्राम:- योगा लाइफ आश्रम चोरल(४ किमी)
🛣 कल की आहार चर्या:- श्यामला हिल्स चोरल(७०० मी.आगे)
WhatsApp Video 2019-12-31 at 4.55.18 PM.mp4
*👣अनियत विहारी गुरुदेव का मंगल विहार हुआ 👣* दिनांक - 30 दिसंबर 2019 ,सोमवार
◆रात्रि विश्राम - बलराज रिट्रीट होटल के सामने ग्राम:- ग्वालू गांव
◆विहार दिशा- इन्दौर
संत शिरोमणि ,धरती के देवता ,पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ विद्या सागर जी महाराज का मंगल विहार अभी बल वाडा से हुआ
*➡ दिशा - जल्द इंदौर प्रवेश संभाभित*
*🏵🥁🎷विशेष पूज्यगुरुदेव की भव्य मंगल आगवानी एवं चरण वंदना करेंगे नगर में विराजमान पूज्यगुरुदेव के परम शिष्य पूज्य मुनिश्री १०८ विशद सागर जी महाराज🎷🥁🏵*
*विहार अपडेट 29.12.19*
◆ आज रात्रि विश्राम- बलवाड़ा
◆ कल की आहार चर्या- बलबाड़ा ग्राम में संभावित।
◆ विहार दिशा- इन्दौर (बलबाड़ा से 35 किमी)
28 दिसम्बर, दोपहर
परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार-
◆ आज रात्रि विश्राम- बागफल।
◆ कल की आहार चर्या- उमरिया ग्राम में संभावित। ◆ विहार दिशा- इन्दौर ।
👣अनियत विहारी गुरुदेव का मंगल विहार👣
दिनांक - 26 दिसंबर 2019 ,गुरुवार
संत शिरोमणि ,धरती के देवता ,पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ विद्या सागर जी महाराज का मंगल विहार अभी श्री सिद्धक्षेत्र सिद्धवरकूट से हुआ
आज का रात्रि विश्राम श्री चौगड़े जी की गो शाला कोठी गांव कल की आहार चर्या श्री आदिनाथ दिंग्मबर जैन मंदिर मोटक्का कल दोपहर बाद बडबाह मे प्रवेश 🙏🏻🙏🏻
23 दिसंबर 2019
आज सुबह हुआ सिद्धवरकूट में मंगल प्रवेश।*
22 दिसम्बर, दोपहर
*परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार-*
◆ *आज रात्रि विश्राम-* कड़िया कुंड।
◆ *कल प्रातःकाल की शुभ मंगल बेला में होगा सिद्धवरकूट में मंगल प्रवेश।*
21 दिसंबर 2019
*👣अनियत विहारी गुरुदेव का मंगल विहार👣*
*👣सिध्दोदय से सिद्धवरकूट तक 👣*
_संत शिरोमणि ,धरती के देवता ,पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन *श्री १०८ विद्या सागर जी महाराज* ससंघ का मंगल विहार अभी *काट कूट* से हुआ_
*_➡दिशा -1997 से प्रतीक्षा श्री सिद्ध क्षेत्र सिद्धवरकूट की ओर ।। संभाभीत प्रवेश 22 दिसंबर को ।।_*
20 दिसंबर 2019
◆रात्रि विश्राम - कानाद संभावित
◆कल आहारचर्या - मुनि श्री 108 मल्ली सागर जी की जन्म स्थली बड़वाह संभावित
◆ कल सुबह करेगे बड़वाह के भक्तगण भव्य मंगल आगवानी बड़वाह में
◆ संभावित विहार दिशा - *श्री सिद्ध क्षेत्र सिद्धवरकूट
19 दिसंबर 2019
*मंगल विहार*
गुरु जी का बढ़ते कदम सिद्ध क्षेत्र सिद्धवरकूट 💥💥💥 🏳🌈🏳🌈🏳🌈🏳🌈🏳🌈🏳🌈🏳🌈
*🗓१९,दिसम्बर,१९ गुरुवार🗓*
*परम पूज्य संत शिरोमणि*
*आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार किशनगढ़ ( मध्यप्रदेश ) से हुआ*
◆रात्रि विश्राम - *उदयनगर संभावित*
◆कल आहारचर्या - *उदयनगर संभावित*
◆ *शाम को करेगे उदयनगर के भक्तगण भव्य मंगल आगवानी उदयनगर में*
◆ *संभावित विहार दिशा - *श्री सिद्ध क्षेत्र सिद्धवरकूट*
18 दिसंबर 2019
विश्व वन्दनीय, संत शिरोमणी, अनियत विहारी, आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार पुंजापुरा से हुआ...!!
⛳ आज का रात्रि विश्राम:- राता तलई (७ किमी)
🛣 कल की आहार चर्या:- किशनगढ़ ग्राम (७ किमी)
🦋 आगामी सम्भावित विहार दिशा:- सिद्धवरकूट
17 दिसंबर 2019
*👣रात्रि विश्राम👣*
*संत शिरोमणि ,धरती के भगवान ,पूज्यगुरुदेव का रात्रि विश्राम* *🚩संभाभित रात्रिविश्राम - पलासी🚩*
*कल आहारचर्या - पुंजापुरी*
*16 दिसम्बर 2019* दोपहर 3:00
परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार-
◆ आज रात्रि विश्राम- कान्हड़ा ग्राम
◆ कल सम्भावित आहारचर्या- गोदना। सम्भावित दिशा: इन्दौर / सिद्धवरकूट
*16 दिसम्बर 2019* दोपहर 2 50
विहार अपडेट
सोमवार, 16 दिसम्बर को आचार्यश्री ने ससंघ आहारचर्या (सामायिक) के बाद ग्राम लोहारदा से विहार किया.. इंदौर जाने के लिए हाइवे का रास्ता पीछे छूटा..
हालांकि आगे से भी पुंजापुरा-उदयनगर होते हुए एक मार्ग इंदौर जाता है..
अब प्रबल संभावना सिद्धवरकूट की... बाकी अनियत विहारी गुरुदेव का मन..
कल शाम तक पता चलेगा कि 20 साल बाद इंदौर की किस्मत खुलती है.. या इंतज़ार अभी और लंबा है..
*16 दिसम्बर 2019* दोपहर 1 50
_संत शिरोमणि ,धरती के देवता ,पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन *श्री १०८ विद्या सागर जी महाराज* का मंगल विहार अभी अभी *लोहारदा* के हुआ_
*➡दिशा निश्चित नही*
*लोहारदा से 3km बाद रास्ते -- इंदौर*
*-- बड़वानी*
*-- सिद्धवरकूट*
15- 12 - 2019 दोपहर 1 : 35
गुरु जी का गमन हुआ सतवास से
आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज*
(३२ मुनिराज) ससंघ का *सतवास* से मंगल विहार हुआ।
आज रात्रि विश्राम :- *लोहारदा*
सम्भावित विहार दिशा :- *इंदौर /बड़वानी/सिद्धवरकूट*
• भोपाल की ओर विहार-
मुनिश्री प्रमाणसागरजी के साथ अब मुनिश्री अरहसागरजी
• खातेगांव की ओर विहार- मुनिश्री समतासागरजी और मुनिश्री अजितसागरजी
• मुनिश्री विराटसागरजी अब आचार्यश्री के साथ
१3 - १२ - २०१९ दोपहर १ : ३०
विश्व वंदनीय आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज (ससंघ) का अजनास नेमावर से हुआ विहार
◆आज रात्रि विश्राम संभावित - ग्राम झाबरिया
◆कल की आहारचर्या:-सतवास
१२ - १२ - २०१९ दोपहर १ : ३०
विश्व वंदनीय आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज (ससंघ) का सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर से हुआ विहार
विहार दिशा:- कच्चे रास्ते से अजनास होते हुए सतवास (श्री पंचकल्याणक महोत्सव में मिल सकता है सानिध्य)
◆आज रात्रि विश्राम - ग्राम बरछा
◆कल की आहारचर्या सम्भावित - दुर्लभ सागर जी की जन्म स्थली अजनास में
◆सम्भावित विहार दिशा - सतवास( श्री पंचकल्याणक महोत्सव )
परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ
पूज्य मुनिश्री समतासागर जी, मुनिश्री प्रमाण सागर जी, मुनिश्री अजितसागर जी महाराज ससंघ सहित सम्पूर्ण मुनिसंघ गुरुदेव के साथ विहार कर रहे हैं।
दोपहर सामायिक उपरांत मंगल विहार श्री दिगंबर जैन रेवातट सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र ट्रस्ट : नेमावर, से कच्चे रास्ते से अजनास होते हुए सतवास की ओर हुआ।संभावित सतवास में चल रहे पंचकल्याणक महोत्सव में मिल सकता है सानिध्य एवं मिल सकती हैं, कुछ अच्छी बड़ी खबर।।।
🙏🏼 गुरु चरणों में बारम्बार नमोस्तु,नमोस्तु,🙏🏼
संभावित दिशा - सतवास
(पंचकल्याणक महोत्सव में मिल सकता है सानिध्य)
प्रतियोगिता लिंक
https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSdEaDr1e8IIkUpU9Jwf1yw_paFnSVGfOTX31uZORd7I8nNTQA/viewform?usp=sf_link
प्रतियोगिता के प्रश्नों के माध्यम से गौतम स्वामी को जानने का सुनहरा अवसार
आपके परिवार के सभी सदस्यों को पूजन के बाद इस प्रतियोगिता मे भाग लेने की प्रेरणा दें
*स्वाध्याय लिंक*
1. श्री गौतम गणधर (गणपति) पूजा
https://jainsamaj.vidyasagar.guru/jinvani.html/puja/gautam-gandhar-diwali-poojan/
2. पाठ्यक्रम 11स - जैन पर्व तथा त्यौहार
*प्रतियोगिता मे 13 नवंबर रात्री 10 बजे तक भाग ले सकते हैं*
इस सूची को अद्यतित करने हेतु संबंधित मुनिराज, आर्यिका माताजी का स्थान एवं तिथि कमेंट बॉक्स में पोस्ट करें
चातुर्मास स्थल
कलश स्थापना तिथि
1
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ
तीर्थोदय धाम, प्रतिभास्थली, रेवतीरेंज, इंदौर, म.प्र
रविवार, 12 जुलाई 2020, दोपहर 1ः30 बजे
2
निर्यापक मुनिश्री समयसागर जी ससंघ
शांतिधाम, बीना बारहा, म.प्र.
मंगलवार, 7 जुलाई 2020, दोपहर 2ः00 बजे
3
निर्यापक मुनिश्री योगसागर सी ससंघ
हिंगोली, महाराष्ट्र
4
निर्यापक मुनिश्री नियमसागर जी ससंघ
तिगडोली, जि.बेलगांव, कर्नाटक
5
निर्यापक मुनिश्री सुधासागर जी ससंघ
तपोदय तीर्थ, बिजौलियाँ, राजस्थान
शनिवार, 4 जुलाई 2020, प्रातः संपन्न
6
मुनिश्री समतासागर जी ससंघ
विदिशा, म.प्र.
7
मुनिश्री प्रमाणसागर जी ससंघ
कटनी, म.प्र.
5 जुलाई 2020, रविवार दोप.2 :00 बजे
8
मुनिश्री पवित्रसागर जी ससंघ
वर्धा, महाराष्ट्र
9
मुनिश्री प्रशांतसागर जी ससंघ
पथरिया, म.प्र.
10
मुनिश्री विनीतसागर जी ससंघ
गायत्री नगर, जयपुर, राज.
11
मुनिश्री निर्णयसागर जी ससंघ
.
12
मुनिश्री पायसागर जी ससंघ
बननिकोप्पा, कर्नाटक
13
मुनीश्री प्रसादसागर जी ससंघ
मुँगावली, अशोकनगर म.प्र
8 जुलाई 2020, बुधवार, दोपहर 2 बजे
14
मुनिश्री अभयसागर जी ससंघ
आरोन, म.प्र.
15
मुनिश्री अक्षयसागर जी ससंघ
16
मुनिश्री प्रणम्यसागरजी ससंघ
मुज़फ्फरनगर, उ.प्र.
17
मुनिश्री अजितसागरजी ससंघ
किला मंदिर, आष्टा (सिहोर), म.प्र
5 जुलाई 2020, रविवार, दोपहर 2 बजे
18
मुनिश्री संभवसागर जी ससंघ
अकोदिया शाजापुर जिले (म. प्र.)
19
मुनिश्री श्रेयांससागर जी ससंघ
सानोधा, जि. सागर, म.प्र.
20
मुनिश्री विमलसागर जी ससंघ
बीना, म.प्र.
21
मुनिश्री कुन्थुसागर जी ससंघ
सागर, म.प्र.
22
मुनिश्री वीरसागर जी ससंघ
सरधना, उ.प्र.
23
मुनिश्री आगमसागर जी ससंघ
मानगाँव (कोल्हापुर) महाराष्ट्र
24
मुनिश्री विनम्रसागर जी ससंघ
खातेगाँव, म.प्र.
12 जुलाई 2020
1
आर्यिका गुरुमति जी ससंघ
जैन मंदिर परवारपुरा, इतवारी, नागपुर
5 जुलाई 2020, दोप.1 :00 बजे
2
आर्यिका दृढमति जी ससंघ
गढ़ा, जबलपुर (म.प्र.)
7 जुलाई 2020, दोप.1 :00 बजे
3
आर्यिका मृदुमति जी ससंघ
4
आर्यिका ऋजुमति जी ससंघ
कुण्डलपुर दमोह म. प्र.
5 जुलाई 2020, दोप.1 :00 बजे
5
आर्यिका तपोमति जी ससंघ
6
आर्यिका गुणमति जी ससंघ
7
आर्यिका प्रशांतमति जी ससंघ
8
आर्यिका पूर्णमति जी ससंघ
कुण्डलपुर दमोह म. प्र.
5 जुलाई 2020, दोप.1 :00 बजे
9
आर्यिका अनंतमति जी ससंघ
10
आर्यिका भावनामति जी ससंघ
11
आर्यिका आदर्शमति जी ससंघ
पपौरा जी
12
आर्यिका दुर्लभमति जी ससंघ
पपौरा जी
13
आर्यिका अंतरमति जी ससंघ
पपौरा जी
14
आर्यिका अनुनयमति जी ससंघ
15
आर्यिका अपूर्वमति जी ससंघ
श्री चंद्रप्रभ जिनालय,
कठाली बाजार, सिरोंज (विदिशा) मप्र
5 जुलाई 2020, दोप.1 :00 बजे
16
आर्यिका अनुभवमति जी ससंघ
17
आर्यिका उपशांतमति जी ससंघ
कुण्डलपुर दमोह म. प्र.
