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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

श्रमण संस्कृति के सूर्य ! को शत शत नमन


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श्रमण संस्कृति के सूर्य ! 
ऐसे युगदृष्टा शताब्दियों, सहस्राब्दियों में कभी कभार जन्म लेते हैं...

उनके विचार सदैव प्रकाश स्तंभ बनकर हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।                

समाधि                  नमन नमन नमन 🙏🙏🙏🙏🙏

 

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नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुदेवजी। सूर्य समान आपका तेज की अनुभूति हमको सदा अनुभूत हो आपके आशीर्वाद से 🙏🙏🙏

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गुरुवर को शत् शत् नमन🙏🙏🙏

 

मुजे वह दिन कभी भुलता नही। में ऑफिस के काम से नागपुर गया था।उन दिनो गुरुवर नागपुर नगर में विराजमान थे। मेरे एक अजैन मित्र ने उनके दर्शन की इच्छा व्यक्त की और हम चल पडे। झात तो था की दुर से दर्शन होगे। हम पहोचे तब श्रावक गुरुवर की पुजा पढ रहे थे। हमने दर्शन और वंदन किया और हाथ जोड खडे हो गये। पता नही कैसे ( शायद गुरुवर की इच्छा और मेरा सौभाग्य), गुरुवर तक का पुरा पथ खाली दिखा और मेने गुरुवर के चरणो का स्पर्श किया। तत्क्षण मेरी आंखोसे अश्रुधारा निकल गई। आयेथे दर्शन करने और चरण वंदन का आनंद मिला। एसे है मेरे गुरुवर और सदा रहेंगे हमारे मनमंदिर में।

 

 

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नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरु देव 🙏🙏🙏

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज हम सब के लिए जीवन्त भगवान थे है और रहेंगे, आचार्य भगवन अपनी शारीरिक अस्वस्थता के बावजूद भी अपनी चर्चा में कोई कमी नहीं की। चर्या शिरोमणि वर्तमान के भगवान को हमारा शत शत नमन शत् शत् नमन शत् शत् नमन 

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2 hours ago, Vidyasagar.Guru said:

श्रमण संस्कृति के सूर्य ! 
ऐसे युगदृष्टा शताब्दियों, सहस्राब्दियों में कभी कभार जन्म लेते हैं...

उनके विचार सदैव प्रकाश स्तंभ बनकर हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।                

समाधि                  नमन नमन नमन 🙏🙏🙏🙏🙏

 

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आज हमारी ऑंखों से आंसू थम नहीं रहे हैं। क्या बोले हम गुरु जी बारे में, हमारे पास तो शब्द नहीं हैं‌। बस इतना ही बोलेंगे की  *सूर्य अस्त हो गया , अंधेरा छा गया जैन समाज में, शरद पूर्णिमा का चांद, रोशनी ले गया अपने साथ में।* 🙇‍♀️🙏 नमोऽस्तु आचार्य श्री नमोऽस्तु 🙏🙇‍♀️😭

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*ऐसा संत कहाॅं से लाऊॅं भारत माॅं?* 
 *जिसने भारत को पहचान दिलाई,* 
 *जिसने जन-जन को राह दिखाई,* 
 *ऐसा गुरु कहाॅं से लाऊॅं भारत माॅं?* 
 *दिल की गहराई को जानने वाला,* 
 *मोक्ष-मार्ग पर अग्रसित हो चला,* 
 *ऑंखें आज नम-सी हैं,* 
 *ऐसे आचार्य को कहाॅं खोजूॅं अब?* 
 *जो अंत तक दिल में समाया हो,* 
 *नत-मस्तक हर माथा,* 
 *उस गुरुवर को सदा वंदन करने में,* 
 *जन-जन चाह रखने वाला,* 
 *दीपक-सा उजियाला देने वाला,* 
 *जैन धर्म का संत,* 
 *बोलो, आज कहाॅं से लाऊॅं?* 

 *नमन तुम्हें कोटि-कोटि गुरुवर* 
 *नमन तुम्हें कोटि-कोटि गुरुवर* 

 *_नतमस्तक हूॅं आज, डोंगरगढ़ की पावन-भूमि को,_* 
 *_जो बनेगा एक तीर्थ-धरोहर,_* 
 *_सौंप दिया जीवन प्रभुवर को,_* 
 *_अब धरती को स्वर्ग कौन बनाए ?_* 
 *_हमारे गुरुवर ही अब उस परमात्मा_* 
 *_के निकट जो आये ..,_* 
 *_निर्मल मन से वंदन करूॅं,_* 
 *_ऑंखों की धारा से,_* 
 *_बस दिल से याद करें,_* 
 *_सफ़ल हो मार्ग-क्रमन गुरुवर तुम्हारा,_* 
 *_यही हर कोई दिल से दुआ करे।_* 

 *🙏कोटि-कोटि वंदन गुरुवर !!!*🙏

         *इंडिया नहीं, भारत कहें।*

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