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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

Renudeepak jain

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  1. पुंज चड़ाऊ हर्ष से होकर भाव बिभोर, हाथ पकडलो प्रभु मेरा ले चलो मुक्ति के छोर ..... ............. चरण मिले गुरु के मुझे, वंदन हो स्वीकर, सूत्र दिए गुरु ने हमें होने भव से पार
  2. चले होले से प्रभु इतने की हरिक आत्मा बोली, रखो हम पर चरण अपने की हरिक आत्मा बोली, मिले हैं हम तो माटी में उठा लो पग से ही प्रभुवर, मिले स्पर्श चारनो का , की हरिक आत्मा बोली... करो उद्धआर प्रभु मेरा , करो उपकार मुझ पर ये रहे कुछ तो समय प्रभु संग की ये हरिक आत्मा बोली चले होले से प्रभु इतने की हरिक आत्मा बोली। नमोस्तु गुरुदेव
  3. Chale hole se prabhu itne ki herik aatma boli, rakho hum per charan apne ki herik atma boli, karo uuddhar prabhu mera ye herik atma boli, mile hain hum maati me utha lo pag se hi prabhuvar, mile sparsh charno ka ye herik atma boli, chale itne hole se ki herik aatma boli... rakho hum per Charan apne ki herik atma boli......namostu bhagwan
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