इस haiku के माध्यम से आचार्य श्री जी हमको यह समझाना चाहते हैं की जिस प्रकार से सुई निश्चय है, कैंची व्यवहार है और दर्जी प्रमाण है ठीक इसी प्रकार से निश्चय सम्यक दर्शन है , व्यवहार सम्यक ज्ञान है और प्रमाण सम्यक चारित्र है । इन तीनों की एकता का नाम ही मोक्ष मार्ग है ।