5 जुलाई 2020, दोप.1 :00 बजे
18
आर्यिका अकंपमति जी ससंघ
आचार्य श्री के प्रवचनांश
- परम्परा को निर्मल व अक्षुण्ण बनाये रखने हेतु प्रवचन सार में आचार्य कुंद कुंद देव ने निर्यापक शब्द की स्पष्ट व्याख्या की है|
- जब संघ में अनुभवी साधुओं का समूह तैयार हो जाता है तब संघ में नवदीक्षित मुनिराजों के निर्वाह के लिए निर्यापक श्रमण की व्यवस्था होती है जिससे संघ में श्रमणों का निर्वाह होता है और सम्पूर्ण संघ को इसका लाभ प्राप्त होता है|
- मूलाचार में संघ में दीक्षित अर्यिकाओं के निर्वाह के लिए (शिक्षा, दीक्षा, प्रायश्चित इत्यादि) जो उनका गणधर होगा उसके व्यक्तित्व योग्यता गुण की अलग व्याख्या की गई है|
-आवश्यकता अनुसार निर्यापकों की संख्या बढ़ाई भी जा सकती है|
19 दिसम्बर 2018
मुनि श्री योगसागर जी उपसंघ भाग्योदय तीर्थ सागर में विराजमान है |
19 नवम्बर 2018
मुनि श्री योग सागर महाराज की आगवानी दलपतपुर में हुई
कल की आहार चर्या दलपतपुर में होगी
विहार अपडेट
संतशिरामणी आचार्यश्री विद्यासागरजी महामुनिराज के परम शिष्य
पूज्य मुनि श्री 108 योगसागरजी महामुनिराज ससंघ
पूज्य मुनि श्री 108 संभवसागरजी मुनिराज
पूज्य मुनि श्री 108 शैलसागरजी मुनिराज
पूज्य मुनि श्री 108 निस्सीमसागरजी मुनिराज
पूज्य मुनि श्री 108 शाश्वतसागरजीमुनिराज 🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿
आज रात्री विश्राम *शाहगड
ग्राम में हो रहा है। 💐💐💐💐💐💐💐💐💐
कल की आहार चर्या शाहगड में होगी। हीरापुर से 11 km. दूर।
दिनांक - 14 नवम्बर 2018
परम् पूज्य मुनि श्री योग सागर जी महाराज का ससंघ द्रोणगिरि में आज दोपहर 3 बजे होगा भव्य मंगल प्रवेश
परम् पूज्य आचार्य श्री विधासागर जी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री योग सागर जी एवं 6 मुनिराजों के संघ सहित दिनांक 14,11,2018 दोपहर 3 बजे द्रोणगिरि में भव्य प्रवेश होगा।
आप सभी द्रोणगिरि पहुंचकर भव्य अगवानी कर पुण्यार्जन करें।
दिनांक 15 नवम्बर को प्रातः 8 बजे द्रोणगिरि पर्वत पर त्रिकाल चौबीसी मन्दिर में अभिषेक एव मंगल प्रवचन का लाभ होगा । धर्मशाला परिषर में आहार चर्या का लाभ प्राप्त होगा आप सभी अवश्य पधारें।
विहार उपडेट - दिनांक 13/11/2018
पूज्य मुनि श्री 108 योगसागरजी महामुनिराज उपसंघ
पूज्य मुनि श्री 108 संभवसागरजी मुनिराज
पूज्य मुनि श्री 108 शैलसागरजी मुनिराज
पूज्य मुनि श्री 108 निरीहसागरजी मुनिराज
पूज्य मुनि श्री 108निस्सीमसागरजी मुनिराज
पूज्यमुनिश्री108शाश्वतसागरजीमुनिराज आज रात्री विश्राम मुगवारी
ग्राम में हो रहा है। 13 km. दूर।
कल की आहार चर्या बडामलहार में होगी। मुगवारी से 13 km. दूर।
विहार उपडेट - दिनांक 12/11/2018
संत शिरोमणि 108 आचार्य विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री 108 योग सागर जी महामुनिराज ससंघ मंगल विहार चल रहा है।
दिनांक 12/11/2018 का रात्रि विश्राम चौका गांव हो रहा है।
दिनांक 13/11/ 2018 की आहारचर्या अंगौर ग्राम में संपन्न होने की संभावना है।
विहार की दिशा- सागर
11 सितंबर 2023
प्रमाण पत्र निम्न लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं
https://docs.google.com/spreadsheets/d/1sg4wNtHoVB-Q2wtzbNG0ADBq-al_1Eu5-yXEJnFjofs/edit?usp=sharing
गुरु पूर्णिमा, 3 जुलाई 2023
गुरुदेव के 56 वें मुनि दीक्षा अवसर पर कालजयी महाकाव्य 'मूकमाटी "पर आधारित अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता हुई जिसमें 12 देशों के 1800 प्रतियोगी ने भाग लिया था आज उसका पुरस्कार सम्मान समारोह आयोजित हुआ ।
www.Vidyasagar.guru वेबसाइट के माध्यम से आन लाइन संपन्न इस प्रतियोगिता में 400 पुरुष व 1400 महिलाएं शामिल थी। पुरुस्कार देने के लिये उज्जवल पाटनी जी दुर्ग एवं पुरस्कार पुण्यार्जक श्री राजकुमार विनोद बड़जात्या रायपुर व विद्यासागर डॉट गुरु वेबसाईट के संचालक सौरभ जयपुर यहाँ आये व बिजेताओं को पुरस्कार प्रदान करें। पुरस्कार में चलचरखा की जरी वाली साड़ी, छोती दुपहा, पानी का छला मरुदेवी हस्तशिल्प की सुंदर लेपटॉप बैग, पूर्णायु की अमृत धारा, लवण भास्कर चूर्ण (इस का उल्लेख मूकमाटी में है व प्रश्न भी आया था उपहार में प्शांतिधारा का देशी घी डब्वा एवं प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया
104 प्रतियोगी के शत प्रतिशत 100 अंक आये हैं, उसमें लकी ड्रा से 11 प्रतियोगी के नाम एवं 70 प्रतिशत अंक मे से 45 नाम सांत्वना पुरस्कार के निकाले गए थे | सभी विजेताओं को फोन पर सूचित कर पुरस्कार समारोह मे आमंत्रित किया गया था |
आए विजेताओं को आचार्य भी को नमन कर पुरस्कार प्रदान किया गया ।
जो नहीं आ सके उन्हें कोरियर के माध्यम से पुरस्कार भेजा जाएगा |
प्रमाण पत्र लिंक
https://docs.google.com/spreadsheets/d/1dN9amldpgPlplyCPnT7JN_0s7GK4aFaN/edit?usp=sharing&ouid=108041101357652563056&rtpof=true&sd=true
अंक प्राप्त सूची
56 विजेताओं के नाम
पुरस्कार एवं सम्मान समारोह
प्रतियोगियों का विश्लेषण
आपको यह प्रतियोगिता कैसी लगी , कमेन्ट में अवगत कराएँ |
30 अप्रैल 23
➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄देवकट्टा🍄
(सामुदायिक भवन देवकट्टा) https://maps.app.goo.gl/1aq2mu9CJMVUjPag7
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁डोंगरगढ🍁
(दिंगबर जैन मंदिर डोंगरगढ) https://maps.app.goo.gl/bZU4uqHtQskjfvNn8 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
29 अप्रैल 23
Ratri vishram Vali jagah aagman
28 अप्रैल 23
आज दोपहर में
💫सामयिक उपरांत💫
👣मंगल विहार👣
🔻 खैरागढ🔻
से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄कुम्ही🍄
(प्रथमिक शाला कुम्ही जि.राजनांदगाव) https://maps.app.goo.gl/B7nGxc8is1yTKQWV7
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁खपरी सिरदार🍁
(प्राथमिक पूर्व माध्यमिक शाला) https://maps.google.com/?cid=2472308077340531023&entry=gps ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
27 april 23
आज दोपहर में
💫सामयिक उपरांत💫
👣मंगल विहार👣
🔻 छुईखदान🔻
से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄मामा भांजा छुई इंडस्ट्रीज टेकेपार🍄 https://maps.app.goo.gl/WkgXTkimtcJatNBcA
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁खैरागढ🍁
(दादाबाडी परिसर कुशल भवन खैरागढ) https://maps.app.goo.gl/CV8x1Z2TscDAjrQ9A
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
26 april 23
➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄घर्घोली🍄
(फॉरेस्ट रेस्ट हॉउस )
Ghirgholi https://maps.app.goo.gl/6HoLmKid3CHTyYar8
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁छुईखदान 🍁
(दिगंबर जैन मंदिर, संत भवन)
Jain Mandir https://maps.app.goo.gl/QZxxsvXyMKV2i9kt6
25 april 23
आज दोपहर में
💫सामयिक उपरांत💫
👣मंगल विहार👣
🔻नरौधी 🔻
से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄 देवपूरा गंडई 🍄
(श्री महावीर राईस मिल)
Shree mahaveer rice mill https://maps.app.goo.gl/bBVsc1vtmAa2EGxu8
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁 🍁विजय बाजार नर्मदा चौक के पहले 🍁
जि.कबीरधाम
24 april 23
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄 उडिया खुर्द 🍄
(श्वेता पब्लिक स्कूल )
Odiya Khurd https://maps.app.goo.gl/499VN2w6J9c5K5QB6
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁 सहसपुर लोहारा 🍁
( डॉक्टर करनावट के निवास परिसर )
जि.कबीरधाम
Mahavir Medical Store https://maps.app.goo.gl/CQ6goKzbvsq3BXCV8
22 april 2023
➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄 कवर्धा 🍄
( गुरुकुल पब्लिक स्कूल कवर्धा )
Gurukul Public School https://maps.app.goo.gl/YNmNSfBynL4rnQYXA
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁 नवागांव 🍁
( प्राथमिक शाला नवागांव)
जि.कबीरधाम
Govt. Primary School Nawagaon https://maps.app.goo.gl/fc8du8LmjYaYZBmD6
21 april 2023
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄कवर्धा से 5 किमी पहले 🍄
( दिनेश जी चोपड़ा जी का गोडाउन )
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁 कवर्धा 🍁
( सरस्वती शिशु मंदिर कवर्धा)
जि.कबीरधाम
Kawardha https://maps.app.goo.gl/dhamM7QQdxt1ynxR7
20 april 23 ➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄पौंडी🍄
( उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ) https://maps.app.goo.gl/uXf5V3eHVcspk5hf7
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁 राम्हेपुर 🍁
( हाई स्कुल ,शक्कर कारखाना के पास)
जि.कबीरधाम https://maps.app.goo.gl/qqLTcpyaWe31MNaH6 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
19 अप्रैल 2023
आज दोपहर में
💫सामयिक उपरांत💫
👣मंगल विहार👣
🔻पंडरिया 🔻
से हुआ। https://www.instagram.com/p/CrOUElSNOa0/?igshid=MDJmNzVkMjY= ➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄पांडा तराई 🍄
( कावेरी राइस मिल ) https://maps.app.goo.gl/GpfiomDhLj3r89GA7
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁 खडोद🍁
(प्राथमिक शाला खडोद)
जि.कबीरधाम https://maps.app.goo.gl/GN3TYqmwFULWjTA3A ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
17 अप्रैल 23
➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄मुनमुना 🍄 https://maps.app.goo.gl/1CbyF41gqoYMBiTdA
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁सगौना🍁
(प्राथमिक शाला सगौना)
जि.कबीरधाम https://maps.app.goo.gl/kdxCtFTmVVAtf5RHA ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
16 april 23
➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄 कुकदुर -🍄
(प्राथमिक लघु वनोपज स.समिती) https://maps.app.goo.gl/hKNhwNVqgyQKZZRp6
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁लोखान🍁
(ग्राम पंचायत)
जि.कबीरधाम https://maps.app.goo.gl/irX3svXg6X5vaPyP6 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
15 april 23
➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄 आगरपानी घाट टेन्ट में🍄 https://maps.app.goo.gl/6v2EivDVqoZrwEZa7
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁पौलमी🍁
(ग्राम पंचायत)
जि.कबीरधाम https://maps.google.com/?q=22.400701,81.367562&entry=gps ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
14 अप्रैल 23
➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄भेलकी🍄
Bhelki https://maps.app.goo.gl/BMGqpAYxV1mTSby96
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁प्राथमिक शाला अधचरा ग्राम🍁
Adhcharap https://maps.app.goo.gl/ujADEKAx3bNNHE26A ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
13 अप्रैल 23
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄उध्वौर के आगे 5:30 कि.मी (म.प्र)🍄
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁थाडपत्रा (म.प्र.)🍁
(संभावित) ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
12 अप्रैल 23
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄गोपालपूर (म.प्र)🍄 https://maps.app.goo.gl/hBvnG3zTPoBasGfs6
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
गोपालपूर से आगे 4:30 कि.मी
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁उध्दौर(म.प्र.)🍁
(संभावित) https://maps.app.goo.gl/ZUmsxn8Qc9Ez4dEt6
10 april 23
आज रात्री विश्राम
🍄एकिकृत शासकिय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रुसा तिरहा(म.प्र)🍄
Govt Hiegher Secondary School, Roosa https://maps.app.goo.gl/NsDBZ1eLk47EwdSG8
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁जाडा सुरंग (म.प्र.)🍁
(संभावित)
Jadasurang Ryt. https://maps.app.goo.gl/7D3Hck9J35MVsRrC6
9 april 2023
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄करंजिया (म.प्र)🍄
Karanjia https://maps.app.goo.gl/fEALpyb3iTrhPZgt9
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहार चर्या 🍁
🍁अमलडीहा(म.प्र.)🍁
(संभावित)
अमलडीहा, शासकीय प्राथमिक शाला, अमलडीहा https://maps.app.goo.gl/oZMTLjGpj7aCTBhQA
8 अप्रैल 23
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄ग्राम -कबीर (म.प्र)🍄 (परिक्षेत्र सहायक कार्यालय)
Kabir https://maps.app.goo.gl/giZMXq1yBFXJsZV56
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄कल की आहार चर्या 🍄
जगतपुर सम्भावित
Jagatpur https://maps.app.goo.gl/a68SKrZP8pNhc9PK8
*बिग ब्रेकिंग...8 अप्रैल 23*
*दिगंबर मानसरोवर के राजहंस संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महामुनिराज* का ससंघ विहार *सर्वोदय जैन तीर्थक्षेत्र अमरकंटक मप्र* से अभी-अभी हुआ 👇👇MD👇👇
संभावित दिशा- *बुधगांव माल, कारोपानी चल चरखा महिला प्रशिक्षण हथकरघा एवं रोजगार केंद्र जिला डिंडोरी* 👇👇👇👇👇
*कारोपानी* अमरकंटक से 66 किमी जबलपुर मार्ग पर डिंडोरी से 14 किमी पहले दाहिने हाथ पर स्थित है
*(यह मेरे मन का अनुमान है)* 🙏🙏🙏🙏🙏
निर्यापक श्रमण मुनिश्री समतासागर जी
निर्यापक श्रमण मुनिश्री प्रशांतसागर जी
निर्यापक श्रमण मुनिश्री प्रसादसागर जी
निर्यापक श्रमण मुनिश्री अभयसागर जी
निर्यापक श्रमण मुनिश्री संभवसागर जी
निर्यापक श्रमण मुनिश्री वीरसागर जी
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
*आचार्य श्री व्दारा उपाधित निर्यापक श्रमण मुनीराज 😘
1 निर्यापक श्रमण समय सागर जी महाराज
2 निर्यापक श्रमण योग सागर जी महाराज
3 निर्यापक श्रमण नियम सागर जी महाराज
4 निर्यापक श्रमण सुधा सागर जी महाराज
5 निर्यापक श्रमण समता सागर जी महाराज
6 निर्यापक श्रमण प्रशांत सागर जी महाराज
7 निर्यापक श्रमण प्रसाद सागर जी महाराज
8 निर्यापक श्रमण अभय सागर जी महाराज
9 निर्यापक श्रमण संभव सागर जी महाराज
10 निर्यापक श्रमण वीर सागर जी महाराज
युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि
आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज
💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज
💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज
💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज
ससंघ का
आज दोपहर में
💫सामयिक उपरांत💫
👣मंगल विहार👣
🔻 जगतपुर🔻
➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄ग्राम -कबीर (म.प्र)🍄
➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🍄कल सुबह प्रात:काल बेला मे सर्वोदय तीर्थ अमरकण्टक मंगल प्रवेश 🍄
Sarvodaya Digambar Jain Temple https://maps.app.goo.gl/6v2NpgXi7aGeL7A67
18 मार्च 23
आज दोपहर में
💫सामयिक उपरांत💫
👣मंगल विहार👣
🔻 अरझोलिंग के जंगल मे हो रहा है।🔻 ➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄ग्राम -बुंदेला 🍄
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄कल की आहारचर्या 🍄
🍄ग्राम-अमलडीहा 🍄
(अमरकंटक रोड पर) सम्भावित ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🚩🛕श्री. मज्जीनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव सर्वोदय तीर्थ अमरकण्टक🚩🛕
२५ मार्च से ०१ अप्रैल २०२३ तक
🛕🛕🛕🛕🛕 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
14 मार्च 23
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄अमेरा🍄
जिला कबीरधाम
👇🏻👇🏻👇🏻
Amera https://maps.app.goo.gl/vncnbZuDvcdzjgGY8 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄कल की आहारचर्या 🍄
🍄पुलिस चेक पोस्ट थाना कुकदुर🍄
जिला कबीरधाम
👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻
https://maps.app.goo.gl/gRjBhUyKMGk8g3nD9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
13 मार्च 23
युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि
आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज
ससंघ का
आज दोपहर में
