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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

संयम स्वर्ण महोत्सव

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  1. टीकमगढ़ - आचार्य श्री ने कहा कि 2 मित्र बहुत दिन बाद मिलते हैं वे दोनों मित्र कुशल कुशलता उनमें प्राय बनी रहती थी दोनों ने मिलने के बाद ठान लिया कि जो बचपन के दिनों में जो तत्व चर्चा होती है उस पर बात करेंगे एक मित्र ने कहा मैंने राजा के बारे मे आंखों के द्वारा देखा दूसरे मित्र ने पूछा क्या देखा भाई देखना तो पड़ेगा भाई आप बतला दो भाई मैंने वह दृश्य देखा एक राजा को पहले घोड़ी पर बैठा दिया जाता है फिर राजा को घोड़े से हाथी पर बैठा दिया हाथी पर बैठकर राजा अपने नगर में भ्रमण कर रहा था राजा अपने नगर में भ्रमण कर रहा था ऊपर नीचे का दृश्य देख रहा था हाथी से उतारकर राजा को पालकी में बैठा दिया पालकी सुंदर थी जो राजा पालकी पर आराम से बैठा हुआ था ऊपर की ओर ऊपर का दृश्य देख रहे थे। अब राजा की यात्रा का समय पूरा हुआ राजा को पालकी से नीचे उतारा गया नीचे उतरते ही राजा के सेवक हाथ पैर दबाने लग जाते हैं। आचार्य श्री ने कहा कि दूसरा मित्र कहता है वह कहता है राजन हाथी पर बैठे घोड़े पर बैठे पालकी पर बैठे और राजन को नीचे उतारा तो सेवक पैर दबाने लग जाते हैं। वह कहता है राजन पैदल तो एक कदम भी नहीं चले फिर थके कैसे ? आचार्य श्री जी कहते हैं यह व्यक्ति का स्वयं का पुण्य होता है जो व्यक्ति को इस प्रकार वैभव की प्राप्ति होती है यह उसके कर्मों का प्रतिफल है हम अध्यात्म की बात करते हैं कर्म आत्मा का परीगमन सामने आता है। हमें परिश्रम करना चाहिए तभी हम दुख से बच सकते हैं आचार्य श्री जी ने कहा हर पदार्थ की क्रिया अखंड है आचार्य श्री जी ने कहा कोई पूछता है सात तत्व हैं जब तक हम भ्रम मुक्त नहीं रहेंगे तब तक हमें मुक्ति नहीं मिलेगी आचार्य श्री जी ने कहा हम भगवान के दर्शन करते है तो हमेशा हमें 7 तत्व दिखना चाहिए नहीं तो वह दर्शन पूर्ण नहीं माना जाता है आचार्य श्री ने कहा कि बरसों बीत जाते हैं आचार्य श्री ने कहा कोई राजा होता है तो कोई रकं होता है हमें परिश्रम करना चाहिए तभी हम दुख से बच सकते हैं आचार्य श्री जी ने कहा प्राथमिक दशा में कुछ कर्म तकलीफ देते हैं तो उसको दवाई के द्वारा इंजेक्शन के द्वारा ठीक किया जा सकता है रोगों का बाहर आना निश्चित हो जाता है आचार्य श्री जी ने कहा बहुत दिन हो गए है मोक्ष मार्ग पर चलते चलते अज्ञान की दशा में ज्ञानी व्यक्ति भी अपने पथ से भटक जाता है। संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी
  2. अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन महिला परिषद लाडगंज शाखा द्वारा ग्रीष्मकालीन शिविर के अंतर्गत संत शिरोमणि ध्यान योग शिविर का शुभारंभ होने जा रहा है दिनांक - 27 मई, दिन - रविवार, समय - प्रातः 7:00 से 8:00 स्थान - लार्डगंज मंदिर ऊपरवाला हाल मार्गदर्शक - योगाचार्य डॉक्टर नवीन जैन संपर्क - 9837 63 67 08 अध्यक्ष - श्रीमती सुषमा जैन सिटी 930 222 1079 सचिव - मोनिका जैन 9424 3061 21 नोट - सभी वर्ग के महिला पुरुष एवं बच्चों के लिए
  3. श्रमण कुल तिलक, अध्यात्म योगी, प्रवचन केसरी, संत शिरोमणि, परम पूज्य आचार्य भगवंत गुरुदेव श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज के 50 वे संयम स्वर्ण महोत्सव के अंतर्गत भव्य अर्हम ध्यान योग शिविर का भव्य आयोजन आज दिनांक 23/05/18 को बाल ब्रम्हचारिणी श्री सविता दीदी जी के द्वारा जबरी बाघ नसिया जी के आचार्य ज्ञान सागर छात्रावास प्रागण में रात्रि 8 बजे किया गया है सभी अपने परिवार मित्रो सहित अवश्य पधारे । निवेदक संयम स्वर्ण महोत्सव समिति
  4. ध्यान विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार https://vidyasagar.guru/quotes/parmarth-deshna/dhyaan/
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