भावपूर्ण श्रद्धांजलि
नमोस्तु आचार्य भगवान🙏🙏🙏
अठारह फरवरी अर्धरात्रि में,
गुरु ब्रह्म में लीन हुए।
यम सल्लेखना मरण समाधि
मोक्ष महल आसीन हुए।।
ऐसे गुरुवर के चरणों में,
श्रद्धा सुमन समर्पित है।
भावपूर्ण विनयांजलि सबकी,
गुरु चरणों में अर्पित है।।
नौ वर्ष की बाल आयु में,
रागद्वेष का त्याग किया।
आत्म तत्व पर गहरी श्रद्धा,
वैराग्य हृदय में धार लिया।।
बीस वर्ष की उमर गुरु ने,
घर परिवार का त्याग किया।
आचार्य देशभूषण गुरु से,
व्रत ब्रह्मचर्य को धार लिया।।
बाईस वर्ष उमर यौवन की,
दिगमवरत्व को धार लिया।
गुरु ज्ञान सागर जी से,
मुनिपद अंगीकार किया।।
विद्याधर से विद्यासागर,
गुरु ने तुम्हें बनाया था।
कुंद-कुंद के कुंदन बनकर,
जिनशासन महकाया था।।
गुरु शिष्य संबंध अनोखा,
शिषत्व स्वीकार लिया।
मरण समाधि भावना भाकर,
आतम का उद्धार किया।।
शरद पूर्णिमा के वो चंदा,
गुरुवर दिव्य दिवाकर है।
रत्नत्रय के धारी मुनिवर,
करुणा के वो सागर है।।
प्राणि मात्र के हित का प्रतिपल,
जन-जन को उपदेश दिया।
गौशालाएं जीवदया हित,
अहिंसा का संदेश दिया।।
परम् पूज्य गुरुवर जी का,
किन शब्दों में गुणगान करूं?
नहीं ज्ञान है मुझको कुछ भी,
कैसे गुरुवर गान करूं।।
दर्शन मात्र से जिनके लगता,
समोशरण में बैठे हो।
ऐसे गुरुवर के चरणों में,
जीवन मेरा अर्पण हो।।
त्याग, तपस्या के जो सागर,
कुंद-कुंद के कुंदन है।
वर्तमान के वर्धमान वो,
गुरुवर विद्यासागर है।।
हथकरघा के सूत्रधार जो,
बहुभाषा के ज्ञाता है।
हिंदी हो जन-जन की भाषा,
भारत भाग्य विधाता है।।
जिन आगम पर चलने वाले,
करुणा के जो सागर है।
महा तपस्वी, महा तेजस्वी,
गुरुवर दिव्य दिवाकर है।।
जिनशासन के आद्य प्रवर्तक,
मोक्ष महल के स्वामी हो।
हो भविष्य के तीर्थंकर तुम,
स्वर्णिम एक कहानी हो।।
भारत की संस्कृति के पोषक,
जन-जन के उद्धारक है।
प्रतिभास्थली आप प्रणेता,
गुरुवर विद्यासागर है।।
विनयांजलि भावों की अर्पित,
अपना शीश नवाती हूं।
शब्द सुमन की शुभ यह माला,
विनत स्वरों से गाती हूं।।
अमृता जैन
सुनीता जैन, कल्पना जैन, पवन कुमार जैन, अंकित जैन, अमय जैन, भव्य जैन, अभिषेक जैन, रोमा जैन, अंजलि जैन, अर्पिता जैन
छतरपुर मध्य प्रदेश
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