💫सामयिक उपरांत💫
👣मंगल विहार👣
🔻 पंडरिया छ. ग 🔺
से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖ https://www.instagram.com/p/CpvAIhxKcT5/?igshid=MDJmNzVkMjY= ➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄सगौना🍄
जिला कबीरधाम
👇🏻👇🏻👇🏻
Government Primary School https://maps.app.goo.gl/K5j1Ka6WguzoG7Yt7 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄कल की आहारचर्या 🍄
🍄शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला मुनमूना🍄
जिला कबीरधाम
👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻
Munmuna https://maps.app.goo.gl/Y3xRkTzyotndZLSS7 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
12 मार्च 23
आज दोपहर में
💫सामयिक उपरांत💫
👣मंगल विहार👣
🔻 पांडातराई छ. ग 🔺
से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖ https://www.instagram.com/p/CpsXiC1KOWP/?igshid=MDJmNzVkMjY= ➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄रोहरा🍄
जिला कबीरधाम
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.google.com/?q=SH+5%2C+Rohra%2C+Chhattisgarh+491559&ftid=0x3a29d02b03755f83:0x67ce47f28597ddbc&entry=gps ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄कल की आहारचर्या 🍄
🍄सरस्वती शिशु मंदिर, पंडरिया 🍄
(पंडरिया)
जिला कबीरधाम
👇🏻👇🏻👇🏻
Saraswati Shishu Mandir https://maps.app.goo.gl/LcXw2bLzmGggkBMSA ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
11 मार्च 23
आज दोपहर में
💫सामयिक उपरांत💫
👣मंगल विहार👣
🔻 पोंडी छ. ग 🔺
से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖ https://www.instagram.com/p/CpptsTyKPtr/?igshid=MDJmNzVkMjY= ➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄 🍄माध्यमिक शाला, खडौदा कला 🍄
(खडौदा कला)
जिला कबीरधाम
👇🏻👇🏻👇🏻
Khadaudha Kalan https://maps.app.goo.gl/wFUFKENVZX6JKLfJ7 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄कल की आहारचर्या 🍄
🍄सरस्वती शिशु मंदिर, पांडातराई 🍄
(पांडातराई)
जिला कबीरधाम
👇🏻👇🏻👇🏻
Saraswati Shishu Mandir https://maps.app.goo.gl/86zKGSnxuahEeWM5A ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
10 मार्च 23
युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि
आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज
ससंघ का
आज दोपहर में
💫सामयिक उपरांत💫
👣मंगल विहार👣
🔻 कवर्धा छ. ग 🔺
से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
(https://www.instagram.com/p/CpmwI4fAzSY/?igshid=MDJmNzVkMjY=)
🍄आज रात्री विश्राम🍄 🍄ओम एग्रो राईस मिला सिंघनपुरी 🍄
(सिंघनपुरी)
जिला कबीरधाम
👇🏻👇🏻👇🏻
Om Agro Products https://maps.app.goo.gl/bf5NTsy6N41KSagk9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄कल की आहारचर्या 🍄
🍄प्राथमिक माध्यमिक शाला पोंडी🍄
(पोंडी)
जिला कबीरधाम
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/41QNGDRw8hzqYYur6 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
8 मार्च 2023
आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज
ससंघ का
आज दोपहर में
💫सामयिक उपरांत💫
👣मंगल विहार👣
🔻महाराजपूर कवर्धा🔺
से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄कवर्धा🍄
(स्थानक भवन)
जिला कबीरधाम
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/7tRxfEVprA7QRFJGA ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
➡️कल कवर्धा में कुछ कार्यक्रम की संभावना है
समस्त दिंगबर जैन समाज कवर्धा छत्तीसगढ ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
6 मार्च 2023
आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज
ससंघ का
आज दोपहर में
💫सामयिक उपरांत💫
👣मंगल विहार👣
🔻सिल्हाटी🔺
से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄लोहारा🍄
(श्री.कुंथुनाथ जैन मंदिर उपाश्रय लोहारा), जिला कबीरधाम
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/48AEDopszNtdC4ZG9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहारचर्या🍁
🍁उडिया खुर्द 🍁
(श्वेता पब्लिक स्कूल,उडिया खुर्द)
जिला- कबीरधाम
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/GkAEwbR5JoagaGTa9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
4 मार्च 2023
युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि
आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज
ससंघ का
आज दोपहर में
💫सामयिक उपरांत💫
👣मंगल विहार👣
🔻अतरिया🔺
से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄चकनार🍄
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/cTKwR6JWoVvW3NT36 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहारचर्या🍁
🍁लिमो🍁
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/9LZ7xvP2wE6NsaJM6 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
2 मार्च 23
आज आहार चर्या खैरागढ़ मैं हो रही है।
🍄आज रात्री विश्राम🍄
🍄रिद्धी इंडस्ट्रीज 🍄
टेकापार कला
जिला राजनांदगांव
👇🏻👇🏻👇🏻
रिद्धी इंडस्ट्रीज
Riddhi Industries Tekaparkala, Khairagarh https://maps.app.goo.gl/1ZxD4PXYkQqzjWXm7 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहारचर्या🍁
🍁छुईखदान🍁
जिला राजनांदगाव छत्तीसगढ़
👇🏻👇🏻👇🏻
Chhuikhadan https://maps.app.goo.gl/FLaAy24QfyzXtDyh7
28 फरवरी 23
आज रात्री विश्राम
🍄भंडारपूर🍄
जिला राजनांदगांव
👇🏻👇🏻👇🏻
भंडारपूर https://maps.app.goo.gl/uTG65iYbvWSwMLmMA ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहारचर्या🍁
🍁सिरदार खपरी🍁
जिला राजनांदगाव छत्तीसगढ़
👇🏻👇🏻👇🏻
Khapri Sirdar https://maps.app.goo.gl/6XcbsXZCU9mgTkpW6 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
27 फरवरी 23
आज रात्री विश्राम
🍄अछोली🍄
(ग्राम पंचायत)
जिला राजनांदगांव
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/gPiRpr9cXXYFenv79
➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🍁कल की आहारचर्या🍁
🍁शिवपूरी🍁
(पूर्व माध्यमीक स्कुल शिवपूरी)
जिला राजनानांदगाव छत्तीसगढ
👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/ue4twJkzQRS1Uh1e9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महामुनिराज का
ससंघ विहार प्रसिद्ध जैन तीर्थक्षेत्र चंद्रगिरी डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) से अभी अभी हुआ। 👇👇👇👇👇
संभावित विहार दिशा एवं विहार अपडेट इस लिंक पर होता रहेगा
विश्व वंदनीय आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज (ससंघ), तिलवाड़ा स्थित दयोदय/ प्रतिभा स्थली जबलपुर में विराजमान हैं
----------------------------------------------------------
विहार अपडेट
*आचार्यश्री जी विहार अपडेट-*
21 मार्च, बुधवार
■
_*परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार, मढिया जी क्षेत्र से तिलवाड़ा स्थित दयोदय/ प्रतिभा स्थली जबलपुर की ओर हुआ।*_ु
20-03-19
जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज☀ ससंघ का मंगल विहार अभी अभी 04:15 पर सहजपुर से जबलपुर की ओर हुआ..।*
*● आज रात्रिविश्राम-* आर्या गार्डन (सहजपुर से 9km)
*● कल की आहारचर्या-* मढिया जी *जबलपुर* (आर्या गार्डन 6km)
*●◆■कल मंगल प्रवेश जबलपुर■◆●*
19-03 2019
*■ Big breking.....*
*☀आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ☀का अभी अभी 03:30 पर मंगल विहार जबलपुर की ओर हुआ।*
🆎
*आचार्यश्री जी विहार अपडेट-*
19 मार्च, मंगलवार, संध्याकाल
■
_*परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार, शहपुरा से सहजपुर की ओर हुआ।*_
◆ *आज रात्रि विश्राम-* राम जी पटेल का मकान, किसरोद चौराहा। यहाँ से सहजपुर 3 किमी।
◆ *कल मंगल प्रवेश एवम आहार चर्या-* सहजपुर
● *विहार की दिशा-* जबलपुर
________________________________
*_अनुमान है कि कल सहजपुर से विहार होकर रात्रि विश्राम भेड़ाघाट तथा 21 मार्च को प्रातःकालीन बेला में जबलपुर में भव्य अगवानी हो सकती है।_*
साभार सूचना: ब्र. श्री सुनील भैया जी
■
*अनिल बड़कुल, ए बी जैन न्यूज़ समूह*
18 मार्च 2019
शहपुरा में आचार्य श्री विद्यासागरजी महामुनिराज के ससंघ सान्निध्य में हथकरघा का उदघाटन होने जा रहा है पूज्य गुरुदेव का दिनाँक 19 मार्च दिन मंगलवार को प्रातः शहपुरा में प्रवेश होगा।
परम पूज्य आचर्य भगवन श्री 108 विधासागर महामुनि राज जी ससंघ का मंगल विहार अभी अभी पाटन से शहपुरा की ओर के लिए हुआ 👇👇 *रात्रि विरात्र-- सिघई वेहर हाउस * *कल की आहार चर्या -- शहपुरा* *आगामी दिशा जबलपुर* *सूचना प्रदाता*
17 मार्च 2019
_*परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार, तेन्दूखेड़ा से पाटन की ओर हुआ।*_
◆ *रात्रि विश्राम-* 27 मील
◆ *कल की आहार चर्या- *पाटन* या अतिशय क्षेत्र श्री *कोनी जी*।
● *विहार की सम्भावित दिशा-* जबलपुर
*दिनाँक:- १६ मार्च २०१९,*
*विश्व वन्दनीय ,संत शिरोमणि ,बुंदलेखंड के छोटे बाबा, परम पूज्यगुरुदेव श्री १०८ विद्या सागर जी महाराज ससंघ का हुआ मंगल विहार झलोंन से तेंदूखेड़ा की और हुआ*
*⛳रात्रि विरात्र-- बगदरी प्रमामिक स्कूल 11 km*
*⛳कल की आहार चर्या:-* तेंदूखेड़ा 10km
*आगामी संभावित दिशा अतिशय क्षेत्र:-* *कोनी जी , जबलपुर
दिनांक 15 मार्च
☀परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ससंघ(32)☀ का मंगल विहार आज अभी अभी मुहली से झाकन15km की ओर हो गया हैं..!!
● संभावित दिशा- सलोन 03km- तेंदूखेड़ा 20km-कोनी जी-पाटन- जबलपुर
★कुंडलपुर की आस अभी भी- झांकन से भी एक रास्ता दमोह,हथनी होते हुए कुंडलपुर जाता हैं..!!
● आज रात्रिविश्राम- झाकन 15km
● संभावित दिशा- श्री कुंडलपुर जी/जबलपुर
दिनांक 14 मार्च 2019
परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ससंघ(32)☀ का मंगल विहार अभी अभी अनन्तपुरा से छिरारी की ऒर हुआ..!! 🎊🎉संभावित आगामी दिशा- श्री बड़े बाबा,कुंडलपुर🎉🎊
● विहारमार्ग संभावित- छिरारी,मुहली, वांसा, दमोह, कुंडलपुर
◆दूसरा मार्ग जबलपुर का भी खुला हुआ हैं..!!◆
★ बाक़ी गुरूवर के मन की गुरूवर जानें..🙏🏿
*विहार अपडेट 14.3.19*
*संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का ससंघ मंगल विहार बीना बारह से चल रहा हैं।*
*आज का रात्रि विश्राम हिनौती में होने की संभावना है अनंतपुरा से दूरी लगभग 11 किलोमीटर है*
*मुहली से रास्ते कुंडलपुर और जबलपुर की ओर जाते है*
*मुहली से जबलपुर की दूरी 82 किलोमीटर है और कुंडलपुर की दूरी भी लगभग 85 किलोमीटर है*
*15 मार्च को आहारचर्या मुहली में सम्भावित*
*मुकेश जैन ढाना*
*एमडी न्यूज़ सागर*
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज संसंघ का शान्तिधाम, बीनाबारह जी से हुआ मंगल विहार..!!
सम्भावित दिशा - रहली पटनागंज
दिनांक - 13 मार्च 2019
रात्रि विश्राम - सिंगपुर गंजन 10 km
कल की आहारचर्या - अनन्तपूरा
अब आप संयम स्वर्ण महोत्सव मोबाइल एप्प में भी तत्त्वार्थ सूत्र का स्वाध्याय कर सकते हैं | https://play.google.com/store/apps/details?id=com.app.vidyasagar
कुल ११ प्रतियोगिता
तत्त्वार्थ सूत्र प्रस्तावना प्रतियोगिता क्रमांक 1
https://vidyasagar.guru/quizzes/quiz/36-1
तत्त्वार्थ सूत्र - प्रस्तावना यहाँ से पढ़े फिर प्रतियोगिता में भाग लें https://vidyasagar.guru/paathshala/tattvarthasutra/tattvarth-sutra-prastavna/
तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय 1 प्रतियोगिता क्रमांक 2 https://vidyasagar.guru/quizzes/quiz/37-2
तत्त्वार्थ सूत्र - अध्याय 1 यहाँ से पढ़े फिर प्रतियोगिता में भाग लें https://vidyasagar.guru/paathshala/tattvarthasutra/adhyay-1/
तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय 2 प्रतियोगिता क्रमांक 3 https://vidyasagar.guru/quizzes/quiz/38-3
तत्त्वार्थ सूत्र - अध्याय 2 यहाँ से पढ़े फिर प्रतियोगिता में भाग लें - https://vidyasagar.guru/paathshala/tattvarthasutra/adhyay-2/
तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय 3 प्रतियोगिता क्रमांक 4 https://vidyasagar.guru/quizzes/quiz/39-4
तत्त्वार्थ सूत्र - अध्याय 3 यहाँ से पढ़े फिर प्रतियोगिता में भाग लें https://vidyasagar.guru/paathshala/tattvarthasutra/adhyay-3/
तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय 4 प्रतियोगिता क्रमांक 5 https://vidyasagar.guru/quizzes/quiz/40-5
तत्त्वार्थ सूत्र - अध्याय 4 यहाँ से पढ़े फिर प्रतियोगिता में भाग लें https://vidyasagar.guru/paathshala/tattvarthasutra/adhyay-4/
तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय 5 प्रतियोगिता क्रमांक 6 https://vidyasagar.guru/quizzes/quiz/41-6
तत्त्वार्थ सूत्र - अध्याय 5 यहाँ से पढ़े फिर प्रतियोगिता में भाग लें https://vidyasagar.guru/paathshala/tattvarthasutra/adhyay-5/
तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय 6 प्रतियोगिता क्रमांक 7 https://vidyasagar.guru/quizzes/quiz/42-7
तत्त्वार्थ सूत्र - अध्याय 6 यहाँ से पढ़े फिर प्रतियोगिता में भाग लें https://vidyasagar.guru/paathshala/tattvarthasutra/adhyay-6/
तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय 7 प्रतियोगिता क्रमांक 8 https://vidyasagar.guru/quizzes/quiz/43-8
तत्त्वार्थ सूत्र - अध्याय 7 यहाँ से पढ़े फिर प्रतियोगिता में भाग लें https://vidyasagar.guru/paathshala/tattvarthasutra/adhyay-7/
तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय 8 प्रतियोगिता क्रमांक 9 https://vidyasagar.guru/quizzes/quiz/44-9
तत्त्वार्थ सूत्र - अध्याय 8 यहाँ से पढ़े फिर प्रतियोगिता में भाग लें https://vidyasagar.guru/paathshala/tattvarthasutra/adhyay-8/
तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय 9 प्रतियोगिता क्रमांक 10 https://vidyasagar.guru/quizzes/quiz/45-10
तत्त्वार्थ सूत्र - अध्याय 9 यहाँ से पढ़े फिर प्रतियोगिता में भाग लें https://vidyasagar.guru/paathshala/tattvarthasutra/adhyay-9/
तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय 10 प्रतियोगिता क्रमांक 11 https://vidyasagar.guru/quizzes/quiz/46-11
तत्त्वार्थ सूत्र - अध्याय 10 यहाँ से पढ़े फिर प्रतियोगिता में भाग लें https://vidyasagar.guru/paathshala/tattvarthasutra/adhyay-10/
आपका सहयोग
1. अगर आपको तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय अच्छा लग रहा हैं - तो आप इसके बारें में सभी को बताये
2. प्रतियोगिता में ५० % या ५० % से अधिक अंक आने पर सभी को लक्की ड्रा में उपहार के लिए शामिल किया जायेगा |
3 उपहार में एक डायरी दी जाएगी जिसमे प्रत्येक पेज पर आचार्य श्री के हायकू, विचार, एवं चित्रों को भी शामिल किया गया हैं |
4. अगर किसी प्रतोयोगिता में एक हज़ार से ज्यादा प्रतियोगी भाग लेंगे तो, उपहार में हथकरघा निर्मित श्रमदान की साड़ी अथवा कुरता पजामा दिया जायेगा | सभी को प्रतियोगिता के बारें में बताएं |
5. हमारा उद्देश्य - आप स्वध्ययाय करें, प्रतियोगिता में भाग ले, और अधिक से अधिक संख्या में प्रतियोगिता में सभी को भाग लेने की प्रेरणा दे |
सभी को प्रमाण पत्र भेज दिए गए हैं, अगर आप को प्राप्त नहीं हुए तो आप निम्न लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं
https://docs.google.com/spreadsheets/d/1904VzS0yUwes0JfNbnizNrLZQ4B9pwK0/edit?usp=sharing&ouid=108041101357652563056&rtpof=true&sd=true
*Live Kahoot Quiz विलक्षण प्रतियोगिता के अंतर्गत आज 3 बजे से होगा प्रारंभ*
*विशेष बात : ध्यान रखने हेतु*
1 दो मोबाईल अथवा 2 स्क्रीन की अवशयकता होगी -Smart TV का भी उपयोग कर सकते हैं
2 सबसे पहले निम्न Zoom लिंक पर आपको जुड़ना होगा जिसके माध्यम से आप हमारी बात सुन पाएंगे
Zoom लिंक
──────────
विद्यासागर डॉट गुरु वेबसाईट is inviting you to a scheduled Zoom meeting.
