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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

प्रभु की रथ यात्रा निकाली गई 💐


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घाटोल 30-09-2023

*प्रभु की रथ यात्रा निकाली गई*

*ये दुनिया का सब से बड़ा आश्चर्य हैं जो सोलह दिन बिना भोजन के रहे*

*अंत में समाचार एक बार फिर आते है ऐसे ही क्षमा आती है*

*करदो सबको माफ़ और दिल को साफ़ करलो सबके दिल में अपना घर कर लो*

*16 उपवास 284 घंटे बिना भोजन के करने वाले 6 लोगो का उपवास का पारणा महोत्सव सम्पन्न होगा*

श्री वासूपूज्य दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य  
मुनि श्री विमल सागर जी महाराज
मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज
मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज
मुनि श्री भाव सागर जी महाराज के सानिध्य में मांगलिक क्रियाएं संपन्न हुई, 
कमेटी ने जानकारी दी कि 1  अक्टूबर को 16 उपवास करने वाले 6 लोगो का उपवास का पारणा महोत्सव सम्पन्न होगा जिसमे कई स्थानों से लोग शामिल होंगे कुछ लोगो का 30 सितंबर को 16वां उपवास था यानि 360 घंटे तक बिना भोजन के रह कर तप साधना कर रहे है,30 सितंबर को दोपहर में प्रभु की विशाल रथयात्रा श्री वासुपूज्य मंदिर से प्रारंभ हुई सदर बाजार से बस स्टैंड होकर श्री आदिनाथ मंदिर पहुंची इसमें मुनि संघ और 250 वर्ष प्राचीन रथ,तीन पालकी, धर्मचक्र , भजन मंडली चल रही थी जैन युवा संगठन के सदस्य, जयोदय महिला मंडल, चंदनबाला बालिका मंडल की सदस्या चल रही थी , जगह जगह प्रभु को श्रीफल अर्पण किए गए ,मुनि संघ का पाद प्रक्षालन किया गया ,आरती उतारी गई ,लोग केसरिया,पीले,सफेद वस्त्रों में नजर आ रहे थे, लोग भक्ति नृत्य करते हुए चल रहे थे ,इसमें सरपंच प्रियंका डाबी ने मुनि संघ को श्रीफल अर्पण किया ,1 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे  श्री आदिनाथ मंदिर से  श्री वासुपूज्य मंदिर वापस आएगी इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ने कहा कि अंत में समाचार एक बार फिर आते है ऐसे ही क्षमा आती है ,पर्युषण के बाद क्षमावाणी के रूप में ,धर्म प्रभावना के लिए रथोत्सव किया जाता है ,क्षमा वीरो का भूषण है ,सट्टा से जीवन में बट्टा लगता है ,करदो सबको माफ़ और दिल को साफ़ करलो सबके दिल में अपना घर कर लो ,गाय के दूध से सौ वर्ष की बूढ़ी माँ भी चलने लगती है ,बच्चो को दान के संस्कार ज़रूर दे ,चतुर्थ काल के एक हज़ार वर्ष के अनुसार सोलह हज़ार वर्ष के उपवास हो गए है ,
मुनि श्री भावसागरजी महाराज ने कहा कि रथ यात्रा धर्म तीर्थ के नायक प्रभु की धर्म देशना का प्रतीक है ,इससे असंख्य जीवों को आत्मबोध की प्राप्ति होती है ,वासुपूज्य भगवान का मंदिर 725 वर्ष पुराना है ,रथ 250 वर्ष प्राचीन है ,चक्रवर्ती की दिग्विजय यात्रा के समय सैकडो रथों में प्रतिमा रख कर छह खंडों की परिक्रमा करने का कथन ग्रंथों में मिलता है ,लोगो को नशे से दूर रहना चाहिए ,इससे शरीर का नाश होता है ,अपने जीवन में शाकाहार अपनाना चाहिए ,लोगो ने सोलह उपवास किए है ग्रीष्म जैसी तपन में ये दुनिया का सब से बड़ा आश्चर्य हैं जो सोलह दिन बिना भोजन के रहे।

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