हे इस युग के शिरोमणि,
प्रातः स्मरणीय मेरे गुरु,
हे जैनों के जैनाचार्य,
सर्व हितकरी मेरे आचार्य,
हे संतो मे सर्व श्रेष्ट,
हम शिष्यों के देवाधिदेव,
हम करते तुमको नमस्कार,
ह्दय वेदी से नित बारम्बार,
तुम जैसा यहाँ शिष्य नहीं,
ना ही गुरु तुम सा समान,
हे त्याग मूर्ति हो तुम्हें प्रणाम,
व्रत के धारी हो तुम्हें प्रणाम,
हे वितरागी हो तुम्हें प्रणाम,
दिगंबर धारी हो तुम्हें प्रमाण,
हे बाल ब्रह्मचारी तुम्हें प्रणाम,
गृह त्यागी हो तुम्हें प्रणाम।