Join Zoom Meeting
https://us02web.zoom.us/j/86192717193?pwd=Nyt0ei9EK3pudFB5NXFxWFhldnJsQT09
Meeting ID: 861 9271 7193
Passcode: jaiin1008
──────────
ज़ूम फूल होने पर आप Youtube पर भी जुड़ सकते हैं
https://www.youtube.com/channel/UC44JqnO2iRhifwufxxHvzsw/live
──────────
3 दूसरे मोबाईल से आपको Kahoot वेबसाईट या ऐप्प पर Kahoot PIN डालकर जुड़ना होगा
https://kahoot.it/
Game PIN आपको ज़ूम पर मिलेगा
कोई भी अपडेट होगा तो निम्न लिंक पर उपलब्ध होगा (जैसे ज़ूम ID / Kahhot Pin)
यह एक प्रयोग हैं - इसको सफल बनाने के लिए आप सभी को इसकी जानकारी समय पे प्रेषित करें
हमारा प्रयास
www.VidyaSagar.Guru
जय जिनेन्द्र,
प्रसन्नता की बात है कि पूज्य गुरुवर आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के मुखारविन्द से निकली वाणी का संकलन किया जा रहा है। सन 1968 से लेकर सन 2015 तक की पुरानी आडियो, वीडियो कैसेट अथवा सीडी आदि आपके पास सुरक्षित रखी हो तो हमारे पास प्रेषित करने की कृपा करें। उन्हें आधुनिक तरीको से सुरक्षित कर, आपको आपकी कैसेट/सीडी आदि वापस करने के लिये हम वचनबन्द है।
धन्यवाद
अधिक जानकारी एवं कैसेट/सीडी आदि प्रेषित करने हेतु संपर्क करे।
अशोक कुमार जैन 9923028808
वरुण जैन 9424451179
सौरभ ठोलिया 9694078989
ई-मेल- vidhyavanisanklan@gmail.com
पता-
वरुण जैन
C- 62, पदमनाभ नगर, प्रभात सर्कल के पास, भोपाल, म.प्र.-462023
नाथ आपकी मूर्ति लख जब, मूर्तिमान को लखता हूँ।
ऐसा लगता समवसरण में, प्रभु समीप ही रहता हूँ ॥
सर्व जगत से न्यारा भगवन्, द्वार आपका लगता है ।
अहो - अहो आत्मा से निःसृत, परमानंद बरसता है ॥1॥
नंत काल उपरांत आपने, शाश्वत सिद्ध देश पाया ।
उसी देश का पता जानने, आप शरण में हूँ आया ॥
ऐसा लगा कि शिवपथ की रुचि, मुझमें प्रथम बार जागी ।
राग भाव का राग छोड़ मैं, बन जाऊँ चिर वैरागी ॥ 2 ॥
अनंत अक्षय आत्म निधि पर, प्रभु आपकी नज़र पड़ी ।
धन्य-धन्य वह अद्भुत क्षण जब, स्वानुभूति की लहर उठी ॥
फिर अनुपम आत्मिक धन पाने, ध्यान कुदाली को पाया।
एक अकेले ज्ञान कक्ष में, खोद-खोद निज सुख पाया ॥3 ॥
मेरी नंत गल्तियों को प्रभु, करुणा करके क्षम्य किया ।
पल-पल दोष किये हैं मैंने, फिर भी आकर दर्श दिया ॥
शक्ति मुझे दो ऐसी भगवन्, क्षमा सभी को कर पाऊँ ।
सब जीवों में समानता से, मैत्री भाव से भर जाऊँ ॥ 4 ॥
इस कलयुग में आप मिल गये, और श्रेष्ठ धन क्या होगा ।
इन नयनों को आप दिख गये, और दर्श अब क्या होगा ||
नहीं कामना दृश्य जगत की, मात्र आप दिखते रहना ।
स्मृति दिलाकर मुझको मेरी, झलक दिखाते भी रहना ॥ 5 ॥
जग की सब देहात्मा से जिनमूरत बिल्कुल न्यारी है।
रागद्वेष से भरा जगत प्रभु वीतराग हितकारी हैं ॥
आप मिल गये पुण्य योग से, और अधिक अब क्या पाना ।
जिन भगवन् से निज दर्शन पा, अपने में ही खो जाना ॥ 6 ॥
प्रभो! आपके नंत गुणों की, थाह नहीं मैं पा सकता ।
निकट आपके आना चाहूँ, किंतु नहीं मैं आ सकता ॥
कदमों में नहीं शक्ति प्रभु जी, बालक पर करुणा कर दो।
दर्श करूँ मैं अभी यहीं से, नयनों में ज्योति भर दो ॥ 7 ॥
पर संबंध छोड़कर स्वामी, द्वार आपके आया हूँ ।
शांत भाव में ही प्रभु मिलते, ऋषियों से सुन आया हूँ ॥
भगवन् होने की आशा ले, चरण-शरण में हूँ आया ।
शब्दों से मैं बता न सकता, प्रभु तुमसे क्या- क्या पाया ॥ 8 ॥
नाथ आपने निज दृष्टि को, निज दृष्टा में लगा लिया ।
पर में ले जाने वाले सब, कर्म शत्रु को भगा दिया ॥
स्वतंत्रता का ध्वज फहराकर, चिन्मय देश विचरते हो ।
निजाधीन अव्यय सुख पाकर, नित आनंदित रहते हो ॥ 9 ॥
आत्मिक गुण गाऊँ प्रभुवर मैं, ऐसी मुझको युक्ति दो ।
भक्ति - रस चख पाऊँ ऐसी, इस रसना में शक्ति दो ॥
बाह्य दृष्टि होने से अब तक, दैहिक गुण गाये स्वामी ।
मुझे ले चलो आत्म देश में, अर्ज करूँ अंतर्यामी ॥ 10 ॥
बाह्य नयन से दिखते ना हो, श्रद्धा नयनों से दिखते ।
तव गुण स्तुति से भर जाऊँ तो, स्वात्म वेदी पर ही दिखते ॥
तुम्हें देख अब ऐसा लगता, क्या देखूँ नश्वर जग को ।
तन मन जीवन धन सब तेरा, मान लिया सब कुछ तुमको ॥11॥
देह बिना नित ज्ञान कक्ष में, नाथ आप क्या करते हो ।
हो कृतकृत्य तदपि भक्तों के, मोह तिमिर को हरते हो ॥
निज को देख लिया है ऐसे, लोकालोक सहज दिखते ।
सकल ज्ञेय ज्ञायक हो तदपि, निज से निज में ही रमते ॥ 12 ॥
कर संसार भ्रमण जीवों को, मैंने बहुत सताया है ।
किंतु क्षमा सिंधु तुमने ही, सबसे क्षमा कराया है ॥
नाथ आपकी विराटता का, दर्शन कर आनंद लिया ।
निज सम सब जीवों को माना, मैंने सबको क्षमा किया ॥ 13 ॥
जब-जब देखूँ ऐसा लगता, प्रथम बार ही देखा है।
समीप पल-पल रहना चाहूँ, किन्तु कर्म की रेखा है ॥
कर्मों की दीवार तोड़कर, शीघ्र पास में आ जाऊँ ।
पास आपके आ जाऊँ तो, निज को भी मैं पा जाऊँ ॥ 14 ॥
जब मैं प्रभु सम्मुख आऊँ तब, सब विकल्प शांति पाते ।
निर्विकल्प दशा पाने के, भाव हृदय में भर जाते ॥
एकमात्र सान्निध्य आपका, अपूर्व आनंद देता है ।
जो सुत माँ की गोद प्राप्त कर, आत्म शांति को पाता है ॥ 15 ॥
प्रभु-कृपा पाकर ही मुझको, आत्म तत्त्व से रुचि हुई ।
आतम-दृष्टा प्रभु को लखकर, दृष्टि मेरी शुचि हुई ॥
जग के सारे जड़ वैभव से, किञ्चित् तृप्ति नहीं मिली।
जन्म अंध को नयन मिले त्यों, हरष - हरष मन कली खिली ॥16॥
पैर स्खलित होते हैं मेरे, सँभल नहीं मैं पाता हूँ ।
दृष्टि खींचकर लाता निज में, फिर पर में खो जाता हूँ ॥
आओ नाथ सँभालो मुझको, पर परणति में जाने से ।
नहीं ध्यान रखती क्या माता, सुत को नीचे गिरने से ॥17॥
जब मैं पर से दृष्टि हटाकर, आप गुणों में खो जाता ।
अपना ही अस्तित्व भुलाकर, मात्र आपका हो जाता ॥
इतने अच्छे लगते भगवन्, शब्द नहीं कुछ मेरे पास ।
मात्र यही अनुभूति मुझको, रहते पल-पल मेरे पास ॥ 18 ॥
मानव कृति जगत में जितनी, राग-द्वेष से भरी पड़ी ।
कर्मों की पर्तों में लिपटी, खरा रूप ना दिखे कहीं ॥
वीतराग को जबसे निरखा, नज़र कहीं ना टिकती है।
आँख मींच लूँ तो भी भगवन्, छवि आपकी दिखती है ॥ 19 ॥
ज्ञान कक्ष मेरा यह भगवन्, नंत काल से मैला है।
मोह ज़हर से नाथ अभी तक, मम मन हुआ विषैला है ॥
कर्म वर्गणाओं को भी यह, कर्म रूप कर देता है।
कर्म बाँध अज्ञान दशा में, उदय समय पर रोता है ॥20 ॥
मैं ही मेरा हो ना पाया, कौन यहाँ मेरा होगा ।
मात्र आपको अपना माना, तुम्हें ध्यान रखना होगा ॥
मैंने अपना सारा जीवन, प्रभुवर तुमको सौंप दिया।
हे जिन ! निज का बोध करा दो, अनगिन को भी बोध दिया ॥ 21 ॥
नाथ आपकी दिव्य छवि जब, मेरे हृदय उतरती है।
नंत भवों के कालुष को वह, क्षणभर में ही हरती है ॥
इक चिनगारी सारे वन को, ज्यों पल भर में दहती है।
त्यों अविरल ही स्मृति आपकी, पाप कर्म क्षय करती है ॥ 22 ॥
अहं भाव जो पड़ा हृदय में, वही मुझे दुख देता था ।
नाथ आपके समीप मुझको, कभी न आने देता था ॥
अर्हत् जिन तुमको लखकर अब, अर्ह भाव उतर आया ।
शाश्वत सुख ही पाना चाहूँ, और नहीं कुछ मन भाया ॥ 23 ॥
अनंत करुणा बरसाई प्रभु, बस इतना ही मैं जानूँ ।
जग में रह जग को ना जानूँ, नाथ आपको पहचानूँ ॥
मम चेतन में तुम्हीं बसे हो, अब मुझको ना भय होता ।
बालक माँ की पकड़ अंगुली, निर्भय होकर चल लेता ॥24 ॥
मेरे हृदय कमल पर कैसी, आई दिव्य सुगंधी है।
दिव्यकमल की परम महक यह, नाथ आपके गुण की है ॥
दूर रहे रवि पर सरवर के, कमलों को विकसित करता ।
भक्त परम श्रद्धा से भगवन्, अति निकटता पा जाता ॥ 25 ॥
नंत गुणों की महक प्राप्त कर, प्रभु जीवन आह्लादित है ।
कब होंगे मम प्रगट नंत गुण, वह शुभ घड़ी प्रतीक्षित है ॥
ऐसी दिव्य सुगंध घ्राण बिन, चेतनता में आती है।
असंख्यात आतम प्रदेश में, बगिया- सी महकाती है ॥ 26 ॥
जब-जब भगवन् मैंने अपने, अहं भाव को सुला दिया ।
तब-तब अपने समीप में ही, तुमने मुझको बुला लिया ॥
नंत विराट रूप लख मुझको, अति अचरज ही होता है।
अब तक समय गँवाया मैंने, सोच यही मन रोता है ॥27॥
भगवन् मैं आह्वान करूँ, मम ज्ञान कक्ष में आ जाओ।
कर्म लुटेरे लूट रहे हैं, मुझको निज धन दिलवाओ ॥
आप धर्म नेता हो स्वामी शक्तिशाली मैं हूँ कमर ।
अतः पुकार रहा हूँ भगवन्, नज़र करो इक मेरी ओर ॥28॥
मान लिया जब तुमको अपना, जग से क्या लेना देना ।
जगत रूठ जाए तो भी प्रभु, इससे मेरा क्या होना ॥
मैं हूँ सिर्फ आपके जैसा, यही आपने बतलाया ।
कितना अपनापन प्रभु मुझसे, आज समझ में है आया ॥ 29 ॥
नाथ आपकी कृपा न हो तो, कैसे तव गुण गा पाता ।
मुझ पर नज़र न होती तो क्या, पास आपके आ पाता ॥
जग के अशुभ विकल्प छुड़ाकर, मुझे पास ले आते हो ।
कितने अपने लगते हो तब, मेरे हृदय समाते हो ॥30॥
मन के सारे बाह्य द्वार को, प्रभु सम्मुख आ बंद किया।
नाथ आपने मम चेतन में, समकित मणि को दिखा दिया ॥
सूरज से भी अधिक तेजमय, इसमें निज आतम दिखता ।
जगमगात अनमोल मणि यह, प्रभु कृपा बिन ना मिलता ॥31॥
भावों की भाषा को भगवन्, बिन बोले सुन लेते हो ।
नयन बिना खोले श्रद्धा की, आँखों से दिख जाते हो ॥
क्षेत्र निकटता की भी स्वामी, नहीं जरूरत होती है।
श्रद्धा पूरित चेतन में प्रभु, उपस्थिति तब लगती है ॥32॥
प्रभु आपकी सन्निधि पाकर, मन कहता है यहीं रहूँ ।
प्रभु कृपा का सदुपयोग यह, क्रोध मान छल नहीं करूँ ॥
मौलिक वस्तु को यदि माता, सौंपे बालक के कर में ।
वस्तु गँवा दे बालक तो माँ, निज से दूर करे पल में ॥33॥
नाथ आपके स्मरण मात्र से, आतम पुलकित होता है।
सब विषाद मिट जाते पल में, मन निर्मल हो जाता है ॥
बसे रहो प्रभु यूँ ही हर पल, सुख आनंद बरसता है ।
हुई चेतना मौन मात्र अब, अनुभव ही गहराता है ॥34॥
पूर्व अनंत भवों में मैंने, नंत जीव को तड़पाया ।
उन सबसे मैं क्षमा माँग लूँ, भाव हृदय में भर आया ॥
उन जीवों के निकट पहुँच कर, कैसे क्षमा कराऊँ मैं ।
आप सर्व व्यापी होने से, शरण आपकी आऊँ मैं ॥35॥
मैं बिल्कुल ही शून्य पात्र था, आप कृपा से पूर्ण भरा ।
शुष्क हो रहा था यह पौधा, हुआ आपसे हरा भरा ॥
मौलिक श्रद्धा धन जो पाया, प्रभु आपके कारण ही ।
अन्य आपसा दाता जग में, मुझको दिखता कहीं नहीं ॥36॥
इस भव वन में कर्म सिंह से, हूँ भयभीत बुलालो पास।
या फिर मेरे आतम में प्रभु, एक बार ही कर लो वास ॥
प्रभु आगमन की आहट से, मैं निर्भय हो जाऊँगा ।
स्वतंत्र होकर श्रद्धा पथ से, चलकर निजगृह आऊँगा ॥37॥
भववर्द्धक जग वैभव सारे, मुझे अनंतों बार मिले ।
किंतु ज्ञान बगिया में भगवन्, समकित सुमनस् नहीं खिले ॥
बागवान बनकर प्रभु आओ, अपनी वाणी से सींचो ।
सही न जाती विरह वेदना, अब निज ओर मुझे खींचो ॥38॥
जग के प्राणी जो नहीं सुनते, वही आप सुन लेते हो ।
शब्दों की भी नहीं जरूरत, बिना कहे दे देते हो ॥
यही आपकी अनंत करुणा, छोड़ प्रभु अब जाऊँ कहाँ ।
जहाँ पिता परमेश्वर मेरे, बालक भी अब रहे वहाँ ॥39॥
नाथ आपको हृदय बसाकर, फिर क्यों मैं बाहर आता ।
बुला रहा मुझको कोई यह, बार-बार भ्रम हो जाता ॥
इसी तरह प्रभु प्रमाद वश मैं, अविनय बार-बार करता ।
क्षमा कीजिए भगवन् मुझको, भावों से भरकर कहता ॥ 40 ॥
निकट आपके जो पल बीते, वो ही सफल हुए स्वामी ।
अपूर्व स्वर्णिम अवसर थे वो, पुलकित हुआ हृदय स्वामी ॥
हर -पल वह रस पीना चाहूँ, और नहीं कुछ मन भाता ।
बार-बार मन विकल्प तजकर, पास आपके आ जाता ॥ 41 ॥
कितना अच्छा लगता भगवन्! मुझको तव मूरत लखना ।
जग में एक अकेला होकर, मात्र आपका हो जाना ॥
भक्ति कूप को मेरे भगवन्, और अधिक अब गहराओ ।
श्रद्धा जल से भरे कूप को, आकर पावन कर जाओ ॥ 42 ॥
नाथ आपके गुणोद्यान में, विचरण करने जब आया ।
कषाय रिपु तब शीघ्र निकट आ, चित्त पकड़ बाहर लाया ॥
चउ कषाय को मीत बनाकर, नाथ बहुत पछताता हूँ ।
कुछ उपाय बतला दो भगवन्, कषाय से दुख पाता हूँ ॥ 43 ॥
भक्ति की मैं रीत न जानूँ, नाथ आपही सिखला दो ।
अपने शाश्वत अनंत गुण में, प्रवेश मुझको करवा दो ॥
एक-एक गुण का भावों से, गहन गहनतम चिंतन हो ।
इस जीवन का सदुपयोग हो, भगवन् इतना संबल दो ॥44 ॥
महा भयानक भवअटवी में, मुझे न अब भय लगता है।
क्योंकि बसे हो आप हृदय में, अतः निडर मन रहता है ॥
कर्मों की जो घनी वनी है, उससे अब क्या घबराना ।
कर्म अचेतन मैं हूँ चेतन, स्वात्म शक्ति को पहचाना ॥ 45 ॥
पुण्य मुझे जो भटका दे वह, पुण्य कभी ना मैं चाहूँ ।
मुक्ति तक जो पहुँचा दे वह, पुण्य सातिशय अपनाऊँ ॥
पुण्य भाव में अहं भाव से, मुझे न किञ्चित् सौख्य मिला ।
जबसे विरत हुआ मैं इससे, नाथ आपने दर्श दिया ॥ 46 ॥
मेरी लघु श्रद्धा वेदी पर, आप विराजे जब स्वामी ।
हर्षित हो तब स्वात्म गुणों का, आह्वानन करता स्वामी ॥
स्वानुभूति के गीत गूँजते, बजी विरागी शहनाई ।
पल-पल मेरे हृदय विराजो, हे मेरे प्रिय जिनराई ॥47 ॥
शाश्वत सुखानुभूति की प्रभो, मुझमें प्यास जगा देना ।
यही अरज है जहाँ आप हो, मुझको शीघ्र बुला लेना ॥
जिस पथ से प्रभु आप गये हो, वह पथ मुझको दर्शा दो ।
चलने की श्रद्धा औ शक्ति, नाथ आप ही प्रगटा दो ॥ 48 ॥
देहादिक के कार्य किये पर, लगता कुछ भी किया नहीं।
प्रभु-भक्ति अर्चन करने से, लगा कार्य कुछ किया सही ॥
स्वात्म ध्यान पलभर भी हो तो, लक्ष्य दिखाई देता है।
हे कारुण्य-धाम जिनवर तव करुणा से यह होता है । 49 ॥
गहन प्रेम का प्रतीक है यह, आप अकेले में मिलते ।
किञ्चित् भी यदि विकल्प हो तो, प्रभुवर आप नहीं दिखते ॥
एक अकेला हो जाऊँ बस, यही भावना है स्वामी ।
