राजेश जैन भिलाई Posted December 16, 2021 Report Share Posted December 16, 2021 यूं तो अक्सर बड़े बाबा के दर्शन के भाव बनते है और फिर जब बड़े बाबा के समवशरण में छोटे बाबा विराजित हो तो मन मचलने ही लगता है कुंडलपुर की ओर..... संयोग से सपरिवार कुंडलपुर के दर्शन का पुण्ययोग भी बन गया, ज्योहीं वाहन पटेरा से आगे बढ़ा थोड़ी ही देर में सड़क की दोनों ओर अंतहीन समतल मैदान में इंजियनिरो की टोलियां मूर्त रूप देने जुटी हुई थीं वहीं कुंडलपुर के प्रथम प्रवेश द्वार के पहले ही तीनों ओर के मुख्य मार्ग से कुंडलपुर जिनालय तक 6 लेन सड़क मार्ग निर्माण युद्धस्तर पर चल रहा था दोनों ओर की सड़कों में मुरम को पाटते, मंजीरे की ध्वनि वाले, रोडरोलर मदमस्त गजराजों की मानिंद डोल रहे थे। वही रेत, गिट्टी, शिलाओं के भार से दोहरे हुए दर्जनों विशालकाय डंपर ऊबड़खाबड़ कच्चे रास्तों पर सरपट भागे चले जा रहे थे। वहीं कृषि कार्यो एवम ग्रामीण एवम कस्बों के बहुउद्देश्यीय वाहन पचासों टेक्टर भी इस महा महोत्सव में अपना योगदान दे रहे थे। निर्माणाधीन सड़क के दोनों ओर बिजली के के खम्बों में मोटे मोटे केबलों से सम्पर्क जोड़ा जा रहा था वही दर्जनों जेसीबी, उखाड़े गए बिजली के खंबे, बड़ी बड़ी शिलाओं, सीमेंट के विशाल पाइप को अपनी आधुनिक सूंड में लपेटे तेज गति से दौड़ रहे थे। कुछ दूर आगे वर्कशॉप में सैकड़ो शिलाओं पर चलने वाले कटर अपने पाश्चात्य संगीत गुंजा रहे थे इस बार शिल्पकारों के साथ उनके घर की महिला सदस्य भी अपने शिल्प का प्रदर्शन कर घोषित कर रही थी कि बड़े बाबा के बड़े निर्माण में हमारी भी छोटी सी भूमिका है। कुंडलपुर के प्रमुख प्रवेशद्वार पर प्रवेश करते ही मान स्तम्भ के दर्शन हुए जब दाहिनी ओर नजर गई तो वर्धमान सरोवर के सामने वाले सभी भव्य जिनालयों के दर्शन हो रहे थे जिनालयों के सामने ही अलग, अलग समूहों में आर्यिका माताजी जाप्य, स्वाधाय एवम श्रावक, श्राविकाओं की जिज्ञासा का समाधान कर रहीं थी समूचा परिसर ऐसा लग रहा था कि श्रमण भास्कर आचार्यश्रेष्ठ के सामने भव्य चांदनी बिखरी हुई होसन्त भवन में प्रवेश के पूर्व सैकड़ो दर्शनार्थी आचार्यश्री के दर्शन पाने लालायित थे, वहीं दूसरी और सैकड़ो लोग आचार्यभक्ति के लिये अपना स्थान सुरक्षित कर अंगद के पैर की तरह जम गए थे। कुछ ही देर में कुछ शोर सा हुआ बिटिया ने संकेत किया तुरन्त द्वार पर आओ.... लेकिन स्थान छोड़ने पर इस कीमती जगह पर दूसरे का कब्जा होने की आशंका थी,अबकी बार संकेत पाकर द्वार की ओर लपका, जिनालय से संध्या दर्शन कर श्रमणेश्वर आचार्यश्री मंद मंद मुस्कान लिये सन्त भवन की ओर आ रहे थे सैकड़ो कंठो ने गुरुचरणों में अनवरत नमोस्तु नमोस्तु... निवेदित किया गुरुदेव ने सभी पर वरदानी करकमलों से आशीष वर्षा की, मैंने भी नमोस्तु निवेदित किया संयोग से ऋषिराज आचार्यश्री की पलकें उठी और अधरों पर मोहक मुस्कान लिये देवदुर्लभ आशीर्वाद बरसा दिया लगा कि स्वर्गो की सारी सम्पदा एक पल में ही मिल गई। अल्प आहार के बाद बड़े बाबा की बहु प्रसिद्ध आरती हेतु बाबा के दरबार आ गए पारम्परिक ढोलक और मंजीरों की थाप से तन मन झूमता रहा कब घड़ी की सुइयां उर्ध्व गमन कर गई पता ही न चला बड़े बाबा के दरबार से बाहर आकर नींचे जाने से पहले नवनिर्मित शिखर को प्रणाम कर ही रहा था तब सैकड़ो फुट उतुंग शिखर पर विशाल क्रेनों पर दर्जनों शिल्पकार कड़कड़ाती ठंड में कार्य कर रहे थे स्मरण हो आया बहु प्रचलित वाक्य बड़े बाबा और छोटे बाबा के सभी कार्यों में स्वर्ग के देवताओं की मुख्य भूमिका रहती है और अब तो पूरा भरोसा हो गया कि बड़े बाबा के विशाल शिखर पर स्वर्ग के देव निर्माण कार्य कर रहे है। शब्द भाव संकलन राजेश जैन भिलाई अगर आप भी कुंडलपुर जाके आए हैं, तो अपनी अनुभूति इस पोस्ट कमेन्ट कर अवगत कराए (महामहोत्सव अनुभूतियाँ : आपकी अनुभूति साझा करे हमारे साथ) 1 1 Link to comment Share on other sites More sharing options...
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