Vidyasagar.Guru Posted January 13, 2019 Report Share Posted January 13, 2019 बांदरी 13-1-2019 मंत्र की महिमा अपरम्पार है- मुनिश्री बांदरी जिला सागर( मध्यप्रदेश) में सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी मुनि श्री अनंत सागर जी मुनि धर्मसागर जी मुनि श्री अचल सागर जी मुनि श्री भाव सागर जी ससंघ एवं आर्यिका श्री अनंत मति माताजी ससंघ एवं आर्यिका श्री भावना मति माता जी आदि 22 आर्यिकाओं के सानिध्य मे आचार्य श्री की पूजन हुई । आर्यिका श्री सदय मति माताजी ने अपने उद्बोधन में अपने गुरु का गुणगान किया और उन्होंने बताया कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की चर्या हमेशा उत्कृष्ट रही है। मुनि श्री भावसागर जी ने कहा कि भक्ति में जो भी अर्पण किया जाता है बह श्रेष्ठ होता है। मंदिर के कलश भी अच्छे होना चाहिए । भगवान के अभिषेक और शांति धारा के बाद 64 चमर डुलाना चाहिए । खाली हाथ क्रिया नहीं करना चाहिए पंचकल्याणक में केवल ज्ञान कल्याणक के दिन प्राण प्रतिष्ठा मंत्र के द्वारा प्राण प्रतिष्ठा की जाती है । यह गुप्त रूप से की जाती है क्योंकि सूरि शब्द यह दिगंबर आचार्य ,साधु का है। यही सप्तम गुणस्थान से बारहवें गुणस्थान तक की विधि है। सुरि मंत्र गुप्त रूप से दिया जाता है। यह गुरु मंत्र है , जो गुप्त रूप से कहा जाता है बह मंत्र कहलाता है। यहां सुरि मंत्र प्रदान करते समय साधु के भावों की विशुद्धि स्थिरता एवं श्रद्धा भक्ति प्रतिमा को ऊर्जावान और पूज्य बनाती है। प्रतिमा में कितनी भी क्रियाएं की जावे , किंतु सूरि मंत्र के बिना बे सभी क्रियाएं कार्यकारी नहीं हो पाती है। सूरि मंत्र प्रदान करने वाला साधु निर्ग्रंथ होना चाहिए सूरि मंत्र की तरह है ।आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराजकी तप साधना निर्दोष ब्रह्मचर्य की साधना 50 वर्ष से अधिक की है इसी कारण से पूरे देश के लोग चाहते हैं आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के द्वारा सूरि मंत्र प्रतिमाओं में प्रदान किया जाए। Link to comment Share on other sites More sharing options...
Recommended Posts