बड़े बड़े मंदिरों का निर्माण
पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ने कहा कि आपने बड़े बड़े मंदिरों का निर्माण कर लिया अनेकों प्रतिमाओं को विराजित कर पुण्य कमा लिया परंतु मुख्य कार्य तो अभी बाकी है। अब इन वीतरागीयों की आराधना के लिए युवाओं में जागृति लाने का कार्य कीजिये और जो दूर दराज के विद्यार्थी राजधानी में अध्ध्यनरत हैं उन्हें प्रेरित कीजिये। ऐंसी व्यवस्था बनाइये की वे मंदिर के आसपास ही रहकर अध्यन कर सकें और इसके लिए एक व्यवस्थित छात्रावास होना चाहिए। संस्कारों को यदि प्रतिस्ठापित करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये काम प्रारम्भ कीजिये।
उन्होंने कहा कि कोई भी काम करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत होती है जैंसे मुम्बई में टिफिन का कार्य शाकाहारी कुछ लोगों द्वारा प्रारम्भ किया गया था जो आज सफलता पूर्वक चल रहा है, आपके यहाँ भी आप ऐंसे रचनात्मक कार्य कर सकते हैं जिनसे विद्यार्थियों को शुद्ध आहार मिल सके क्योंकि शुद्ध आहार से ही बुद्धि का विकास होता है। आप भले ही सौधर्म इंद्र बन जाओ आपको एक बार पुजन का मौका मिलेगा परंतु युवा पीढ़ी में यदि आप संस्कार डाल दोगे तो वे बार बार आपके द्वारा स्थापित जिनालय में पूजन करने आएंगे और सदियों तक ये परंपरा कायम रहेगी।
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