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गाय -वास्तु दोषों कि निवारक


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जिस प्लॉट पर भवन निर्माण करना हो, वहां पर यदि बछडे वाली गाय को लाकर बांधा जाए तो वहा संभावित वास्तुदोषों का निवारण स्वत: हो जाता है। कार्य निर्विघ्न पूरा होता है और समापन तक आर्थिक बाधाएं नहीं आती।

 

'समरांगण सूत्रधार' जैसा प्रसिद्ध बृहद् वास्तु ग्रंथ गौरूप में पृथ्वी-ब्रह्मादि के समागम-संवाद से ही आरंभ होता है। वास्तुग्रंथ 'मयमतम् में कहा कि भवन निर्माण का शुभारंभ करने से पूर्व उस भूमि पर ऐसी गाय को लाकर बांधना चाहिए जो सवत्सा या बछडे वाली हो। नवजात बछडे को जब गाय दुलारकर चाटती है तो उसके फेनसे वहां होने वाले समस्त दोषों का निवारण हो जाता है। वही मान्यता वास्तुप्रदीप, अपराजितपृच्छा आदि में भी आई है। महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है कि गाय जहाँ बैठकर निर्भयता पूर्वक सांस लेती हैं, उस स्थान के सारे पाप नष्ट हो जाते है।

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