Amrita jain 88 Posted April 16 Report Share Posted April 16 जिनके पावन चरणों की रज, बन जाए माथे का चंदन। जिनकी पावन शीतल वाणी, हर लेती जन-जन का क्रंदन।। स्वयं देवता तरसे जिनको, हे नग्न दिगम्बर अभिनंदन । गुरुवर श्री समय सागर को, शत-शत वंदन, शत-शत वंदन ।। अभिषेक जैन अबोध भेल भोपाल जी द्वारा रचित मुक्तक के माध्यम से मैं अमृता जैन अपनी और अपने परिवार की तरफ से गुरु चरणों में हम सबकी भावांजलि अर्पित करती हूं नमोस्तु भगवान 🙏🙏🙏 Link to comment Share on other sites More sharing options...
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