सत्यवादी के स्मरण रखने योग्य बातें
सत्यवादी के स्मरण रखने योग्य बातें
जो सत्य का प्रेमी हो, सचाई पर भरोसा रखता हो, उसे चाहिये कि वह किसी भी की तरफदारी कभी न करे। अपने गुण अपने आप न गावे। दूसरे के अवगुण कभी प्रकट न करे। किसी की कोई गोपनीय बात कभी देखने जानने में आ जावे तो औरों के आगे कभी न कहे। हमेशा नपे तुले शब्द कहे एवं अपने आप पर काबू पाये हुए रह तभी वह अपने काम में सफल हो सकता है।
उदाहरण स्वरूप हमें यहां सत्यवादी श्री हरिश्चन्द्र का स्मरण हो आता है जो कि शयन दशा में दे डाले हुए अपने राज्य को भी त्याज्य समझ लेते हैं। कर्तव्य पथ प्रदर्शन और फिर उसको उत्सर्ग करने के प्रतिफलस्वरूप में बनारस के कालू भंगी के यहां कर्मचारी हो रहने को भी अपना सौभाग्य समझते हैं। इधर उन्हीं के समान उनकी पत्नी जो कि एक गृहस्थ के यहां नौकरानी बनकर अपना गुजर-बसर करने लग रही थी, उसके पुत्र रोहितास को सर्प काट जाता है जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है। उसकी लाश को वह (रानी) ले जाकर जब हरिश्चन्द्र घाट पर जलाने लगती है तो हरिश्चन्द्र अपने मालिक कालू के द्वारा निश्चित की हुई टैक्स वसूल किये बिना जलाने नहीं देते हैं। अपने मन में जरा भी संकोच नहीं करते हैं कि यह मेरे पुत्र की लाश है और मेरी ही स्त्री इसे जला रही है। बल्कि सोचते हैं जब मेरे मालिक ने टैक्स निश्चित कर रखा है और उसकी वसूली के लिए मुझे यहां नियत किया है फिर भले कोई भी क्यों न हो उससे टैक्स वसूल करना मेरा धर्म है।
ओह! कितना ऊँचा आदर्श है? जिसे स्मरण कर हृदय विभोर हो जाता है। परन्तु उन्हीं की संतान प्रति-संतान आज के इन भारतवासियों की तरफ जब हम निगाह डालते हैं तो रूलाई भी आ जाती है, क्योंकि आज के हम तुम सरीखे लोग दो-दो पैसे में अपने ईमान-धर्म को बेचने के लिए उतारू हो रहते हैं? बल्कि कितने ही लोग तो बिना मतलब ही झूठी बातें बनाने में प्रवृत्त होकर अपने आपको धन्य मानते हैं। परन्तु उन्हें सोचना चाहिये कि सत्य के बिना मनुष्य का जीवन वैसा ही है जैसा कि बकरी के गले में हो रहने वाले स्तन का होता है।
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