देह रहित हो विदेह पद को, पा जाऊँ अंतर्यामी ॥50॥
निज स्वरूप रत रहने वाले, मुझको पर से विरत करो ।
निज गुण की महिमा बतलाकर, मुझको निज में निरत करो ॥
सारे जग में एकमात्र प्रभु, आप परम हितकारी हो ।
मुझे भरोसा पूर्ण आप पर, दयासिंधु उपकारी हो ॥51॥
पल-पल मुझको देख रहे पर, नहीं आपको देख सका ।
तीन लोक में घूम लिया पर ढूँढ़ ढूँढ़कर बहुत थका ॥
दिव्यध्वनि से पता चला कि, तुम मुझमें ही रहते हो ।
दिया तले अंधियारा है यह, मम प्रभु मुझमें बसते हो ॥ 52 ॥
ज्ञान गंगन में आप चन्द्रमा, मैं धरती की धूल प्रभो ।
क्षमा सिंधु हो आप प्रभु मैं, पल-पल करता भूल विभो ॥
कहाँ आप और कहाँ प्रभु मैं, फिर भी मुझको अपनाया ।
आप वीतरागी मैं रागी, फिर भी तव शरणा पाया ॥ 53॥
तेरा दिया हुआ प्रभु सब कुछ, तू ही मेरा दाता है।
शरण आपकी पाकर मैंने, पायी आतम साता है ॥
किसी अन्य दर पर जाने की, नहीं भावना शेष रही ।
वीतराग की छाँव मिल गई, कोई कामना रही नहीं ॥ 54॥
प्रिय मीत से अन्तर्मन की, सारी बातें कह सकते ।
किंतु आपसे निजात्म की भी अद्भुत बातें कह सकते ॥
इसीलिए तो श्रद्धा पूर्वक, प्रभुवर आप निकट आता ।
नाथ आपकी समीपता से, पाता हूँ अनुपम साता ॥ 55 ॥
बीहड़ भवकानन में भगवन्! एक आपकी ज्योति है।
सारा जग जल बिंदु सम प्रभु अपूर्व अद्भुत मोती हैं ॥
निज शुद्धातम प्रगटाने की, मात्र हृदय में आश जगी ।
स्वात्म ज्ञान सरवर के जल को पीने की बस प्यास लगी ॥ 56 ॥
गिरि कन्दरा और गुफा में, ढूँढ़ा भगवन् नहीं मिले।
जब-जब बैठा आँख मूँदकर, निज में ही प्रभु आप मिले ॥
परम सुरक्षित स्थान आपका, पर का जहाँ प्रवेश नहीं ।
नाथ आपके सौख्य बराबर, जग में सुख लवलेश नहीं ॥ 57 ॥
निकट बैठने योग्य बनाया, यह क्या प्रभु कृपा कम है।
बैठ न पाया सिद्धालय में, अब तक यह मुझको गम है॥
दिव्यध्वनि से नाथ आपने, नंत-नंत उपकार किया ।
फिर भी प्रभु मैं रहा अभागा, मोहवशी भव भ्रमण किया ॥ 58 ॥
विरागता अनुभूत हुई जो, यही भक्ति का फल मानूँ ।
राग - द्वेष में बीत गये क्षण, उनको निष्फल ही जानूँ ॥
नाथ आपके गुणवादन में, जीवन का हर पल बीते ।
अंत समय में नयन बंद हो, भक्ति रस पीते-पीते ॥ 59 ॥
स्वार्थी जग से मन की बातें, करके अब तक पछताया ।
क्योंकि मेरे दुख संकट में, कोई काम नहीं आया ॥
यदपि आप कुछ नहीं बोलते, फिर भी सब कुछ कह देते।
सुनते हुए न दिखते हो पर, बिना कहे ही सुन लेते ॥ 60 ॥
मन वच तन औ निज चेतन में, नाथ आप ही आप बसे ।
फिर भी प्रभु प्रत्यक्ष दर्श को, मेरे दो नयना तरसे ॥
देह रहित कैसे होंगे प्रभु, बार-बार मन पूछ रहा ।
वीतराग इक इक गुण की अब, गहराई में डूब रहा ॥ 61॥
जो अनमोल निधि दी उससे, उऋण कैसे होऊँ मैं ।
एकमात्र ही उपाय है बस, तुम जैसा बन जाऊँ मैं॥
तभी सर्व ऋण चुक पायेगा, यही समझ में आता है।
करूँ रात-दिन बात आपकी, यही हृदय को भाता है ॥62 ॥
नाथ आप 'पर' कहलाते हो, फिर भी परम कहाते हो ।
आप अन्य होकर भी भगवन्, अनन्य जैसे लगते हो ॥
कहे भले जगवासी अपना, पर सब स्वारथ सपना है।
दिव्यध्वनि में कहा आपने, केवल आतम अपना है ॥ 63 ॥
जगत जनों को देखा जाना, फिर भी मेरे नहीं हुए ।
अब तक ना देखा प्रभु तुमको, फिर भी मेरे मीत हुए ॥
कितना निर्मल स्वभाव भगवन्,भव्यों का मन हरता है ।
प्रेम दया करुणा का झरना, नाथ आपसे झरता है ॥ 64 ॥
आप परम मैं पामर भगवन्, मैं हूँ पतित आप पावन ।
मैं हूँ पतझड़ बारह मास बरसने वाले तुम सावन ॥
अपनी दिव्यशक्ति को भगवन्, मेघ धार बन बरसा दो ।
नंत काल से मैला बालक, करुणाकर प्रभु नहला दो ॥65 ॥
जब-जब भक्ति द्वार से भगवन्, आप शरण में आता हूँ।
मानगलित हो जाता तत्क्षण, लघुता को पा जाता हूँ ॥
किंतु जब-जब बुद्धि द्वार से, अहं भाव भरकर आया ।
निज दर्शन की बात दूर है, जिन दर्शन ना कर पाया ॥66 ॥
हृदयांगन को स्वच्छ कर दिया, नाथ शीघ्र अब आ जाओ ।
पाप धूल कहीं जम ना जाए, आ जाओ प्रभु आ जाओ ॥
पञ्चेन्द्रिय मन द्वार खुले हैं, अतः नाथ घबराता हूँ ।
रहे आपके योग्य हृदय बस, यही भावना भाता हूँ ॥ 67 ॥
नाथ आपकी पावन मूरत, जबसे मेरे नयन बसी ।
सच कहता हूँ तबसे भगवन्, अन्य दरश की चाह नशी ॥
दिव्य तेजमय रूप आपका, समा न पाया अपने में ।
इसीलिए तो नयन बंद कर, दरश करूँ प्रभु सपने में ॥68 ॥
नहीं माँगता नाथ आपसे, मेरे दुख का क्षय कर दो।
दुःख सह सकूँ शांत भाव से, मुझमें वो शक्ति भर दो ॥
नहीं कामना इन्द्रिय सुख से, मेरी झोली भर जाए ।
निजानुभव करके मम आतम, भवसागर से तर जाए ॥ 69 ॥
पास नहीं वह आँखें मेरे, जिससे तुमको देख सकूँ ।
वाणी पास न मेरे जिससे, व्यथा आप से बोल सकूँ ॥
जान सकूँ हे नाथ आपको, ज्ञान नहीं वो मेरे पास ।
श्रद्धा की दे सकूँ निशानी, वस्तु नहीं कुछ मेरे पास ॥ 70 ॥
तव करुणा के आगे सारे, जग का वैभव तुच्छ रहा।
जो पल बीता तव चरणों में, पल-पल वह अनमोल रहा ॥
मन यह सार्थक हुआ नाथ अब, तव गुण का चिंतन करके ।
सफल हुए यह नयन आज प्रभु, भक्ति के अश्रु जल से ॥ 71 ॥
जगत जनों की अनुरक्ति से, हुआ जगत का ही वर्धन ।
जड़ पदार्थ से राग किया तो हुआ कर्म का ही बंधन ॥
जब संबंध किया प्रभु तुमसे, निज प्रभुता का भान हुआ ।
व्यर्थ गँवाया काल अभी तक, हे जिनवर यह ज्ञान हुआ ॥ 72 ॥
विरह वेदना सही न जाती, नाथ समीप बुलाओ ना।
या फिर अपने भक्त हृदय में, आप स्वयं आ जाओ ना ॥
नाथ आपके चरण-कमल इस, भक्त हृदय में बस जायें ।
या फिर मेरा हृदय कमल यह, तव चरणों में रह जाये ॥73 ॥
नाथ दूर हटते ही तुमसे, यह दुष्कर्म सताते हैं ।
निज शुद्धातम गृह से बाहर ले जाकर तड़पाते हैं ॥
नोकर्मों को बुला - बुलाकर, दुख देते हैं मुझे अपार ।
फिर भी मैं इनके धोखे में आ जाता हूँ बारंबार ॥74 ॥
सर्व विकार अन्य हैं मुझसे, ऐसा तुमने ज्ञान दिया ।
नाथ आपके वचनामृत सुन, अध्यातम रसपान किया ॥
फिर भी विभाव परिणतियों से, मेरा मन भयभीत रहा।
निर्विकल्प निज स्वभाव में प्रभु, आतम रहना चाह रहा ॥ 75 ॥
मैं अज्ञानी अबोध बालक, कर्म मैल से गंदा हूँ ।
मेरे पास ज्ञान चक्षु हैं, फिर भी प्रभु मैं अंधा हूँ ॥
क्योंकि निज का आतम मुझको, नहीं दिखाई देता है।
इसीलिए बालक प्रभु तेरा, तेरे लिए तरसता है ॥76॥
क्या निज पिता पुत्र को अपना, वैभव नहीं दिखाता है।
अपने सुत को निजी वंश की, सारी रीत सिखाता है ॥
मैं हूँ आप वंश का भगवन्, दर्शन दो निज वैभव का ।
पूज्य पिता सम प्रभु कृपा से, मिट जाए दुख भव-भव का ॥77॥
जब बालक रोता है तब माँ, आकर उसे उठा लेती ।
सुत का रोग जानकर माता, औषध उसे पिला देती ॥
वीतराग प्रभु जननी अपने, सुत को चरण शरण लो ना ।
अनादि से रोते बालक को, जिनश्रुत सुधा पिला दो ना ॥ 78 ॥
नाथ आपके अनंत गुण की, जब-जब महिमा आती है।
सच कहता हूँ पर की चर्चा, किञ्चित् नहीं सुहाती है ॥
नाथ आपकी परम कृपा से, आज यहाँ तक आ पाया।
और तनिक हो जाए कृपा तो, पाऊँ ज्ञान परम काया ॥79 ॥
बड़ी-बड़ी चट्टान कर्म की, प्रभु दर्शन से रोक रही ।
तूफां औ पुरजोर आँधियाँ, स्वभाव जल को सोख रहीं ॥
विकार से पूरित दरिया में, नाथ बचाओ डूब रहा ।
दो हस्तावलम्ब अब अपना, देखो भक्त पुकार रहा ॥80 ॥
आज्ञाकारी पुत्र पिता से, मनवांछित वस्तु पाता ।
परम पितामह भगवन् तुमसे, सब कुछ मुझको मिल जाता ॥
चाह किए बिन कल्पतरु सम, फल देते प्रभु परम उदार ।
परम कृपालु नाथ आपको, अतः नमूँ मैं बारंबार ॥81 ॥
अनंत गुणमणि का प्रकाश मुझ चिदातमा में भरा हुआ ।
इसकी सम्यक् ज्योति में ही, नाथ आपका दरश हुआ ॥
इन गुणद्युति में इतनी शक्ति, लोकालोक निहार सके ।
इस शक्ति को प्रगटाया प्रभु, मुझमें भी शक्ति प्रगटे ॥ 82 ॥
निर्वाछक भावों से भगवन्, भक्ति आपकी करता हूँ ।
किंतु आपसे जुदा करे उन, कर्म फलों से डरता हूँ ॥
मुझसे सब कुछ छिन जाए पर, भक्ति आपकी बनी रहे ।
इतनी कृपा रहे प्रभु मुझ पर, श्रद्धा तुम पर घनी रहे ॥ 83 ॥
हे भगवन्! मैं अहो भाव से, जितना - जितना भरता हूँ ।
ऐसा लगता नाथ आपके, अति निकट ही रहता हूँ ॥
मेरी श्रद्धा की डोरी को, कोई काट नहीं सकता ।
है विश्वास अटल प्रभु के बिन, कोई न मेरा हो सकता ॥ 84 ॥
जिनवर भक्ति से अंतस् के, नंत दीप जल उठते हैं।
तव गुण चर्चा से हे भगवन्, मौन मुखर हो जाते हैं॥
तेरे दर्शन से आतम के प्रदेश सुमनों सम खिलते ।
आप मिलन से ऐसा लगता, निज परमातम से मिलते ॥ 85 ॥
नाथ आप हो विराट कैसे, मेरे हृदय समाओगे ।
निर्विकल्प प्रभु मैं विकल्प युत, मम गृह कैसे आओगे ॥
यही सोचकर चिंतित था पर, नाथ आज निश्चित हुआ ।
श्रद्धा के लघु दीपक में जब, अपूर्व दीपक समा गया ॥ 86 ॥
मात्र आप सम हो जाने की, इस आतम में प्यास जगी ।
प्रभु निकटता पाकर मुझको, अर्द्ध निशा भी दिवस लगी ॥
नहीं चाह पर पदार्थ की अब, आप आपमय हो जाऊँ ।
विभावमय परदेश छोड़कर, चिन्मय देश पहुँच जाऊँ ॥ 87 ॥
नाथ आपकी भक्ति से मम, हृदय कली चट-चट खिलती ।
पवित्र अद्भुत ऊर्जा पाकर, खोयी आत्म निधि मिलती ॥
चित्त शांत होता तब अद्भुत, नाद सुनाई देता है।
उस पल में प्रभु आप और मैं, और न कोई होता है ॥ 88 ॥
चिन्मय गुण की शुद्ध गुफा में, हे भगवन् तुम बसते हो ।
चित् शक्ति जहँ जगमग करती, दिव्य ज्योतिमय लसते हो ॥
हे प्रभु तव प्रकाश सन्निधि में, मिथ्यातमस तिरोहित हो ।
तव वचनों की अपूर्व द्युति से, मेरा जीवन बोधित हो ॥ 89 ॥
जब-जब टूटा नाथ आपका, यह वात्सल्य जोड़ देता ।
जब-जब कर्म धूप से झुलसा, कृपा- छाँव तेरी पाता ॥
सचमुच आप अनन्य मीत हो, अद्भुत करुणा बरसाते ।
इसीलिए तो नैन आपको, देख-देखकर हरणाते ॥ 90 ॥
भवसिंधु में डूब रहा तब, था विश्वास बचाओगे ।
जब-जब कर्म तपन से बिखरा, था विश्वास समेटोगे ॥
जब-जब गिरा उठाया तुमने, तुमको पाकर सब पाया ।
जगा दिया जब-जब मैं सोया, माता जैसा सुख पाया ॥91॥
हर पल तेरे आशीषों की, वर्षा में ही जीता हूँ ।
वरना तन कबसे मिट जाता, यही सोचता रहता हूँ ॥
आप कृपा की खुशबू मुझको, हर पल पुलकित करती है।
मन वीणा के तार-तार को, झंकृत करती रहती है ॥ 92 ॥
मेरा शुभ उपयोग नाथ सान्निध्य आपका नित चाहे ।
क्योंकि आपकी सन्निधि मुझको, बतलाती शिव की राहें ॥
इक पल का भी विरह आपका, सहा नहीं अब जाता है।
नाथ तुम्हें बिन देखे मुझको, रहा नहीं अब जाता है ॥ 93 ॥
प्रभो! आप यदि दूर रहे तो, मुझे कौन समझायेगा ।
राह भटक जाऊँ तो मुझको, सत्पथ कौन दिखायेगा ॥
यही सोच पल-पल मैं भगवन्, पास आपके रहता हूँ ।
तव चरणों में रहूँ सुरक्षित, दुष्कर्मों से डरता हूँ ॥ 94 ॥
विकल्प जब आ घेरे मुझको, नाथ आप ना दिख पाते ।
विस्मित- सा रह जाता तब मैं, आँखों से आँसू बहते ॥
नाथ प्रार्थना करके तुमसे, जाल विकल्पों का हटता ।
तभी आपके दर्शन में ही, निज का मैं दर्शन करता ॥ 95 ॥
नाथ आपका गुणानुवादन, किञ्चित् भी ना कर पाता ।
पूर्ण ज्ञानमति प्रभु आप हो, मैं अल्पज्ञ हूँ शरमाता ॥
तव सन्निधि में बैठ सकूँ बस इतनी शक्ति दे देना ।
तव अनंत गुण निरख सकूँ बस इतनी भक्ति दे देना ॥ 96 ॥
जिन अणुओं की देह धरी थी, उनको वापिस लौटा दी ।
मलिन देह को परमौदारिक, शुद्ध बनाकर ही नाशी ॥
अशुद्ध को भी शुद्ध बनाकर, देना यह सज्जन की रीत ।
ऐसे गुणसागर जिनवर को, मानूँ शाश्वत अपना मीत ॥97 ॥
प्रभु शब्द कितना प्यारा है, प्रभु मूरत अति ही प्यारी ।
मूर्तिमान प्रभुवर उपकारी, हृदय बसे अतिशयकारी ॥
प्रभुवर का सुखधाम और निष्काम रूप प्रत्यक्ष लखूँ ।
लक्ष्य यही बस प्रभु आपसा, निजानंद - रस शीघ्र चखूँ ॥ 98 ॥
हे प्रभु! यह जड़ देह सदा, तव भक्ति में संलग्न रहे।
वचन आपके गुण गुंजन में, मन में चिंतन धार बहे ॥
ज्ञान-दर्श दो उपयोगों में, ज्ञेय दृश्य प्रभु आप रहे ।
असंख्य निज आतम प्रदेश पर, शुद्धातम का ध्यान रहे ॥ 99 ॥
तन मन प्राण रहित होकर भी, नाथ आप जी लेते हो ।
निराहार होकर स्वातम रस, एकाकी पी लेते हो ॥
कहलाते हो निराकार पर, कितने अनुपम दिखते हो ।
सिद्धालय वासी होकर भी, मम आतम में बसते हो ॥100 ॥
जबसे रिश्ता जोड़ा तुमसे, जग से रिश्ता टूट गया ।
कृपा आपकी मिली तभी से, शिव का मारग सूझ गया ॥
जब मैं आत्मरूप ही रहता, तब ही आप मुझे मिलते।
अतः अकेला अच्छा लगता, क्योंकि आप मिलते रहते ॥ 101 ॥
ज्ञान रूप दर्पण में मेरे, ज्यों प्रभु छवि उभरती है।
उसी छवि में मुझको मेरी, आतम निधि झलकती है ॥
उस पल ऐसा लगता भगवन् ! अब कुछ पाना शेष नहीं ।
नाथ आप ही पहुँचा देना, मुझको शाश्वत सिद्ध मही ॥ 102 ॥
लिखने का उद्देश्य नहीं कुछ, मात्र स्वयं को लख पाऊँ ।
शाब्दिक भक्ति रहे न केवल, रत्नत्रय रस चख पाऊँ ॥
चाह यही भगवान् बनूँ पर, प्रमाद मुझको घेर रहा ।
अंतर कृपा करो प्रभु ऐसी, पाऊँ शाश्वत शरण महा ॥ 103 ॥
हे भक्ति के स्वर अब मुझको, निज भगवन् से मिलवा दो।
अंतर अनहद नाद सुनाकर, चिन्मय आनंद बरसा दो ॥
स्वानुभूति की लय में प्रभु की, निर्जन वन में ध्वनि सुनूँ।
अपूर्व आत्मानंद प्राप्त कर, केवलि जिन अरहंत बनूँ ॥ 104 ॥
चूलगिरि श्री सिद्धक्षेत्र जहाँ, अद्भुत शांति मुझे मिली।
विशाल जिनबिंबों के दर्शन, कर अंतस् की कली खिली ॥
प्रभुवर को सर्वस्व मानकर, तीन योग से भक्ति की ।
गुरु को अर्पित भक्ति शतक यह, गुरु करे मम "पूर्णमति " ॥105 ॥
॥ इति शुभं भूयात् ॥
*?खजुराहो, मध्यप्रदेश पिच्छी परिवर्तन UPDATE?*
*?४ नवम्बर २०१८, रविवार?*
*✨आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज की पिच्छी यानि संयम का उपकरण लेने का सौभाग्य*
????????
