परम पूज्य आचार्य श्री 108 समयसागरजी महाराज की पूजन
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स्थापना
ज्ञानोदय छेद
समयसार का सार बसा है, गुरु आपके चेतन में।
स्वानुभूति के निर्मल झरने, झरते रहते हैं मन में ।।
विद्या गुरु सम सौम्य छवि लख, लगता ऋद्धिधारी हो ।
परम दयालु करुणासागर, गणधर सम उपकारी हो ॥ 1 ॥
समयसागराचार्य गुरुवर, जिनशासन के गौरव हैं।
नगर- नगर में गुरु चर्या की, फैली अनुपम सौरभ है ॥
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