*⛳चौधरी श्री बाबूलाल जी जैन के सुपुत्र चौधरी श्री प्रदीप कुमार जी जैन, छतरपुर निवासी वालों जी को प्राप्त हुआ⛳*
क्रोध, कलह, क्रूरता और कटुता
सींचे धारती धार्म की
धरती में एक बीज बोया जाता है वह बीज मृदुमाटी का संसर्ग पाकर नम होता है। उसके भीतर से अंकुर फूटता है। फिर उसमें विकास होता है और क्रमश: वृक्ष का रूप धारण करता है। जो दशा एक बीज से वृक्ष की है वही दशा क्षमा से लेकर ब्रह्मचर्य तक की है।
धरती का मतलब होता है क्षमा। जब हम अपने भीतर धर्म का बीज क्षमा की धरती पर डालते हैं तो हमारी चेतना का बीज अंकुरित होता है। मृदुमाटी के संसर्ग से मृदुता आना यानी मार्दव आना और उसके बाद उससे जो अंकुर फूटता है वह एकदम सीधा निकलता है। इसी का नाम सरलता या आर्जव है। फिर जैसे वह अंकुर उगकर बाहर आता है तो उसके साथ खरपतवार उग आते हैं जिनकी सफाई निहायत जरूरी है; इसी सफाई का नाम शौच है। तब जाकर वह सत्य के सूरज के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त कर पाता है। जब वह सूर्य के दर्शन करता है तो उसमें संयम के फूल खिलते हैं और जब वह धूप में तपता है तब उसमें फल लगते हैं। फल लगते हैं तो वह उन फलों को अपने पास नहीं रखता; सब फलों को त्याग देता है। जब पेड़ फलों को त्याग देता है तो उसका स्वरूप अकिञ्चन हो जाता है। यही ममत्व रहित अकिञ्चन स्वरूप ही तो हमारे परम ब्रह्म का स्वरूप है, यही ब्रह्मचर्य है। बीज से वृक्ष तक की यात्रा में ही दसलक्षण की यात्रा, क्षमा से ब्रह्मचर्य तक की यात्रा है। बड़ी अद्भुत घड़ी है ये।
आज मुझे आप से दशलक्षण में पहले धर्म की चर्चा करनी है- क्षमाधर्म। क्षमा की महिमा हम सबने बहुत सुनी है। मैं सोचता हूँ किसकी बात करूं? जब कभी भी क्षमा की बात आती है तो मुझे आप लोग कई स्थितियों में क्षमा की प्रतिमूर्ति दिख जाते हो। देखिए आपके अंदर क्षमा कब-कब आती है। जब आपके साथ आपका कोई नियमित ग्राहक कटु वचन बोल देता है तो उस समय आप चेहरे पर बड़ी मुस्कराहट रखते हुए मीठी प्रतिक्रिया करते हो। दस तरह का आइटम दिखाया, एक घण्टे तक आइटम देखने के बाद एक भी पंसद नहीं किया और ये टिप्पणी भी कर दी कि आपकी दुकान में तो कुछ है भी नहीं। सब अच्छे से अच्छे आइटम वहाँ हैं फिर भी टिप्पणी कर रहा है। एक घण्टे का समय बर्बाद किया ग्राहक ने और कोई आइटम पसंद नहीं किया और कह दिया आपके यहाँ कोई आइटम नहीं है। क्या करते हो आप? कोई बात नहीं है, बहन जी! आप दो-चार दिन बाद आइए नया माल आने वाला है।
क्या हो गया? एक ग्राहक अगर आपके यहाँ आकर ऐसा बोल रहा है। आप उसे बर्दाश्त कर रहे हैं क्षमा की मूर्ति बनकर। पर घरवाली यदि कटु वचन बोल दे तो आप बर्दाश्त कर पाते हो? उस समय क्या हो जाता है? ये क्षमा का एक रूप है।
कभी-कभी किसी व्यक्ति का आपके प्रति दुव्र्यवहार होता है। मन में गुस्सा आता है लेकिन सामने वाले के स्टेटस (रुतबे) को देखते ही सोचते हैं- ये आदमी बहुत बड़ा है, इससे पंगा लेना ठीक नहीं है चुप रह जाते हैं, मन मसोस कर रह जाते हैं। क्षमा हुई न? ऐसी जगह भी क्षमा हो जाती है।
कभी-कभी आप लोग किसी के ऊपर पूरी तरह से गुस्सा निकाल लेते हैं, खूब भड़ास निकाल लेते हैं और आखिरी में कहते हैं- जाओ, तुझे क्षमा किया।
ये तीनों प्रकार की क्षमा की चर्चा आपसे आज नहीं की जाने वाली। पहले प्रकार की जो क्षमा है; वह लोभ प्रेरित क्षमा है। दूसरी प्रकार की क्षमा; क्षमा नहीं परिस्थिति से समझौता है, मजबूरी है।और तीसरे प्रकार की क्षमा भी क्षमा नहीं है; एक प्रकार की भडास निकलने के बाद की शांति है।
‘सत्यपि प्रतिकारसामथ्येऽपकारसहनं क्षमा'॥
किसी ने आपके प्रति कोई दुव्र्यवहार किया, दुर्वचन कहा और कोई गलत कार्य किया। सामथ्र्य होने पर भी उसके अपकार को समता भाव से सह लेना, प्रतिकार नहीं करना ये क्षमा है। जो बड़े-बड़े ज्ञानियों में होती है। मैं आपसे कहूँ कि तुमसे कोई कुछ बोल दे तो तुम क्षमा रखो। मालूम है, मेरी बात यहाँ तो मान लोगे लेकिन क्षमा करने में शायद फल हो जाओगे।
मैं आज आपसे क्षमा धारण करने की बात नहीं करता। आप किसी को क्षमा मत करो। महाराज जी। एकदम उल्टा उपदेश दे रहे हो क्या हो गया आपको? नहीं. मुझे मालूम है कि क्रोध का कारण उपस्थित होने पर भी आप क्रोध न करो और क्षमा कर दो ऐसा आपके साथ संभव नहीं दिखता क्योंकि जो आदमी बिना वाद्य के नाचने का अभ्यासी हो वह वाद्य बजे और न नाचे ऐसा मुमकिन नहीं दिखता। बिना कारण गुस्सा करने का जिनका अभ्यास है; कारण पड़ने पर वह क्षमा रख ले बड़ा मुश्किल है। मैं आपसे वह बात नहीं कहता। आप प्रवचन रोज सुनते हो मेरी तो कुल चार बातें हैं।
फसल बचायें इन कीड़ों से
आज मैं आपसे चार बातों पर थोड़ा अवेयर (जागरूक) होने की बात करता हूँ। चार बाते हैं- क्रोध, कलह, क्रूरता और कटुता। सबसे पहले है क्रोध। क्रोध एक ऐसी दुर्बलता है, एक ऐसा आवेग है जो संसार के हर व्यक्ति को अपने आगोश में लिए हुए है। ऐसा एक भी व्यक्ति इस सभा में नहीं है जो ये कहे कि मुझे क्रोध नहीं आता अथवा किसी के गुस्से का शिकार नहीं बनना पड़ा। सबको क्रोध है। मैं आज आपसे क्रोध छोड़ने की बात नहीं करता। खूब क्रोध करो। महाराज! आज तो एकदम ही क्या बात हो गई? समझ में नहीं आ रहा अभी तक तो आप यही कहते थे कि ये मत करो आज कह रहे हो कि करो।
हाँ,....होश में बोल रहा हूँ क्रोध करो पर बोध रखते हुए। मतलब क्रोध करते समय यदि मनुष्य को बोध हो कि मैं कौन हूँ? मैं किस पर क्रोध कर रहा हूँ? मैं किस वजह से क्रोध कर रहा हूँ? और मैं कहाँ क्रोध कर रहा हूँ? बस चार बातें। अगर चार बातों में (मैं कौन हूँ) मैं एक धर्मी हूँ, धर्मी हो कि नहीं हो? धर्मी हो कि पापी? एक बात कहता हूँ धर्मी हो तो पाप करना बंद कर दी। क्रोध पाप है कि धर्म? धर्मी हो तो एक धर्मी को क्रोध नहीं सुहाता, नहीं शोभता। क्रोध करना बंद कर दो। अपने आप को धमीं मानते हो तो आज से क्रोध बंद। नहीं महाराज! हम तो पापी हैं। पापी हो तो कोई दिक्कत नहीं। अगर धर्मी हो तो पाप करना बंद कर दो और अपने आपको पापी मानते हो, पापी हो तो धर्म करना शुरु कर दो। मतलब समझ में नहीं आ रहा है पापी जितना धर्म करेगा उसकी उतनी प्रगति होगी और धर्मी जितना पाप से बचेगा उसका उतना उत्थान होगा।
तुम कौन हो, मैं कौन हूँ, मेरी अवस्था क्या है? मैं धर्मी हूँ, क्रोध मेरे लिए नहीं शोभता। मैं घर का प्रमुख हूँ, मेरे ऊपर पूरे घर के संचालन की जिम्मेदारी है, मुझे सबको लेकर चलना है। छोटी-छोटी बातों पर मैं क्रोध करूंगा तो परिणाम खराब होगा; मुझे इस पर अंकुश रखना चाहिए। मैं अगर छोटा हूँ और बड़े पर क्रोध करता हूँ तो ये मेरे अनुकूल नहीं है। यदि व्यक्ति अपनी स्थिति का विचार करे तो क्रोध कभी नहीं आ सकता। पर क्या करें? जिस समय आदमी को गुस्सा आता है न वह सब भूल जाता है। कुछ पता नहीं चलता क्या है, क्या नहीं है। उसे अपनी स्थिति का भी भान नहीं रहता। अपने आप को समझो मैं कौन हूँ, इसे पहचानो। बस सूत्र लेकर जाना है आपसे बहुत ज्यादा बाते नहीं करूंगा, थोडी सी ही बातें करूंगा।
मैं कौन हूँ इसे पहचानो फिर मैं क्रोध किस पर कर रहा हूँ उसका विचार करो। आप लोग क्रोध किस पर करते ही उसी पर जिसको साथ रहते हो। एक बार एक दम्पत्ति मेरे पास आए पत्नी ने पति की शिकायत की। बोली- महाराज जी! इनको समझाइए। बहुत क्रोध करते हैं। मैंने उसकी तरफ देखा। बोला- क्या करूं महाराज बस में नहीं रहता। तो पत्नी आगे बोली- महाराज जी! और बाकी सब तो ठीक है, और सबके साथ बहुत अच्छे रहते हैं। मेरे ऊपर ही ज्यादा क्रोध करते हैं। महाराज! कभी सीधे मुँह बात नहीं करते। ये तो आप सामने बैठे हैं तो मैं इतना बोलने की हिम्मत कर पा रही हूँ नहीं तो मुश्किल हो जाएगी।
मैंने कहा- क्यों भाई क्या बात है? क्रोध क्यों करते हो? वह बोला- महाराज! मैं इसके ऊपर इसलिए क्रोध कर लेता हूँ क्योंकि ये झेल लेती है दूसरा कोई झेलने वाला नहीं है। मैंने कहा अच्छा इसीलिए बैण्ड बाजा बजवाकर इसको लेकर आए थे क्या? किसलिए लेकर आए थे? किस पर क्रोध कर रहे हो ये तुम्हें विचार करना है। जिसके साथ प्रेमपूर्ण सम्बन्ध रहना चाहिए उसके साथ तुम क्रोध पूर्ण सम्बन्ध बना लेते हो। शत्रु पर आदमी को क्रोध कम आता है। अपनों से जब शत्रुता बढ़ती है तब क्रोध आता है। अपने पर जब क्रोध आता है तो शत्रुता बढ़ जाती है। कन्ट्रोल कीजिए। किस पर क्रोध कर रहे हैं; अगर व्यक्ति इस बात का विचार कर ले तो बहुत फर्क पड़ता है। आदमी विवेक खो देता है और परिणाम बहुत भयावह हो जाते हैं।
एक आदमी ने मर्सडीज कार खरीदी। उसका चार साल का छोटा सा बच्चा था। गाडी लाकर खड़ी किए दो दिन ही हुए थे। छोटा बच्चा किसी चीज से उस कार की बोनट पर कुछ खरोंच सा रहा था। बाप को गुस्सा आ गया। और एक जोर का पत्थर उस चार साल के बच्चे के हाथ में मार दिया। उसकी दो उगलियाँ फट गई, खून की धार बहने लगी लेकिन उस बेटे ने उसी उगली से लिखा पापा 'आई लव यु"। जब बच्चे ने लिखा पापा 'आई लव यु" तो बाप के होश उड़ गए कि मैं कैसा मूर्ख हूँ जो एक छोटी सी गाड़ी के पीछे अपने प्राण-प्यारे बेटे के साथ ऐसा बदसलूक किया। बेटा क्या लिख रहा था मुझे पता ही नहीं, वह लिख भी नहीं पाया; शायद यही लिखता और मैंने उसे पत्थर मार दिया। काश! मुझे यह पता होता कि मेरा बच्चा अबोध है, अपनी अज्ञानता से यह कार्य कर रहा है तो मैं ऐसा कार्य कभी नहीं करता।
बंधुओ! आप क्रोध किस पर कर रहे हो? यदि आपको ये पता हो कि मैं किस पर क्रोध कर रहा हूँ तो क्रोध प्रकट नहीं होगा। किस वजह से क्रोध कर हो? छोटी-छोटी वजह से क्रोध है। सुबह चाय पी रहे थे पता लगा चाय में शक्कर नहीं है, आपको गुस्सा आ गया; छोटी सी वजह।
भोजन के लिए बैठे; भोजन में विलम्ब हो गया, थोड़ा सा टाइम लग गया; आपको गुस्सा आ गया। पति दफ्तर से आया और पत्नी से कहा- जल्दी थाली लगा बहुत जोर से भूख लग रही है। पत्नी ने कहा- दस मिनिट रुको; भोजन तैयार करती हूँ। पति बेसब्र हो रहा था। बोला- इतना समय मेरे पास नहीं है। तूने भोजन तैयार नहीं किया तो मैं बाहर जा रहा हूँ। पत्नी ने कहा- ठीक है; बाहर जाना है तो पाँच मिनट रुको, मैं भी साथ चलती हूँ, बाहर ही खाना है तो मैं भी साथ चलती हूँ। बात को सम्हाल लिया।
थोड़ी-थोड़ी बातों से मन क्षुब्ध हो उठता है। अगर फिजूल की बातों पर क्रोध है तो उसे कन्ट्रोल करने का अभ्यास कीजिए। अगर इतना भी नहीं कर सकते तो जिस वजह से क्रोध है उस वजह की पूर्ति होने पर आप क्रोध बंद कर दीजिए।
चाय में शक्कर कम थी; आपने गुस्सा किया, पत्नी की तरफ देखा, उसे डाँटा और पत्नी ने अगर चुपचाप आपकी चाय में शक्कर मिला दी तो आप के मुँह में मिठास आ जानी चाहिए, फिर तो कड़वाहट नहीं होनी चाहिए।
लेकिन छोटी सी वजह होने पर भी व्यक्ति उससे बड़ा बवाल खड़ा कर लेता है। यदि आप क्रोध की वजहों पर विचार करना शुरु कर दो तो आपको ये लगेगा कि दिन भर में हमने जितना क्रोध किया; उनमें आधी से ज्यादा बातें तो ऐसी थीं जिन पर गुस्सा करने जैसा कुछ था ही नहीं। बेवजह गुस्सा कर लिया।
अक्सर आपने गुस्सा करने वालों को गुस्सा करने के बाद यही प्रतिक्रिया करते हुए देखा होगा अरे यार! फालतू में दिमाग खराब कर लिया। बेवजह गुस्सा कर लिया। ऐसा वही लोग करते हैं जो वास्तविकता को नहीं जानते जो वास्तविकता को समझ लेते हैं अनके अंदर ऐसी प्रतिक्रिया करने की नौबत नहीं आती क्योंकि वे बिना वजह गुस्सा करते ही नहीं।
जो वजह गुस्सा के लायक नहीं है उस वजह से गुस्सा मत करो।
चौथी बात किस स्थान पर क्रोध कर रहे हो? कहाँ...? गुरु के सामने खड़े होकर, भगवान के दरबार में, चार जनों के सामने, अपने परिजनों के बीच, मेहमानों के सामने या अपने मित्रों के बीच? किसको सामने क्रोध कर रहे हो।
जहाँ गुस्सा आ रहा है वहाँ देखो। ये स्थान गुस्सा करने लायक है क्या? मैं आपसे पूछता हूँ आपके अंदर बड़ा तेज गुस्सा आ रहा हो और उस समय कैमरा आपकी तरफ हो जाए तो क्या करोगे?
लाइव (सीधा प्रसारण) प्रोग्राम हो, आपका ध्यान केमरे में चला गया। गुस्सा आ रहा है, लाइव प्रोग्राम है, चेहरा बिगड़ा हुआ है, और कैमरा आपके सामने है; अब क्या करोगे? स्माइल दोगे, अपने आपको सम्हालोगे, मुँह फेरोगे, क्या करोगे? महाराज! जैसे भी होगा, बचने की कोशिश करेंगे। क्योंकि कोई भी आदमी अपनी पोजीशन (छवि) खराब नहीं करना चाहता।
ध्यान रखना। लोग तुम्हारी पोजीशन को नहीं बिगाड़ते हैं, तुम्हारा क्रोध तुम्हारी पोजीशन को बिगाड़ता है। इसलिए अपनी पोजीशन बनाकर रखना चाहते हो तो सदैव ये देखो मैं कहाँ खड़ा हूँ? और जहाँ खड़ा हूँ. वहाँ ऐसा व्यवहार करना उचित है या नहीं? यदि इसका विचार करोगे तो फिर क्रोध आप पर हावी नहीं हो सकेगा।
तालमेल का घालमेल
क्रोध के बारे में इतनी ही बातें। दूसरी बात कलह। क्रोध हो जाए हो जाने दो। यदि आप क्रोध को नहीं रोक सकते तो मत रोको। एक जगह फेल हो गए; चलेगा। गुस्सा आ गया ठीक है; उसको वहीं दफन करो। कलह का रूप मत लेने दो। क्रोध आया तो कलह मत होने दो। अगर चार बातें जिनकी चर्चा अभी मैने की; उन पर ध्यान रखेंगे तो क्रोध नहीं आएगा। लेकिन कदाचित उसमें फल हो गए; कोई चिंता नहीं, कलह मत करो। मामले को वहीं रफा-दफा करो।
कैसे रफा-दफा करो? गुस्सा आए तो सामने वाले से क्षमा मांग लो। क्षमा कर ना सको तो क्षमा मांगने को रेडी(तैयार) रहो। तुम्हारा जीवन आगे बढ़ जाएगा। सामने वाले को क्षमा नही कर सको तो क्षमा माग लो। कहोभैया! मेरा दिमाग खराब हो गया था मैं अपने आप पर कन्ट्रोल नहीं कर पाया, भावुकता में मैंने आवेश में आकर तुमसे उल्टा - सीधा कुछ बोल दिया, माफ करना। भाई! मैने बाद में विचार किया तो लगा कि मैने जो किया वह गलत किया। इस चेप्टर (प्रकरण) को यहीं क्लोज (बन्द) करो। है इतना पराक्रम आपके पास? किसी से लड़ाई की हो और घण्टे भर बाद उससे क्षमा मांगने की हिम्मत अपने भीतर जगा सकते हो?
अगर अपने जीवन को निर्मल, पवित्र और सरल बनाना चाहते हो और अपने जीवन का आनंद उठाना चाहते हो तो ये जरूर करना। भैया! होश खो दिया था अब मैं होश में हूँ, क्षमा करो। मेरे मन में तुम्हारे प्रति दुर्भाव नहीं थे लेकिन फिर भी ऐसा हो गया; मैं क्षमा चाहता हूँ, मुझे माफ कर दो।
महाराज! हम क्षमा मांगें और सामने वाला माफ न करे तो? तुम क्षमा कर दो। तुम क्षमा तो मांगो सामने वाले की बात क्यों सोच रहे हो। पहले ही सामने वाले की बात करते हो। हृदय से क्षमा मांगने पर सामने वाला भी क्षमा करता है। प्रयास करो। फिर थोड़ा देखिए झगड़ा क्यों होता है, कलह क्यों होता है? कलह के कितने कारण हैं? चार कारण- रुचि -भेद, चिंतन-भेद, आग्रह और गलतफहमी।
दो व्यक्तियों की अगर अलग-अलग रुचि है, एक कुछ सोचता है; दूसरा कुछ सोचता है और दोनों जब अपनी-अपनी रुचि के अनुरूप एक दूसरे को चलाने पर आमादा हो जाते हैं तो झगड़ा हो जाता है। जैसी आपकी रुचि है वैसा आपको वातावरण मिले, वैसा आपका साथ हो तो आपको कोई दिक्कत नहीं होती लेकिन रुचि अलग हो तो बड़ी दिक्कत होती है।
मैं ऐसे दम्पती को जनता हू जिनकी दोनों की रूचि एकदम पूरब और पश्चिम की थी। पति धर्मात्मा था और पत्नी एकदम आधुनिक। पति ने विवाह केवल इसी ख्याल से किया था कि मैं नहीं हो सकता, मेरा शरीर अनुकूल नहीं है लेकिन एक अच्छी जीवनसंगिनी मिले तो मैं एक अच्छा गृहस्थ बनकर समाज में कोई आदर्श उपस्थित कर सकें। बहुत परेशान हुआ. उसको कोई लड़की उसके हिसाब की मिली नहीं। बाद में एक लड़की मिली उससे शादी हुई। मैं कहता हूँ जो लड़की मिली वह उसी के लायक थी। उसी के लायक थी। मतलब. उसी के लायक थी दूसरा कोई उसको झेल नहीं सकता था। एकदम तेज-तर्राट, विरुद्ध विचारधारा की।
अब रुचि-भेद है। अगर चाहे तो रोज लड़ाई हो लेकिन पति बहुत समझदार था। रुचि-भेद की स्थिति में भी व्यक्ति यदि अपने चिंतन को व्यापक बना ले तो कई झगड़ों को समाप्त कर सकता है। अभी मैंने कलह के चार कारण कहे। और उस कलह के निवारण के भी चार साधन आपको साथ-साथ बोल देता हूँ ताकि सब चीजें एक साथ चलती जाएँ। रुचि-भेद, चिंतन-भेद, आग्रह और गलतफहमी ये चार कलह के कारण हैं। सकारात्मक सोच, समग्रता का चिंतन, सहिष्णुता का विकास और विनोद-प्रियता समझौते का आधार है।
उसने दो-चार दिन देखा कि पत्नी का व्यवहार ऐसा है। उसने सोचा- इससे प्रतिकार करने से हम नहीं जीत सकते। इसका स्वभाव बड़ा क्रोधी, झगड़ालू है। उसने अपने आप को सरेंडर कर दिया। विचार एकदम विरुद्ध। उसने सोचा- मेरे कर्म का उदय है, अब लड़कर मैं कुछ नहीं पाऊँगा। अगर मुझे कुछ पाना है तो इसे जीतना पड़ेगा। इसे लड़ाई से तो मैं नहीं जीत सकता, अपने प्यार से इसे जीता जा सकता है और कोई दूसरा रास्ता नहीं। उसने पॉजिटिव रास्ता अपनाया।
पत्नी और पति की विचाराधारा में इतना अंतर था कि यदि उसे आलू आदि जमीकद नहीं खाना तो उसकी थाली में वही परोसा जाए और पति परम समता वाला वह चुपचाप थाली में अन्य जो वस्तुएँ परोसी जाएँ वे खा ले और शेष को वहीं छोड़ दे। अपनी थाली भी अपने हाथ से उठाकर बाहर किसी जानवर को खिला दे। पत्नी कुछ भी बोले वह चुप्पी साध ले। वह जली-कटी सुनाए; सुन ले कोई प्रतिक्रिया नहीं। कई मौके तो ऐसे आए कि एक रोटी खाकर उठना पड़ा लेकिन चुपचाप सहता रहा।
एक बार वह मेरे पास बैठा तत्व चर्चा कर रहा था, जिस दालान में बैठा था सामने एक हॉल था। उसकी दूध पीती बच्ची उसकी पत्नी की गोद में थी। इसी बीच बच्ची रोई। पत्नी ने वहीं से आँख दिखाई। मैं सब देख रहा था, ज्यादा डिस्टेंस (दूरी) नहीं थी, चालीस-पचास फीट का गैप था। पत्नी ने ऑख दिखाई, उसने तत्व चर्चा को एक तरफ छोड़कर कहा- महाराज! मैं अभी आया। वह गया पत्नी से बच्ची को लिया, अरे भगवान! पत्नी ने जो जली-कटी सुनाई मुझे भी बड़ा कष्ट हुआ। हे भगवान! ये कहाँ फंस गया। बहुत उल्टी सीधी सुनाई लेकिन वह बोला कुछ नहीं, चुपचाप बच्ची को लिया, बिना किसी प्रतिक्रिया के खिलाया, बच्ची शांत हुई। सात-आठ मिनट के बाद वह मेरे पास आया और बैठकर फिर तत्वचर्चा करना शुरु कर दिया। मैंने उससे पूछा- भैया! क्या कर रहे हो? उसने कहा- महाराज! निर्जरा कर रहा हूँ। निर्जरा कर रहे हो मतलब? पाप झड़ा रहा हूँ। और सच में उसने निर्जरा कर ली। पाँच-छह साल में पत्नी के ऊपर ऐसा असर पड़ा कि आज पत्नी की पूरी विचारधारा बदल गई। आज वह उसके साथ कदम से कदम मिलाकर चलती है। वह जीत गया। पत्नी को बदल दिया।
रुचिभेद हो तो रुचि थोपिए मत। सामने वाले को अपनी रुचि से चलने दीजिए और आप अपनी रुचि से चलिए। अगर बाप बेटे पर अपनी मजीं थोपेगा और बेटा बाप पर थोपेगा, पत्नी पति पर मर्जी थोपेगी और पति पत्नी पर मर्जी थोपेगा, सास बहू पर थोपेगी और बहू सास पर थोपेगी तो झगड़े होते ही रहेंगे। अलग-अलग रुचि हो तो सबको अपनी-अपनी रुचि से काम करने दी।
छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई होती है। सास ने कहा आज ये सब्जी ऐसी बनाना और बहू ने उसको नए तरीके से बना लिया। तूने ऐसी सब्जी क्यों बनाई मैंने तो ऐसे बोला था। रोज-मर्रा की बात मैंने ऐसे कहा था तुमने ऐसे क्यों कर लिया। बिना मतलब की बात। छोटी-छोटी बातें मनुष्य की जिंदगी को खोटी बना देती हैं। वहाँ बचिए।
रुचि सबकी अपनी-अपनी है और सबको अपनी-अपनी रुचि के अनुकूल जीने दीजिए। अपनी रुचि थोपेंगे तो जिंदगी का रस कभी नहीं ले सकेंगे। रुचिभेद हो तो झगड़ा खत्म करने के लिए थोड़ा सकारात्मक दृष्टि से सोची। रुचि किसी पर थोपना मत।
चिंतन-भेद। विचारधारा का अंतर। किसी की विचारधारा अलग होती और किसी की विचारधारा अलग होती है। मामला गड़बड़ हो जाता है। बेटा डॉक्टर बनना चाहता था और पिताजी ने कहा आजकल मेडीकल की लाइन में बहुत ज्यादा लाभ नहीं है। मेडीकल में तुम डॉक्टरी के बाद भी जब तक पी.जी. (PG.) न करो सुपर स्पेशलिस्ट न हो जाओ तब तक कैरियर में कुछ नहीं होता। इसलिए बेटे तुम इंजीनियरिंग कर लो। बेटे की हार्दिक इच्छा थी डॉक्टर बनने की और शुरु से चाहता था कि मैं डॉक्टर बनूँगा लेकिन पिता ने बेटे की एक नहीं सुनी और कहा- तुम्हें इंजीनियरिंग करना होगा। बेटा प्रतिभावान था, पिता के कहने से इंजीनियरिंग किया लेकिन उसके मन में एक बात बैठ गई कि मेरे पिता ने मेरे कैरियर को चौपट कर दिया। दो साल तक तो उसने पढ़ाई की तीसरे साल से उसका मन पढ़ाई से उचट गया, उसके मन में एक गाँठ बन गई कि मेरे बाप ने मुझे डॉक्टर नहीं बनने दिया तो मैं अपने बाप को मिटाकर छोड़ेंगा। चिंतन-भेद से ऐसे परिणाम होते हैं।
मैं कोई किस्सा नहीं बता रहा हूँ, घटित घटना बता रहा हूँ। मैं अपने पिता की सम्पति बर्बाद करूंगा। अब मैं सब चौपट करूंगा। किसी तरह का कॉपरेशन नहीं करूंगा। बड़ी मुश्किल होती है जब किसी पर बातें थोप दी जाती हैं तो सामने वाला विद्रोही बन जाता है। एक बार व्यक्ति विद्रोही बन गया तो उसके परिणाम बहुत भयावह होते हैं। उसका पढ़ाई से ही मन उचट गया। वह पिता से पैसे मंगाए और बर्बाद करे। ड्रग का एडक्शन चालू हो गया। बर्बादी शुरु। एक पैसे वाले बाप का बेटा ड्रग्स लेने का एडिक्ट हो गया। पिता को तरह-तरह से परेशान करना शुरु कर दिया। पैसे ऐंठने लगा।
एक दिन उसके पिता ने मुझसे आकर कहा- महाराज जी! मेरे बेटे की ऐसी-ऐसी दशा है और सुना है- चार-पाँच महीने से वह ड्रग्स भी लेने लगा है, पढ़ाई बिल्कुल बंद है, घर आना पसंद नहीं करता। मुझे मालूम पड़ा है अपने दोस्तों से उसने कहा है कि मेरे पिता ने मेरी इच्छा, मेरे कैरियर को बर्बाद किया, मैं अपने बाप को बर्बाद करके छोड़ेंगा। उसने ऐसा बोल दिया है महाराज! कोई उपाय बताइए। उस बच्चे का क्या होगा?
मैं उस बच्चे को जानता था। बच्चा जब तक बारहवीं में था, तब तक आता था। जब से उसको इंजीनियरिंग में दाखिल किया गया आना बंद कर दिया था। लेकिन उसके कुछ दोस्त आते थे। मैंने सोचा- इनसे बात करने से फायदा नहीं है मोटीवेशन इसके बेटे का मिलना चाहिए। मैंने उसके एक दोस्त से कहा कि अपने उस साथी को एक बार लेकर आओ।
ये घटना भोपाल की है। बहुत पुरानी घटना है। वह अपने साथी को लेकर आया। पहले तो आना-कानी किया पर वह मुझसे जुड़ा था। उसके मन में एक बात बैठी हुई थी कि महाराज जी बड़ी प्रैक्टीकल बात करते हैं। इसलिए मेरे पास आ गया। मैंने पहले तो उसकी सारी बातें सुनीं। उसके अंदर का जो गुबार था वह निकला।मुझे लगा कि अपने पिता के प्रति एक बहुत बड़ी ग्रन्थि इसके मन में बैठी थी कि मेरे पिता ने मेरा कैरियर बिगाड़ दिया। जो मैं वर्षों से सोचता था उन्होंने एक झटके में सब खत्म कर दिया, उन्होंने कुछ सुना ही नहीं। अब मेरे मन में मेरे पिता के प्रति श्रद्धा भी नहीं बची। कैसी गंभीर स्थिति बन जाती है।
मैंने उस बच्चे को बहुत प्रेम से समझाया और उसको कहा भाई तेरा पिता; पिता है। तुझे जरूर ऐसा लग रहा है कि कैरियर को उन्होंने बिगाड़ दिया। मान लिया तू डॉक्टर बनना चाहता था, मेडीकल लाइन में जाना चाहता था और जैसा तू कह रहा है; उस हिसाब से उस दिशा में तू बहुत आगे भी बढ़ जाता पर तेरे पिता ने अगर तुझे इंजीनियरिंग लाईन में भेजा है तो इसलिए नहीं भेजा कि तू अपना कैरियर खत्म कर दी। उन्होंने तो इसलिए भेजा था कि जमी-जमाई इण्डस्ट्री है। तुम मैकेनिकल से इंजीनियरिंग करके लिए बना बनाया एक प्लेटफार्म मिलेगा और तू आगे बढ़ जाएगा। पिता ने तो तेरे हित के लिए ही सोचा था। तूने उसमें अपना अहित सोच लिया। काश! पिता की बातों को तू सकारात्मक तरीके से लेता तो ऐसा नहीं होता।
पिता ने तुझे मेडीकल की जगह इंजीनियरिंग लाइन में भेज दिया और अपनी जिद से उसे अपनी इच्छा के विरुद्ध मानकर जो अपना ली हैं इससे तो तुम अपना सब कुछ समाप्त कर रहे हो। पिता जी की जिंदगी कितने दिन की है? चार दिन की है। तुम्हारा तो सारा जीवन ही नष्ट हो रहा है। तुम डॉक्टर की जगह इंजीनियर बनते भी तो कुछ और बनते। तुम्हारी मेहनत कम होती और तुम्हें जमा-जमाया प्लेटफार्म मिलता, आगे बढ़ जाते लेकिन अभी तुम जिस लाइन पर चल रही हो उसमें तो तुम्हारा सर्वनाश ही हो रहा है। अपने जीवन का सत्यानाश कर रहे हो। तुम्हारा सब कुछ चौपट हो रहा है। सावधान हो जाओ......इसे क्यों बर्बाद कर रहे हो?
इस तरह उसे समझाया, उसकी आँखों में आँसू आने लगे। बोला-महाराज! मुझे आज तक किसी ने प्रेम से नहीं समझाया। मैं विद्रोही बना तो किसी ने मेरी पीड़ा समझने की कोशिश नहीं की। सबने यही कहा कि ये जिद्दी है, बाप को अपनी ऊंगली पर नचाना चाहता है। महाराज! सब जगह मुझे तिरस्कार मिला, अपमान मिला; नतीजा मेरे भीतर का विद्रोह बढ़ता ही गया। आज आप के वचनों से मुझे बहुत शांति और प्रसन्ता की अनुभूति हो रही है। मैंने कभी ऐसा सोचा ही नहीं था। लेकिन महाराज! अब मैं कोशिश करूंगा।
एक महीने तक वह बच्चा नियमित मेरे पास आया। उसका मन सम्हाला। उसने अपनी बुरी आदतों को त्याग दिया, नशा भी छोड़ दिया, सारी बुराईयाँ छोड़ दीं। अपने दो सेमेस्टर रोक रखे थे उनको भी पूरा किया और आज अपने पिता का वारिस बनकर उनकी पूरी इण्डस्ट्री सम्हाल रहा है।
मैं आपसे कहता हूँ व्यक्ति के चिंतन को देखिए, उसकी अभिरुचि को देखिए और उसके अनुरूप बढ़ाने की कोशिश कीजिए। अगर आप चिंतन को बदलना चाहेंगे तो बड़ी गड़बड़ होगी। चिंतन बदलता है सही मार्गदर्शन से; थोपने से नहीं। यदि आप बड़े युक्तिसंगत तरीके से, प्रेम-आत्मीयता से भरे लहजे में समझाएँ तो हर व्यक्ति का चिंतन बदल सकता है। लेकिन यदि आप उस पर थोप देंगे तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी।
मैं कहना चाहता हूँ घर परिवार में चाहे आपके बच्चे हों, बहू हो उसकी रुचि को समझने की कोशिश करें, रुचि थोपिए मत; रुचि बदलने की कोशिश कीजिए। चिंतन थोपिए मत। चिंतन को बदलने की राह दिखाइए। यदि ऐसा हो जाए तो कभी किसी का जीवन खराब नहीं होगा और यदि ऐसा नहीं हुआ तो जीवन को बबाद होने से कोई नहीं बचा सकता।
हठ के पहले थोड़ा ठहरें
झगड़े का तीसरा कारण है आग्रह। आग्रह का मतलब निवेदन नहीं वह तो अनुरोध होता है। आग्रह का मतलब अड़ जाना, अडामेंट हो जाना। जो अपनी बात पर अड़ते हैं; वे लड़ते हैं। अड़ोगे तो लडोगे। कोई व्यक्ति अपनी बात पर जैसे ही अड़ेगा लड़ाई होगी, छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई होगी। आग्रह हुआ कि लड़ाई हुई। आज रोज लड़ाई हो रही है। आप देखिए आपके जीवन में जितनी भी लडाईयाँ हैं वे आग्रह के धरातल पर ही होती हैं। मैंने ऐसा कहा, तुमने ऐसा नहीं किया अब यही करना है। मैं ये नहीं करूंगा। सामने वाला बोल रहा तुम्हें ये करना, वह कह रहा हम ये नहीं करेंगे।
पति-पत्नी अपनी भावी संतान के जीवन की रूपरेखा के ऊपर चचा कर रहे थे। भावी संतान के भविष्य की योजना बना रहे थे। पत्नी ने कहा- मैं अपने बेटे को डॉक्टर बनाऊँगी। पति का कहना था- हूँ. डॉक्टर तो आजकल गली-गली घूमते हैं; मैं अपने बेटे को वैज्ञानिक बनाऊँगा, विश्व भर में उसका नाम होगा। वाह! तुम्हारी चलेगी क्या? जब से मेरी शादी हुई मैंने तब से सोच रखा है कि मेरा बेटा होगा तो उसको डॉक्टर बनाऊँगी। तुम्हारे सोचने से होगा क्या? मेरा बेटा है। मैं अपने बेटे को वैज्ञानिक बनाऊँगा। मैंने भी ये कब से सोच रखा है मेरा बेटा वैज्ञानिक बनेगा।
अब क्या था? पति कह रहा है बेटे को वैज्ञानिक बनाऊँगा और पत्नी कह रही है कुछ भी हो बेटे को डॉक्टर बनाकर रहूँगी। दोनों में खटपट बढ़ गई। मन मुटाव इतना बढ़ गया कि मामला डायवोर्स तक पहुँच गया। आजकल तो बड़ा सरल काम है। थोड़े-थोड़े में डायवोर्स हो जाता है। पत्नी बदलना तो अब ऐसे हो गया जैसे कपड़े बदलते हैं। बड़ी विचित्रता की बात है ये हमारी संस्कृति पर कलंक है। जब मामला डायवोर्स के लिए गया तो जज बहुत समझदार था, दोनों की दलीले सुनीं। एक कहती है डॉक्टर बनाऊँगी एक कहता है कि वैज्ञानिक बनाऊँगा। जज ने दोनों की दलील सुनने के बाद कहा ठीक है मैंने आप दोनों की बातें सुन लीं। आप अपने बेटे को डॉक्टर बनाना चाहती हो और आप वैज्ञानिक बनाना चाहते हो। ठीक है; इस विवाद से पहले बेटे की भी तो राय ली जाए कि वह क्या बनना चाहता है। बेटे को हाजिर किया जाए। जैसे ही सुना बेटे को हाजिर किया जाए.। बेटा. कौन बेटा? अभी तो वह पैदा ही नहीं हुआ, बेटा तो अभी पैदा ही नहीं हुआ है। और जो बेटा पैदा नहीं हुआ उसके आग्रह के पीछे ये लड़ाई है।
इतनी खतरनाक स्थिति है। अपने आप को यहाँ बचाइए। जीवन तभी तरेगा, जीवन तभी धन्य होगा अन्यथा कोई रास्ता नहीं है। आप देखिए आपके जीवन में रोज जो लड़ाईयाँ होती हैं वे आग्रह के कारण ही तो होती हैं।
एक बार पति-पत्नी दोनों बैठे थे, पास में बेटा था। पति ने कहा- बेटे को इंजीनियर बना दो और पत्नी ने कहा बेटे को डॉक्टर बना दो। दोनों में बातचीत चलती गई, चलते-चलते दोनों में तनातनी होने लगी तो फिर पास में बैठे चार साल के बेटे ने कहा- पापा-मम्मी! आप क्यों झगड़ते हो? मैंने तय कर लिया; मुझे क्या करना है। दोनों ने एक साथ पूँछा- अच्छा! बता तू क्या करेगा? बोला मैं वकील बनूँगा। बोले क्यों? क्योंकि आप के डायवोर्स का केस मैं ही सलटाऊँगा। कैसी दुर्दशा है।
गलतफहमी। मिस कम्युनिकेशन (संवाद की कमी) से गलतफहमी होती है, अंडर स्टेडिंग (आपसी समझ) बिगड़ती है। लोग गलतफहमी का शिकार बनकर बड़े-बड़े झगड़े खड़े कर लेते हैं। ऐसा अपनों के बीच होता है। थोड़ा सा वहम हो गया किसी के बारे में और हमने उससे कटुतापूर्ण सम्बन्ध बना लिए, हमारा रिलेशन (रिश्ता) बिगड़ गया। किसी ने आकर आपको कुछ कहा, आपने कान में सुना आधी-अधूरी बात सुनकर उसको वहीं पकड़ लिया।
बंधुओ! कभी जल्दी से किसी भी गलतफहमी का शिकार मत बनिए। किसी के प्रति अगर गलतफहमी है तो आप जाइए और उससे बोलिए कि भैया मैंने ऐसा सुना है, तुमने ऐसा कहा था क्या? सामने वाला कहेगा नहीं मेरा ऐसा आशय नहीं था। मामला खत्म। और आपको पता लगे कि किसी को मेरे प्रति गलतफहमी है तो जाकर सामने वाले से कहो कि भैया मैंने सुना है आपके मन में मेरे प्रति गलतफहमी है। देखिए आपके पास जो भी रिपोर्ट आई है वह गलत आई है, मेरा ऐसा आशय नहीं है, मेरे मन में आपके प्रति कोई दुर्भावना नहीं है। मैं आपके सम्मान और प्रतिष्ठा का सदैव ध्यान रखता हूँ। ये बीच के लोग इधर की उधर और उधर की इधर करते हैं। आप मुझे क्षमा कीजिए। वस्तुस्थिति ये थी। सामने वाला जब पिटारा खोले तो आप किलेयरीफिकेशन (स्पष्टीकरण) दे दीजिए। कभी कम्युनिकेशन गेप नहीं बढ़ेगा और झगड़े नहीं होंगे। देखिए गलतफहमी से झगड़े कैसे होते हैं।
दो मित्र थे। दोनों में बड़ी प्रगाढ़ मित्रता थी। मित्रता ऐसी कि दो देह एक प्राण। दोनों की मित्रता पूतना से सही नहीं गई। पूतना तो जानते ही हो. महाभारत में आपने देखा होगा। उसे किसी ने कहा कि इन दोनों की मित्रता तुम तोड़ पाओ तो हम जानें। वह बोली मेरे लिए तो यह चुटकियों का खेल है। पूतना ने एक षोडशी युवती का रूप धारण किया और दो में से एक को बुलाया। उसके कान में कुछ कहने का अभिनय करना शुरु कर दिया और इशारे से कहती जा रही कि सामने वाले को कुछ मत बोलना जो मैं बोल रही हूँ। करीब दो-तीन मिनट तक ये खेल चला और फिर वह वहाँ से चल दी, उसका काम खत्म। अब जो दूसरा व्यक्ति था बोला- क्यों भाई! क्या बात है? कौन थी वह? बोला- मुझे नहीं मालूम क्या बोल रही थी, कुछ नहीं बोली। झूठ बोलते हो मैंने अपनी आँखों से देखा। इतनी देर तक तुम्हारे कान में बोलती रही और तुम बोल रहे हो कुछ नहीं बोली, वह इशारा कर रही थी उसको मत बताना। पहले वाला बोला- भैया! कुछ बोली हो तब तो बताऊँ। मैंने आज तक तुमसे कभी झूठ नहीं बोला अब कैसे झूठ बोल्यूँ? मैं कैसे मान सकता हूँ ऐसा आँख से देखा झूठ होता है क्या? मैंने सब देखा है, सब कुछ तुम्हारे कान में बोली लगता है अब तुम उसके प्रेमी बन गए हो और सब कुछ अकेले-अकेले करना चाहते हो। करना है तो करो लेकिन मुझे जब तक नहीं बताओगे मेरी-तुम्हारी दोस्ती खत्म।
अब सामने वाला क्या करे? कुछ बोली हो तब तो बताए। अब क्या करे? कोई उपाय नहीं, कोई रास्ता नहीं। क्या करे कुछ समझ में नहीं आ रहा। वह कह रहा है जो भी तुम्हें बताकर गई। मुझे बताओ। अब ये क्या बताए।
क्या हुआ? दोनों की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई। थोड़ी सी गलतफहमी ने एक मिस कम्युनिकेशन कर डाला। बीच में माया आ गई और मित्रता का सफाया कर गई। ऐसी स्थितियाँ बनती हैं। बंधुओ! किसी के प्रति गलतफहमी मत रखिए और किसी को गलतफहमी का शिकार मत बनने दीजिए। जीवन में कभी झगड़ा नहीं हो सकता। झगड़े से बचने के लिए सकारात्मक सोचिए, समग्रता से देखिए, एकांगी मत देखिए। आपको कोई बात कही जा रही है तो झगड़ा करने से पहले उसके आगे-पीछे का विचार कीजिए झगड़ा होगा ही नहीं। समग्र चिंतन का अभाव कलह को जन्म देता है। जैसे-आप दफ्तर से आए, आपकी माँ ने आपकी पत्नी की दस प्रकार की शिकायतें आपसे कर दीं। आपने सुना कि तुम्हारी बीबी ने ऐसा किया वैसा किया और आप सीधे जाकर अपनी बीबी पर बरस पड़े। मामला गड़बड़ हो गया। ये एक रूप है। और अगर आप में थोड़ी समझदारी हो तो आप माँ की सुनने के बाद पत्नी से पूछो क्या बात है? आज दिन में क्या हुआ? माँ से तुमने कुछ गडबड तो नहीं किया, कोई बदसलूकी तो नहीं की, माँ की उपेक्षा, अवमानना या तिरस्कार तो नहीं किया और फिर पत्नी की बात पूरी तरह से सुनो।
जब आप पूरी बात सुनोगे तो आप पाओगे कि माँ जो बोल रही है उसमें सत्तर प्रतिशत बात तो नमक-मिर्च है, तीस प्रतिशत सच्चाई है। तो आपका गुस्सा रिड्यूज(कम) होगा। झगड़ा कम होगा। बंधुओ! मैं आपसे केवल इतना ही कहना चाहता हूँ कि कभी भी एक तरफा मत सोचो और न एक तरफा निर्णय लो। सामने वाले के पक्ष को भी ध्यान में रखो और मिलजुल करके निर्णय लो। समग्रता से चिंतन करोगे तो जीवन में आनन्द की अनुभूति कर सकोगे।
देखिए असमग्र-चिंतन कैसे अशांति देता है। और समग्र चिंतन से कैसे शांति मिलती है। आपका कोई मित्र आपके गाँव आया आपने उसका बहुत अच्छा आतिथ्य किया। भविष्य में आपको दिल्ली जाने का मौका आया तो आपको उसकी याद आई। उसने आपसे कहा था जब भी दिल्ली आओ तो मुझे एक फोन करना मुझे बड़ी खुशी होगी, मेरे ही घर पर ठहरना और मैं तुम्हें खुद लेने के लिए आऊँगा। आपने फोन कर दिया। अब आप निश्चित हैं। दिल्ली जा रहा हूँ दो रोज रुकना है और अमुक के घर रुकेगा। अजीज है, दो दिन उसके साथ रहने का भी मौका मिलेगा और होटल आदि की चिंता -विकल्पों से भी मुक्त रहूँगा। सोचते हुए आप दिल्ली पहुँचे पर स्टेशन पर कोई नहीं मिला। क्या प्रतिक्रिया होगी? बड़ा मक्कार आदमी है जब यही सब करना था तो इतना नाटक करने की क्या जरूरत थी। मैंने थोड़े ही बोला था कि मैं तेरे घर रुकेंगा, मेरे पास रुकने के ठिकानों की कमी है क्या? जाता हूँ किसी अच्छे होटल में। सौ प्रकार की मन में गालियाँ निकल जाएगी, पता नहीं कितना कोसोगे सामने वाले को। बाहर निकलकर टैक्सी-स्टैण्ड पर टैक्सी लेने जा रहे हो तभी उसकी गाड़ी आकर रुकी, उससे वह व्यक्ति बदहवास सी हालत में बाहर निकला साथ में उसके अस्सी वर्ष के पिता जी हैं उनको लेकर सीधे हॉस्पीटल में दाखिल करा रहा है। अब क्या सोचोगे? भाई गड़बड़ हो गई। आँख से आँख मिली पर वह कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है सीधे हॉस्पिटल में ले गया। इसके यहाँ जरूर कोई हादसा हुआ है मुझे यहीं रुकना चाहिए। सारा गुस्सा शान्त हो गया। आपने रुकने का मन बना लिया। वह कुछ देर बाद अस्पताल से बाहर आया, नजर से नजर मिली भैया! माफ करना, आज आपको बहुत परेशानी उठानी पड़ी, मैं आपको लेने नहीं आ पाया पर क्या करूं बड़ा मजबूर था। मैं तुम्हें लेने के लिए ही निकला था। ड्राइवर नहीं आया खुद गैरिज से कार निकाली, कार स्टार्ट ही किया था कि अचानक पिता जी को अटैक आ गया और मैं पापा को लेकर सीधे हॉस्पीटल आया हूँ। स्थिति इतनी गम्भीर थी कि मैं फोन भी नहीं कर पाया, तुम्हें बहुत कष्ट हुआ मुझे क्षमा करना। अब क्या प्रतिक्रिया करोगे। अरे! मैंने पहले ऐसा क्यों नहीं सोचा, बेकार में अपना मन खराब कर लिया।
बंधुओ! मैं आपसे कहता हूँ जितने भी लोग मन खराब करते हैं न सब बेकार में ही करते हैं। यथार्थ में मन खराब करने लायक कुछ होता ही नहीं। बेमतलब मन खराब करने की आदत छोड़ी। समग्रता से विचार करो मन कभी खराब नहीं होगा और तभी जीवन धन्य होगा।
जब ज्यादा गुस्सा आने लगे, झगडे की ज्यादा नौबत आने लगे तो थोड़ा विनोदी बनो। विनोदप्रियता.....गहरी बात को भी मजाक में लेना शुरु कर दो झगड़ा शांत हो जाएगा। पत्नी पति से नाराज हो गई और धमकाते हुए बोली- ज्यादा करोगे तो मैं मायके चली जाऊँगी। पति पत्नी के स्वभाव को जानता था कि ये जो बोल देती है सो करती है, उसने तुरंत पैतरा बदला और बात को सम्हाला। बोला ठीक है तुम मायके हो आओ, पप्पू भी इस बहाने ननिहाल ही आएगा और मैं भी इसी बहाने कुछ दिन ससुराल मे रह लूगा। मामला सुलट गया। हल्के में लिया, विनोद में लिया तो मामला सुलट गया। विनोदप्रिय बनें। अपने अंदर की सहनशीलता को बढ़ाने इाराडा खत्म हो जाएगा।
मन, वचन और कर्म से भाव हो अक्रूर का
क्रोध आ जाए तो कलह मत करो, कलह हो जाए तो क्रर मत बनी। क्रोध पर अपने आप को रोको, क्रोध पर नहीं रोक सकते जो कलह पर अपने आप को रोको, कलह पर नहीं रोक सकते तो कम से कम क्रूरता पर तो जरूर रोको। क्रूर मत बनो मतलब किसी से झगड़ा हो तो ऐसा झगड़ा मत करो कि मरने-मारने की बात आ जाए। हिंसक प्रतिशोध और प्रतिरोध की भावना मन में आना घोर अनर्थ है। मन में ऐसी क्रूरता नहीं आए कि अब तो में उसे सबक सिखाकर ही छोड़ेंगा।
ये परिणति क्रूरता की परिणति होती है। ऐसा व्यक्ति हिंसक कुछ भी कर लेता है। क्रूरता कतई अनुकरणीय नहीं है। इसलिए कभी भी क्रूरता मन में मत आने दो और अगर क्रूरता के साथ ही कटुता आई है तो कटुता मतलब बैर की गांठ तुमने बाध ली जो भव-भवान्तरों तक साथ चलती रहती है। ऐसी गांठ मनुष्य के जीवन को जटिल बना देती है।
इन सबसे आप बचेंगे तो निश्चित ही आपका जीवन सुखी होगा।आज क्षमा के दिन मैं आपसे क्रोध की बात नहीं करता आपसे कहता हूँ कलह से बचिए, क्रूरता से बचिए और कटुता से बचिए। यदि इतना भी आप अपना लेते हो तो आपका जीवन धन्य हो जाएगा। ये तय कर लीजिए मैं इस पूरे साल किसी से कलह नहीं करूंगा और यदि अतीत के दिनों में किसी से कलह हुई है तो आज क्षमाधर्म के दिन सबसे पहले उससे क्षमा मामूँगा। क्षमावाणी के दिन आप अपने मित्रों से क्षमा मांगते हो। मित्रों से जिनसे दुश्मनी नहीं उनसे क्षमा मांगने की क्या जरूरत है। किसी से कलह नहीं करूंगा, और यदि किसी के प्रति कोई कलहपूर्ण व्यहवहार हुआ है तो उसे समझौते में परिवर्तित करूंगा, क्षमा मांगूंगा। किसी के प्रति कटुता का भाव नहीं रखेंगा, कटुता यानी बैर की गाँठ अपने अंदर नहीं बांधूंगा और यदि कदाचित कोई बैर है भी तो उसे सीमित करने की कोशिश करूंगा, शान्त करूंगा लेकिन क्रूर नहीं बनूँगा।
सम्पादक
डा. सोनल कुमारी जैन, दिल्ली
सिंघई जयकुमार जैन, सतना